‘9 मई, 2003 को लखनऊ के चौक थाने में अधिकारियों की मीटिंग थी। अगले दिन ताजिया का जुलूस निकलना था, इसलिए सभी अधिकारी सिक्योरिटी का रिव्यू कर रहे थे। शाम करीब 6.30 बजे वायरलेस पर मैसेज आया कि निशातगंज में एक महिला की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। तब SSP रहे अनिल अग्रवाल ने मुझसे कहा कि आप वहां पहुंचिए, हम भी आ रहे हैं। मैं पहुंचा, तब मकान के सामने भीड़ लगी थी। घर के अंदर बेड के किनारे एक महिला की डेडबॉडी पड़ी थी। ‘हम लोगों ने पूछताछ शुरू की। पता चला कि मरने वाली महिला का नाम मधुमिता है। वहीं उसकी बहन निधि भी थी। उसने बताया कि वो शॉपिंग करने गई थी। करीब 3 से 4 बजे दो लाेग घर आए थे। मधुमिता ने उन्हें अंदर बुलाया और नौकर देशराज को चाय बनाने के लिए कहा। देशराज जैसे ही चाय बनाने गया, दोनों ने मधुमिता को गोली मार दी। देशराज ने उन्हें बाइक से भागते देखा था।’ यह बात दैनिक भास्कर को रिटायर्ड IPS राजेश पांडेय ने बताई थी। राजेश पांडेय मधुमिता हत्याकांड के वक्त लखनऊ के SP क्राइम थे। मधुमिता की हत्या के बाद मौके पर सबसे पहले पहुंचने वाले बड़े अधिकारी वही थे। मुधमिता हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे एक शूटर प्रकाश पांडे की 12 सितंबर को मौत हो गई है। कैंसर से जूझ रहे पांडे का इलाज लखनऊ के एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा था। इसके बाद फिर से मधुमिता शुक्ला हत्याकांड चर्चा में आ गया। इस बार संडे बिग स्टोरी में पढ़िए 2003 के चर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड की पूरी कहानी… यूपी के लखीमपुर खीरी के एक छोटे कस्बे की रहने वाली मधुमिता शुक्ला महज 16 साल की उम्र से ही वीर रस की कविताओं का मंच पर पाठ करने लगी थी। अपनी कविताओं में देश के पीएम तक को खरी-खोटी सुनाने वाली इस युवा कवयित्री का यही अंदाज उसे सफलता की ओर ले जा रहा था। बाद में वह लखनऊ आ गई। यहां बाहुबली मंत्री अमरमणि त्रिपाठी से उसका संपर्क हुआ। अमरमणि के परिवार में पत्नी मधुमणि, मां सावित्री मणि और दो बेटियां अन्नू-तन्नू थीं। मधुमिता की कविताओं को सुनने के लिए अमरमणि की मां के साथ उनकी दोनों बेटियां भी जाती थीं। धीरे-धीरे दोनों बेटियों से मधुमिता की दोस्ती हो गई। घर में आने-जाने की वजह से पत्नी से भी संपर्क बढ़ गया। इसी दौरान मधुमिता और अमरमणि के बीच इश्क परवान चढ़ गया। अब मधुमिता की उम्र 20 साल हो चुकी थी। अमरमणि उस समय 48 साल के थे और मायावती सरकार में मंत्री थे। इस दौरान मधुमिता प्रेग्नेंट हो गई। वह मंत्री अमरमणि त्रिपाठी पर शादी का दबाव डालने लगी। अमरमणि के परिवार और मधुमिता के बीच तनाव बढ़ता गया। फिर साजिश रची गई। इसमें अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि शामिल थे। दो शूटर हायर किए गए। पहला- प्रकाश चंद्र पांडे। दूसरा- संतोष राय। प्रकाश पांडे ने हत्या के लिए पिस्टल मुहैया कराई थी और हत्या में संतोष राय के साथ था। प्रकाश पांडे संपन्न परिवार से था। कारोबार के अलावा फैमिली का पेट्रोल पंप भी है। मधुमिता हत्याकांड में इस्तेमाल पिस्टल प्रकाश के घर ही मिली थी। जांच के दौरान अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी की भूमिका सामने आने के बाद इस हत्याकांड को राजनीतिक और आपराधिक दायरे में और गहराई मिली। अमरमणि का पहली बार कैसे आया नाम?
मधुमिता हत्याकांड को लेकर रिटायर्ड IPS राजेश पांडेय बताते हैं- घटनास्थल पर निधि से बात हो रही थी, तभी SSP साहब आ गए। उन्होंने निधि से पूछा कि घटना 4 बजे की है, पुलिस चौकी भी करीब है। तब आपने इतनी देर से खबर क्यों दी? निधि ने जो बताया, उससे सभी के कान खड़े हो गए। उसने कहा कि मैं मंत्रीजी को फोन लगा रही थी। बात नहीं हो पाई, तो पुलिस को बुलाया। SSP साहब ने सख्ती से पूछा, तो उसने बताया कि मधुमिता मंत्री, अमरमणि त्रिपाठी से प्रेग्नेंट थी। उसका 3 से 4 महीने का गर्भ था। इस बात की तुरंत तस्दीक कराई गई। बात सही निकली। इसके बाद मामला संवेदनशील होता गया। सुबह मधुमिता का पोस्टमॉर्टम हुआ, तो अमरमणि भी वहां आ गया। निधि शुक्ला और उसकी मां से अमरमणि की कहासुनी भी हुई, लेकिन पोस्टमॉर्टम होने तक वो वहीं रहा। इसके बाद बॉडी लखीमपुर भेज दी गई। मधुमिता की हत्या की खबर अखबारों में आ चुकी थी। CM मायावती ने अमरमणि से पूछा, तो उसने कहा कि ये उसके विरोधियों की साजिश है। मधुमिता की बॉडी रवाना हो गई, तब किसी ने SSP साहब को याद दिलाया कि फीटस का DNA नहीं लिया होगा, तो कोर्ट में साबित करना मुश्किल हो जाएगा कि मर्डर अमरमणि ने करवाया है। उन्होंने तुरंत बॉडी को दोबारा लखनऊ बुलवा लिया। यहां फीटस का DNA सैंपल लिया गया। इसके बाद बॉडी लखीमपुर भेजी गई। यही DNA टेस्ट बाद में अमरमणि के खिलाफ सबसे पुख्ता सबूत बना। अमरमणि को आरोपी बताया, तो मायावती सरकार ने CBCID के डायरेक्टर को सस्पेंड किया..
मधुमिता की जुड़वां बहन निधि शुक्ला कहती हैं- एक हफ्ते तक मधुमिता का केस लखनऊ पुलिस के पास था। मामला दबाने की कोशिश तभी से शुरू हो गई थी। 17 मई, 2003 को केस CBCID को ट्रांसफर कर दिया गया। CBCID ने जांच समय पर पूरी की और जून में CM मायावती को रिपोर्ट सौंप दी। इसमें अमरमणि त्रिपाठी को आरोपी बताया गया था। इससे नाराज मायावती ने CBCID के डायरेक्टर समेत 6 पुलिसवालों को सस्पेंड कर दिया था। इसके बाद 17 जून, 2003 को केस CBI को ट्रांसफर किया गया। सितंबर 2003 को अमरमणि को गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि हाईकोर्ट से उसको जमानत मिल गई। निधि शुक्ला का दावा है कि यह मामला सीबीआई को उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर सौंपा गया था। निधि शुक्ला के मुताबिक, अटल बिहारी वाजपेयी ने उनको बताया था कि मधु की हत्या के समय वो विदेश दौरे पर थे। तब किसी विदेशी अधिकारी ने अखबारों में इस खबर को देख कर उनसे पूछा था कि आपके देश में ये क्या हो रहा है? निधि का दावा है कि अटल जी को यह बहुत बुरा लगा था। उसके बाद अटल जी ने भारत में एक वरिष्ठ नेता को फोन कर कहा था कि मेरे देश लौटने तक यह मामला सीबीआई के पास होना चाहिए। इधर, मामले की गंभीरता को देखते हुए मायावती ने अमरमणि को अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। UP आने के बाद सिर्फ 16 महीने जेल में रहे अमरमणि और मधुमणि
देहरादून सेशन कोर्ट से अमरमणि और मधुमणि को 24 अक्टूबर, 2007 को सजा सुनाई थी। मधुमणि को 4 दिसंबर, 2008 और अमरमणि को 13 मार्च, 2012 को हरिद्वार जेल से गोरखपुर शिफ्ट किया गया। मधुमणि को 16 अप्रैल, 2012 को जेल के एक डॉक्टर की सिफारिश पर उन्हें BRD मेडिकल कॉलेज भेजा गया था। अमरमणि को 27 फरवरी, 2014 को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। तभी से वे हॉस्पिटल में भर्ती रहे। यानी अमरमणि 11 साल 5 महीने की सजा में सिर्फ 16 महीने जेल में रहे। मधुमिता का लेटर बना जांच की अहम कड़ी
दिसंबर, 2002 में मधुमिता ने एक पत्र लिखा था, जो उनकी मौत के बाद उनके कमरे से मिला। उसमें उन्होंने लिखा था- 4 महीने से मैं मां बनने का सपना देखती रही हूं। तुम इस बच्चे को स्वीकार करने से मना कर सकते हो, लेकिन मैं नहीं कर सकती। क्या मैं महीनों इसे अपनी कोख में रखकर हत्या कर दूं? क्या तुम्हें मेरे दर्द का अंदाजा नहीं है? तुमने मुझे सिर्फ एक उपभोग की वस्तु समझा। मधुमिता का यह पत्र जांच टीम के लिए निर्णायक साबित हुआ। हत्या के बाद मधुमिता की कोख में मर चुके बच्चे का DNA टेस्ट किया गया। उसका मिलान अमरमणि त्रिपाठी के DNA से हुआ, तो मैच कर गया। कैसे जेल से बाहर आए?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने जेल में अच्छा आचरण करने वाले कैदियों की रिहाई पर विचार करने को राज्य सरकार को सलाह दी थी। इसके बाद अमरमणि ने अपनी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सरकार को 10 फरवरी, 2023 को रिहाई का आदेश दिया था। आदेश का पालन नहीं होने पर फिर अमरमणि की ओर से अवमानना याचिका दायर की गई। 18 अगस्त, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई का आदेश पारित किया। इसमें लिखा था कि उनकी उम्र 66 साल होने, करीब 20 साल तक जेल में रहने और अच्छे आचरण को देखते हुए किसी अन्य वाद में शामिल न हो, तो रिहाई कर दी जाए। जिला मजिस्ट्रेट गोरखपुर की तरफ से रिहाई का आदेश जारी हुआ। इसके बाद दोनों को 25-25 लाख के मुचलके पर रिहा कर दिया गया। इसके बाद अब शासन की ओर से अमरमणि की रिहाई का आदेश जारी हो गया था। 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई थी, एक दिन पहले ही रिहाई हो गई…
निधि शुक्ला बताती हैं- 2013 में अमरमणि ने अखिलेश सरकार के वक्त मर्सी पिटीशन डाली थी, लेकिन सरकार ने उसे दूसरे प्रदेश का कैदी बताकर रिजेक्ट कर दिया था। बाद में योगी सरकार ने 24 अगस्त 2023 को अमरमणि को रिहा कर दिया। अमरमणि की रिहाई पर निधि कहती हैं- मुझे पहले ही पता चल गया था कि 15 अगस्त को वो छूटने वाला है। हंगामा होने लगा, इसलिए उसे 24 अगस्त को रिहा किया गया। मैं कोशिश कर रही थी कि अमरमणि न छूटे, लेकिन मुझसे एक गलती हो गई। मैंने सबको बता दिया कि 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। इसीलिए उसे 24 अगस्त को रिहा कर दिया गया। अभी कहां है अमरमणि त्रिपाठी?
22 साल पुराने बस्ती किडनैपिंग केस में अमरमणि को 1 नवंबर, 2023 को कोर्ट में पेश होना था। लेकिन, पेश नहीं हुआ। इसके बाद MP-MLA कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई और अमरमणि को हाजिर कराने का आदेश दिया। जब अमरमणि त्रिपाठी का कोई पता नहीं लगा तो पुलिस ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया। साथ ही घर पर कुर्की का नोटिस भी चस्पा कर दिया। अभी भी इस मामले में अमरमणि फरार है। ये भी पढ़ें… मधुमिता हत्याकांड के दोषी प्रकाश पांडे की मौत; प्रेम, राजनीति और साजिश की दास्तां का एक चैप्टर बंद 2003 के चर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के दोषी और उम्रकैद की सजा काट रहे शूटर प्रकाश पांडे की मौत हो गई। कैंसर से जूझ रहे पांडे का इलाज लखनऊ के एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा था, जहां गुरुवार सुबह उसने अंतिम सांस ली। गोरखपुर के राजघाट पर गुरुवार रात उसका अंतिम संस्कार किया गया। प्रकाश पांडे को इस हत्याकांड में पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधु त्रिपाठी