अभिनेत्री ममता कुलकर्णी के किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनने पर विवाद हो गया है। कई संत नाराज हैं। शांभवी पीठ के पीठाधीश्वर श्री स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा- किन्नर अखाड़े को मान्यता देकर पिछले कुंभ में महापाप हुआ था। कुंभ का मजाक बनाने का प्रयास हो रहा है। ममता का नाम बहुत बड़ा है। ये लोग उसके नाम पर व्यापार करेंगे। ममता का विषय बहुत घातक और धर्म के खिलाफ है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने कहा, ‘ममता को बहुत-बहुत आशीर्वाद और साधुवाद। वैराग्य कभी भी आ सकता है। मैं चाहूंगा कि सही मायने में महामंडलेश्वर का जो अर्थ है, अगर ममता जी उसके अनुसार चलेंगी तो पूरे देश में हमारी अध्यात्म परंपरा उच्च शिखर पर पहुंचेगी।’ जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि का कहना है कि संन्यास का अधिकार सबको है। ममता के महामंडलेश्वर बनने की 2 तस्वीरें देखिए आइए, जानते हैं कि ममता के महामंडलेश्वर बनने पर अन्य अखाड़ों ने क्या कहा… आनंद स्वरूप बोले- किन्नर अखाड़े को मान्यता देना महापाप था
ममता को किन्नर अखाड़े से महामंडलेश्वर बनाए जाने को लेकर शांभवी पीठाधीश्वर श्री स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। कहा, ‘किन्नर अखाड़े को मान्यता देकर पिछले कुंभ में महापाप हुआ था, जिस प्रकार की अनुशासनहीनता हो रही है, वो बहुत घातक है। ये सनातन धर्म के साथ एक धोखा है, छल है।’ मैंने ममता से कहा- इन लोगों के जाल में मत पड़ो। स्त्री के लिए संन्यास नहीं है। तमाम ऐसी परंपरा है, जिसमें तुम विरक्त होकर रह सकती हो। उन्होंने कहा कि ऐसी जगह न गिरो कि लोग तुम्हारे ऊपर थूकें। किन्नर अखाड़े को लोग मजाक में ले रहे हैं। वहां ज्ञान भक्ति की बात नहीं हो रही। कुंभ का मजाक बनाने का प्रयास हो रहा है। जब-जब अधर्म होगा, तब-तब मैं बोलूंगा। ममता का नाम बहुत बड़ा है। ये लोग उसके नाम पर व्यापार करेंगे। ममता कुलकर्णी का विषय बहुत घातक और धर्म के खिलाफ है। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने कहा- सिर्फ नाम कमाने को कोई महामंडलेश्वर न बने डायरेक्ट महामंडलेश्वर बनाने की परंपरा जूना अखाड़े की नहीं
जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता नारायण गिरी जी महाराज ने कहा, ‘किन्नर अखाड़ा 2019 में रजिस्टर्ड हुआ था। वो जूना अखाड़े की एक शाखा है। उनको एक हिंदू परंपरा में जोड़ने के लिए श्री महंत जी महाराज ने अखाड़े में शामिल किया था। जब कोई अखाड़ा पूर्ण रूप से बन जाता है, तो उनको पावर है कि वो किसी को महंत, साध्वी या महामंडलेश्वर बनाएं। वो कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं। इसमें कोई भी पुरुष, महिला या किन्नर कोई भी पदवी प्राप्त कर सकते हैं। हर अखाड़े के अपने मापदंड होते हैं।’ उन्होंने कहा- देश के किसी विद्वान, राष्ट्रहित में कार्य करने वाले, अध्यात्म में या सामाजिक कार्य करने वाले को संन्यासी अखाड़े महामंडलेश्वर पद की उपाधि से विभूषित कर देते हैं। फिल्म अभिनेत्री बनना कोई दोष तो नहीं है। हमारे यहां एक वैश्या को भी गुरु बनाया गया था, इसलिए यहां योग्यता से किसी को भी महामंडलेश्वर बनाया जा सकता है। महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया क्या है? इस सवाल पर उन्होंने कहा- सबसे पहले अखाड़े में महापुरुष, अवधूत, महंत, श्री महंत बनता है। फिर अखाड़ा ये देखता है कि उस व्यक्ति का कितना योगदान है, राष्ट्र में धर्म प्रचार का कितना काम किया है। उस आधार पर ही आगे फैसला लिया जाता है। कोई व्यक्ति आए, संन्यासी बनने की घोषणा करे और हम डायरेक्ट उसको महामंडलेश्वर बना दें, ऐसी परंपरा जूना अखाड़े की नहीं है। छानबीन के बाद बनते हैं महामंडलेश्वर
निरंजनी आनंद अखाड़े के महामंडलेश्वर बालकानंद जी महाराज ने कहा- मैं इस समय तपो निधि पंचायती आनंद अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर के पद पर हूं, इसलिए इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। यह अखाड़े की परंपरा है। महामंडलेश्वर पद अखाड़े का है। सभी अखाड़े स्वतंत्र हैं। महामंडलेश्वर बनाने के लिए ऐसे ही किसी को उठाकर नहीं बना सकते। हमारे 7 शैव अखाड़े हैं। परंपरा ऐसी है कि यदि हम किसी को महामंडलेश्वर बनाते हैं, तो पहले उसके विषय में सारी छानबीन होती है। उसकी सारी जानकारी ली जाती है। देखा जाता है कि वह व्यक्ति कैसा है? उसका चरित्र क्या है? किस तरह से उसकी जीवन धारा है, उसकी दिनचर्या क्या रही है। वह किस परिवार से आता है। उसका व्यवहार कैसा है। उसे संन्यास लिए हुए कितने दिन हुए हैं। इन सभी चीजों को देखा जाता है। अगर किसी ने संन्यास नहीं लिया है, तो उसको महामंडलेश्वर नहीं बना सकते। जिस पद पर बैठाया जाता है, उसकी पात्रता देखी जाती है
पंच दशनाम अग्नि अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर रामकृष्णानंद गिरि ने कहा- हमारा मानना है कि अखाड़े में जो महामंडलेश्वर का पद होता है, वह आचार्य के बाद ही होता है। यह एक सम्मानित पद है। अखाड़े के पंच और पदाधिकारी जिन्हें महामंडलेश्वर बनाते हैं, उन्हें एक बार देखना चाहिए कि जिसे इस पद पर बैठा रहे हैं, उसमें यह पात्रता है कि नहीं। कम से कम उसमें आचार-विचार होने चाहिए, व्यक्ति का चरित्र अच्छा होना चाहिए। उसके पास ऐसा ज्ञान होना चाहिए, जिससे वह समाज को एक अच्छी दिशा दे सके। उसका खुद का अच्छा बैकग्राउंड होना चाहिए। उसका ऐसा चरित्र होना चाहिए, जिसके ऊपर समाज उंगली न उठा सके। चाहे कोई भी गद्दी पर बैठ रहा हो, पहले उसको यह देखना चाहिए कि क्या उसके अंदर यह पात्रता है या नहीं। बैठने वालों को भी इस बात का ध्यान देना चाहिए, जिससे कि उस पद की गरिमा बनी रहे और सनातन धर्म के प्रति लोगों की आस्था बनी रहे। भौकाल बना कर बड़ी गाड़ियों में घूम करके अगर आप चाहेंगे कि देश की प्रजा का मार्गदर्शन कर सकें तो यह नहीं हो सकता। इन सबके लिए चरित्र का होना आवश्यक है। यति नरसिंहानंद बोले- मापदंड कड़े होने चाहिए
श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि ने कहा- मैं ममता कुलकर्णी का बहुत-बहुत स्वागत करता हूं। अच्छी बच्ची है। बहुत अच्छे परिवार की है। वो अपना मार्ग भटक गई थी। अपराध के दलदल में चली गई थी। महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया क्या है? इस पर यति ने कहा- मैं निवेदन करूंगा कि जो भी लोग ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बना रहे हैं, उन्हें थोड़ा धैर्य रखना चाहिए। कुछ दिन वो संन्यासी बनकर रहें और उनके जीवन की निगरानी की जाए। मैं उन पर कोई शक नहीं कर रहा हूं। महामंडलेश्वर के लिए मापदंड कड़े होने चाहिए। मेरा अपना विचार है कि ममता कुलकर्णी को एकदम से महामंडलेश्वर बनाना सही नहीं है। साधु बनने का तो मैं स्वागत करता हूं, लेकिन महामंडलेश्वर बनने के लिए मानकों को पूरा करना चाहिए। अभी उन्होंने सनातन धर्म के लिए कुछ भी नहीं किया। हालांकि मानक तो अखाड़े तय करते हैं। मैं महामंडलेश्वर बनने से पहले 20 साल तक संन्यासी रहा हूं, लेकिन अभी ममता को महामंडलेश्वर बनने से पहले थोड़ी सेवा करनी चाहिए, उनका रास्ता कठिन होना चाहिए। क्या किन्नर बन गईं ममता कुलकर्णी?
किन्नर अखाड़े में शामिल होने के लिए किन्नर होना जरूरी नहीं है। वह व्यक्ति जो सनातन और किन्नरों में आस्था रखता है, वह इस अखाड़े से जुड़ सकता है। अन्य 13 अखाड़ों जैसी कठिन साधना-तपस्या भी इस अखाड़े में नहीं है। विवादों में रहीं ममता, मैगजीन के लिए टॉपलेस फोटोशूट कराया
शाहरुख खान, सलमान खान, अजय देवगन, अनिल कपूर जैसे बड़े स्टार्स से साथ स्क्रीन शेयर करने वाली ममता उस वक्त विवादों में आईं जब उन्होंने साल 1993 में स्टारडस्ट मैगजीन के लिए टॉपलेस फोटोशूट कराया था। वहीं, डायरेक्टर राजकुमार संतोषी ने ममता को फिल्म ‘चाइना गेट’ में बतौर लीड एक्ट्रेस लिया था। शुरुआती अनबन के बाद संतोषी, ममता को फिल्म से बाहर निकालना चाहते थे। खबरों के मुताबिक, अंडरवर्ल्ड से प्रेशर बढ़ने के बाद उन्हें फिल्म में रखा गया। हालांकि, फिल्म फ्लॉप साबित हुई और बाद में ममता ने संतोषी पर सेक्शुअल हैरेसमेंट का आरोप भी लगाया। ड्रग माफिया से रचाई शादी, साध्वी बनीं
ममता पर आरोप लगा कि उन्होंने दुबई के रहने वाले अंडरवर्ल्ड ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से शादी की थी। हालांकि ममता ने अपनी शादी की खबरों को हमेशा ही अफवाह बताया। ममता का कहना था कि मैंने कभी किसी से शादी नहीं की। यह सही है कि मैं विक्की से प्यार करती हूं, लेकिन उसे भी पता होगा कि अब मेरा पहला प्यार ईश्वर हैं। ममता ने 2013 में अपनी किताब ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगिनी’ रिलीज की थी। इस दौरान फिल्मी दुनिया को अलविदा कहने की वजह बताते हुए कहा था, ‘कुछ लोग दुनिया के कामों के लिए पैदा होते हैं, जबकि कुछ ईश्वर के लिए पैदा होते हैं। मैं भी ईश्वर के लिए पैदा हुई हूं।’ तमिल फिल्म से शुरू किया करियर
ममता कुलकर्णी का जन्म 20 अप्रैल, 1972 को मुंबई में हुआ था। ममता ने 1991 में अपने करियर की शुरुआत तमिल फिल्म ‘ननबरगल’ से की। साल 1991 में ही उनकी पहली हिंदी फिल्म ‘मेरा दिल तेरे लिए’ रिलीज हुई। वेबसाइट आईएमडीबी के मुताबिक, एक्ट्रेस ने अपने करियर में कुल 34 फिल्में कीं। ममता को साल 1993 में फिल्म ‘आशिक आवारा’ के लिए बेस्ट डेब्यू एक्ट्रेस का फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला था। इसके बाद वह ‘वक्त हमारा है’, ‘क्रांतिवीर’, ‘करण अर्जुन’, ‘बाजी’ जैसी फिल्मों में नजर आईं। उनकी लास्ट फिल्म ‘कभी तुम कभी हम’ साल 2002 में रिलीज हुई थी। आखिर में तस्वीरों में देखिए ममता से यामाई ममता नंद गिरि बनने की कहानी… ——————– ममता से जुड़ी से खबर भी पढ़ें- एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी महाकुंभ में महामंडलेश्वर बनीं:संगम तट पर पिंडदान किया, अब ममता नंद गिरि कहलाएंगी बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर बन गई हैं। उन्होंने शुक्रवार को प्रयागराज में संगम तट पर पिंडदान किया। अब वह यामाई ममता नंद गिरि कहलाएंगी। पढ़ें पूरी खबर अभिनेत्री ममता कुलकर्णी के किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनने पर विवाद हो गया है। कई संत नाराज हैं। शांभवी पीठ के पीठाधीश्वर श्री स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा- किन्नर अखाड़े को मान्यता देकर पिछले कुंभ में महापाप हुआ था। कुंभ का मजाक बनाने का प्रयास हो रहा है। ममता का नाम बहुत बड़ा है। ये लोग उसके नाम पर व्यापार करेंगे। ममता का विषय बहुत घातक और धर्म के खिलाफ है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने कहा, ‘ममता को बहुत-बहुत आशीर्वाद और साधुवाद। वैराग्य कभी भी आ सकता है। मैं चाहूंगा कि सही मायने में महामंडलेश्वर का जो अर्थ है, अगर ममता जी उसके अनुसार चलेंगी तो पूरे देश में हमारी अध्यात्म परंपरा उच्च शिखर पर पहुंचेगी।’ जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि का कहना है कि संन्यास का अधिकार सबको है। ममता के महामंडलेश्वर बनने की 2 तस्वीरें देखिए आइए, जानते हैं कि ममता के महामंडलेश्वर बनने पर अन्य अखाड़ों ने क्या कहा… आनंद स्वरूप बोले- किन्नर अखाड़े को मान्यता देना महापाप था
ममता को किन्नर अखाड़े से महामंडलेश्वर बनाए जाने को लेकर शांभवी पीठाधीश्वर श्री स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। कहा, ‘किन्नर अखाड़े को मान्यता देकर पिछले कुंभ में महापाप हुआ था, जिस प्रकार की अनुशासनहीनता हो रही है, वो बहुत घातक है। ये सनातन धर्म के साथ एक धोखा है, छल है।’ मैंने ममता से कहा- इन लोगों के जाल में मत पड़ो। स्त्री के लिए संन्यास नहीं है। तमाम ऐसी परंपरा है, जिसमें तुम विरक्त होकर रह सकती हो। उन्होंने कहा कि ऐसी जगह न गिरो कि लोग तुम्हारे ऊपर थूकें। किन्नर अखाड़े को लोग मजाक में ले रहे हैं। वहां ज्ञान भक्ति की बात नहीं हो रही। कुंभ का मजाक बनाने का प्रयास हो रहा है। जब-जब अधर्म होगा, तब-तब मैं बोलूंगा। ममता का नाम बहुत बड़ा है। ये लोग उसके नाम पर व्यापार करेंगे। ममता कुलकर्णी का विषय बहुत घातक और धर्म के खिलाफ है। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने कहा- सिर्फ नाम कमाने को कोई महामंडलेश्वर न बने डायरेक्ट महामंडलेश्वर बनाने की परंपरा जूना अखाड़े की नहीं
जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता नारायण गिरी जी महाराज ने कहा, ‘किन्नर अखाड़ा 2019 में रजिस्टर्ड हुआ था। वो जूना अखाड़े की एक शाखा है। उनको एक हिंदू परंपरा में जोड़ने के लिए श्री महंत जी महाराज ने अखाड़े में शामिल किया था। जब कोई अखाड़ा पूर्ण रूप से बन जाता है, तो उनको पावर है कि वो किसी को महंत, साध्वी या महामंडलेश्वर बनाएं। वो कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं। इसमें कोई भी पुरुष, महिला या किन्नर कोई भी पदवी प्राप्त कर सकते हैं। हर अखाड़े के अपने मापदंड होते हैं।’ उन्होंने कहा- देश के किसी विद्वान, राष्ट्रहित में कार्य करने वाले, अध्यात्म में या सामाजिक कार्य करने वाले को संन्यासी अखाड़े महामंडलेश्वर पद की उपाधि से विभूषित कर देते हैं। फिल्म अभिनेत्री बनना कोई दोष तो नहीं है। हमारे यहां एक वैश्या को भी गुरु बनाया गया था, इसलिए यहां योग्यता से किसी को भी महामंडलेश्वर बनाया जा सकता है। महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया क्या है? इस सवाल पर उन्होंने कहा- सबसे पहले अखाड़े में महापुरुष, अवधूत, महंत, श्री महंत बनता है। फिर अखाड़ा ये देखता है कि उस व्यक्ति का कितना योगदान है, राष्ट्र में धर्म प्रचार का कितना काम किया है। उस आधार पर ही आगे फैसला लिया जाता है। कोई व्यक्ति आए, संन्यासी बनने की घोषणा करे और हम डायरेक्ट उसको महामंडलेश्वर बना दें, ऐसी परंपरा जूना अखाड़े की नहीं है। छानबीन के बाद बनते हैं महामंडलेश्वर
निरंजनी आनंद अखाड़े के महामंडलेश्वर बालकानंद जी महाराज ने कहा- मैं इस समय तपो निधि पंचायती आनंद अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर के पद पर हूं, इसलिए इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। यह अखाड़े की परंपरा है। महामंडलेश्वर पद अखाड़े का है। सभी अखाड़े स्वतंत्र हैं। महामंडलेश्वर बनाने के लिए ऐसे ही किसी को उठाकर नहीं बना सकते। हमारे 7 शैव अखाड़े हैं। परंपरा ऐसी है कि यदि हम किसी को महामंडलेश्वर बनाते हैं, तो पहले उसके विषय में सारी छानबीन होती है। उसकी सारी जानकारी ली जाती है। देखा जाता है कि वह व्यक्ति कैसा है? उसका चरित्र क्या है? किस तरह से उसकी जीवन धारा है, उसकी दिनचर्या क्या रही है। वह किस परिवार से आता है। उसका व्यवहार कैसा है। उसे संन्यास लिए हुए कितने दिन हुए हैं। इन सभी चीजों को देखा जाता है। अगर किसी ने संन्यास नहीं लिया है, तो उसको महामंडलेश्वर नहीं बना सकते। जिस पद पर बैठाया जाता है, उसकी पात्रता देखी जाती है
पंच दशनाम अग्नि अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर रामकृष्णानंद गिरि ने कहा- हमारा मानना है कि अखाड़े में जो महामंडलेश्वर का पद होता है, वह आचार्य के बाद ही होता है। यह एक सम्मानित पद है। अखाड़े के पंच और पदाधिकारी जिन्हें महामंडलेश्वर बनाते हैं, उन्हें एक बार देखना चाहिए कि जिसे इस पद पर बैठा रहे हैं, उसमें यह पात्रता है कि नहीं। कम से कम उसमें आचार-विचार होने चाहिए, व्यक्ति का चरित्र अच्छा होना चाहिए। उसके पास ऐसा ज्ञान होना चाहिए, जिससे वह समाज को एक अच्छी दिशा दे सके। उसका खुद का अच्छा बैकग्राउंड होना चाहिए। उसका ऐसा चरित्र होना चाहिए, जिसके ऊपर समाज उंगली न उठा सके। चाहे कोई भी गद्दी पर बैठ रहा हो, पहले उसको यह देखना चाहिए कि क्या उसके अंदर यह पात्रता है या नहीं। बैठने वालों को भी इस बात का ध्यान देना चाहिए, जिससे कि उस पद की गरिमा बनी रहे और सनातन धर्म के प्रति लोगों की आस्था बनी रहे। भौकाल बना कर बड़ी गाड़ियों में घूम करके अगर आप चाहेंगे कि देश की प्रजा का मार्गदर्शन कर सकें तो यह नहीं हो सकता। इन सबके लिए चरित्र का होना आवश्यक है। यति नरसिंहानंद बोले- मापदंड कड़े होने चाहिए
श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि ने कहा- मैं ममता कुलकर्णी का बहुत-बहुत स्वागत करता हूं। अच्छी बच्ची है। बहुत अच्छे परिवार की है। वो अपना मार्ग भटक गई थी। अपराध के दलदल में चली गई थी। महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया क्या है? इस पर यति ने कहा- मैं निवेदन करूंगा कि जो भी लोग ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बना रहे हैं, उन्हें थोड़ा धैर्य रखना चाहिए। कुछ दिन वो संन्यासी बनकर रहें और उनके जीवन की निगरानी की जाए। मैं उन पर कोई शक नहीं कर रहा हूं। महामंडलेश्वर के लिए मापदंड कड़े होने चाहिए। मेरा अपना विचार है कि ममता कुलकर्णी को एकदम से महामंडलेश्वर बनाना सही नहीं है। साधु बनने का तो मैं स्वागत करता हूं, लेकिन महामंडलेश्वर बनने के लिए मानकों को पूरा करना चाहिए। अभी उन्होंने सनातन धर्म के लिए कुछ भी नहीं किया। हालांकि मानक तो अखाड़े तय करते हैं। मैं महामंडलेश्वर बनने से पहले 20 साल तक संन्यासी रहा हूं, लेकिन अभी ममता को महामंडलेश्वर बनने से पहले थोड़ी सेवा करनी चाहिए, उनका रास्ता कठिन होना चाहिए। क्या किन्नर बन गईं ममता कुलकर्णी?
