हिमाचल की मंडी जिला की चौहारघाटी के राजबन में छठे दिन के सर्च ऑपरेशन में एक और शव मिल गया है। रेस्क्यू टीम ने मलबे में दबी 75 वर्षीय खुड़ी देवी का बॉडी घटनास्थल से करीब 50 फीट नीचे बरामद किया। अब यहां पर हरदेव सिंह (27) वर्ष की तलाश जारी है। डीसी मंडी अपूर्व देवगन और एसडीएम पधर डा. भावना वर्मा की अगुआई में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, होमगार्ड, पुलिस सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण सर्च ऑपरेशन में जुटे हैं। सड़क दुरुस्त होने के बाद मौके पर पोकलेन मशीन पहुंच गई है। इससे सर्च ऑपरेशन और मलबे को निकालने में आसानी हो गई है। वृद्ध महिला का शव भी बड़ी बड़ी चट्टानों के नीचे मिला है, जो कि पोकलेन मशीनों से हटाई गई। 11 लोग मलबे में दबे अपूर्व देवगन ने कहा कि अब एकमात्र लापता युवक की तलाश है। बीते बुधवार को यहां 3 परिवार के 11 लोग मलबे में दब गए थे। इनमें से 9 लोगों के शव बरामद कर दिए गए है, जबकि एक व्यक्ति को जिंदा मलबे से बाहर निकाला गया। बारिश से जनजीवन प्रभावित वहीं पधर उपमंडल में सोमवार रात को मूसलाधार बारिश से जन जीवन प्रभावित हुआ है। बारिश के बाद क्षेत्र की 8 सड़कें वाहनों के लिए बंद हो गई है। इनमें चौहारघाटी की थलटूखोड़-ग्रामण, थलटूखोड़-मढ़ सड़क, कोटरोपी-चुक्कू-खजरी, कमांद-नेरी, नेरी डूहकी-बिहणधार-घ्राण, सेगली-पराशर, नवलाय-गाढ़ सड़क बीती रात प्रमुख है। इनके बंद होने से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पीडब्ल्यूडी महकमे की मशीनें मलबा हटाने में जुट गई है। हिमाचल की मंडी जिला की चौहारघाटी के राजबन में छठे दिन के सर्च ऑपरेशन में एक और शव मिल गया है। रेस्क्यू टीम ने मलबे में दबी 75 वर्षीय खुड़ी देवी का बॉडी घटनास्थल से करीब 50 फीट नीचे बरामद किया। अब यहां पर हरदेव सिंह (27) वर्ष की तलाश जारी है। डीसी मंडी अपूर्व देवगन और एसडीएम पधर डा. भावना वर्मा की अगुआई में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, होमगार्ड, पुलिस सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण सर्च ऑपरेशन में जुटे हैं। सड़क दुरुस्त होने के बाद मौके पर पोकलेन मशीन पहुंच गई है। इससे सर्च ऑपरेशन और मलबे को निकालने में आसानी हो गई है। वृद्ध महिला का शव भी बड़ी बड़ी चट्टानों के नीचे मिला है, जो कि पोकलेन मशीनों से हटाई गई। 11 लोग मलबे में दबे अपूर्व देवगन ने कहा कि अब एकमात्र लापता युवक की तलाश है। बीते बुधवार को यहां 3 परिवार के 11 लोग मलबे में दब गए थे। इनमें से 9 लोगों के शव बरामद कर दिए गए है, जबकि एक व्यक्ति को जिंदा मलबे से बाहर निकाला गया। बारिश से जनजीवन प्रभावित वहीं पधर उपमंडल में सोमवार रात को मूसलाधार बारिश से जन जीवन प्रभावित हुआ है। बारिश के बाद क्षेत्र की 8 सड़कें वाहनों के लिए बंद हो गई है। इनमें चौहारघाटी की थलटूखोड़-ग्रामण, थलटूखोड़-मढ़ सड़क, कोटरोपी-चुक्कू-खजरी, कमांद-नेरी, नेरी डूहकी-बिहणधार-घ्राण, सेगली-पराशर, नवलाय-गाढ़ सड़क बीती रात प्रमुख है। इनके बंद होने से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पीडब्ल्यूडी महकमे की मशीनें मलबा हटाने में जुट गई है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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मंडी में निर्धारित किए गए 2 बस स्टॉप:लोगों को जाम से मिलेगी राहत, पुराने बस स्टैंड को हटाने से नाराज थी जनता हिमाचल में मंडी शहर के स्कोड़ी चौक से बस स्टॉप को हटाने के बाद प्रशासन ने सवारियों को बस में बैठाने व उतारने के लिए 2 नए बस स्टॉप निर्धारित कर दिए हैं। पहले रिवालसर व कोटली की ओर आने-जाने वाली बसों के लिए स्कोड़ी चौक ही बस स्टॉप था, लेकिन अब जेल रोड स्थित सिनेमा चौक पर सवारियों को उतारा व स्कूल बाजार में सवारियों को बस में बैठाया जाएगा। प्रशासन द्वारा पिछले एक हफ्ते से इन बस स्टॉप को ट्रायल बेस पर चलाया जा रहा था। वहीं अब नियमित तौर पर बसों के लिए यही दो बस स्टॉप रहेंगे। नए बस स्टॉप से अस्पताल की दूरी कम
एएसपी मंडी सागर चंद्र ने भी स्वयं मौके पर पहुंचकर इन बस स्टॉप की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि बस स्टॉप के लिए शहर के महामृत्युंजय चौक व सेरी मंच पर किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। स्कोड़ी चौक के आसपास ही दोनों तरफ 100-100 मीटर के दायरे पर इन बस स्टॉप को बदला गया है। जिससे अस्पताल जाने वाली जनता को भी अब ज्यादा दूरी तय नहीं करनी होगी। जल्द ही इन दोनों नए बस स्टॉप पर मार्किंग कर व बस स्टॉप के बोर्ड भी लगा दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि शहर में वाहनों की संख्या अधिक होने के और स्कोड़ी चौक पर बस स्टॉप होने के चलते अक्सर जाम की स्थिति रहती थी, जाम से भी अब शहर वासियों को निजात मिलने वाली है। लोगों को ऑटो में करना पड़ रहा था सफर
बता दें कि पिछले 4 महीने पहले जुलाई में प्रशासन द्वारा स्कोड़ी चौक से वर्षों पुराने बस स्टॉप को हटा दिया गया था। प्रशासन के इस निर्णय से जनता खासी नाराज हो गई थी और इन बस स्टॉप को हटाए जाने का विरोध आज भी लगातार जारी है। जनता का यही कहना है कि बस स्टॉप हटाए जाने के बाद जेब ढीली कर उन्हें ऑटो में सफर करना पड रहा है। वहीं अब इस विरोध के बीच प्रशासन ने सवारियों के लिए दो नए बस स्टॉप निर्धारित कर दिए हैं, जिससे अब जनता को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।
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नालागढ़ में केमिकल टैंक में गिरने से 2 की मौत:एक को बचाने के चक्कर में दूसरा कूदा, पानी के नमूने ले रहा था औद्योगिक क्षेत्र नालागढ़ के प्लासड़ा के किनवान उद्योग में रविवार को केमिकल टैंक में गिरने से दो मजदूरों की मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक, केमिकल के टैंक में उतरते समय श्रमिक गिरकर सीधे टैंक में भरे केमिकल के बीच जा गिरा। उसे बचाने के लिए जल्दबाजी में दूसरा श्रमिक भी टैंक में कूद गया। एक श्रमिक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरे की ESI चिकित्सालय में पहुंचने से पहले मौत हो गई। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, एक कामगार केमिकल के टैंक में पानी के नमूने लेने के लिए जैसे टैंक में उतरा और गिर गया। उसे बचाने के लिए एक दूसरा कामगार नीचे उतरा और वह भी टैंक में समा गया। एक की मौके पर ही मौत हो गई। उसे साथी श्रमिक नालागढ़ चिकित्सालय लेकर पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। गुस्साए श्रमिकों ने कंपनी प्रबंधकों के ऊपर मामले को रफा दफा करने के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कर्मियों के पास कोई सुरक्षा उपकरण नहीं थे। पुलिस अधीक्षक बद्दी इलमा अफरोज ने बताया कि यह दुखद मामला उस समय हुआ जब एक टैंक के पास प्रदीप (38) निवासी झांजिल गांव साल काम कर रहा था तभी वह टैंक में गिर गया, उसे बचाने के लिए राजू (38) निवासी जाखलिया गांव जिला बदायूं (उत्तर प्रदेश) उसे बचाने के लिए कूदा, लेकिन उसकी भी ऑक्सीजन की कमी के चलते मौत हो गई है। पुलिस ने कंपनी प्रबंधन के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।
हिमाचल प्रदेश में सेब प्रोडक्शन में लगातार गिरावट:हर साल बढ़ रहा रकबा, घट रहा उत्पादन, इस बार 2.91 करोड़ पेटी का अनुमान
हिमाचल प्रदेश में सेब प्रोडक्शन में लगातार गिरावट:हर साल बढ़ रहा रकबा, घट रहा उत्पादन, इस बार 2.91 करोड़ पेटी का अनुमान हिमाचल में प्राकृतिक आपदाओं के कारण हर साल सेब का उत्पादन गिर रहा है। सेब का रकबा बढ़ने के बावजूद उत्पादन कम हो रहा है। इस बार भी बागवानी विभाग ने 2.81 करोड़ पेटी सेब आने का अनुमान जताया है। प्रदेश में 1.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सेब की खेती हो रही है। वर्ष 2009-10 में सेब का रकबा 99564 हेक्टेयर था, उस दौरान 5 करोड़ 11 लाख पेटी सेब का उत्पादन हुआ था। वर्ष 2022-23 में सेब का रकबा बढ़कर 1.15 लाख हेक्टेयर हो गया और उत्पादन घटकर 2.11 करोड़ पेटी रह गया। वर्ष 2010 के बाद पांच करोड़ तो छोड़िए, चार करोड़ पेटी सेब का उत्पादन भी नहीं हो सका। दूसरी सबसे अधिक फसल 11 साल पहले यानी 2013 में 3.69 करोड़ पेटी हुई थी। साल 2010 में हुई थी रिकॉर्ड प्रोडक्शन साल कितनी पेटी 2010 5.11 करोड़
2011 1.38 करोड़
2012 1.84 करोड़
2013 3.69 करोड़
2014 2.80 करोड़
2015 3.88 करोड़
2016 2.40 करोड़
2017 2.08 करोड़
2018 1.65 करोड़
2019 3.24 करोड़
2020 2.40 करोड़
2021 3.05 करोड़
2022 3.36 करोड़
2023 2.11 करोड़ विश्व बैंक की 1134 करोड़ की परियोजना भी नहीं बढ़ा पाई उत्पादन सेब उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य में विश्व बैंक की 1134 करोड़ रुपये की परियोजना भी लागू की गई थी। वर्ष 2017 में जब इस परियोजना को मंजूरी मिली थी, तब दावा किया गया था कि औसत सेब उत्पादन 8 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर हो जाएगा, जो 2017 में भी 6 मीट्रिक टन था। इसमें अब तक कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। सेब उत्पादन पर मौसम का असर : डॉ. भारद्वाज बागवानी विशेषज्ञ डॉ. एसपी भारद्वाज ने बताया कि सेब उत्पादन पूरी तरह मौसम पर निर्भर है। पिछले कुछ सालों से मौसम सेब के अनुकूल नहीं रहा है। सर्दियों में अच्छी बर्फबारी न होना, फ्लावरिंग के दौरान बारिश-बर्फबारी और ओलावृष्टि या सूखे जैसे कारणों से सेब का अच्छा उत्पादन नहीं हो पा रहा है। बर्फबारी का ट्रेंड बदलने से फसल पर बुरा असर हिमाचल में बीते एक दशक के दौरान बर्फबारी का ट्रेंड बदला है। आमतौर पर प्रदेश में दिसंबर से 15 फरवरी के बीच बर्फबारी होती थी। मगर पिछले कुछ सालों के दौरान फरवरी से मार्च में बर्फ गिरती रही है। कई ऊंचे क्षेत्रों में तो अप्रैल में भी बर्फबारी रिपोर्ट हुई है। इसका असर सेब की खेती पर पड़ रहा है, क्योंकि मार्च-अप्रैल में बर्फ के बाद अचानक ठंड पड़ने से सेब की फ्लावरिंग प्रभावित होती है। ठंडे मौसम में मधुमक्खियां परागण नहीं कर पाती और अच्छी फ्लावरिंग भी नहीं हो पाती। इसकी मार फसल पर पड़ती है। इसके विपरीत साल दर साल सेब पर उत्पादन लागत हर साल बढ़ती जा रही है और उत्पादन कम हो रहा है। इस बार 2.91 करोड़ पेटी सेब का पूर्वानुमान: नेगी बागवानी मंत्री जगत नेगी ने कहा, इस बार 2.91 करोड़ पेटी सेब होने का पूर्वानुमान है। सेब की खेती मौसम पर निर्भर करती है। आने वाले दिनों में सेब के अच्छे साइज व रंग के लिए बारिश के साथ साथ धूप खिलना भी जरूरी है।