के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। प्रकाश पांडे ने हत्या के लिए पिस्टल मुहैया कराई थी और हत्या में संतोष राय के साथ था। पढ़ें पूरी खबर ‘9 मई, 2003 को लखनऊ के चौक थाने में अधिकारियों की मीटिंग थी। अगले दिन ताजिया का जुलूस निकलना था, इसलिए सभी अधिकारी सिक्योरिटी का रिव्यू कर रहे थे। शाम करीब 6.30 बजे वायरलेस पर मैसेज आया कि निशातगंज में एक महिला की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। तब SSP रहे अनिल अग्रवाल ने मुझसे कहा कि आप वहां पहुंचिए, हम भी आ रहे हैं। मैं पहुंचा, तब मकान के सामने भीड़ लगी थी। घर के अंदर बेड के किनारे एक महिला की डेडबॉडी पड़ी थी। ‘हम लोगों ने पूछताछ शुरू की। पता चला कि मरने वाली महिला का नाम मधुमिता है। वहीं उसकी बहन निधि भी थी। उसने बताया कि वो शॉपिंग करने गई थी। करीब 3 से 4 बजे दो लाेग घर आए थे। मधुमिता ने उन्हें अंदर बुलाया और नौकर देशराज को चाय बनाने के लिए कहा। देशराज जैसे ही चाय बनाने गया, दोनों ने मधुमिता को गोली मार दी। देशराज ने उन्हें बाइक से भागते देखा था।’ यह बात दैनिक भास्कर को रिटायर्ड IPS राजेश पांडेय ने बताई थी। राजेश पांडेय मधुमिता हत्याकांड के वक्त लखनऊ के SP क्राइम थे। मधुमिता की हत्या के बाद मौके पर सबसे पहले पहुंचने वाले बड़े अधिकारी वही थे। मुधमिता हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे एक शूटर प्रकाश पांडे की 12 सितंबर को मौत हो गई है। कैंसर से जूझ रहे पांडे का इलाज लखनऊ के एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा था। इसके बाद फिर से मधुमिता शुक्ला हत्याकांड चर्चा में आ गया। इस बार संडे बिग स्टोरी में पढ़िए 2003 के चर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड की पूरी कहानी… यूपी के लखीमपुर खीरी के एक छोटे कस्बे की रहने वाली मधुमिता शुक्ला महज 16 साल की उम्र से ही वीर रस की कविताओं का मंच पर पाठ करने लगी थी। अपनी कविताओं में देश के पीएम तक को खरी-खोटी सुनाने वाली इस युवा कवयित्री का यही अंदाज उसे सफलता की ओर ले जा रहा था। बाद में वह लखनऊ आ गई। यहां बाहुबली मंत्री अमरमणि त्रिपाठी से उसका संपर्क हुआ। अमरमणि के परिवार में पत्नी मधुमणि, मां सावित्री मणि और दो बेटियां अन्नू-तन्नू थीं। मधुमिता की कविताओं को सुनने के लिए अमरमणि की मां के साथ उनकी दोनों बेटियां भी जाती थीं। धीरे-धीरे दोनों बेटियों से मधुमिता की दोस्ती हो गई। घर में आने-जाने की वजह से पत्नी से भी संपर्क बढ़ गया। इसी दौरान मधुमिता और अमरमणि के बीच इश्क परवान चढ़ गया। अब मधुमिता की उम्र 20 साल हो चुकी थी। अमरमणि उस समय 48 साल के थे और मायावती सरकार में मंत्री थे। इस दौरान मधुमिता प्रेग्नेंट हो गई। वह मंत्री अमरमणि त्रिपाठी पर शादी का दबाव डालने लगी। अमरमणि के परिवार और मधुमिता के बीच तनाव बढ़ता गया। फिर साजिश रची गई। इसमें अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि शामिल थे। दो शूटर हायर किए गए। पहला- प्रकाश चंद्र पांडे। दूसरा- संतोष राय। प्रकाश पांडे ने हत्या के लिए पिस्टल मुहैया कराई थी और हत्या में संतोष राय के साथ था। प्रकाश पांडे संपन्न परिवार से था। कारोबार के अलावा फैमिली का पेट्रोल पंप भी है। मधुमिता हत्याकांड में इस्तेमाल पिस्टल प्रकाश के घर ही मिली थी। जांच के दौरान अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी की भूमिका सामने आने के बाद इस हत्याकांड को राजनीतिक और आपराधिक दायरे में और गहराई मिली। अमरमणि का पहली बार कैसे आया नाम?
मधुमिता हत्याकांड को लेकर रिटायर्ड IPS राजेश पांडेय बताते हैं- घटनास्थल पर निधि से बात हो रही थी, तभी SSP साहब आ गए। उन्होंने निधि से पूछा कि घटना 4 बजे की है, पुलिस चौकी भी करीब है। तब आपने इतनी देर से खबर क्यों दी? निधि ने जो बताया, उससे सभी के कान खड़े हो गए। उसने कहा कि मैं मंत्रीजी को फोन लगा रही थी। बात नहीं हो पाई, तो पुलिस को बुलाया। SSP साहब ने सख्ती से पूछा, तो उसने बताया कि मधुमिता मंत्री, अमरमणि त्रिपाठी से प्रेग्नेंट थी। उसका 3 से 4 महीने का गर्भ था। इस बात की तुरंत तस्दीक कराई गई। बात सही निकली। इसके बाद मामला संवेदनशील होता गया। सुबह मधुमिता का पोस्टमॉर्टम हुआ, तो अमरमणि भी वहां आ गया। निधि शुक्ला और उसकी मां से अमरमणि की कहासुनी भी हुई, लेकिन पोस्टमॉर्टम होने तक वो वहीं रहा। इसके बाद बॉडी लखीमपुर भेज दी गई। मधुमिता की हत्या की खबर अखबारों में आ चुकी थी। CM मायावती ने अमरमणि से पूछा, तो उसने कहा कि ये उसके विरोधियों की साजिश है। मधुमिता की बॉडी रवाना हो गई, तब किसी ने SSP साहब को याद दिलाया कि फीटस का DNA नहीं लिया होगा, तो कोर्ट में साबित करना मुश्किल हो जाएगा कि मर्डर अमरमणि ने करवाया है। उन्होंने तुरंत बॉडी को दोबारा लखनऊ बुलवा लिया। यहां फीटस का DNA सैंपल लिया गया। इसके बाद बॉडी लखीमपुर भेजी गई। यही DNA टेस्ट बाद में अमरमणि के खिलाफ सबसे पुख्ता सबूत बना। अमरमणि को आरोपी बताया, तो मायावती सरकार ने CBCID के डायरेक्टर को सस्पेंड किया..
मधुमिता की जुड़वां बहन निधि शुक्ला कहती हैं- एक हफ्ते तक मधुमिता का केस लखनऊ पुलिस के पास था। मामला दबाने की कोशिश तभी से शुरू हो गई थी। 17 मई, 2003 को केस CBCID को ट्रांसफर कर दिया गया। CBCID ने जांच समय पर पूरी की और जून में CM मायावती को रिपोर्ट सौंप दी। इसमें अमरमणि त्रिपाठी को आरोपी बताया गया था। इससे नाराज मायावती ने CBCID के डायरेक्टर समेत 6 पुलिसवालों को सस्पेंड कर दिया था। इसके बाद 17 जून, 2003 को केस CBI को ट्रांसफर किया गया। सितंबर 2003 को अमरमणि को गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि हाईकोर्ट से उसको जमानत मिल गई। निधि शुक्ला का दावा है कि यह मामला सीबीआई को उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर सौंपा गया था। निधि शुक्ला के मुताबिक, अटल बिहारी वाजपेयी ने उनको बताया था कि मधु की हत्या के समय वो विदेश दौरे पर थे। तब किसी विदेशी अधिकारी ने अखबारों में इस खबर को देख कर उनसे पूछा था कि आपके देश में ये क्या हो रहा है? निधि का दावा है कि अटल जी को यह बहुत बुरा लगा था। उसके बाद अटल जी ने भारत में एक वरिष्ठ नेता को फोन कर कहा था कि मेरे देश लौटने तक यह मामला सीबीआई के पास होना चाहिए। इधर, मामले की गंभीरता को देखते हुए मायावती ने अमरमणि को अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। UP आने के बाद सिर्फ 16 महीने जेल में रहे अमरमणि और मधुमणि
देहरादून सेशन कोर्ट से अमरमणि और मधुमणि को 24 अक्टूबर, 2007 को सजा सुनाई थी। मधुमणि को 4 दिसंबर, 2008 और अमरमणि को 13 मार्च, 2012 को हरिद्वार जेल से गोरखपुर शिफ्ट किया गया। मधुमणि को 16 अप्रैल, 2012 को जेल के एक डॉक्टर की सिफारिश पर उन्हें BRD मेडिकल कॉलेज भेजा गया था। अमरमणि को 27 फरवरी, 2014 को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। तभी से वे हॉस्पिटल में भर्ती रहे। यानी अमरमणि 11 साल 5 महीने की सजा में सिर्फ 16 महीने जेल में रहे। मधुमिता का लेटर बना जांच की अहम कड़ी
दिसंबर, 2002 में मधुमिता ने एक पत्र लिखा था, जो उनकी मौत के बाद उनके कमरे से मिला। उसमें उन्होंने लिखा था- 4 महीने से मैं मां बनने का सपना देखती रही हूं। तुम इस बच्चे को स्वीकार करने से मना कर सकते हो, लेकिन मैं नहीं कर सकती। क्या मैं महीनों इसे अपनी कोख में रखकर हत्या कर दूं? क्या तुम्हें मेरे दर्द का अंदाजा नहीं है? तुमने मुझे सिर्फ एक उपभोग की वस्तु समझा। मधुमिता का यह पत्र जांच टीम के लिए निर्णायक साबित हुआ। हत्या के बाद मधुमिता की कोख में मर चुके बच्चे का DNA टेस्ट किया गया। उसका मिलान अमरमणि त्रिपाठी के DNA से हुआ, तो मैच कर गया। कैसे जेल से बाहर आए?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने जेल में अच्छा आचरण करने वाले कैदियों की रिहाई पर विचार करने को राज्य सरकार को सलाह दी थी। इसके बाद अमरमणि ने अपनी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सरकार को 10 फरवरी, 2023 को रिहाई का आदेश दिया था। आदेश का पालन नहीं होने पर फिर अमरमणि की ओर से अवमानना याचिका दायर की गई। 18 अगस्त, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई का आदेश पारित किया। इसमें लिखा था कि उनकी उम्र 66 साल होने, करीब 20 साल तक जेल में रहने और अच्छे आचरण को देखते हुए किसी अन्य वाद में शामिल न हो, तो रिहाई कर दी जाए। जिला मजिस्ट्रेट गोरखपुर की तरफ से रिहाई का आदेश जारी हुआ। इसके बाद दोनों को 25-25 लाख के मुचलके पर रिहा कर दिया गया। इसके बाद अब शासन की ओर से अमरमणि की रिहाई का आदेश जारी हो गया था। 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई थी, एक दिन पहले ही रिहाई हो गई…
निधि शुक्ला बताती हैं- 2013 में अमरमणि ने अखिलेश सरकार के वक्त मर्सी पिटीशन डाली थी, लेकिन सरकार ने उसे दूसरे प्रदेश का कैदी बताकर रिजेक्ट कर दिया था। बाद में योगी सरकार ने 24 अगस्त 2023 को अमरमणि को रिहा कर दिया। अमरमणि की रिहाई पर निधि कहती हैं- मुझे पहले ही पता चल गया था कि 15 अगस्त को वो छूटने वाला है। हंगामा होने लगा, इसलिए उसे 24 अगस्त को रिहा किया गया। मैं कोशिश कर रही थी कि अमरमणि न छूटे, लेकिन मुझसे एक गलती हो गई। मैंने सबको बता दिया कि 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। इसीलिए उसे 24 अगस्त को रिहा कर दिया गया। अभी कहां है अमरमणि त्रिपाठी?
22 साल पुराने बस्ती किडनैपिंग केस में अमरमणि को 1 नवंबर, 2023 को कोर्ट में पेश होना था। लेकिन, पेश नहीं हुआ। इसके बाद MP-MLA कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई और अमरमणि को हाजिर कराने का आदेश दिया। जब अमरमणि त्रिपाठी का कोई पता नहीं लगा तो पुलिस ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया। साथ ही घर पर कुर्की का नोटिस भी चस्पा कर दिया। अभी भी इस मामले में अमरमणि फरार है। ये भी पढ़ें… मधुमिता हत्याकांड के दोषी प्रकाश पांडे की मौत; प्रेम, राजनीति और साजिश की दास्तां का एक चैप्टर बंद 2003 के चर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के दोषी और उम्रकैद की सजा काट रहे शूटर प्रकाश पांडे की मौत हो गई। कैंसर से जूझ रहे पांडे का इलाज लखनऊ के एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा था, जहां गुरुवार सुबह उसने अंतिम सांस ली। गोरखपुर के राजघाट पर गुरुवार रात उसका अंतिम संस्कार किया गया। प्रकाश पांडे को इस हत्याकांड में पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधु त्रिपाठी के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। प्रकाश पांडे ने हत्या के लिए पिस्टल मुहैया कराई थी और हत्या में संतोष राय के साथ था। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर