हिमाचल प्रदेश की छोटी काशी मंडी में हिंदू संगठन आज मस्जिद विवाद में एक बार फिर से सड़कों पर उतरेंगे। नगर निगम आयुक्त मंडी के मस्जिद तोड़ने के आदेशों के बावजूद अवैध हिस्सा नहीं तोड़ने पर हिंदू नाराज है और प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। दरअसल, नगर निगम आयुक्त मंडी ने 13 सितंबर को मस्जिद के अवैध हिस्से को एक महीने के भीतर तोड़ने के आदेश दिए थे। मुस्लिम पक्ष ने इन आदेशों को प्रधान सचिव टीसीपी के पास चुनौती दी और स्टे ले लिया। तब से मस्जिद को तोड़ने का काम रुका हुआ है। मुस्लिम पक्ष ने दी ये दलील प्रधान सचिव कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने अवैध निर्माण की बात को नकारा और कहा, 2013 में बारिश के कारण मस्जिद का मुख्य हिस्सा गिरा था, जिसे अगस्त 2023 को फिर से बनाया है। मुस्लिम पक्ष ने कहा, आयुक्त कोर्ट ने उनका पक्ष नहीं सुना और फैसला सुना दिया। मुस्लिम पक्ष की दलीलों के अनुसार 1936 से मस्जिद 478 नंबर खसरा में स्थित थी, जबकि 1962 में राजस्व रिकार्ड में बदलाव के बाद मस्जिद खसरा नंबर 1280, 2216 व 2117 में 300.53 स्कवेयर मीटर और खसरा नंबर 2218 से 2221 तक 85.6 वर्ग मीटर पर है, जो कि कुल 386.19 वर्ग मीटर बनता है और यह क्षेत्र अहले इस्लाम के नाम से दर्ज है। लगभग 100 वर्षों से अधिक समय इसी जगह पर है। इस पर टीसीपी सचिव ने मस्जिद तोड़ने के आदेशों पर स्टे दिया और नगर निगम से रिकॉर्ड तलब किया। 1280 खसरा नंबर हिंदुओं के देव स्थल होने का दावा इससे हिंदू संगठन नाराज है और इसके खिलाफ आंदोलन के लिए छोटी काशी देवभूमि संघर्ष समिति का गठन कर दिया है। समिति के संयोजक गोपाल कपूर और सह संयोजक गगन प्रदीप बहल ने बताया कि जिस जगह पर मस्जिद का निर्माण किया गया है। वहां पर हिंदुओं का देव स्थान हुआ करता था। इसलिए 1280 खसरा नंबर पर मस्जिद के नीचे खुदाई की मांग की गई थी। मगर प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। उन्होंने कहा, इस जमीन पर गलत तरीके से कब्जा करके यहां मस्जिद बनाई गई है। मंडी में 3 बार प्रदर्शन कर चुके हिंदू संगठन इससे पहले हिंदू संगठन मस्जिद विवाद में 3 बार मंडी में सड़कों पर प्रदर्शन कर चुके हैं। पहला प्रदर्शन 10 सितंबर को नगर निगम मंडी के कार्यालय के बाहर किया गया। इसके बाद 13 सितंबर को हिंदू संगठनों ने मस्जिद की ओर कूच करने की कोशिश की, लेकिन भारी पुलिस बल ने उन्हें मस्जिद स्थल से पहले ही रोक दिया। इस दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने को वॉटर कैनन का इस्तेमाल भी भीड़ पर किया गया। इसके बाद 28 सितंबर को भी प्रदर्शन किया गया। खुद अवैध दिवार हटाई नगर निगम आयुक्त मंडी के मस्जिद तोड़ने के आदेश आने से एक दिन पहले खुद ही मुस्लिम पक्ष ने पीडब्ल्यूडी की जमीन पर लगाई रिटेनिंग वॉल को हटाना शुरू कर दिया था। 13 सितंबर को निगम आयुक्त ने मस्जिद के अवैध हिस्से को तोड़ने के आदेश दिए। इसके बाद कुछ हिस्सा तोड़ दिया गया। कोर्ट के आदेशों पर मंडी मस्जिद की बिजली व पानी भी काट दिया गया। 70 साल पहले की मस्जिद होने का दावा मुस्लिम समुदाय का दावा है कि मंडी के जेल रोड में 70 साल पहले ही मस्जिद बनी है। आरोप है कि पहले यहां एक मंजिला मस्जिद थी। इसी साल मार्च में दो अतिरिक्त मंजिल मस्जिद के ऊपर बना दी गई। इस पर हिंदू संगठनों ने आपत्ति जताई और मंडी में प्रदर्शन करके इन्हें तोड़ने की मांग की। इसके बाद निगम की जांच में कुछ सरकारी जमीन निकली। हिमाचल प्रदेश की छोटी काशी मंडी में हिंदू संगठन आज मस्जिद विवाद में एक बार फिर से सड़कों पर उतरेंगे। नगर निगम आयुक्त मंडी के मस्जिद तोड़ने के आदेशों के बावजूद अवैध हिस्सा नहीं तोड़ने पर हिंदू नाराज है और प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। दरअसल, नगर निगम आयुक्त मंडी ने 13 सितंबर को मस्जिद के अवैध हिस्से को एक महीने के भीतर तोड़ने के आदेश दिए थे। मुस्लिम पक्ष ने इन आदेशों को प्रधान सचिव टीसीपी के पास चुनौती दी और स्टे ले लिया। तब से मस्जिद को तोड़ने का काम रुका हुआ है। मुस्लिम पक्ष ने दी ये दलील प्रधान सचिव कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने अवैध निर्माण की बात को नकारा और कहा, 2013 में बारिश के कारण मस्जिद का मुख्य हिस्सा गिरा था, जिसे अगस्त 2023 को फिर से बनाया है। मुस्लिम पक्ष ने कहा, आयुक्त कोर्ट ने उनका पक्ष नहीं सुना और फैसला सुना दिया। मुस्लिम पक्ष की दलीलों के अनुसार 1936 से मस्जिद 478 नंबर खसरा में स्थित थी, जबकि 1962 में राजस्व रिकार्ड में बदलाव के बाद मस्जिद खसरा नंबर 1280, 2216 व 2117 में 300.53 स्कवेयर मीटर और खसरा नंबर 2218 से 2221 तक 85.6 वर्ग मीटर पर है, जो कि कुल 386.19 वर्ग मीटर बनता है और यह क्षेत्र अहले इस्लाम के नाम से दर्ज है। लगभग 100 वर्षों से अधिक समय इसी जगह पर है। इस पर टीसीपी सचिव ने मस्जिद तोड़ने के आदेशों पर स्टे दिया और नगर निगम से रिकॉर्ड तलब किया। 1280 खसरा नंबर हिंदुओं के देव स्थल होने का दावा इससे हिंदू संगठन नाराज है और इसके खिलाफ आंदोलन के लिए छोटी काशी देवभूमि संघर्ष समिति का गठन कर दिया है। समिति के संयोजक गोपाल कपूर और सह संयोजक गगन प्रदीप बहल ने बताया कि जिस जगह पर मस्जिद का निर्माण किया गया है। वहां पर हिंदुओं का देव स्थान हुआ करता था। इसलिए 1280 खसरा नंबर पर मस्जिद के नीचे खुदाई की मांग की गई थी। मगर प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। उन्होंने कहा, इस जमीन पर गलत तरीके से कब्जा करके यहां मस्जिद बनाई गई है। मंडी में 3 बार प्रदर्शन कर चुके हिंदू संगठन इससे पहले हिंदू संगठन मस्जिद विवाद में 3 बार मंडी में सड़कों पर प्रदर्शन कर चुके हैं। पहला प्रदर्शन 10 सितंबर को नगर निगम मंडी के कार्यालय के बाहर किया गया। इसके बाद 13 सितंबर को हिंदू संगठनों ने मस्जिद की ओर कूच करने की कोशिश की, लेकिन भारी पुलिस बल ने उन्हें मस्जिद स्थल से पहले ही रोक दिया। इस दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने को वॉटर कैनन का इस्तेमाल भी भीड़ पर किया गया। इसके बाद 28 सितंबर को भी प्रदर्शन किया गया। खुद अवैध दिवार हटाई नगर निगम आयुक्त मंडी के मस्जिद तोड़ने के आदेश आने से एक दिन पहले खुद ही मुस्लिम पक्ष ने पीडब्ल्यूडी की जमीन पर लगाई रिटेनिंग वॉल को हटाना शुरू कर दिया था। 13 सितंबर को निगम आयुक्त ने मस्जिद के अवैध हिस्से को तोड़ने के आदेश दिए। इसके बाद कुछ हिस्सा तोड़ दिया गया। कोर्ट के आदेशों पर मंडी मस्जिद की बिजली व पानी भी काट दिया गया। 70 साल पहले की मस्जिद होने का दावा मुस्लिम समुदाय का दावा है कि मंडी के जेल रोड में 70 साल पहले ही मस्जिद बनी है। आरोप है कि पहले यहां एक मंजिला मस्जिद थी। इसी साल मार्च में दो अतिरिक्त मंजिल मस्जिद के ऊपर बना दी गई। इस पर हिंदू संगठनों ने आपत्ति जताई और मंडी में प्रदर्शन करके इन्हें तोड़ने की मांग की। इसके बाद निगम की जांच में कुछ सरकारी जमीन निकली। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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