महाकुंभ की तैयारी कहां तक पहुंची:50 हजार लोग रात-दिन नया शहर बसाने में लगे; पुल नहीं बना तो अस्थायी फोरलेन स्टील ब्रिज बना रहे

महाकुंभ की तैयारी कहां तक पहुंची:50 हजार लोग रात-दिन नया शहर बसाने में लगे; पुल नहीं बना तो अस्थायी फोरलेन स्टील ब्रिज बना रहे

13 जनवरी 2025 को दुनिया के सबसे बड़े मेले यानी प्रयागराज महाकुंभ की शुरुआत हो जाएगी। 5 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट है। 40 करोड़ से ज्यादा लोगों के आने का अनुमान है। 10 से ज्यादा देशों के राष्ट्राध्यक्ष आएंगे। देश के राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री से लेकर हर मंत्री इस महाकुंभ में शामिल होंगे। 13 अखाड़ों के प्रमुख धर्मगुरु यहां दो महीने तक मौजूद रहेंगे। दुनियाभर की मीडिया की इस पर नजर होगी। महाकुंभ की शुरुआत में अब 75 दिन बाकी हैं। दिव्य, नव्य और भव्य कुंभ के लिए प्रशासन लगा हुआ है। 50 हजार कर्मचारी महाकुंभ को रूप देने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। महाकुंभ की तैयारी कहां तक पहुंची? क्या कुछ पूरा हुआ? क्या फंसा हुआ है? सवाल यह भी है कि क्या 75 दिनों में सब कुछ पूरा हो जाएगा? दैनिक भास्कर की टीम कुंभ की तैयारियों को देखने संगम पहुंची। पढ़िए महाकुंभ की तैयारियों पर ग्राउंड रिपोर्ट… शहर के चौराहे खुदे पड़े, गंगा का प्रमुख पुल अभी भी अधूरा
हम लखनऊ से प्रयागराज के लिए निकले। करीब 180 किलोमीटर का सफर पूरा करते हुए हम शहर में दाखिल हुए। फाफामऊ के गंगा पुल पर पहुंचते ही कुंभ की तैयारियां दिखने लगती हैं। पुल से नीचे झांकने पर नदी के किनारे-किनारे रीवर फ्रंट बनाए जा रहे हैं। यह संगम से लेकर रसूलाबाद घाट तक होगा। कुल लंबाई 13 किलोमीटर होगी। कुंभ में जिस दिन शाही स्नान होंगे, उस दिन बड़ी संख्या में पहुंची भीड़ को यहीं स्नान करवाने की तैयारी है। हम आगे बढ़े। सड़कें चौड़ी करने का काम लगभग पूरा होता दिखता है, लेकिन चौराहे खुदे पड़े हैं। लगभग चौराहों पर जेसीबी दिखाई देती है। इसमें कुछ चौराहों पर सीवर लाइन का काम हो रहा तो कुछ को सुंदर बनाए जाने का काम किया जा रहा। हम मम्फोर्डगंज पहुंचे। यहां गंगा पर 6 लेन पुल का निर्माण हो रहा है। शहर के साथ श्रद्धालुओं के लिए यह सबसे जरूरी पुल है। करीब 2000 करोड़ की लागत से बन रहे इस ब्रिज को बनाए जाने की शुरुआत 2021 में हुई। जून 2024 में पूरा होना था, लेकिन नहीं हो सका। अब इसी पर अस्थाई फोरलेन स्टील ब्रिज तैयार किया जा रहा। इसका बजट अलग से 60 करोड़ रुपए है। 30 प्लाटून पुल पहली बार बन रहे
हम सिविल लाइंस के रास्ते चुंगी चौराहा पहुंचे। यहीं से कुंभ मेले की शुरुआत होती है। चारों तरफ धूल ही धूल। एक तरफ फ्लाई ओवर बन रहा तो दूसरी तरफ सड़कों के किनारों को संवारा जा रहा। मेले में पहुंचे तो सबसे पहले प्लाटून पुल ही प्लाटून पुल नजर आए। ट्रक के जरिए अब इन्हें गंगा नदी के किनारों पर पहुंचाया जा रहा। इस बार नदी में कुल 30 प्लाटून पुल बनाए जाने हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है। पहले के मेलों में इसकी संख्या 15 से 20 के बीच रहती थी। हम यहां से आगे बढ़े। चारों तरफ साफ-सफाई और निर्माण चल रहा था। करीब 2 किलोमीटर चलने पर घाट नजर आया। जो प्लाटून पुल लाए जा रहे थे, उन्हें क्रेन के जरिए नदी में उतारा जा रहा था। दूसरी तरफ एक पुल तैयार किया जा रहा था। करीब 30 मजदूर पुल बनाने के काम में लगे थे। इन पुलों के निर्माण के बाद ही नदी के बीच में निर्माण शुरू होगा। इस वक्त नदी के बीच पानी में बालू को मेंटेन करने वाली मशीन लगी हुई है। संगम के किनारे पक्के घाट बनाए जा रहे
संगम का पूरा इलाका हर साल बाढ़ में डूब जाता है। इसलिए यहां कभी स्थायी निर्माण की बात नहीं हुई। लेकिन पिछले साल तय किया गया कि महाकुंभ से पहले पक्का घाट बनाया जाए। इसके लिए 58 करोड़ रुपए का बजट जारी हुआ। गंगा नदी पर 3 और यमुना नदी पर 4 पक्के घाट बनाए जा रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक 70% काम पूरा कर लिया गया है। कुंभ से पहले तैयार करने का दावा किया गया है। संगम के एकदम किनारे इस वक्त भी 10 से 20 हजार लोग आकर स्नान कर रहे हैं। प्रशासन यहां मौजूद पंडो और पुजारियों से जगह छोड़ने की अपील कर रहा है। हम झूंसी पुल साइड से दूसरी तरफ पहुंचे। इस एरिया में ही सारे अखाड़ों का टेंट तैयार होना है। हॉस्पिटल्स, थाने समेत तमाम चीजों का निर्माण इधर होना है लेकिन अभी पूरी तरह से खाली मैदान नजर आता है। कुछ दूर मजदूर जमीन की खुदाई करते हुए दिखाई देते हैं। आज खाली दिखने वाला यही एरिया महाकुंभ का सबसे चमकदार क्षेत्र होता है। यहां की लाइटिंग और टेंट पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बनता है। अब बात करते हैं उन योजनाओं की, जिनके पूरे होने के बाद ही भव्य कुंभ की परिकल्पना साकार होनी हैं… गंगा एक्सप्रेस वेः महाकुंभ के नजरिए से यह सबसे महत्वपूर्ण योजना थी। 594 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे की कुल लागत 37 हजार 350 करोड़ है। मेरठ से प्रयागराज के बीच यह 10 और जिलों को जोड़ने वाला है। 18 दिसंबर 2021 को पीएम मोदी ने शिलान्यास किया था। यूपी एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी की वेबसाइट के मुताबिक अभी 60% काम हुआ है। पिछले दिनों हमने यूपीडा के वरिष्ठ मुख्य प्रबंधक आरआर सिंह से बात की थी। उस वक्त उन्होंने कहा था, “हमारा प्रोजेक्ट नवंबर 2025 तक का है। दिसंबर 2024 तक हमें कैरिज-वे बनाकर देना है। हमारी पूरी टीम लगी हुई है, उम्मीद है कि वह तय तारीख से पहले इसे तैयार कर लेगी।” यह एक्सप्रेस वे यूपी को पश्चिम से पूरब तक जोड़ रहा। दिल्ली-हरियाणा वालों के लिए भी कुंभ पहुंचना आसान होगा। रेलवे स्टेशनः महाकुंभ में स्टेशनों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रहने वाली है। न सिर्फ प्रयागराज जंक्शन बल्कि आसपास के करीब 7 स्टेशन सबसे जरूरी हो गए हैं। इस वक्त सभी स्टेशनों का विस्तार और नवनिर्माण हो रहा है। प्रयाग, नैनी, रामबाग, संगम, झूंसी, सूबेदारगंज और फाफामऊ जैसे स्टेशन पिछले 15 महीने से तैयार हो रहे हैं। इसके लिए कुल 960 करोड़ का बजट पास है। इसमें 17 रेलवे ओवर ब्रिज और अंडर पास बनाए जाने हैं। अधिकारियों के मुताबिक अभी तक करीब 65% काम हुआ है। एयरपोर्टः प्रयागराज में अभी एक टर्मिनल वाला एयरपोर्ट चल रहा। दूसरा टर्मिनल बनाए जाने के लिए 231 करोड़ रुपए का बजट दिया गया। पिछले साल से ही इसका निर्माण हो रहा है। दावा किया जा रहा कि दिसंबर 2024 में इसे पूरा कर लिया जाएगा। हकीकत यह है कि अभी करीब 60% काम हुआ है। इस टर्मिनल के बन जाने से एक साथ 1200 यात्री बैठ सकते हैं। कुंभ के चलते यहां फ्लाइट की भी संख्या बढ़ने वाली है। बस अड्डाः प्रयागराज में दो मुख्य बस अड्डे हैं। पहला सिविल लाइंस। दूसरा जीरो रोड। इन दोनों के विस्तार के लिए 110 करोड़ रुपए का बजट दिया गया। पिछले साल से काम भी हो रहा है। लेकिन अब तक 30% ही काम हो सका है। जीरो रोड बस अड्डे के साथ दिक्कत यह है कि वह शहर की सबसे व्यस्त बाजार चौक के अंदर है, ऐसे में वहां जाम की सबसे ज्यादा समस्या रहने वाली है। कुंभ के दौरान अस्थाई बस अड्डे भी तैयार किए जाने हैं। ये सभी शहर के बाहर होंगे। जैसे फाफामऊ, शांतिपुरम, नैनी और कालिंदीपुरम। रोप-वेः नवंबर 2022 में सीएम योगी ने घोषणा की थी कि कुंभ के लिए 1281 मीटर लंबा रोप-वे का निर्माण करवाया जाएगा। इसके लिए 250 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया। लेकिन इसके लिए जमीन ही नहीं तय हो पाई और यह पूरा प्रोजेक्ट कागज में ही रह गया। कुंभ म्यूजियमः सरकार का पूरा फोकस है कि इस महाकुंभ की भव्यता को दुनिया देखे। इसलिए कुंभ से जुड़ा एक ऐप भी लांच किया गया है। इसी तरह से कुंभ में डिजिटल कुंभ म्यूजियम बनाया जाना तय हुआ था। इसके लिए अरैल रोड साइड की जमीन तय की गई। 21 करोड़ का बजट पास हुआ। लेकिन अभी तक इसका 20% काम भी पूरा नहीं हो सका है। स्मार्ट सिटी: केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी स्कीम में प्रयागराज भी शामिल है। 2017 में इस जिले को स्मार्ट बनाने के लिए 800 करोड़ रुपए दिए गए। इन पैसों से सड़कें चौड़ी होनी थी, ऑडिटोरियम बनना था। स्पोर्ट्स कॉन्प्लेक्स बनने थे। कुल 119 विकास के काम होने थे। ज्यादातर योजनाएं तो पूरी हो गई हैं, लेकिन करीब 30 योजनाएं अभी भी अधर में लटकी हुई हैं। पिछले दिनों सीएम योगी कुंभ मेला अधिकारियों से मिले। उन्होंने अधिकारियों को सख्त हिदायत दी कि सभी काम 10 दिसंबर तक पूरे कर लिए जाएं। अगर काम नहीं पूरा होता तो ठीक नहीं होगा। हमने इन तमाम योजनाओं को लेकर संबंधित अधिकारियों से बात की। अधिकारियों का यही कहना है कि समय पर सभी काम पूरे हो जाएंगे। बारिश के चलते कुछ देरी हुई थी, अब दोगुना कर्मचारियों के साथ काम को जल्दी पूरा करवाया जाएगा। ये भी पढ़ें: लखनऊ में भिखारी 80 हजार रुपए महीना कमा रहे:दिवाली पर 1 हजार भिखारी दूसरे जिलों से आए, परिवार 1 दिन में 5 हजार कमा रहा दिवाली पर 1000 से अधिक भिखारी लखनऊ पहुंचे हैं। ये सभी भिखारी लखनऊ से 50-150 किलोमीटर की दूरी वाले जिलों से आए हुए हैं। त्योहार के दौरान चौराहों पर भीख मांगने में परहेज कर रहे हैं। लेकिन बाजार और मिठाई की दुकानों के आगे इनका जमावड़ा है। महिलाएं और बच्चे अधिक संख्या में भीख मांगते दिखाई दे रहे हैं…(पढ़ें पूरी खबर) 13 जनवरी 2025 को दुनिया के सबसे बड़े मेले यानी प्रयागराज महाकुंभ की शुरुआत हो जाएगी। 5 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट है। 40 करोड़ से ज्यादा लोगों के आने का अनुमान है। 10 से ज्यादा देशों के राष्ट्राध्यक्ष आएंगे। देश के राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री से लेकर हर मंत्री इस महाकुंभ में शामिल होंगे। 13 अखाड़ों के प्रमुख धर्मगुरु यहां दो महीने तक मौजूद रहेंगे। दुनियाभर की मीडिया की इस पर नजर होगी। महाकुंभ की शुरुआत में अब 75 दिन बाकी हैं। दिव्य, नव्य और भव्य कुंभ के लिए प्रशासन लगा हुआ है। 50 हजार कर्मचारी महाकुंभ को रूप देने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। महाकुंभ की तैयारी कहां तक पहुंची? क्या कुछ पूरा हुआ? क्या फंसा हुआ है? सवाल यह भी है कि क्या 75 दिनों में सब कुछ पूरा हो जाएगा? दैनिक भास्कर की टीम कुंभ की तैयारियों को देखने संगम पहुंची। पढ़िए महाकुंभ की तैयारियों पर ग्राउंड रिपोर्ट… शहर के चौराहे खुदे पड़े, गंगा का प्रमुख पुल अभी भी अधूरा
हम लखनऊ से प्रयागराज के लिए निकले। करीब 180 किलोमीटर का सफर पूरा करते हुए हम शहर में दाखिल हुए। फाफामऊ के गंगा पुल पर पहुंचते ही कुंभ की तैयारियां दिखने लगती हैं। पुल से नीचे झांकने पर नदी के किनारे-किनारे रीवर फ्रंट बनाए जा रहे हैं। यह संगम से लेकर रसूलाबाद घाट तक होगा। कुल लंबाई 13 किलोमीटर होगी। कुंभ में जिस दिन शाही स्नान होंगे, उस दिन बड़ी संख्या में पहुंची भीड़ को यहीं स्नान करवाने की तैयारी है। हम आगे बढ़े। सड़कें चौड़ी करने का काम लगभग पूरा होता दिखता है, लेकिन चौराहे खुदे पड़े हैं। लगभग चौराहों पर जेसीबी दिखाई देती है। इसमें कुछ चौराहों पर सीवर लाइन का काम हो रहा तो कुछ को सुंदर बनाए जाने का काम किया जा रहा। हम मम्फोर्डगंज पहुंचे। यहां गंगा पर 6 लेन पुल का निर्माण हो रहा है। शहर के साथ श्रद्धालुओं के लिए यह सबसे जरूरी पुल है। करीब 2000 करोड़ की लागत से बन रहे इस ब्रिज को बनाए जाने की शुरुआत 2021 में हुई। जून 2024 में पूरा होना था, लेकिन नहीं हो सका। अब इसी पर अस्थाई फोरलेन स्टील ब्रिज तैयार किया जा रहा। इसका बजट अलग से 60 करोड़ रुपए है। 30 प्लाटून पुल पहली बार बन रहे
हम सिविल लाइंस के रास्ते चुंगी चौराहा पहुंचे। यहीं से कुंभ मेले की शुरुआत होती है। चारों तरफ धूल ही धूल। एक तरफ फ्लाई ओवर बन रहा तो दूसरी तरफ सड़कों के किनारों को संवारा जा रहा। मेले में पहुंचे तो सबसे पहले प्लाटून पुल ही प्लाटून पुल नजर आए। ट्रक के जरिए अब इन्हें गंगा नदी के किनारों पर पहुंचाया जा रहा। इस बार नदी में कुल 30 प्लाटून पुल बनाए जाने हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है। पहले के मेलों में इसकी संख्या 15 से 20 के बीच रहती थी। हम यहां से आगे बढ़े। चारों तरफ साफ-सफाई और निर्माण चल रहा था। करीब 2 किलोमीटर चलने पर घाट नजर आया। जो प्लाटून पुल लाए जा रहे थे, उन्हें क्रेन के जरिए नदी में उतारा जा रहा था। दूसरी तरफ एक पुल तैयार किया जा रहा था। करीब 30 मजदूर पुल बनाने के काम में लगे थे। इन पुलों के निर्माण के बाद ही नदी के बीच में निर्माण शुरू होगा। इस वक्त नदी के बीच पानी में बालू को मेंटेन करने वाली मशीन लगी हुई है। संगम के किनारे पक्के घाट बनाए जा रहे
संगम का पूरा इलाका हर साल बाढ़ में डूब जाता है। इसलिए यहां कभी स्थायी निर्माण की बात नहीं हुई। लेकिन पिछले साल तय किया गया कि महाकुंभ से पहले पक्का घाट बनाया जाए। इसके लिए 58 करोड़ रुपए का बजट जारी हुआ। गंगा नदी पर 3 और यमुना नदी पर 4 पक्के घाट बनाए जा रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक 70% काम पूरा कर लिया गया है। कुंभ से पहले तैयार करने का दावा किया गया है। संगम के एकदम किनारे इस वक्त भी 10 से 20 हजार लोग आकर स्नान कर रहे हैं। प्रशासन यहां मौजूद पंडो और पुजारियों से जगह छोड़ने की अपील कर रहा है। हम झूंसी पुल साइड से दूसरी तरफ पहुंचे। इस एरिया में ही सारे अखाड़ों का टेंट तैयार होना है। हॉस्पिटल्स, थाने समेत तमाम चीजों का निर्माण इधर होना है लेकिन अभी पूरी तरह से खाली मैदान नजर आता है। कुछ दूर मजदूर जमीन की खुदाई करते हुए दिखाई देते हैं। आज खाली दिखने वाला यही एरिया महाकुंभ का सबसे चमकदार क्षेत्र होता है। यहां की लाइटिंग और टेंट पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बनता है। अब बात करते हैं उन योजनाओं की, जिनके पूरे होने के बाद ही भव्य कुंभ की परिकल्पना साकार होनी हैं… गंगा एक्सप्रेस वेः महाकुंभ के नजरिए से यह सबसे महत्वपूर्ण योजना थी। 594 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे की कुल लागत 37 हजार 350 करोड़ है। मेरठ से प्रयागराज के बीच यह 10 और जिलों को जोड़ने वाला है। 18 दिसंबर 2021 को पीएम मोदी ने शिलान्यास किया था। यूपी एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी की वेबसाइट के मुताबिक अभी 60% काम हुआ है। पिछले दिनों हमने यूपीडा के वरिष्ठ मुख्य प्रबंधक आरआर सिंह से बात की थी। उस वक्त उन्होंने कहा था, “हमारा प्रोजेक्ट नवंबर 2025 तक का है। दिसंबर 2024 तक हमें कैरिज-वे बनाकर देना है। हमारी पूरी टीम लगी हुई है, उम्मीद है कि वह तय तारीख से पहले इसे तैयार कर लेगी।” यह एक्सप्रेस वे यूपी को पश्चिम से पूरब तक जोड़ रहा। दिल्ली-हरियाणा वालों के लिए भी कुंभ पहुंचना आसान होगा। रेलवे स्टेशनः महाकुंभ में स्टेशनों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रहने वाली है। न सिर्फ प्रयागराज जंक्शन बल्कि आसपास के करीब 7 स्टेशन सबसे जरूरी हो गए हैं। इस वक्त सभी स्टेशनों का विस्तार और नवनिर्माण हो रहा है। प्रयाग, नैनी, रामबाग, संगम, झूंसी, सूबेदारगंज और फाफामऊ जैसे स्टेशन पिछले 15 महीने से तैयार हो रहे हैं। इसके लिए कुल 960 करोड़ का बजट पास है। इसमें 17 रेलवे ओवर ब्रिज और अंडर पास बनाए जाने हैं। अधिकारियों के मुताबिक अभी तक करीब 65% काम हुआ है। एयरपोर्टः प्रयागराज में अभी एक टर्मिनल वाला एयरपोर्ट चल रहा। दूसरा टर्मिनल बनाए जाने के लिए 231 करोड़ रुपए का बजट दिया गया। पिछले साल से ही इसका निर्माण हो रहा है। दावा किया जा रहा कि दिसंबर 2024 में इसे पूरा कर लिया जाएगा। हकीकत यह है कि अभी करीब 60% काम हुआ है। इस टर्मिनल के बन जाने से एक साथ 1200 यात्री बैठ सकते हैं। कुंभ के चलते यहां फ्लाइट की भी संख्या बढ़ने वाली है। बस अड्डाः प्रयागराज में दो मुख्य बस अड्डे हैं। पहला सिविल लाइंस। दूसरा जीरो रोड। इन दोनों के विस्तार के लिए 110 करोड़ रुपए का बजट दिया गया। पिछले साल से काम भी हो रहा है। लेकिन अब तक 30% ही काम हो सका है। जीरो रोड बस अड्डे के साथ दिक्कत यह है कि वह शहर की सबसे व्यस्त बाजार चौक के अंदर है, ऐसे में वहां जाम की सबसे ज्यादा समस्या रहने वाली है। कुंभ के दौरान अस्थाई बस अड्डे भी तैयार किए जाने हैं। ये सभी शहर के बाहर होंगे। जैसे फाफामऊ, शांतिपुरम, नैनी और कालिंदीपुरम। रोप-वेः नवंबर 2022 में सीएम योगी ने घोषणा की थी कि कुंभ के लिए 1281 मीटर लंबा रोप-वे का निर्माण करवाया जाएगा। इसके लिए 250 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया। लेकिन इसके लिए जमीन ही नहीं तय हो पाई और यह पूरा प्रोजेक्ट कागज में ही रह गया। कुंभ म्यूजियमः सरकार का पूरा फोकस है कि इस महाकुंभ की भव्यता को दुनिया देखे। इसलिए कुंभ से जुड़ा एक ऐप भी लांच किया गया है। इसी तरह से कुंभ में डिजिटल कुंभ म्यूजियम बनाया जाना तय हुआ था। इसके लिए अरैल रोड साइड की जमीन तय की गई। 21 करोड़ का बजट पास हुआ। लेकिन अभी तक इसका 20% काम भी पूरा नहीं हो सका है। स्मार्ट सिटी: केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी स्कीम में प्रयागराज भी शामिल है। 2017 में इस जिले को स्मार्ट बनाने के लिए 800 करोड़ रुपए दिए गए। इन पैसों से सड़कें चौड़ी होनी थी, ऑडिटोरियम बनना था। स्पोर्ट्स कॉन्प्लेक्स बनने थे। कुल 119 विकास के काम होने थे। ज्यादातर योजनाएं तो पूरी हो गई हैं, लेकिन करीब 30 योजनाएं अभी भी अधर में लटकी हुई हैं। पिछले दिनों सीएम योगी कुंभ मेला अधिकारियों से मिले। उन्होंने अधिकारियों को सख्त हिदायत दी कि सभी काम 10 दिसंबर तक पूरे कर लिए जाएं। अगर काम नहीं पूरा होता तो ठीक नहीं होगा। हमने इन तमाम योजनाओं को लेकर संबंधित अधिकारियों से बात की। अधिकारियों का यही कहना है कि समय पर सभी काम पूरे हो जाएंगे। बारिश के चलते कुछ देरी हुई थी, अब दोगुना कर्मचारियों के साथ काम को जल्दी पूरा करवाया जाएगा। ये भी पढ़ें: लखनऊ में भिखारी 80 हजार रुपए महीना कमा रहे:दिवाली पर 1 हजार भिखारी दूसरे जिलों से आए, परिवार 1 दिन में 5 हजार कमा रहा दिवाली पर 1000 से अधिक भिखारी लखनऊ पहुंचे हैं। ये सभी भिखारी लखनऊ से 50-150 किलोमीटर की दूरी वाले जिलों से आए हुए हैं। त्योहार के दौरान चौराहों पर भीख मांगने में परहेज कर रहे हैं। लेकिन बाजार और मिठाई की दुकानों के आगे इनका जमावड़ा है। महिलाएं और बच्चे अधिक संख्या में भीख मांगते दिखाई दे रहे हैं…(पढ़ें पूरी खबर)   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर