मथुरा-घर में छिपा 1 लाख का इनामी एनकाउंटर में ढेर:पुलिस पर फायरिंग करते हुए भागे 3 साथी, SSP ने संभाला मोर्चा

मथुरा-घर में छिपा 1 लाख का इनामी एनकाउंटर में ढेर:पुलिस पर फायरिंग करते हुए भागे 3 साथी, SSP ने संभाला मोर्चा

यूपी के मथुरा में पुलिस ने एक लाख के इनामी बदमाश फाती उर्फ असद को ढेर कर दिया। असद पर 36 से ज्यादा मुकदमे थे। पुलिस लंबे अर्से से उसकी तलाश कर रही थी। SSP शैलेश पांडेय ने बताया- रविवार सुबह पुलिस को सूचना मिली कि थाना हाईवे के कृष्णा कुंज कॉलोनी के एक घर में फाती अपने 3 साथियों के साथ छिपा है। SSP ने बताया- मैं पुलिस टीम के साथ वहां पहुंचा और घेराबंदी की। पुलिस को देखते ही बदमाशों ने फायरिंग शुरू कर दी और भागने लगे। पुलिस ने पीछा करके बदमाशों को रुकने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने फायरिंग जारी रखी। जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की। इसमें एक गोली फाती के लग गई। खून से लथपथ होकर वह जमीन पर गिर पड़ा। उसे नजदीक अस्पताल लेकर गए। वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अंधेरे का फायदा फाती के तीनों साथी फरार हो गए। जगह-जगह बैरिकेडिंग पर उनकी जंगलों में तलाश की जा रही है। छैमार गिरोह का सरगना था, कश्मीर-राजस्थान में FIR दर्ज मथुरा पुलिस के मुताबिक, असद पुत्र यासिन हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर का रहने वाला था। वह छैमार गिरोह का सरगना था। उस पर 36 से ज्यादा लूट, डकैती और हत्या के केस दर्ज थे। यूपी के अलावा राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में भी FIR दर्ज थीं। उसके पास से ऑटोमैटिक गन, पिस्टल, खोखे और जिंदा कारतूस मिले हैं। 12 से अधिक नाम, हर शहर में नाम और हुलिया बदला था
बदमाश फाती का एक नाम नहीं, बल्कि वसीम, असद, पहलवान, बबलू, यासीन, मोहसिन समेत 12 नाम थे। फाती जिस नए शहर में जाता, वहां नए नाम के साथ रहने लगता, ताकि पुलिस उसे पकड़ न सके। नाम के साथ-साथ वह अपना हुलिया भी बदलता रहता था। पुलिस के मुताबिक, फाती के गिरोह में घुमंतू जाति के सैकड़ों सदस्य शामिल हैं। सदस्यों के पास अलग नाम और पते के आधार कार्ड और वोटर आईडी भी होती थीं। 2016 में फाती को STF लखनऊ यूनिट ने गिरफ्तार किया था। पूछताछ में उसने बताया था कि लूट और डकैती करना उसका खानदानी पेशा है। उसे जेल भेजा गया था, लेकिन उसने फर्जी जमानतदार लगाए थे। जेल से बाहर आने के बाद वह फरार हो गया। उसके जमानतदार भी नहीं मिल रहे थे। 2021 में फाती के खिलाफ जौनपुर में गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज हुआ था, तब उस पर 25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था। कैसे देता था वारदात को अंजाम
2016 में फाती ने STF को बताया था- मेरी गैंग में शामिल महिलाएं और पुरुष भीख मांगते हैं। वे थाली में भगवान की फोटो रखते हैं। इस दौरान ऐसे घरों को चिह्नित करते हैं, जो शहर के बाहरी इलाकों में होते हैं। फिर रात में 10-15 लोग वहां पहुंचकर वारदात को अंजाम देते हैं। इस दौरान अगर घर का कोई व्यक्ति जाग जाता है और विरोध करता है, तो हम लोग लाठी-डंडे, रॉड और हथौड़े से उसकी हत्या कर देते हैं। वारदात को अंजाम देने के बाद हम लोग अलग-अलग दिशाओं में भागते थे। फिर पहले से तय की गई जगह पर इकट्ठा होते हैं, लूट का माल आपस में बांटकर अपने-अपने डेरों को चले जाते हैं। वारदात के दौरान या बाद में हमारे गैंग का कोई भी सदस्य पकड़ा जाता है, तो हम उसकी पैरवी कर फर्जी जमानती लगाकर उसकी जमानत करा लेते हैं। फिर हम लोग फरार हो जाते हैं, और पुलिस हमें ढूंढती रह जाती है। डेरा और स्थान न मिलने के कारण हमारे मुकदमे खुद-ब-खुद खत्म होते रहते हैं। क्योंकि हमारे गैंग के सदस्यों के पास अलग-अलग नाम और पते के फर्जी आधार कार्ड होते हैं। हम लोग जहां भी जाते हैं, वहां अपना अलग नाम रख लेते हैं। हम किसी अन्य राज्य या जिले में अपना डेरा लगा लेते हैं। जहां हम डेरा लगाते हैं, वहां के स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी पैसे और अन्य चीजों का लालच देकर अपने पक्ष में कर लेते हैं, जिससे वे लोग हमारी मदद करते हैं। छैमार गैंग के बारे में जानिए
​​​​​छैमार गिरोह एक कुख्यात आपराधिक संगठन है। यह मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में सक्रिय रहा है। यह गिरोह लूट, डकैती और हत्या जैसी गंभीर आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है। पिछले साल, धौलपुर में राजस्थान और उत्तर प्रदेश पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में छैमार गिरोह के आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें से चार महिलाएं थीं, जो चोरी की वारदातों में शामिल थीं। इसके अलावा, बरेली में 2014 में हुए एक ट्रिपल मर्डर केस में छैमार गिरोह के आठ सदस्यों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। खबर अपडेट की जा रही है… यूपी के मथुरा में पुलिस ने एक लाख के इनामी बदमाश फाती उर्फ असद को ढेर कर दिया। असद पर 36 से ज्यादा मुकदमे थे। पुलिस लंबे अर्से से उसकी तलाश कर रही थी। SSP शैलेश पांडेय ने बताया- रविवार सुबह पुलिस को सूचना मिली कि थाना हाईवे के कृष्णा कुंज कॉलोनी के एक घर में फाती अपने 3 साथियों के साथ छिपा है। SSP ने बताया- मैं पुलिस टीम के साथ वहां पहुंचा और घेराबंदी की। पुलिस को देखते ही बदमाशों ने फायरिंग शुरू कर दी और भागने लगे। पुलिस ने पीछा करके बदमाशों को रुकने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने फायरिंग जारी रखी। जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की। इसमें एक गोली फाती के लग गई। खून से लथपथ होकर वह जमीन पर गिर पड़ा। उसे नजदीक अस्पताल लेकर गए। वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अंधेरे का फायदा फाती के तीनों साथी फरार हो गए। जगह-जगह बैरिकेडिंग पर उनकी जंगलों में तलाश की जा रही है। छैमार गिरोह का सरगना था, कश्मीर-राजस्थान में FIR दर्ज मथुरा पुलिस के मुताबिक, असद पुत्र यासिन हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर का रहने वाला था। वह छैमार गिरोह का सरगना था। उस पर 36 से ज्यादा लूट, डकैती और हत्या के केस दर्ज थे। यूपी के अलावा राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में भी FIR दर्ज थीं। उसके पास से ऑटोमैटिक गन, पिस्टल, खोखे और जिंदा कारतूस मिले हैं। 12 से अधिक नाम, हर शहर में नाम और हुलिया बदला था
बदमाश फाती का एक नाम नहीं, बल्कि वसीम, असद, पहलवान, बबलू, यासीन, मोहसिन समेत 12 नाम थे। फाती जिस नए शहर में जाता, वहां नए नाम के साथ रहने लगता, ताकि पुलिस उसे पकड़ न सके। नाम के साथ-साथ वह अपना हुलिया भी बदलता रहता था। पुलिस के मुताबिक, फाती के गिरोह में घुमंतू जाति के सैकड़ों सदस्य शामिल हैं। सदस्यों के पास अलग नाम और पते के आधार कार्ड और वोटर आईडी भी होती थीं। 2016 में फाती को STF लखनऊ यूनिट ने गिरफ्तार किया था। पूछताछ में उसने बताया था कि लूट और डकैती करना उसका खानदानी पेशा है। उसे जेल भेजा गया था, लेकिन उसने फर्जी जमानतदार लगाए थे। जेल से बाहर आने के बाद वह फरार हो गया। उसके जमानतदार भी नहीं मिल रहे थे। 2021 में फाती के खिलाफ जौनपुर में गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज हुआ था, तब उस पर 25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था। कैसे देता था वारदात को अंजाम
2016 में फाती ने STF को बताया था- मेरी गैंग में शामिल महिलाएं और पुरुष भीख मांगते हैं। वे थाली में भगवान की फोटो रखते हैं। इस दौरान ऐसे घरों को चिह्नित करते हैं, जो शहर के बाहरी इलाकों में होते हैं। फिर रात में 10-15 लोग वहां पहुंचकर वारदात को अंजाम देते हैं। इस दौरान अगर घर का कोई व्यक्ति जाग जाता है और विरोध करता है, तो हम लोग लाठी-डंडे, रॉड और हथौड़े से उसकी हत्या कर देते हैं। वारदात को अंजाम देने के बाद हम लोग अलग-अलग दिशाओं में भागते थे। फिर पहले से तय की गई जगह पर इकट्ठा होते हैं, लूट का माल आपस में बांटकर अपने-अपने डेरों को चले जाते हैं। वारदात के दौरान या बाद में हमारे गैंग का कोई भी सदस्य पकड़ा जाता है, तो हम उसकी पैरवी कर फर्जी जमानती लगाकर उसकी जमानत करा लेते हैं। फिर हम लोग फरार हो जाते हैं, और पुलिस हमें ढूंढती रह जाती है। डेरा और स्थान न मिलने के कारण हमारे मुकदमे खुद-ब-खुद खत्म होते रहते हैं। क्योंकि हमारे गैंग के सदस्यों के पास अलग-अलग नाम और पते के फर्जी आधार कार्ड होते हैं। हम लोग जहां भी जाते हैं, वहां अपना अलग नाम रख लेते हैं। हम किसी अन्य राज्य या जिले में अपना डेरा लगा लेते हैं। जहां हम डेरा लगाते हैं, वहां के स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी पैसे और अन्य चीजों का लालच देकर अपने पक्ष में कर लेते हैं, जिससे वे लोग हमारी मदद करते हैं। छैमार गैंग के बारे में जानिए
​​​​​छैमार गिरोह एक कुख्यात आपराधिक संगठन है। यह मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में सक्रिय रहा है। यह गिरोह लूट, डकैती और हत्या जैसी गंभीर आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है। पिछले साल, धौलपुर में राजस्थान और उत्तर प्रदेश पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में छैमार गिरोह के आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें से चार महिलाएं थीं, जो चोरी की वारदातों में शामिल थीं। इसके अलावा, बरेली में 2014 में हुए एक ट्रिपल मर्डर केस में छैमार गिरोह के आठ सदस्यों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। खबर अपडेट की जा रही है…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर