महाकुंभ में मंत्री के नाम पर ब्लैक में दुकान:दलाल बोले- पैसे दो, कहीं भी दुकान मिलेगी; एक ने कहा- मंत्री नंदी, उनकी मौसी मेरी करीबी

महाकुंभ में मंत्री के नाम पर ब्लैक में दुकान:दलाल बोले- पैसे दो, कहीं भी दुकान मिलेगी; एक ने कहा- मंत्री नंदी, उनकी मौसी मेरी करीबी

मैंने 14 दुकानें बुक की हैं। सब में 2 से 3 लाख लगे हैं। अब जैसा मुर्गा फंस जाता है, उसी हिसाब से बेच रहा हूं। किसी से 5 लाख, तो किसी से 8 से 10 लाख ले रहा हूंं। यह दावा है प्रयागराज महाकुंभ में दुकानों को ब्लैक में बेचने वाले मधुप्रिया फाउंडेशन (NGO) के डायरेक्टर डॉ. पीके श्रीवास्तव का। वह खुद को यूपी सरकार के मंत्री नंद गोपाल नंदी की मौसी से जुड़ा बताता है। दैनिक भास्कर को इनपुट मिले थे कि महाकुंभ में प्रभावशाली लोगों ने दुकानें अलॉट करा ली हैं। इन दुकानों को 3 लाख से लेकर 10 लाख रुपए में ब्लैक किया जा रहा है। भास्कर के रिपोर्टर कारोबारी बनकर महाकुंभ मेले में 7 दिन रहे, इन्वेस्टिगेशन किया। इस दौरान तीन दलाल हमें मिले, जो दुकान ब्लैक में देने का दावा कर रहे हैं। ये दलाल हमारे हिडन कैमरे में कैद हुए। दलालों ने हमें मेला क्षेत्र के दारागंज, परेड ग्रांउड, केंद्रीय अस्पताल के पास की दुकानें दिखाईं। डेढ़ लाख में लीं, बेच रहे 6 गुना ज्यादा रेट पर मेला प्राधिकरण ने इस बार 45 दिन के लिए दुकानें नीलाम की हैं। वेंडिंग जोन की दुकानों का साइज 9/15 फीट और 9/20 फीट है। इन दुकानों के लिए 20 से 22 दिसंबर के बीच 20 हजार रुपए देकर रजिस्ट्रेशन हुआ। दुकानों को 23-24 दिसंबर को खुली बोली में नीलाम किया गया था। सबसे बड़ी बोली 1.5 लाख रुपए तक लगी। दलाल यही दुकानें 3 से 10 लाख रुपए तक बेच रहे हैं। यानी दो से 6 गुना कमाई कर रहे हैं। कुछ बड़ी दुकानें भी हैं, जिनकी कीमत 60 लाख या उससे ज्यादा है। ये दुकानें पॉश एरिया में हैं। ये हनुमान मंदिर और परेड ग्रांउड के आसपास हैं। अफसरों के पास दुकानें अलॉट होने के बाद उसके सुपरविजन की भी जिम्मेदारी है। लेकिन, इन दलालों पर शिकंजा नहीं कसा। पहले जानिए कैसे काम कर रहा नेक्सस
महाकुंभ में दुकानें ब्लैक करने में पूरा नेक्सस दो तरीके से काम करता है। पहला- किसी NGO या दूसरी संस्थाओं के नाम पर पहले से दुकानें ले रखी हैं। फिर कारोबारियों से पांच से दस गुना ज्यादा रेट लेकर दुकानें बेच रहे हैं। ये लोग अपने आप को स्थानीय नेताओं से जुड़ा बताते हैं।
दूसरा- इस नेक्सस में कई लोग शामिल होते हैं। चूंकि मेला प्रशासन ने ये तय किया है कि एक आदमी के नाम सिर्फ एक ही दुकान होगी, इसलिए इसने ग्रुप के सभी सदस्यों के नाम से पहले से रजिस्ट्रेशन करवाकर दुकानें अलॉट करवा लीं। अब दुकानें लाखों रुपए ज्यादा लेकर बेच रहे। हमारी इन्वेस्टिगेशन परेड मेला ग्राउंड के सेक्टर दो से शुरू हुई। यहां हमारी मुलाकात किला चौराहे पर स्थित पुलिस बूथ के पास चाय की दुकान लगाने वाले लल्ला से हुई। हमने मुरब्बे की दुकान लगाने को लेकर बातचीत शुरू की। लल्ला ने हमें मधुप्रिया फाउंडेशन (NGO) के संचालक डॉ. पीके श्रीवास्तव से मिलवाया। पीके श्रीवास्तव ने दावा किया कि वह यूपी सरकार के मंत्री नंद गोपाल गुप्ता (नंदी) और उनकी मौसी का करीबी है। रिपोर्टर- दुकान मिल जाएगी क्या? उसके लिए रसीद कटाएंगे क्या?
पीके श्रीवास्तव- रसीद ऐसे नहीं कटेगी। फुटपाथ पर कोई दुकान नहीं रहेगी। सब हट जाएगा। जिसकी दुकान हो गई, वही फायदे में है। मेला में इस साइड कोई जगह नहीं है। चार-पांच जगह हम दिखा देते हैं। रिपोर्टर- कहां चलना पड़ेगा?
पीके श्रीवास्तव- रुक जाओ अभी, दिखवा देते हैं। वहां केवल आचार-मुरब्बा ही लगाएंगे या कुछ और। रिपोर्टर- पेठा भी लगाएंगे, एक ही दुकान मिल जाएगी तो हम लोग कर लेंगे।
पीके श्रीवास्तव- 15 बाई 15 की दे दें तो?
रिपोर्टर- बहुत है, 15 बाई 15 में हम दोनों लोग अडजेस्ट कर लेंगे। केवल जमीन मिलेगी या दुकान बनी बनाई मिलेगी।
पीके श्रीवास्तव- दुकान बना देंगे, लाइट, बाथरूम, नल सब रहेगा। रिपोर्टर- कोई परेशान तो नहीं करेगा?
पीके श्रीवास्तव- दुकान प्रशासन ही तो देगा, हम थोड़े ही देंगे, हम कहां से देंगे? हम मालिक हैं क्या? हटाने की जरूरत ही नहीं है। मार्च-अप्रैल तक जब तक दिल करे, आप पड़े रहिए वहीं। पीके श्रीवास्तव आगे कहता है कि नंदी की मौसी कल हमारे साथ ही बैठी थीं। हम क्या हैं? आपको नहीं पता न? मैं दिखा रहा हूं आपको। आपको हम नंबर दे रहे हैं, बात करिए नंदी से। कहां 2 लाख से रजिस्ट्रेशन हो रहा है। तीन-तीन, चार-चार लाख की बोली लग रही। पीके श्रीवास्तव दूसरे लड़कों से कहता है- इनको तुम्हारी वाली दुकान दे दें। ये पांच लाख दे रहे हैं। ये कह रहे हैं, आपको जानते नहीं हैं, कहीं पैसा लेकर भाग जाएं आप। इनको बता दो नंदी (मंत्री) कहां हैं, हमारे साथ हैं। आज ही इनकी दुकान अलॉट कराए हैं, वहां कराए हैं, जहां योगी आदित्यनाथ भी कुछ नहीं कर सकते हैं। पूछ लीजिए, हम सिखाए नहीं हैं। रिपोर्टर- भैया कुछ फाइनल बता दीजिए रेट का। रात में हम लोग अपना मंथन कर लेंगे, फिर आपको कल बताएंगे? पीके श्रीवास्तव- देखिए मैंने आपको बताया तो… 3 लाख मेरा खुद का खर्च हुआ है। उससे बढ़कर जो भी आप दे देंगे। कई महिलाएं मेरे अंडर में काम करती हैं, आप विश्वास करेंगे? हर आदमी की तनख्वाह डेढ़ लाख से ज्यादा ही है। अभी मैंने इस लड़के को अपनी कमाई बताई है, सुनकर आप पागल हो जाएंगे। दुनिया जेब काट रही है, मैं आपको कमाने का तरीका बताऊंगा। उचित देख लीजिएगा, अगर आपको कहीं से दिक्कत होगी तो बताइएगा। आपको दुकान का पेपर मिलेगा, फोटो लगी होगी। सामान लाने के लिए गाड़ी का पास मिलेगा। अगर भरोसा करके चलेंगे तो टूटेगा नहीं। नंदी के पीआरओ बोले– मंत्री से मालती केसरवानी का कोई रिश्ता नहीं
पीके श्रीवास्तव ने जिस मालती देवी को मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी की मौसी बताया था, हमने उनके बारे में जानकारी जुटाई। भाजपा के महानगर जिलाध्यक्ष राजेंद्र मिश्रा ने बताया कि मालती केसरवानी बीजेपी महिला मोर्चा की पदाधिकारी हैं। आगे उनके बारे में डिटेल मांगने पर उन्होंने फोन किसी अन्य व्यक्ति को दे दिया। उसने अपना नाम संदीप श्रीवास्तव और खुद को कीडगंज मंडल का मंत्री बताया। उसने बताया कि मालती केसरवानी मंत्री नंदी की दूर की रिश्तेदार हैं। जिन्हें वह मौसी कहते हैं। हमने इसकी तस्दीक करने के लिए मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी को फोन किया। फोन उनके पीआरओ ने उठाया और खुद का नाम दिव्यांशु बताया। दिव्यांशु ने बताया कि मालती केसरवानी भाजपा में हैं, वह जानते हैं। लेकिन मंत्रीजी से उनका कोई रिश्ता नहीं है। जिसने भी बताया, उसने मंत्रीजी को फर्जी बदनाम करने की साजिश की है। उन्होंने बताया कि मंत्रीजी एक प्रोग्राम में हैं, थोड़ी देर बाद बात करा देंगे। हालांकि उन्होंने दोबारा हमारी बात मंत्री से नहीं कराई। इस बारे में हमने मालती केसरवानी से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने भी फोन नहीं उठाया। 35 दुकानें तैयार हो रही थीं, बेचने वाले का नंबर यहां से मिला हमने पीके श्रीवास्तव से तीन लाख में दुकान खरीदने की बात फाइनल की। अब हम ऐसे और चेहरों की तलाश के लिए निकले, जो दुकानें बेच रहे हैं। हम परेड मेला ग्राउंड के सेक्टर- 2 पहुंचे। यहां करीब 35 दुकानें तैयार हो रही थीं। हमें यहां एक शख्स मिला, जो दुकानें बनवा रहा था। हमने पूछा कि मुरब्बे और पेठे लगाने के लिए दुकान कहां मिलेगी? उसने फैजान नाम के व्यक्ति का मोबाइल नंबर दिया। कहा- इनसे बात कर लीजिए, सब हो जाएगा। पढ़िए दलाल फैजान से फोन पर हुई बातचीत… रिपोर्टर – फैजान भाई बात कर रहे हैं? मुझे एक दुकान चाहिए थी। आगरे के पेठे और मुरब्बे की दुकान लगानी है।
फैजान- आप ही दुकान लगाएंगे या फिर किसी और के लिए देख रहे हैं?
रिपोर्टर- हमें ही लगानी है।
फैजान- कितना बजट है आपका? मेरे पास पांच लाख से लेकर 60 लाख तक की दुकानें हैं।
रिपोर्टर- मुझे इतनी महंगी नहीं चाहिए। 5-6 लाख तक देखिए। कुछ कम हो जाए… अपनी तरफ से देख लीजिए। फैजान- अभी आप कहां हैं?
रिपोर्टर- परेड ग्राउंड, सेक्टर- 2 फैजान- अभी आपको महाराज प्रसाद वाली दुकान के पहले दे देंगे, कॉर्नर में। मेरी वहां पर दो दुकानें हैं। आपको 10 लाख में दे देंगे।
रिपोर्टर- एक दुकान का 5 लाख। टीनशेड वगैरह लगाकर देंगे या ऐसे ही देंगे?
फैजान- नहीं प्रशासन की तरफ से ऐसे ही मिलती हैं, ऐसे ही देंगे आपको। आप जाकर देख आइए पहले। रिपोर्टर- ठीक है भाई। हम दुकान देखकर सुबह आपको कॉल करके मिलते हैं।
फैजान- ओके, सुबह देखकर कॉल करिएगा। हम परेड ग्राउंड के सेक्टर-2 स्थित महाराज कचौड़ी एवं प्रसाद भोग के पास पहुंचे। हमारी मुलाकात करीब 25 साल के युवक अमित से हुई। वह यहां दुकान लेने आने वालों से बातचीत कर रहा था। हमने भी अमित से इसी जगह या किसी अन्य जगह पर दुकान खरीदने की बात कही। अमित ने सबसे पहले अपने भाई से फोन पर बात की। फिर अमित ने हमें दो जगह दुकानों के बारे में बताया। पहली परेड ग्राउंड के सेक्टर- 2 में, जहां से 150 मीटर दूर महाकुंभ मेला प्राधिकरण का दफ्तर है। दूसरा सेक्टर-19, यहां पर सीएम योगी का आवास बनाया गया है। अब हमें दलाल अमित बाइक से दारागंज की तरफ ले गया। यहां से संगम के लिए रास्ता जाता है। हालांकि परेड ग्राउंड सेक्टर-2 में अधिकतर कंपनियों के या सरकारी आउटलेट बने हैं। दलाल ने यहां एक दुकान की कीमत दो लाख 60 हजार रुपए और दारागंज में एक दुकान की कीमत 1 लाख 80 हजार तक बताई। इसके बाद दलाल हमें दारागंज स्थित दुकानें दिखाने ले गया। इस दौरान हम दलाल से हिडन कैमरे पर बात करते रहे। पढ़िए दलाल अमित से बातचीत के अंश रिपोर्टर- एक दुकान चाहिए थी? अमित- मिल जाएगी, मेरे पास काफी दुकानें हैं। मैं यहीं इलाहाबाद का रहने वाला हूं। आल ओवर इंडिया एग्जीबिशन लगवाता हूं। मैं आपको एक सजेशन दूं? आप यहां के बजाय दारागंज में लीजिए दुकानें, वहां मैं दिलवा दूंगा। यहां की लोकेशन चलेगी नहीं। यहां इस टाइप के लोग नहीं आएंगे। बड़े-बड़े लोग आएंगे, वो हल्दीराम का पेठा लेंगे। इसलिए वहां बड़ी-बड़ी 7 से 12 लाख में दुकानें बिकी हैं। 45 दिन का मेला है। 26 फरवरी तक कंटीन्यू चलेगा, जो भी होगा सब कुछ बिकेगा। हम आपको 9/10 नंबर की दुकान 45 दिन के लिए दे देंगे। रिपोर्टर- जैसे मैंने दुकान लगा ली, किसी ने आकर हटवा दिया तब क्या करेंगे?
अमित- आधार कार्ड, लेटर सब कुछ हमारा मिलेगा। मेरा प्रॉपर टेंडर हुआ है। अगर मैंने गड़बड़ी की तो आप मुझ पर केस करेंगे। इसके बाद मेरा टेंडर निरस्त हो जाएगा। यहां 2.60 लाख में एक दुकान मिलेगी, कुछ बढ़ भी सकती है। दारागंज में 1.60 से 1.80 लाख में हो जाएगी। जो मेरा एक्सपीरिएंस है… दारागंज में आपकी सेल ज्यादा होगी।
नंबर आप ले लीजिए मेरा… 9519401424, आप लोग एक बार हमसे जुड़ेंगे तो हम आपको आल ओवर इंडिया दुकानें दिला देंगे। हमारी वेबसाइट चलती है भैया चंद्रशेखर यादव के नाम से। हम मंत्री कोटे से भी कराते हैं। मल्टीपल बिजनेस हैं। ये तो हमारा घर है, यहां नहीं ले पाए तो क्या कर पाएंगे? रिपोर्टर- कल मेरे पार्टनर लौट आएंगे तो मैं आपको फाइनल बता दूंगा। लेकिन, पैसे की बात फाइनल कर लीजिए।
अमित- देखिए अगर हम दुकान बनवा कर देंगे तो 1.70 में पड़ेगी। अगर आप बनवाओगे तो 1.60 लाख में दे दूंगा। बगल वाली 2 लाख की बेची है। कर्नाटक के हैं, जिन्होंने लिया है। आप मुझे कुछ एडवांस कर दें, तब फाइनल हो जाएगी। डर ये लगता है कि मैंने आपको बोल दिया दुकानें देने के लिए, मैंने कई और लोगों को बोल रखा है। कोई और आ जाएगा, तो देना पड़ेगा। रिपोर्टर- रात 11 बजे तक मेरे पार्टनर आ जाएंगे। तब मैं आपको यूपीआई से कुछ एडवांस डाल दूंगा।
अमित- फोन पर बात करते हुए, मेरे बड़े भाई पूछ रहे हैं कि उनको लेना हो तो ठीक है नहीं तो दूसरे कस्टमर भेजें। आपको लेना हो तो वहां परेड ग्राउंड वाली दुकान दूंगा। वो 3 लाख की पड़ेगी। वो सेक्टर-2 परेड ग्राउंड है, ये सेक्टर- 19 है। तहसीलदार बोले– गलत है मेला क्षेत्र में ये दुकानें कैसे बिक रही हैं, यह जानने के लिए हमने मेला प्रशासन के तहसीलदार रमेश कुमार पांडेय से बात की। उन्होंने बताया- जो भी दुकानें यहां पर बिकी हैं, उनकी SDM की अध्यक्षता में खुली बोली करवाई गई। वेंडिंग जोन की सभी दुकानें 9 बाई 16 और 9 बाई 8 की हैं। अगर कोई व्यक्ति अपने नाम से दूसरे को दुकान बेच रहा है तो वो गलत है। रेवेन्यू इंस्पेक्टर बोले- बेचना लीगली गलत हमने इस बारे में सेक्टर-2 के रेवेन्यू इंस्पेक्टर रमेश चंद्र ओझा से फोन पर बात की। उन्होंने कहा- अगर दुकानें आपके नाम पर अलॉट हैं तो आप उसे बेच नहीं सकते। दुकानें दुकानदारों को ही अलॉट की गई हैं। इस बारे में हमने सेक्टर मजिस्ट्रेट शिवेंद्र वर्मा से भी जानने की कोशिश की। परिचय जानते ही उन्होंने फोन काट दिया। फिर कई बार ट्राई करने के बाद भी फोन नहीं उठाया। मैंने 14 दुकानें बुक की हैं। सब में 2 से 3 लाख लगे हैं। अब जैसा मुर्गा फंस जाता है, उसी हिसाब से बेच रहा हूं। किसी से 5 लाख, तो किसी से 8 से 10 लाख ले रहा हूंं। यह दावा है प्रयागराज महाकुंभ में दुकानों को ब्लैक में बेचने वाले मधुप्रिया फाउंडेशन (NGO) के डायरेक्टर डॉ. पीके श्रीवास्तव का। वह खुद को यूपी सरकार के मंत्री नंद गोपाल नंदी की मौसी से जुड़ा बताता है। दैनिक भास्कर को इनपुट मिले थे कि महाकुंभ में प्रभावशाली लोगों ने दुकानें अलॉट करा ली हैं। इन दुकानों को 3 लाख से लेकर 10 लाख रुपए में ब्लैक किया जा रहा है। भास्कर के रिपोर्टर कारोबारी बनकर महाकुंभ मेले में 7 दिन रहे, इन्वेस्टिगेशन किया। इस दौरान तीन दलाल हमें मिले, जो दुकान ब्लैक में देने का दावा कर रहे हैं। ये दलाल हमारे हिडन कैमरे में कैद हुए। दलालों ने हमें मेला क्षेत्र के दारागंज, परेड ग्रांउड, केंद्रीय अस्पताल के पास की दुकानें दिखाईं। डेढ़ लाख में लीं, बेच रहे 6 गुना ज्यादा रेट पर मेला प्राधिकरण ने इस बार 45 दिन के लिए दुकानें नीलाम की हैं। वेंडिंग जोन की दुकानों का साइज 9/15 फीट और 9/20 फीट है। इन दुकानों के लिए 20 से 22 दिसंबर के बीच 20 हजार रुपए देकर रजिस्ट्रेशन हुआ। दुकानों को 23-24 दिसंबर को खुली बोली में नीलाम किया गया था। सबसे बड़ी बोली 1.5 लाख रुपए तक लगी। दलाल यही दुकानें 3 से 10 लाख रुपए तक बेच रहे हैं। यानी दो से 6 गुना कमाई कर रहे हैं। कुछ बड़ी दुकानें भी हैं, जिनकी कीमत 60 लाख या उससे ज्यादा है। ये दुकानें पॉश एरिया में हैं। ये हनुमान मंदिर और परेड ग्रांउड के आसपास हैं। अफसरों के पास दुकानें अलॉट होने के बाद उसके सुपरविजन की भी जिम्मेदारी है। लेकिन, इन दलालों पर शिकंजा नहीं कसा। पहले जानिए कैसे काम कर रहा नेक्सस
महाकुंभ में दुकानें ब्लैक करने में पूरा नेक्सस दो तरीके से काम करता है। पहला- किसी NGO या दूसरी संस्थाओं के नाम पर पहले से दुकानें ले रखी हैं। फिर कारोबारियों से पांच से दस गुना ज्यादा रेट लेकर दुकानें बेच रहे हैं। ये लोग अपने आप को स्थानीय नेताओं से जुड़ा बताते हैं।
दूसरा- इस नेक्सस में कई लोग शामिल होते हैं। चूंकि मेला प्रशासन ने ये तय किया है कि एक आदमी के नाम सिर्फ एक ही दुकान होगी, इसलिए इसने ग्रुप के सभी सदस्यों के नाम से पहले से रजिस्ट्रेशन करवाकर दुकानें अलॉट करवा लीं। अब दुकानें लाखों रुपए ज्यादा लेकर बेच रहे। हमारी इन्वेस्टिगेशन परेड मेला ग्राउंड के सेक्टर दो से शुरू हुई। यहां हमारी मुलाकात किला चौराहे पर स्थित पुलिस बूथ के पास चाय की दुकान लगाने वाले लल्ला से हुई। हमने मुरब्बे की दुकान लगाने को लेकर बातचीत शुरू की। लल्ला ने हमें मधुप्रिया फाउंडेशन (NGO) के संचालक डॉ. पीके श्रीवास्तव से मिलवाया। पीके श्रीवास्तव ने दावा किया कि वह यूपी सरकार के मंत्री नंद गोपाल गुप्ता (नंदी) और उनकी मौसी का करीबी है। रिपोर्टर- दुकान मिल जाएगी क्या? उसके लिए रसीद कटाएंगे क्या?
पीके श्रीवास्तव- रसीद ऐसे नहीं कटेगी। फुटपाथ पर कोई दुकान नहीं रहेगी। सब हट जाएगा। जिसकी दुकान हो गई, वही फायदे में है। मेला में इस साइड कोई जगह नहीं है। चार-पांच जगह हम दिखा देते हैं। रिपोर्टर- कहां चलना पड़ेगा?
पीके श्रीवास्तव- रुक जाओ अभी, दिखवा देते हैं। वहां केवल आचार-मुरब्बा ही लगाएंगे या कुछ और। रिपोर्टर- पेठा भी लगाएंगे, एक ही दुकान मिल जाएगी तो हम लोग कर लेंगे।
पीके श्रीवास्तव- 15 बाई 15 की दे दें तो?
रिपोर्टर- बहुत है, 15 बाई 15 में हम दोनों लोग अडजेस्ट कर लेंगे। केवल जमीन मिलेगी या दुकान बनी बनाई मिलेगी।
पीके श्रीवास्तव- दुकान बना देंगे, लाइट, बाथरूम, नल सब रहेगा। रिपोर्टर- कोई परेशान तो नहीं करेगा?
पीके श्रीवास्तव- दुकान प्रशासन ही तो देगा, हम थोड़े ही देंगे, हम कहां से देंगे? हम मालिक हैं क्या? हटाने की जरूरत ही नहीं है। मार्च-अप्रैल तक जब तक दिल करे, आप पड़े रहिए वहीं। पीके श्रीवास्तव आगे कहता है कि नंदी की मौसी कल हमारे साथ ही बैठी थीं। हम क्या हैं? आपको नहीं पता न? मैं दिखा रहा हूं आपको। आपको हम नंबर दे रहे हैं, बात करिए नंदी से। कहां 2 लाख से रजिस्ट्रेशन हो रहा है। तीन-तीन, चार-चार लाख की बोली लग रही। पीके श्रीवास्तव दूसरे लड़कों से कहता है- इनको तुम्हारी वाली दुकान दे दें। ये पांच लाख दे रहे हैं। ये कह रहे हैं, आपको जानते नहीं हैं, कहीं पैसा लेकर भाग जाएं आप। इनको बता दो नंदी (मंत्री) कहां हैं, हमारे साथ हैं। आज ही इनकी दुकान अलॉट कराए हैं, वहां कराए हैं, जहां योगी आदित्यनाथ भी कुछ नहीं कर सकते हैं। पूछ लीजिए, हम सिखाए नहीं हैं। रिपोर्टर- भैया कुछ फाइनल बता दीजिए रेट का। रात में हम लोग अपना मंथन कर लेंगे, फिर आपको कल बताएंगे? पीके श्रीवास्तव- देखिए मैंने आपको बताया तो… 3 लाख मेरा खुद का खर्च हुआ है। उससे बढ़कर जो भी आप दे देंगे। कई महिलाएं मेरे अंडर में काम करती हैं, आप विश्वास करेंगे? हर आदमी की तनख्वाह डेढ़ लाख से ज्यादा ही है। अभी मैंने इस लड़के को अपनी कमाई बताई है, सुनकर आप पागल हो जाएंगे। दुनिया जेब काट रही है, मैं आपको कमाने का तरीका बताऊंगा। उचित देख लीजिएगा, अगर आपको कहीं से दिक्कत होगी तो बताइएगा। आपको दुकान का पेपर मिलेगा, फोटो लगी होगी। सामान लाने के लिए गाड़ी का पास मिलेगा। अगर भरोसा करके चलेंगे तो टूटेगा नहीं। नंदी के पीआरओ बोले– मंत्री से मालती केसरवानी का कोई रिश्ता नहीं
पीके श्रीवास्तव ने जिस मालती देवी को मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी की मौसी बताया था, हमने उनके बारे में जानकारी जुटाई। भाजपा के महानगर जिलाध्यक्ष राजेंद्र मिश्रा ने बताया कि मालती केसरवानी बीजेपी महिला मोर्चा की पदाधिकारी हैं। आगे उनके बारे में डिटेल मांगने पर उन्होंने फोन किसी अन्य व्यक्ति को दे दिया। उसने अपना नाम संदीप श्रीवास्तव और खुद को कीडगंज मंडल का मंत्री बताया। उसने बताया कि मालती केसरवानी मंत्री नंदी की दूर की रिश्तेदार हैं। जिन्हें वह मौसी कहते हैं। हमने इसकी तस्दीक करने के लिए मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी को फोन किया। फोन उनके पीआरओ ने उठाया और खुद का नाम दिव्यांशु बताया। दिव्यांशु ने बताया कि मालती केसरवानी भाजपा में हैं, वह जानते हैं। लेकिन मंत्रीजी से उनका कोई रिश्ता नहीं है। जिसने भी बताया, उसने मंत्रीजी को फर्जी बदनाम करने की साजिश की है। उन्होंने बताया कि मंत्रीजी एक प्रोग्राम में हैं, थोड़ी देर बाद बात करा देंगे। हालांकि उन्होंने दोबारा हमारी बात मंत्री से नहीं कराई। इस बारे में हमने मालती केसरवानी से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने भी फोन नहीं उठाया। 35 दुकानें तैयार हो रही थीं, बेचने वाले का नंबर यहां से मिला हमने पीके श्रीवास्तव से तीन लाख में दुकान खरीदने की बात फाइनल की। अब हम ऐसे और चेहरों की तलाश के लिए निकले, जो दुकानें बेच रहे हैं। हम परेड मेला ग्राउंड के सेक्टर- 2 पहुंचे। यहां करीब 35 दुकानें तैयार हो रही थीं। हमें यहां एक शख्स मिला, जो दुकानें बनवा रहा था। हमने पूछा कि मुरब्बे और पेठे लगाने के लिए दुकान कहां मिलेगी? उसने फैजान नाम के व्यक्ति का मोबाइल नंबर दिया। कहा- इनसे बात कर लीजिए, सब हो जाएगा। पढ़िए दलाल फैजान से फोन पर हुई बातचीत… रिपोर्टर – फैजान भाई बात कर रहे हैं? मुझे एक दुकान चाहिए थी। आगरे के पेठे और मुरब्बे की दुकान लगानी है।
फैजान- आप ही दुकान लगाएंगे या फिर किसी और के लिए देख रहे हैं?
रिपोर्टर- हमें ही लगानी है।
फैजान- कितना बजट है आपका? मेरे पास पांच लाख से लेकर 60 लाख तक की दुकानें हैं।
रिपोर्टर- मुझे इतनी महंगी नहीं चाहिए। 5-6 लाख तक देखिए। कुछ कम हो जाए… अपनी तरफ से देख लीजिए। फैजान- अभी आप कहां हैं?
रिपोर्टर- परेड ग्राउंड, सेक्टर- 2 फैजान- अभी आपको महाराज प्रसाद वाली दुकान के पहले दे देंगे, कॉर्नर में। मेरी वहां पर दो दुकानें हैं। आपको 10 लाख में दे देंगे।
रिपोर्टर- एक दुकान का 5 लाख। टीनशेड वगैरह लगाकर देंगे या ऐसे ही देंगे?
फैजान- नहीं प्रशासन की तरफ से ऐसे ही मिलती हैं, ऐसे ही देंगे आपको। आप जाकर देख आइए पहले। रिपोर्टर- ठीक है भाई। हम दुकान देखकर सुबह आपको कॉल करके मिलते हैं।
फैजान- ओके, सुबह देखकर कॉल करिएगा। हम परेड ग्राउंड के सेक्टर-2 स्थित महाराज कचौड़ी एवं प्रसाद भोग के पास पहुंचे। हमारी मुलाकात करीब 25 साल के युवक अमित से हुई। वह यहां दुकान लेने आने वालों से बातचीत कर रहा था। हमने भी अमित से इसी जगह या किसी अन्य जगह पर दुकान खरीदने की बात कही। अमित ने सबसे पहले अपने भाई से फोन पर बात की। फिर अमित ने हमें दो जगह दुकानों के बारे में बताया। पहली परेड ग्राउंड के सेक्टर- 2 में, जहां से 150 मीटर दूर महाकुंभ मेला प्राधिकरण का दफ्तर है। दूसरा सेक्टर-19, यहां पर सीएम योगी का आवास बनाया गया है। अब हमें दलाल अमित बाइक से दारागंज की तरफ ले गया। यहां से संगम के लिए रास्ता जाता है। हालांकि परेड ग्राउंड सेक्टर-2 में अधिकतर कंपनियों के या सरकारी आउटलेट बने हैं। दलाल ने यहां एक दुकान की कीमत दो लाख 60 हजार रुपए और दारागंज में एक दुकान की कीमत 1 लाख 80 हजार तक बताई। इसके बाद दलाल हमें दारागंज स्थित दुकानें दिखाने ले गया। इस दौरान हम दलाल से हिडन कैमरे पर बात करते रहे। पढ़िए दलाल अमित से बातचीत के अंश रिपोर्टर- एक दुकान चाहिए थी? अमित- मिल जाएगी, मेरे पास काफी दुकानें हैं। मैं यहीं इलाहाबाद का रहने वाला हूं। आल ओवर इंडिया एग्जीबिशन लगवाता हूं। मैं आपको एक सजेशन दूं? आप यहां के बजाय दारागंज में लीजिए दुकानें, वहां मैं दिलवा दूंगा। यहां की लोकेशन चलेगी नहीं। यहां इस टाइप के लोग नहीं आएंगे। बड़े-बड़े लोग आएंगे, वो हल्दीराम का पेठा लेंगे। इसलिए वहां बड़ी-बड़ी 7 से 12 लाख में दुकानें बिकी हैं। 45 दिन का मेला है। 26 फरवरी तक कंटीन्यू चलेगा, जो भी होगा सब कुछ बिकेगा। हम आपको 9/10 नंबर की दुकान 45 दिन के लिए दे देंगे। रिपोर्टर- जैसे मैंने दुकान लगा ली, किसी ने आकर हटवा दिया तब क्या करेंगे?
अमित- आधार कार्ड, लेटर सब कुछ हमारा मिलेगा। मेरा प्रॉपर टेंडर हुआ है। अगर मैंने गड़बड़ी की तो आप मुझ पर केस करेंगे। इसके बाद मेरा टेंडर निरस्त हो जाएगा। यहां 2.60 लाख में एक दुकान मिलेगी, कुछ बढ़ भी सकती है। दारागंज में 1.60 से 1.80 लाख में हो जाएगी। जो मेरा एक्सपीरिएंस है… दारागंज में आपकी सेल ज्यादा होगी।
नंबर आप ले लीजिए मेरा… 9519401424, आप लोग एक बार हमसे जुड़ेंगे तो हम आपको आल ओवर इंडिया दुकानें दिला देंगे। हमारी वेबसाइट चलती है भैया चंद्रशेखर यादव के नाम से। हम मंत्री कोटे से भी कराते हैं। मल्टीपल बिजनेस हैं। ये तो हमारा घर है, यहां नहीं ले पाए तो क्या कर पाएंगे? रिपोर्टर- कल मेरे पार्टनर लौट आएंगे तो मैं आपको फाइनल बता दूंगा। लेकिन, पैसे की बात फाइनल कर लीजिए।
अमित- देखिए अगर हम दुकान बनवा कर देंगे तो 1.70 में पड़ेगी। अगर आप बनवाओगे तो 1.60 लाख में दे दूंगा। बगल वाली 2 लाख की बेची है। कर्नाटक के हैं, जिन्होंने लिया है। आप मुझे कुछ एडवांस कर दें, तब फाइनल हो जाएगी। डर ये लगता है कि मैंने आपको बोल दिया दुकानें देने के लिए, मैंने कई और लोगों को बोल रखा है। कोई और आ जाएगा, तो देना पड़ेगा। रिपोर्टर- रात 11 बजे तक मेरे पार्टनर आ जाएंगे। तब मैं आपको यूपीआई से कुछ एडवांस डाल दूंगा।
अमित- फोन पर बात करते हुए, मेरे बड़े भाई पूछ रहे हैं कि उनको लेना हो तो ठीक है नहीं तो दूसरे कस्टमर भेजें। आपको लेना हो तो वहां परेड ग्राउंड वाली दुकान दूंगा। वो 3 लाख की पड़ेगी। वो सेक्टर-2 परेड ग्राउंड है, ये सेक्टर- 19 है। तहसीलदार बोले– गलत है मेला क्षेत्र में ये दुकानें कैसे बिक रही हैं, यह जानने के लिए हमने मेला प्रशासन के तहसीलदार रमेश कुमार पांडेय से बात की। उन्होंने बताया- जो भी दुकानें यहां पर बिकी हैं, उनकी SDM की अध्यक्षता में खुली बोली करवाई गई। वेंडिंग जोन की सभी दुकानें 9 बाई 16 और 9 बाई 8 की हैं। अगर कोई व्यक्ति अपने नाम से दूसरे को दुकान बेच रहा है तो वो गलत है। रेवेन्यू इंस्पेक्टर बोले- बेचना लीगली गलत हमने इस बारे में सेक्टर-2 के रेवेन्यू इंस्पेक्टर रमेश चंद्र ओझा से फोन पर बात की। उन्होंने कहा- अगर दुकानें आपके नाम पर अलॉट हैं तो आप उसे बेच नहीं सकते। दुकानें दुकानदारों को ही अलॉट की गई हैं। इस बारे में हमने सेक्टर मजिस्ट्रेट शिवेंद्र वर्मा से भी जानने की कोशिश की। परिचय जानते ही उन्होंने फोन काट दिया। फिर कई बार ट्राई करने के बाद भी फोन नहीं उठाया।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर