हिमाचल की राजधानी शिमला स्थित राजभवन से कुछ दूरी पर एक तेंदुआ बिल्ली (लेपर्ड कैट) का वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया में इसे लेकर तेदुएं का शावक बताकर वायरल किया जा रहा है। हालांकि वीडियो में तेंदुआ बिल्ली है, जो कि रात के अंधेरे में गाड़ी देखकर सड़क पर दौड़ती हुई नजर आ रही है। इसकी पुष्टि DFO शिमला शहरी अनिता भारद्वाज ने की है। सूचना के अनुसार, यह वीडियो शुक्रवार देर रात का है। गाड़ी में राजभवन से गुजर रहे किसी व्यक्ति ने तेंदुआ बिल्ली का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल कर दिया। देखने में यह तेंदुए जैसा लग रही है। राजभवन के आसपास पहले भी देखा जा चुका तेंदुआ राजभवन के आसपास पहले भी कई बार तेंदुआ देखा जा चुका है। इससे शिमला के रिहायशी इलाके में तेंदुए की खबर सुनकर लोग दहशत में आ गए, क्योंकि राजभवन के आसपास नव बहार चौक और मच्छी वाली कोठी साइड से लगी काफी बस्तियां है। 2 मासूमो को पहले शिकार बना चुके तेंदुएं शिमला में 17 ग्रीन बेल्ट है। इनमें तेंदुआ दिखना आम बात हो गई है। बीते कुछ सालों के दौरान तेंदुआ तीन-चार सालों के दौरान तेंदुए 2 मासूम बच्चों को अपना शिकार बना चुके है। लोगों के पालतू और आवारा कुत्तों पर तेंदुए के हमले आम बात हो गए हैं। क्या होती है लेपर्ड कैट तेंदुआ बिल्ली एक छोटी जंगली बिल्ली है। यह देखने में तेंदुए जैसी नजर आती है। तेंदुआ बिल्ली तेंदुए जैसी खरतनाक नहीं होती और न ही आकार में तेंदुए जैसी बड़ी होती है। तेंदुआ बिल्ली लोगों पर भी हमला नहीं करती। हालांकि यह छोटे कुत्तों को अपना शिकार बना देती है। इसके पैर लंबे होते हैं और इसके पंजों के बीच जाल होते हैं। इसके छोटे सिर पर दो प्रमुख गहरे रंग की धारियां और एक छोटा और संकीर्ण सफ़ेद थूथन होता है। आंखों से कानों तक 2 गहरे रंग की धारियां और आंखों से नाक तक छोटी सफ़ेद धारी होती हैं। यह तेंदुए की ही एक प्रजाति मानी जाती है। हिमाचल की राजधानी शिमला स्थित राजभवन से कुछ दूरी पर एक तेंदुआ बिल्ली (लेपर्ड कैट) का वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया में इसे लेकर तेदुएं का शावक बताकर वायरल किया जा रहा है। हालांकि वीडियो में तेंदुआ बिल्ली है, जो कि रात के अंधेरे में गाड़ी देखकर सड़क पर दौड़ती हुई नजर आ रही है। इसकी पुष्टि DFO शिमला शहरी अनिता भारद्वाज ने की है। सूचना के अनुसार, यह वीडियो शुक्रवार देर रात का है। गाड़ी में राजभवन से गुजर रहे किसी व्यक्ति ने तेंदुआ बिल्ली का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल कर दिया। देखने में यह तेंदुए जैसा लग रही है। राजभवन के आसपास पहले भी देखा जा चुका तेंदुआ राजभवन के आसपास पहले भी कई बार तेंदुआ देखा जा चुका है। इससे शिमला के रिहायशी इलाके में तेंदुए की खबर सुनकर लोग दहशत में आ गए, क्योंकि राजभवन के आसपास नव बहार चौक और मच्छी वाली कोठी साइड से लगी काफी बस्तियां है। 2 मासूमो को पहले शिकार बना चुके तेंदुएं शिमला में 17 ग्रीन बेल्ट है। इनमें तेंदुआ दिखना आम बात हो गई है। बीते कुछ सालों के दौरान तेंदुआ तीन-चार सालों के दौरान तेंदुए 2 मासूम बच्चों को अपना शिकार बना चुके है। लोगों के पालतू और आवारा कुत्तों पर तेंदुए के हमले आम बात हो गए हैं। क्या होती है लेपर्ड कैट तेंदुआ बिल्ली एक छोटी जंगली बिल्ली है। यह देखने में तेंदुए जैसी नजर आती है। तेंदुआ बिल्ली तेंदुए जैसी खरतनाक नहीं होती और न ही आकार में तेंदुए जैसी बड़ी होती है। तेंदुआ बिल्ली लोगों पर भी हमला नहीं करती। हालांकि यह छोटे कुत्तों को अपना शिकार बना देती है। इसके पैर लंबे होते हैं और इसके पंजों के बीच जाल होते हैं। इसके छोटे सिर पर दो प्रमुख गहरे रंग की धारियां और एक छोटा और संकीर्ण सफ़ेद थूथन होता है। आंखों से कानों तक 2 गहरे रंग की धारियां और आंखों से नाक तक छोटी सफ़ेद धारी होती हैं। यह तेंदुए की ही एक प्रजाति मानी जाती है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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रोहड़ू भुंडा-महायज्ञ; आज मौत की खाई पार करेंगे सूरत राम:बोले-डर के आगे आस्था, बेड़ा रस्म देखने उमड़ेगी भीड़, देश-विदेश से घर लौटे स्थानीय लोग हिमाचल प्रदेश के रोहड़ू के दलगांव में चल रहे ऐतिहासिक भुंडा महायज्ञ में आज महत्वपूर्ण बेड़ा की रस्म निभाई जाएगी। इस महायज्ञ में सूरत राम मौत की घाटी को पार करेंगे। यह पूरे महायज्ञ में आकर्षण का केंद्र रहता है। इस रस्म को विशेष घास की रस्सी बनाकर पूरा किया जाता है। इस रस्म को विशेष जाती का व्यक्ति बेड़ा बनकर निभाता है। बेड़ा सूरत राम एक ऊंची पहाड़ी से रस्सी के जरिए नीचे की दूसरी पहाड़ी के बीच स्लाइड करते हुए मौत की खाई को पार करता है। सूरत राम (65 साल) नौवीं बार बेड़ा बनकर रस्सी के सहारे मौत की घाटी को पार करेंगे। 1985 में बकरालू महाराज के मंदिर में इससे पहले भुंडा हुआ था, वहां भी सूरत राम (तब 21 साल के थे) ने ही इस रस्म को पूरा किया था। सूरत राम प्रदेश में अलग अलग स्थानों पर होने वाले भुंडा महायज्ञों में 8 बार बेड़ा की भूमिका निभा चुके हैं। सूरत राम बोले- डर से आगे आस्था सूरत राम ने बताया कि कि वह भाग्यशाली हैं, जो उन्हें यह दैवीय कार्य करने का मौका मिला है। आस्था डर से कहीं आगे है। वह बताते हैं कि इस रस्सी को नाग का प्रतीक माना जाता है। यह प्रदर्शन भुंडा महायज्ञ का अहम हिस्सा है। यह यज्ञ रामायण महाभारत काल मे नरमेघ से का स्वरूप माना जाता है। बेड़ा के नियम कठोर बेड़ा एक विशेष जाति के लोग होते हैं। वहीं इस दैवीय कार्य करते हैं। इसके लिए चुने गए व्यक्ति को कई कठोर नियमों का पालन करता पड़ता हैं। सूरत राम ने कहा कि उन्होंने देवता के मंदिर में पूरे नियम के साथ ब्रह्मचर्य का पालन किया। भुंडा महायज्ञ शुरू होने से 3 महीने पहले से घर जाने की इजाजत नहीं होती। बेड़ा को देवता के मंदिर में ही रहना पड़ता है। बेड़ा के लिए एक समय का भोजन मंदिर में ही बनता है। अनुष्ठान के समापन होने तक न तो बाल और न ही नाखून काटे जाते हैं। सुबह चार बजे भोजन करने के बाद फिर अगले दिन सुबह चार बजे भोजन किया जाता है। यानी 24 घंटे में केवल एक बार भोजन किया जाता है। इस दौरान अधिकतम मौन व्रत का पालन किया जाता है। इसके अलावा अन्य प्रतिबंध भी रहते हैं। ढाई महीने में तैयार की रस्सी सूरत राम ने बताया कि इस रस्म को पूरा करने के लिए विशेष घास से खुद रस्सा तैयार किया है। इसे तैयार करने में चार लोगों ने सहयोग किया और इसे बनाने में ढाई महीने का समय लग गया। भुंडा के पीछे की मान्यता मान्यता है कि भुंडा महायज्ञ की शुरुआत भगवान परशुराम ने की थी। इस यज्ञ में भगवान परशुराम ने नरमुंडों की बलि दी थी। इसलिए इसे नरमेघ यज्ञ भी कहा जाता है। ये अनुष्ठान, पूर्ववर्ती बुशैहर रियासत के राजाओं की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। हिमाचल में कुल्लू के निरमंड, रामपुर बुशहर, रोहडू में भी इसे सदियों से मनाया जा रहा है। भुंडा महायज्ञ में दूर दूर से लोग इसे देखने पहुंचते हैं और रोहडू की स्पैल वैली के भमनाला, करालश, खोड़सू, दयारमोली, बश्टाड़ी, गावणा, बठारा, कुटाड़ा, खशकंडी, दलगांव और भेटली गांवों में 1500 के करीब परिवार इसकी मेजबानी करते है। दूर दूर से आने वाले लोग इन गांव में ठहरते हैं। देश-विदेश से भी घर लौटते हैं लोग इन गांव के जो लोग देश-विदेश में नौकरी या व्यवसाय करते हैं, वह भी भूंडा के लिए वापस घर लौटते हैं। क्षेत्र के लोग तीन सालों से इसकी तैयारियों में जुटे थे। इसमें स्पैल घाटी के तीन प्रमुख देवता बौंद्रा महाराज, महेश्वर और मोहरी दलगांव मंदिर पहुंच गए हैं। इन देवताओं के साथ हजारों की संख्या में देवलु (देवता के कारदार) और श्रद्धालु भी पहुंच रहे है। इस रस्म को देखने के लिए PWD मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी आज रोहड़ू जाएंगे।
हिमाचल में शीतलहर के बाद कोहरे का अलर्ट:मैदानी इलाकों में 5 दिन परेशान करेगी ठंडी हवाएं; 23 व 26 दिसंबर को बर्फबारी के आसार
हिमाचल में शीतलहर के बाद कोहरे का अलर्ट:मैदानी इलाकों में 5 दिन परेशान करेगी ठंडी हवाएं; 23 व 26 दिसंबर को बर्फबारी के आसार हिमाचल प्रदेश में अगले 5 दिन तक कोल्ड-वेव का अलर्ट जारी किया गया है। शीतलहर के बीच आज से अगले 3 दिन तक घने कोहरे की भी चेतावनी दी गई है। मंडी की बल्ह घाटी और बिलासपुर के गोविंद सागर क्षेत्र के आसपास लोगों को सुबह से दोपहर तक कोहरा परेशान करेगा। इससे 50 मीटर से भी नीचे विजिबिलिटी गिर सकती है। ऐसे में वाहन को सावधानी से चलाना होगा। वहीं शीतलहर की चेतावनी मंडी, बिलासपुर, हमीरपुर, ऊना, कांगड़ा, सोलन और चंबा को दी गई है। इन जिलों ने रात और सुबह के वक्त हालात खराब हो सकते है। इसे देखते हुए लोगों को जरूरी काम पर ही घर से बाहर निकलने, गर्म कपड़े पहनने, विटामिन-C वाले फ्रूट खाने, बीमार लोगों का ज्यादा ध्यान रखने तथा शरीर पर काले रंग के स्पॉट नजर आने पर डॉक्टर के पास जाने की सलाह दी गई है। प्रदेश के मैदानी इलाकों में 6 दिन से शीतलहर लोगों को परेशान कर रही है और अगले 5 दिन तक इससे राहत के आसार नहीं है। पड़ोसी राज्यों से ठंडी हवाएं चलने से मैदानी इलाकों में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। इससे तापमान में लगातार गिरावट आ रही है। प्रदेश का औसत न्यूनतम तापमान नॉर्मल से 2.2 डिग्री और अधिकतम तापमान भी नॉर्मल से 0.8 डिग्री कम हो गया है। 9 शहरों का पारा माइनस में चला गया है। समदो का तापमान 24 घंटे में 6.5 डिग्री गिरा कई शहरों का तापमान नॉर्मल से बीते 24 घंटे के दौरान 6 डिग्री तक नीचे गिर गया है। समदो का न्यूनतम तापमान नॉर्मल की तुलना में सबसे ज्यादा 6.5 डिग्री की कमी आने के बाद -6.4 डिग्री तापमान तक गिर गया है। वहीं मंडी का अधिकतम तापमान नॉर्मल से 4.5 डिग्री नीचे गिरने के बाद 17 डिग्री सेल्सियस रह गया है। बीते 24 घंटे के दौरान अधिकतम तापमान में सबसे ज्यादा 4.5 डिग्री की कमी ताबो के तापमान में आई है। इसके बाद ताबो का तापमान गिरकर 16.9 डिग्री रह गया है। 23 व 26 दिसंबर को बर्फबारी के आसार मौसम विभाग की माने तो आज और कल प्रदेशभर में मौसम साफ रहेगा। मगर परसो यानी 23 दिसंबर को चंबा, किन्नौर और लाहौल स्पीति की अधिक ऊंची चोटियों पर हल्का हिमपात हो सकता है। अगले दिन यानी 24 दिसंबर को प्रदेशभर में मौसम साफ हो जाएगा। 26 दिसंबर को फिर से बारिश-बर्फबारी के आसार बन रहे हैं। 23 दिसंबर की तुलना में 26 दिसंबर का वेस्टर्न डिस्टरबेंस ज्यादा स्ट्रांग होगा