किन्नर अखाड़े में शामिल होने के लिए किन्नर होना जरूरी नहीं है। वह व्यक्ति जो सनातन और किन्नरों में आस्था रखता है, वह इस अखाड़े से जुड़ सकता है। अन्य 13 अखाड़ों जैसी कठिन साधना-तपस्या भी इस अखाड़े में नहीं है। विवादों में रहीं ममता, मैगजीन के लिए टॉपलेस फोटोशूट कराया
शाहरुख खान, सलमान खान, अजय देवगन, अनिल कपूर जैसे बड़े स्टार्स से साथ स्क्रीन शेयर करने वाली ममता उस वक्त विवादों में आईं जब उन्होंने साल 1993 में स्टारडस्ट मैगजीन के लिए टॉपलेस फोटोशूट कराया था। वहीं, डायरेक्टर राजकुमार संतोषी ने ममता को फिल्म ‘चाइना गेट’ में बतौर लीड एक्ट्रेस लिया था। शुरुआती अनबन के बाद संतोषी, ममता को फिल्म से बाहर निकालना चाहते थे। खबरों के मुताबिक, अंडरवर्ल्ड से प्रेशर बढ़ने के बाद उन्हें फिल्म में रखा गया। हालांकि, फिल्म फ्लॉप साबित हुई और बाद में ममता ने संतोषी पर सेक्शुअल हैरेसमेंट का आरोप भी लगाया। ड्रग माफिया से रचाई शादी, साध्वी बनीं
ममता पर आरोप लगा कि उन्होंने दुबई के रहने वाले अंडरवर्ल्ड ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से शादी की थी। हालांकि ममता ने अपनी शादी की खबरों को हमेशा ही अफवाह बताया। ममता का कहना था कि मैंने कभी किसी से शादी नहीं की। यह सही है कि मैं विक्की से प्यार करती हूं, लेकिन उसे भी पता होगा कि अब मेरा पहला प्यार ईश्वर हैं। ममता ने 2013 में अपनी किताब ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगिनी’ रिलीज की थी। इस दौरान फिल्मी दुनिया को अलविदा कहने की वजह बताते हुए कहा था, ‘कुछ लोग दुनिया के कामों के लिए पैदा होते हैं, जबकि कुछ ईश्वर के लिए पैदा होते हैं। मैं भी ईश्वर के लिए पैदा हुई हूं।’ तमिल फिल्म से शुरू किया करियर
ममता कुलकर्णी का जन्म 20 अप्रैल, 1972 को मुंबई में हुआ था। ममता ने 1991 में अपने करियर की शुरुआत तमिल फिल्म ‘ननबरगल’ से की। साल 1991 में ही उनकी पहली हिंदी फिल्म ‘मेरा दिल तेरे लिए’ रिलीज हुई। वेबसाइट आईएमडीबी के मुताबिक, एक्ट्रेस ने अपने करियर में कुल 34 फिल्में कीं। ममता को साल 1993 में फिल्म ‘आशिक आवारा’ के लिए बेस्ट डेब्यू एक्ट्रेस का फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला था। इसके बाद वह ‘वक्त हमारा है’, ‘क्रांतिवीर’, ‘करण अर्जुन’, ‘बाजी’ जैसी फिल्मों में नजर आईं। उनकी लास्ट फिल्म ‘कभी तुम कभी हम’ साल 2002 में रिलीज हुई थी। आखिर में तस्वीरों में देखिए ममता से यामाई ममता नंद गिरि बनने की कहानी… ——————– ममता से जुड़ी से खबर भी पढ़ें- एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी महाकुंभ में महामंडलेश्वर बनीं:संगम तट पर पिंडदान किया, अब ममता नंद गिरि कहलाएंगी बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर बन गई हैं। उन्होंने शुक्रवार को प्रयागराज में संगम तट पर पिंडदान किया। अब वह यामाई ममता नंद गिरि कहलाएंगी। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर