हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में चार विधानसभा क्षेत्रों के लिए बहुत ही अहम कून का तर पुल अभी तक नहीं बन पाया है। अब यहां पर लगा झूला पुल भी हटा दिया गया है। ऐसे में कुछ दिन पहले ही लोगों की आवाजाही के लिए लोक निर्माण विभाग के द्वारा एक अस्थायी रास्ता बनाया था। दो दिनों की बारिश के बाद नदी का जलस्तर बढ़ जाने के कारण यह अस्थायी रास्ता बह गया। लोगों को आने-जाने में बहुत कठिनाई हुई। इस दौरान लोग लोहे के सिंगल गाटर पर जान जोखिम में डालकर आर पार करते हुए नज़र आए। जिसका एक वीडियो भी वायरल हो रहा है। जैसे ही विभाग को इस बात का पता चला तो वहां पर उन्होंने पहुंचकर रास्तें को दोबारा बनाने के लिए काम शुरू कर दिया है। पुल ना होने से लोग परेशान बता दें कि यह कून का तर पुल चार क्षे़त्रों मंडी, जोगिंद्रनगर, द्रंग और धर्मपुर के लिए एक बहुत ही अहम पुल है। इस पुल से अगर आवाजाही न होने के कारण लोगों को करीब 50 किलोमीटर तक का अतिरिक्त सफर करना पड़ता है। जिससे समय और पैसा दोनों ही बर्बाद हो जाते हैं। बाढ़ में बह गया था पुल साल 2023 में आई बाढ़ में यह कून का तर पुल बह गया था। बाद में लोगों की आवाजाही के लिए यहां पर एक झूला पुल बनाया गया। मगर इस बरसात में यह पुल भी क्षतिग्रस्त हो गया और अब यहां पर इन दिनों नए पुल का निर्माण शुरू हो गया है, और झूला पुल हटा दिया है एक्सईएन बोले- काम शुरू कर दिया है इस बारे में मंडी एक्सईएन डीके वर्मा ने बताया कि पुल का काम शुरू हो गया है और इसके लिए कटिंग की जा रही है। लोगों के लिए अस्थायी रास्ता बनाया गया था, जो शनिवार को बह गया। उन्होंने कहा कि रास्ते को ठीक करने में कर्मचारी जुटे हुए हैं। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में चार विधानसभा क्षेत्रों के लिए बहुत ही अहम कून का तर पुल अभी तक नहीं बन पाया है। अब यहां पर लगा झूला पुल भी हटा दिया गया है। ऐसे में कुछ दिन पहले ही लोगों की आवाजाही के लिए लोक निर्माण विभाग के द्वारा एक अस्थायी रास्ता बनाया था। दो दिनों की बारिश के बाद नदी का जलस्तर बढ़ जाने के कारण यह अस्थायी रास्ता बह गया। लोगों को आने-जाने में बहुत कठिनाई हुई। इस दौरान लोग लोहे के सिंगल गाटर पर जान जोखिम में डालकर आर पार करते हुए नज़र आए। जिसका एक वीडियो भी वायरल हो रहा है। जैसे ही विभाग को इस बात का पता चला तो वहां पर उन्होंने पहुंचकर रास्तें को दोबारा बनाने के लिए काम शुरू कर दिया है। पुल ना होने से लोग परेशान बता दें कि यह कून का तर पुल चार क्षे़त्रों मंडी, जोगिंद्रनगर, द्रंग और धर्मपुर के लिए एक बहुत ही अहम पुल है। इस पुल से अगर आवाजाही न होने के कारण लोगों को करीब 50 किलोमीटर तक का अतिरिक्त सफर करना पड़ता है। जिससे समय और पैसा दोनों ही बर्बाद हो जाते हैं। बाढ़ में बह गया था पुल साल 2023 में आई बाढ़ में यह कून का तर पुल बह गया था। बाद में लोगों की आवाजाही के लिए यहां पर एक झूला पुल बनाया गया। मगर इस बरसात में यह पुल भी क्षतिग्रस्त हो गया और अब यहां पर इन दिनों नए पुल का निर्माण शुरू हो गया है, और झूला पुल हटा दिया है एक्सईएन बोले- काम शुरू कर दिया है इस बारे में मंडी एक्सईएन डीके वर्मा ने बताया कि पुल का काम शुरू हो गया है और इसके लिए कटिंग की जा रही है। लोगों के लिए अस्थायी रास्ता बनाया गया था, जो शनिवार को बह गया। उन्होंने कहा कि रास्ते को ठीक करने में कर्मचारी जुटे हुए हैं। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सौर ऊर्जा से जगमगाएगा धर्मशाला:प्रतिदिन बनेगी 750 किलो वाट बिजली, 3.70 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बेची जाएगी प्रेम सूद, धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश की पहली स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत धर्मशाला ने अपने पहले सौर ऊर्जा संयंत्र से बिजली का उत्पादन शुरू कर दिया है। अभी तक सौर ऊर्जा संयंत्र से 3500 यूनिट बिजली उत्पादित कर विद्युत बोर्ड को सप्लाई की जा चुकी है। यह प्रोजेक्ट प्रतिदिन 750 किलो वाट बिजली पैदा करेगा। जिससे सालाना कुल 12 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन होगा। पहले यह यूनिट 600 किलो वाट बिजली उत्पादन की प्रपोजल थी। लेकिन सोलर पैनल के साउथ फेस लगाने से जहां सूर्य की रोशनी सूर्य की रोशनी बिना किसी अवरोध मिलने से पैनल की संख्या बढ़ाने से यह संभव हो सका है। 4.2 करोड़ रुपए की लागत बना धर्मशाला स्मार्ट सिटी द्वारा अक्षय ऊर्जा को अपनाने से न केवल शहर में कार्बन उत्सर्जन कम होगा। बल्कि वित्तीय बचत और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान मिलेगा। इस परियोजना के सफल कार्यान्वयन के साथ धर्मशाला हिमाचल प्रदेश और देश भर के अन्य शहरों के लिए टिकाऊ शहरी विकास को अपनाने के लिए एक उदाहरण स्थापित कर रहा है। 4.2 करोड़ रुपए की लागत से बनी इस परियोजना से शहर की पारंपरिक बिजली स्रोतों पर निर्भरता में काफी कमी आने और धर्मशाला स्मार्ट सिटी लिमिटेड के राजस्व में वृद्धि होने की उम्मीद है। धर्मशाला स्मार्ट सिटी लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर कम सीईओ जफर इकबाल ने बताया कि सौर ऊर्जा संयंत्र से बिजली का उत्पादन शुरू कर दिया है। इन दिनों ट्रायल पर बिजली का उत्पादन शुरू किया है जिसे हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड को ट्रांसफर किया जा रहा है। 28-30 लाख की होगी आमदनी इस सोलर प्लांट से पैदा होने वाली बिजली हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड को 3.70 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बेची जाएगी। जिससे स्मार्ट सिटी लिमिटेड को सालाना 28 से 30 लाख रुपए की इनकम होगी। स्मार्ट सिटी प्रशासन की पहल के तहत धर्मशाला में एक दर्जन से ज्यादा शह के कार्यालय भवनों की छतों पर सौर पैनल भी लगाए गए हैं। इससे इन कार्यालयों पर बिजली का बोझ पहले से कम हो गया है और एक स्वच्छ, ज्यादा टिकाऊ ऊर्जा समाधान मिल रहा है। इको फ्रेंडली प्रोजेक्ट सोलर पैनल से 9 लाख यूनिट बिजली जनरेट की जा सकेगी। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ये बेहतर कदम साबित होगा। जिससे स्मार्ट सिटी धर्मशाला को अच्छी आमदनी होगी। सोलर प्लांट से पर्यावरण को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होगा, ना ही कोई जहरीली गैस निकलेगी। इसके अलावा मॉडर्न सोलर प्लांट पूरी तरह बैटरी रहित रहेंगे।
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हिमाचल बिजली बोर्ड इंजीनियर-कर्मचारी आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे:मुख्यालय में प्रदर्शन के दौरान ऐलान, 700 पद समाप्त करने पर भड़के, पेंशनर भी साथ आए आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल सरकार बिजली बोर्ड में लगभग 700 पद समाप्त करने की तैयारी में है। इसके विरोध में बिजली बोर्ड इंजीनियरों और कर्मचारियों ने बुधवार को बोर्ड मुख्यालय शिमला के बाहर प्रदर्शन किया और सरकार को ऐसा फैसला नहीं लेने की चेतावनी दी। बिजली बोर्ड इंजीनियर और कर्मचारियों ने सरकार के इस फैसले के लिए लंबी लड़ाई लड़ने का ऐलान कर दिया है। यही नहीं बिजली बोर्ड के रिटायर पेंशनरों ने भी इस लड़ाई में कूद जाने का ऐलान किया है। इंजीनियर और कर्मचारियों की जॉइंट एक्शन कमेटी के संयोजक हीरालाल वर्मा ने बताया कि 11 फरवरी को हमीरपुर में प्रदेश सरकार के खिलाफ बड़ी रैली रखी गई है। इसके बाद सभी जिलों के आंदोलन की अगली रूपरेखा तय होगी। 700 पद समाप्त करने जा रही सरकार: हीरालाल हीरालाल वर्मा ने बताया कि बिजली बोर्ड के निदेशक मंडल ने 700 पद समाप्त करने की मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने भी फाइल पर साइन कर दिए है। अब औपचारिक घोषणा बाकी है। उन्होंने कहा, बिजली बोर्ड पहले ही कर्मचारियों की कम संख्या से जूझ रहा है। एक कर्मचारी चार-चार लोगों का काम कर रहा है। इस बीच क्लास-1 से क्लास-4 तक सभी श्रेणियों के लगभग 700 पद खत्म करने की तैयारी चल रही है। 51 पद इंजीनियरों के समाप्त कर चुकी सरकार कांग्रेस सरकार इससे पहले बिजली बोर्ड में इंजीनियरों के 51 पद समाप्त कर चुकी है। आउटसोर्स पर भर्ती बड़ी संख्या में ड्राइवर नौकरी से हटाए जा चुके हैं। हीरालाल वर्मा ने बताया कि सरकार के गलत फैसले का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। बिजली बोर्ड इंजीनियर और कर्मचारी इसके खिलाफ निर्णायक लड़ाई लडेंगे। उन्होंने बताया कि बिजली बोर्ड के पेंशनर भी इस लड़ाई में कूद पड़े हैं। बिजली बोर्ड पर नए-नए प्रयोग कर रहे अधिकारी: हीरालाल हीरालाल वर्मा ने बताया कि बिजली बोर्ड पर नए-नए प्रयोग किए जा रहे है। युक्तिकरण के नाम पर पद समाप्त किए जा रहे है। बिजली बोर्ड 30 लाख विद्युत उपभोक्ताओं से जुड़ा हुए है। यदि इसे कमजोर किया गया तो इसका असर बिजली उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अधिकारी बंद कमरे में बैठकर फैसले ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड के कर्मचारियों को दो साल से अधिक समय बाद भी ओल्ड पेंशन स्कीम नहीं दी गई।