महाकुंभ-2025 से पहले निर्मल गंगा चुनौती बन गई है। दरअसल, कानपुर में बह रही गंगा पहले भी बेहद प्रदूषित हैं। अब कुंभ से पहले गंगा को क्लीन करना चुनौती बन गया है। शहर के सीवेज को एसटीपी तक सीवेज पहुंचाने वाले 112 में से 39 पंप खराब पड़े हैं। सीसामऊ नाला भी गंगा में गिर रहा
इसी तरह मेट्रो की ओर से बड़े चौराहे पर सीवर लाइन का डायवर्जन किए जाने की वजह से सीसामऊ नाले से होकर अशोधित पानी गंगा नदी में प्रवाहित हो रहा है। जाजमऊ की टेनरियां नई कन्वेंशन लाइन से जुड़ी नहीं हैं। यह सभी कारण गंगा की सेहत पर असर डाल रहे हैं। गंगा का पानी नहाने योग्य भी नहीं
खास तौर पर केआरएमपीएल की लापरवाही अधिकारियों के लिये आफत बनी हुई है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों और सीवेज पंपिंग स्टेशनों के जरिये गंगा में पानी जाने की वजह से गंगा का पानी नहाने योग्य नहीं बच पा रहा है। डीएम ने समीक्षा में पकड़ी लापरवाही
महाकुंभ-2025 के नजदीक होने की वजह से जिम्मेदार सक्रिय हो गये हैं। गंगा में नालों और टेनरियों के पानी को जाने से रोकने की कवायद शुरू हुई है। इसको लेकर बैठक और समीक्षा की जा रही है। डीएम राकेश कुमार की ओर से की गई समीक्षा में सबसे बड़ी समस्या केआरएमपीएल के बंद 39 पंप मिले हैं। जिस पर केआरएमपीएल के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि तत्काल अक्रियाशील पड़े हुए पंपों को ठीक कराते हुए क्रियाशील किया जाये। कंपनी नहीं कर पा रही है रखरखाव
शहर में एनएमसीजी ने 3 वर्ष पहले शहर के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों (एसटीपी) और सीवेज पंपिंग स्टेशनों (एसपीएस) का 15 साल तक रखरखाव और संचालन करने के लिए केआरएमपीएल को ठेका दिया था। लेकिन, कंपनी अधिकतर मौकों पर फेल हुई। पंपों के खराब होने की वजह से सीसामऊ नाले से ही कई दिन करोड़ों लीटर सीवेज गंगा में गिरा। वहीं, दूसरे एसपीएस के रखरखाव में भी कंपनी ने घोर लापरवाही की, जिस पर एफआईआर, जुर्माने की कार्रवाइ हई लेकिन कंपनी आज भी शहर में डटी हुई है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) महानिदेशक ने तो केआरएमपीएल द्वारा सीवेज शोधन के समुचित प्रबंधन नहीं किए जाने के कारण नई एजेंसी का चयन किया जाए। FIR व जुर्माने की कार्रवाई भी बेअसर
केआरएमपीएल की लापरवाही से सीसामऊ नाले से कई लाख मीट्रिक टन सीवेज गंगा में गिरता रहा। जलनिगम ने कंपनी के अधिकारियों पर एफआईआर तक दर्ज कराई। यूपीपीसीबी, जल निगम अब तक कंपनी पर लगभग 20 करोड़ रुपये जुर्माना लगा चुकी हैं। लेकिन कई नोटिस और कार्रवाई बेअसर रही हैं। डीएम की समीक्षा में यह भी पाया गया
पिछले दिनों जिलाधिकारी की समीक्षा बैठक में पाया गया कि मेट्रो ने तीन स्थानों पर सीवर लाइन का डायवर्जन किया। जिसमें बड़े चौराहे मैकराबर्ट गंज में भी डॉयवर्जन का कार्य किया गया। बड़े चौराहे पर सीवर लाइन का डायवर्जन किए जाने के कारण सीसामऊ नाले से होकर अशोधित पानी गंगा नदी में प्रवाहित हो रहा है। जो कुंभ की दृष्टिगत उचित नहीं है। इस संबंध में महाप्रबंधक, जलकल, अधिशासी अभियंता, निर्माण खंड-प्रथम, जल निगम (नगरीय), अधिशासी अभियंता (सिविल), उप्र मेट्रो रेल कारपोरेशन को संयुक्त रूप से भ्रमण करके डायवर्जन किए गए पाइप लाइन, मेनहोल की सफाई कराते हुए पाइप लाइन को पूर्व की भांति किया करने के निर्देश दिये गये हैं। 10 टेनरियों को नई कन्वेशन लाइन से जोड़ा
जाजमऊ स्थित 346 टेनरियों का इलेक्ट्रोमैगनेटिक फ्लो मीटर लगाकर नई कन्वेशन लाइन के साथ कनेक्शन किया जाना है। डीएम ने समीक्षा के दौरान पाया गया कि अब तक मात्र 10 टेनरियों को नई कन्वेशन लाइन के साथ जोड़ा गया है और 05 टेनरियों को जोड़ने का कार्य प्रगति पर है। महाकुंभ-2025 से पहले निर्मल गंगा चुनौती बन गई है। दरअसल, कानपुर में बह रही गंगा पहले भी बेहद प्रदूषित हैं। अब कुंभ से पहले गंगा को क्लीन करना चुनौती बन गया है। शहर के सीवेज को एसटीपी तक सीवेज पहुंचाने वाले 112 में से 39 पंप खराब पड़े हैं। सीसामऊ नाला भी गंगा में गिर रहा
इसी तरह मेट्रो की ओर से बड़े चौराहे पर सीवर लाइन का डायवर्जन किए जाने की वजह से सीसामऊ नाले से होकर अशोधित पानी गंगा नदी में प्रवाहित हो रहा है। जाजमऊ की टेनरियां नई कन्वेंशन लाइन से जुड़ी नहीं हैं। यह सभी कारण गंगा की सेहत पर असर डाल रहे हैं। गंगा का पानी नहाने योग्य भी नहीं
खास तौर पर केआरएमपीएल की लापरवाही अधिकारियों के लिये आफत बनी हुई है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों और सीवेज पंपिंग स्टेशनों के जरिये गंगा में पानी जाने की वजह से गंगा का पानी नहाने योग्य नहीं बच पा रहा है। डीएम ने समीक्षा में पकड़ी लापरवाही
महाकुंभ-2025 के नजदीक होने की वजह से जिम्मेदार सक्रिय हो गये हैं। गंगा में नालों और टेनरियों के पानी को जाने से रोकने की कवायद शुरू हुई है। इसको लेकर बैठक और समीक्षा की जा रही है। डीएम राकेश कुमार की ओर से की गई समीक्षा में सबसे बड़ी समस्या केआरएमपीएल के बंद 39 पंप मिले हैं। जिस पर केआरएमपीएल के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि तत्काल अक्रियाशील पड़े हुए पंपों को ठीक कराते हुए क्रियाशील किया जाये। कंपनी नहीं कर पा रही है रखरखाव
शहर में एनएमसीजी ने 3 वर्ष पहले शहर के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों (एसटीपी) और सीवेज पंपिंग स्टेशनों (एसपीएस) का 15 साल तक रखरखाव और संचालन करने के लिए केआरएमपीएल को ठेका दिया था। लेकिन, कंपनी अधिकतर मौकों पर फेल हुई। पंपों के खराब होने की वजह से सीसामऊ नाले से ही कई दिन करोड़ों लीटर सीवेज गंगा में गिरा। वहीं, दूसरे एसपीएस के रखरखाव में भी कंपनी ने घोर लापरवाही की, जिस पर एफआईआर, जुर्माने की कार्रवाइ हई लेकिन कंपनी आज भी शहर में डटी हुई है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) महानिदेशक ने तो केआरएमपीएल द्वारा सीवेज शोधन के समुचित प्रबंधन नहीं किए जाने के कारण नई एजेंसी का चयन किया जाए। FIR व जुर्माने की कार्रवाई भी बेअसर
केआरएमपीएल की लापरवाही से सीसामऊ नाले से कई लाख मीट्रिक टन सीवेज गंगा में गिरता रहा। जलनिगम ने कंपनी के अधिकारियों पर एफआईआर तक दर्ज कराई। यूपीपीसीबी, जल निगम अब तक कंपनी पर लगभग 20 करोड़ रुपये जुर्माना लगा चुकी हैं। लेकिन कई नोटिस और कार्रवाई बेअसर रही हैं। डीएम की समीक्षा में यह भी पाया गया
पिछले दिनों जिलाधिकारी की समीक्षा बैठक में पाया गया कि मेट्रो ने तीन स्थानों पर सीवर लाइन का डायवर्जन किया। जिसमें बड़े चौराहे मैकराबर्ट गंज में भी डॉयवर्जन का कार्य किया गया। बड़े चौराहे पर सीवर लाइन का डायवर्जन किए जाने के कारण सीसामऊ नाले से होकर अशोधित पानी गंगा नदी में प्रवाहित हो रहा है। जो कुंभ की दृष्टिगत उचित नहीं है। इस संबंध में महाप्रबंधक, जलकल, अधिशासी अभियंता, निर्माण खंड-प्रथम, जल निगम (नगरीय), अधिशासी अभियंता (सिविल), उप्र मेट्रो रेल कारपोरेशन को संयुक्त रूप से भ्रमण करके डायवर्जन किए गए पाइप लाइन, मेनहोल की सफाई कराते हुए पाइप लाइन को पूर्व की भांति किया करने के निर्देश दिये गये हैं। 10 टेनरियों को नई कन्वेशन लाइन से जोड़ा
जाजमऊ स्थित 346 टेनरियों का इलेक्ट्रोमैगनेटिक फ्लो मीटर लगाकर नई कन्वेशन लाइन के साथ कनेक्शन किया जाना है। डीएम ने समीक्षा के दौरान पाया गया कि अब तक मात्र 10 टेनरियों को नई कन्वेशन लाइन के साथ जोड़ा गया है और 05 टेनरियों को जोड़ने का कार्य प्रगति पर है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर