महाकुंभ-2025 की सुरक्षा व्यवस्था में हॉर्स पावर यानी अश्व-शक्ति लगाई गई है। ये घोड़े आम नहीं, वेल ट्रेंड हैं। इशारों पर कदमताल करते हुए रास्ता बनाते हैं। जमीन के साथ-साथ पानी में भी दौड़ सकते हैं। मेले में क्राउड कंट्रोल के लिए यूपी की ट्रेंड माउंटेड पुलिस इन घोड़ों के साथ तैनात है। 130 घोड़ों के साथ जवान जब अलग-अलग ग्रुप में पेट्रोलिंग पर निकलते हैं, तो लोग इन्हें देखते रह जाते हैं। घुड़सवारों के दस्ते में भारतीय ब्रीड के अलावा अमेरिकन और इंग्लैंड ब्रीड के घोड़े भी शामिल हैं। इनकी कीमत 50 लाख से ढाई करोड़ तक है। सभी घोड़ों की गर्दन में एक स्पेशल डिवाइस लगी है। इन स्पेशल घोड़ों की खासियत क्या है? इन्हें क्या-क्या सुविधाएं मिल रही हैं? इनकी ट्रेनिंग कैसे होती है? यह सब कुछ जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम कुंभ क्षेत्र में बनाए गए माउंटेड पुलिस के कैंप पहुंची। ग्रुप का मुखिया दारा सबसे समझदार
कुंभ क्षेत्र में माउंटेड पुलिस कैंप के पास ही घोड़ों के लिए अस्तबल है। जब हम यहां पहुंचे, तब प्रतिसार निरीक्षक घोड़ों के एक ग्रुप को ग्राउंड पर ले जा रहे थे। अस्तबल के पास ही वह बीच में खड़े हो गए। घोड़ों पर पुलिस वाले जैसे ही सवार हुए, निरीक्षक ने अपनी स्टिक से इशारा किया। घोड़े एक सीधी लाइन में खड़े हो गए। निरीक्षक अपनी जगह खड़े होकर जैसे ही घूमे, सभी घोड़े एक के पीछे एक होकर चलने लगे। जैसे-जैसे, जितनी तेजी से स्टिक चलती, घोड़े भी उसी रफ्तार से राउंड लगाने लगे। इनकी दौड़ने की आवाज, उड़ती धूल देखते ही बन रही थी। इनका डिसिप्लिन वाकई में अलग था। करीब 15 मिनट बाद इस ग्रुप को पेट्रोलिंग के लिए भेज दिया गया। आरआई माउंटेड प्रेम बाबू ने बताया- जो सबसे आगे चल रहा था, वह दारा है। दारा सबसे समझदार है। वह अमेरिकन ब्रीड का घोड़ा है। प्रेम बाबू बताते हैं- दारा का जन्म आर्मी हिसार छावनी में 2020 में हुआ था। इसका पिता गोल्डन काइट है, जो अमेरिका से लाया गया था। गोल्डन काइट के चलते दारा के थाई में जीके टैग लगा है। मेले में 40 घोड़े अमेरिकन ब्रीड के हैं, जो बहुत माइंडेड हैं। गर्दन में इलेक्ट्रॉनिक चिप, जिसमें घोड़ों का पूरा डेटा
घोड़ों की खासियत बताते हुए प्रेम बाबू कहते हैं- सभी घोड़ों की गर्दन में खास तरह की डिवाइस लगाई गई है। ऑपरेशन कर इलेक्ट्रॉनिक चिप को लगाया गया है। इसमें घोड़ों का पूरा डेटा है। कैसा डेटा? जवाब में प्रेम बाबू ने कहा- घोड़े की 7 पीढ़ियों का डेटा। मतलब- इसके माता-पिता, दादा और उनके पिता तक का रिकॉर्ड चिप में है। ट्रेनिंग कब-कहां और कैसे हुई? कब-कब घोड़ा बीमार हुआ, क्या इलाज चला? हर चीज इस चिप में उपलब्ध है। इस डेटा को खास स्कैनर से पता लगाया जाता है। कौन घोड़ा कहां है, सब दिल्ली से ट्रैक होता है
प्रेम बाबू बताते हैं- गर्दन पर जो चिप लगी है, वह ट्रैकिंग डिवाइस भी है। जैसे वाहनों को डिवाइस से ट्रैक किया जाता है, वैसे ही घोड़े के ट्रैकिंग डिवाइस से यह जाना जा सकता है कि उसकी लोकेशन कहां है। घोड़े कहीं भी मूवमेंट करेंगे, डिवाइस से सब पता चल जाएगा। इस डिवाइस को स्कैन करने, ट्रैक करने का पावर EFI (इकेस्ट्रियन फेडरेशन ऑफ इंडिया) के पास है। EFI दिल्ली से इन घोड़ों को ट्रैक करती रहती है। माउंटेड पुलिस को भी इस डिवाइस कोड का पावर हैंडल नहीं दिया गया है। दारा को उत्तराखंड आर्मी डिपो से प्रयागराज भेजा गया है। इसी तरह अलग-अलग जिलों से अच्छे घोड़ों को यहां तैनात किया गया है। घुटनों पर बने कोड को भी जानिए…
विदेशी और इंडियन ब्रीड के इन घोड़ों के घुटनों पर एक कोड यानी मार्क बना है। इसमें N मतलब नाम, H मतलब हाउस यानी RO (रेजिडेंट ऑफ), S पैदा होने का साल लिखा है। इन घोड़ों की लेफ्ट थाई पर कोड होता है, जिसमें पिता का नाम कोड में होता है। बेशकीमती हैं सभी घोड़े
अमेरिकन ब्रीड के घोड़ों की कीमत 50 लाख से ढाई करोड़ तक होती है। माउंटेड पुलिस के सीनियर अफसर बताते हैं- प्राइवेट खरीद में अमेरिकन ब्रीड के बच्चे ही 50 लाख में आते हैं। इसके बाद कीमत ढाई करोड़ से ऊपर जाती है। ऐसा ही इंग्लैंड की थ्रो ब्रीड के घोड़ों की डिमांड है। इसकी कीमत भी 2 से 3 करोड़ के बीच होती है। हालांकि हमारे ट्रेंड घोड़ों की कोई कीमत नहीं, ये बेशकीमती हैं। पुलिस फोर्स के दल से इनके रिटायरमेंट की उम्र- 20 साल है। घोड़ों को विशेष तरीके से ट्रेंड किया गया है
घोड़ों को विशेष तरीके से मुरादाबाद और सीतापुर ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षित किया गया है। महाकुंभ को देखते हुए माउंटेड पुलिस को खास ट्रेनिंग कराई गई है, जिससे ये श्रद्धालुओं को किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचा सकें। भीड़ को नियंत्रित करते हुए उनके लिए आसान रास्ता बनाएं। रूट पहचान रहे घोड़े, फिर चाहे कितना क्राउड हो, खुद कमांड करेंगे
प्रेम बाबू ने बताया- अभी घोड़ों को महाकुंभ मेला क्षेत्र की भौगोलिक स्थितियों से परिचित कराया जा रहा है। ये रूट पहचान रहे हैं। घुड़सवार पुलिस सुबह और शाम मेला क्षेत्र में गश्त पर निकलती है। रूट पहचानने के बाद ये खुद को कमांड करेंगे। फिर चाहे कितना भी क्राउड क्यों न हो। ——————————————————– महाकुंभ का हर अपडेट, हर इवेंट की जानकारी और कुंभ का पूरा मैप सिर्फ एक क्लिक पर प्रयागराज के महाकुंभ में क्या चल रहा है? किस अखाड़े में क्या खास है? कौन सा घाट कहां बना है? इस बार कौन से कलाकार कुंभ में परफॉर्म करेंगे? किस संत के प्रवचन कब होंगे? महाकुंभ से जुड़े आपके हर सवाल का जवाब आपको मिलेगा दैनिक भास्कर के कुंभ मिनी एप पर। यहां अपडेट्स सेक्शन में मिलेगी कुंभ से जुड़ी हर खबर इवेंट्स सेक्शन में पता चलेगा कि कुंभ में कौन सा इवेंट कब और कहां होगा कुंभ मैप सेक्शन में मिलेगा हर महत्वपूर्ण लोकेशन तक सीधा नेविगेशन कुंभ गाइड के जरिये जानेंगे कुंभ से जुड़ी हर महत्वपूर्ण बात अभी कुंभ मिनी ऐप देखने के लिए यहां क्लिक कीजिए। महाकुंभ-2025 की सुरक्षा व्यवस्था में हॉर्स पावर यानी अश्व-शक्ति लगाई गई है। ये घोड़े आम नहीं, वेल ट्रेंड हैं। इशारों पर कदमताल करते हुए रास्ता बनाते हैं। जमीन के साथ-साथ पानी में भी दौड़ सकते हैं। मेले में क्राउड कंट्रोल के लिए यूपी की ट्रेंड माउंटेड पुलिस इन घोड़ों के साथ तैनात है। 130 घोड़ों के साथ जवान जब अलग-अलग ग्रुप में पेट्रोलिंग पर निकलते हैं, तो लोग इन्हें देखते रह जाते हैं। घुड़सवारों के दस्ते में भारतीय ब्रीड के अलावा अमेरिकन और इंग्लैंड ब्रीड के घोड़े भी शामिल हैं। इनकी कीमत 50 लाख से ढाई करोड़ तक है। सभी घोड़ों की गर्दन में एक स्पेशल डिवाइस लगी है। इन स्पेशल घोड़ों की खासियत क्या है? इन्हें क्या-क्या सुविधाएं मिल रही हैं? इनकी ट्रेनिंग कैसे होती है? यह सब कुछ जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम कुंभ क्षेत्र में बनाए गए माउंटेड पुलिस के कैंप पहुंची। ग्रुप का मुखिया दारा सबसे समझदार
कुंभ क्षेत्र में माउंटेड पुलिस कैंप के पास ही घोड़ों के लिए अस्तबल है। जब हम यहां पहुंचे, तब प्रतिसार निरीक्षक घोड़ों के एक ग्रुप को ग्राउंड पर ले जा रहे थे। अस्तबल के पास ही वह बीच में खड़े हो गए। घोड़ों पर पुलिस वाले जैसे ही सवार हुए, निरीक्षक ने अपनी स्टिक से इशारा किया। घोड़े एक सीधी लाइन में खड़े हो गए। निरीक्षक अपनी जगह खड़े होकर जैसे ही घूमे, सभी घोड़े एक के पीछे एक होकर चलने लगे। जैसे-जैसे, जितनी तेजी से स्टिक चलती, घोड़े भी उसी रफ्तार से राउंड लगाने लगे। इनकी दौड़ने की आवाज, उड़ती धूल देखते ही बन रही थी। इनका डिसिप्लिन वाकई में अलग था। करीब 15 मिनट बाद इस ग्रुप को पेट्रोलिंग के लिए भेज दिया गया। आरआई माउंटेड प्रेम बाबू ने बताया- जो सबसे आगे चल रहा था, वह दारा है। दारा सबसे समझदार है। वह अमेरिकन ब्रीड का घोड़ा है। प्रेम बाबू बताते हैं- दारा का जन्म आर्मी हिसार छावनी में 2020 में हुआ था। इसका पिता गोल्डन काइट है, जो अमेरिका से लाया गया था। गोल्डन काइट के चलते दारा के थाई में जीके टैग लगा है। मेले में 40 घोड़े अमेरिकन ब्रीड के हैं, जो बहुत माइंडेड हैं। गर्दन में इलेक्ट्रॉनिक चिप, जिसमें घोड़ों का पूरा डेटा
घोड़ों की खासियत बताते हुए प्रेम बाबू कहते हैं- सभी घोड़ों की गर्दन में खास तरह की डिवाइस लगाई गई है। ऑपरेशन कर इलेक्ट्रॉनिक चिप को लगाया गया है। इसमें घोड़ों का पूरा डेटा है। कैसा डेटा? जवाब में प्रेम बाबू ने कहा- घोड़े की 7 पीढ़ियों का डेटा। मतलब- इसके माता-पिता, दादा और उनके पिता तक का रिकॉर्ड चिप में है। ट्रेनिंग कब-कहां और कैसे हुई? कब-कब घोड़ा बीमार हुआ, क्या इलाज चला? हर चीज इस चिप में उपलब्ध है। इस डेटा को खास स्कैनर से पता लगाया जाता है। कौन घोड़ा कहां है, सब दिल्ली से ट्रैक होता है
प्रेम बाबू बताते हैं- गर्दन पर जो चिप लगी है, वह ट्रैकिंग डिवाइस भी है। जैसे वाहनों को डिवाइस से ट्रैक किया जाता है, वैसे ही घोड़े के ट्रैकिंग डिवाइस से यह जाना जा सकता है कि उसकी लोकेशन कहां है। घोड़े कहीं भी मूवमेंट करेंगे, डिवाइस से सब पता चल जाएगा। इस डिवाइस को स्कैन करने, ट्रैक करने का पावर EFI (इकेस्ट्रियन फेडरेशन ऑफ इंडिया) के पास है। EFI दिल्ली से इन घोड़ों को ट्रैक करती रहती है। माउंटेड पुलिस को भी इस डिवाइस कोड का पावर हैंडल नहीं दिया गया है। दारा को उत्तराखंड आर्मी डिपो से प्रयागराज भेजा गया है। इसी तरह अलग-अलग जिलों से अच्छे घोड़ों को यहां तैनात किया गया है। घुटनों पर बने कोड को भी जानिए…
विदेशी और इंडियन ब्रीड के इन घोड़ों के घुटनों पर एक कोड यानी मार्क बना है। इसमें N मतलब नाम, H मतलब हाउस यानी RO (रेजिडेंट ऑफ), S पैदा होने का साल लिखा है। इन घोड़ों की लेफ्ट थाई पर कोड होता है, जिसमें पिता का नाम कोड में होता है। बेशकीमती हैं सभी घोड़े
अमेरिकन ब्रीड के घोड़ों की कीमत 50 लाख से ढाई करोड़ तक होती है। माउंटेड पुलिस के सीनियर अफसर बताते हैं- प्राइवेट खरीद में अमेरिकन ब्रीड के बच्चे ही 50 लाख में आते हैं। इसके बाद कीमत ढाई करोड़ से ऊपर जाती है। ऐसा ही इंग्लैंड की थ्रो ब्रीड के घोड़ों की डिमांड है। इसकी कीमत भी 2 से 3 करोड़ के बीच होती है। हालांकि हमारे ट्रेंड घोड़ों की कोई कीमत नहीं, ये बेशकीमती हैं। पुलिस फोर्स के दल से इनके रिटायरमेंट की उम्र- 20 साल है। घोड़ों को विशेष तरीके से ट्रेंड किया गया है
घोड़ों को विशेष तरीके से मुरादाबाद और सीतापुर ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षित किया गया है। महाकुंभ को देखते हुए माउंटेड पुलिस को खास ट्रेनिंग कराई गई है, जिससे ये श्रद्धालुओं को किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचा सकें। भीड़ को नियंत्रित करते हुए उनके लिए आसान रास्ता बनाएं। रूट पहचान रहे घोड़े, फिर चाहे कितना क्राउड हो, खुद कमांड करेंगे
प्रेम बाबू ने बताया- अभी घोड़ों को महाकुंभ मेला क्षेत्र की भौगोलिक स्थितियों से परिचित कराया जा रहा है। ये रूट पहचान रहे हैं। घुड़सवार पुलिस सुबह और शाम मेला क्षेत्र में गश्त पर निकलती है। रूट पहचानने के बाद ये खुद को कमांड करेंगे। फिर चाहे कितना भी क्राउड क्यों न हो। ——————————————————– महाकुंभ का हर अपडेट, हर इवेंट की जानकारी और कुंभ का पूरा मैप सिर्फ एक क्लिक पर प्रयागराज के महाकुंभ में क्या चल रहा है? किस अखाड़े में क्या खास है? कौन सा घाट कहां बना है? इस बार कौन से कलाकार कुंभ में परफॉर्म करेंगे? किस संत के प्रवचन कब होंगे? महाकुंभ से जुड़े आपके हर सवाल का जवाब आपको मिलेगा दैनिक भास्कर के कुंभ मिनी एप पर। यहां अपडेट्स सेक्शन में मिलेगी कुंभ से जुड़ी हर खबर इवेंट्स सेक्शन में पता चलेगा कि कुंभ में कौन सा इवेंट कब और कहां होगा कुंभ मैप सेक्शन में मिलेगा हर महत्वपूर्ण लोकेशन तक सीधा नेविगेशन कुंभ गाइड के जरिये जानेंगे कुंभ से जुड़ी हर महत्वपूर्ण बात अभी कुंभ मिनी ऐप देखने के लिए यहां क्लिक कीजिए। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर