बालूशाही… यह नाम सुनते ही मुंह में मिठास आ जाती है। फिर वो कानपुर की हो, तो क्या ही कहने। ऐसी ही बालूशाही का स्वाद चखने के लिए हम मूलगंज स्थित गोपाल मिष्ठान भंडार हाथरस वाले के यहां पहुंचे। यहां की बालूशाही पूरे कानपुर में ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों में भी फेमस है। वैसे मिठाई में अगर कभी बालूशाही का नाम आए तो लोगों के दिमाग में सबसे पहली तस्वीर बिहार की आती है। यूपी में हाथरस जिले की बालूशाही का बहुत नाम है। कानपुर में गोपाल मिष्ठान भंडार पर हाथरस जैसा ही स्वाद मिलता है। हाथरस से लौटने के बाद शुरू किया कारोबार
राजीव अग्रवाल कहते हैं – ये दुकान मेरे दादा जी राधा रमन अग्रवाल ने साल 1945 में खोली थी। उनके साथ मेरे पिता गोपाल दास अग्रवाल भी बैठते थे। उनके ही नाम से ये दुकान खोली गई थी। मेरे दादा जी हाथरस के रहने वाले थे। ये आइडिया भी उनको वहीं से मिला। कानपुर आने के बाद उन्होंने बालूशाही हाथरस की तर्ज पर ही बनाई। यहां पर वैसे तो बालूशाही खूब बिकती थी। लेकिन जब लोगों को इसका स्वाद लगा तो ये डिश हाथरस वाली बालूशाही के नाम से फेमस हो गई। चासनी से भरी होती है ये बालूशाही
राजीव अग्रवाल ने बताया कि इस बालूशाही की खास बात ये है कि ये अन्य बालूशाही की तरह नहीं बनती। इसके अंदर तक चाशनी भरी रहती है। इसे तोड़ने पर चाशनी गिरती है। इसको हम लोग देसी घी में तैयार करते हैं। यही कारण है कि इस खास बालूशाही को खाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। बालूशाही के साथ लच्छा की भी डिमांड
हाथरस मिष्ठान भंडार में सभी मिठाइयां देसी घी से बनाई जाती है। यहां पर बालूशाही के अलावा बेसन से बना लच्छा भी लोगों को खूब पसंद आता है। लच्छा उठाते ही इससे देसी घी चूता रहता है। इसे मुंह में रखते ही यह घुलने लगता है। कस्टमर रिव्यू… इस दुकान में बचपन से आ रहे हैं, जो स्वाद पहले मिलता था वही आज भी कायम है। मैं यहां का बेसन व घी से बना लच्छा बहुत पसंद करता हूं। इसके अलावा इतनी कुरकुरी और चासनी से भरी बालूशाही कहीं और नहीं मिलती। – मोहम्मद शारिक, कस्टमर इस दुकान का हर एक आइटम बहुत अच्छा होता है। विदेशों तक घूम आए लेकिन यहां जैसी मिठाई कहीं नहीं मिली। बालूशाही तो कहीं और मिल ही नहीं सकती। यहां पर देशी घी से निर्मित मिठाई लोगों को बहुत पसंद आती है। – तुषार सर्राफ, कस्टमर …………………………. जायका सीरीज की यह स्टोरी भी पढ़िए रामलला को पसंद है खुरचन पेड़ा: 110 साल पुराना स्वाद आज भी बरकरार, देश-विदेश के श्रद्धालुओं में बढ़ी डिमांड अयोध्या…जहां बसते हैं प्रभु श्रीराम। रामलला की इस धरा पर हर रोज अनगिनत श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। जिस राम जन्मभूमि पर वो माथा टेकते हैं, उससे सिर्फ 800 मीटर की दूरी पर बनती है एक खास मिठाई, जिसका नाम है- खुरचन पेड़ा। रामलला को हर दिन पेड़े का भोग लगाया जाता है। जानें कैसे बनता है खुरचन पेड़ा…. बालूशाही… यह नाम सुनते ही मुंह में मिठास आ जाती है। फिर वो कानपुर की हो, तो क्या ही कहने। ऐसी ही बालूशाही का स्वाद चखने के लिए हम मूलगंज स्थित गोपाल मिष्ठान भंडार हाथरस वाले के यहां पहुंचे। यहां की बालूशाही पूरे कानपुर में ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों में भी फेमस है। वैसे मिठाई में अगर कभी बालूशाही का नाम आए तो लोगों के दिमाग में सबसे पहली तस्वीर बिहार की आती है। यूपी में हाथरस जिले की बालूशाही का बहुत नाम है। कानपुर में गोपाल मिष्ठान भंडार पर हाथरस जैसा ही स्वाद मिलता है। हाथरस से लौटने के बाद शुरू किया कारोबार
राजीव अग्रवाल कहते हैं – ये दुकान मेरे दादा जी राधा रमन अग्रवाल ने साल 1945 में खोली थी। उनके साथ मेरे पिता गोपाल दास अग्रवाल भी बैठते थे। उनके ही नाम से ये दुकान खोली गई थी। मेरे दादा जी हाथरस के रहने वाले थे। ये आइडिया भी उनको वहीं से मिला। कानपुर आने के बाद उन्होंने बालूशाही हाथरस की तर्ज पर ही बनाई। यहां पर वैसे तो बालूशाही खूब बिकती थी। लेकिन जब लोगों को इसका स्वाद लगा तो ये डिश हाथरस वाली बालूशाही के नाम से फेमस हो गई। चासनी से भरी होती है ये बालूशाही
राजीव अग्रवाल ने बताया कि इस बालूशाही की खास बात ये है कि ये अन्य बालूशाही की तरह नहीं बनती। इसके अंदर तक चाशनी भरी रहती है। इसे तोड़ने पर चाशनी गिरती है। इसको हम लोग देसी घी में तैयार करते हैं। यही कारण है कि इस खास बालूशाही को खाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। बालूशाही के साथ लच्छा की भी डिमांड
हाथरस मिष्ठान भंडार में सभी मिठाइयां देसी घी से बनाई जाती है। यहां पर बालूशाही के अलावा बेसन से बना लच्छा भी लोगों को खूब पसंद आता है। लच्छा उठाते ही इससे देसी घी चूता रहता है। इसे मुंह में रखते ही यह घुलने लगता है। कस्टमर रिव्यू… इस दुकान में बचपन से आ रहे हैं, जो स्वाद पहले मिलता था वही आज भी कायम है। मैं यहां का बेसन व घी से बना लच्छा बहुत पसंद करता हूं। इसके अलावा इतनी कुरकुरी और चासनी से भरी बालूशाही कहीं और नहीं मिलती। – मोहम्मद शारिक, कस्टमर इस दुकान का हर एक आइटम बहुत अच्छा होता है। विदेशों तक घूम आए लेकिन यहां जैसी मिठाई कहीं नहीं मिली। बालूशाही तो कहीं और मिल ही नहीं सकती। यहां पर देशी घी से निर्मित मिठाई लोगों को बहुत पसंद आती है। – तुषार सर्राफ, कस्टमर …………………………. जायका सीरीज की यह स्टोरी भी पढ़िए रामलला को पसंद है खुरचन पेड़ा: 110 साल पुराना स्वाद आज भी बरकरार, देश-विदेश के श्रद्धालुओं में बढ़ी डिमांड अयोध्या…जहां बसते हैं प्रभु श्रीराम। रामलला की इस धरा पर हर रोज अनगिनत श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। जिस राम जन्मभूमि पर वो माथा टेकते हैं, उससे सिर्फ 800 मीटर की दूरी पर बनती है एक खास मिठाई, जिसका नाम है- खुरचन पेड़ा। रामलला को हर दिन पेड़े का भोग लगाया जाता है। जानें कैसे बनता है खुरचन पेड़ा…. उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर