<p style=”text-align: justify;”><strong>Supriya Sule On Maharashtra Special Public Safety Act: </strong>देवेंद्र फडणवीस सरकार की ओर से प्रस्तावित ‘महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम विधेयक’ को लेकर विपक्ष भारी विरोध कर रहा है. एनसीपी-एसपी सांसद सुप्रिया सुले ने इस कानून को लेकर सरकार से सीधे सवाल किया है कि ‘क्या राज्य में पुलिस शासन जरूरी है?'</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है यह नया विधेयक?</strong><br />महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम विधेयक के तहत सरकार को यह अधिकार मिल सकता है कि वह ‘अवैध कृत्यों’ के आधार पर किसी भी व्यक्ति, संगठन या संस्था पर कार्रवाई कर सके. विपक्ष का आरोप है कि यह परिभाषा बिलकुल भी साफ नहीं है और इसका इस्तेमाल सरकार विरोधी आवाजों को दबाने के लिए किया जा सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये विधेयक मूल सिद्धांतों के खिलाफ- सुप्रिया सुले</strong><br />सुप्रिया सुले और अन्य विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह विधेयक लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है. उनका आरोप है कि सरकार इसे उन लोगों और संगठनों के खिलाफ हथियार बना सकती है जो शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीकों से सरकार की आलोचना करते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उनका मानना है कि यह विधेयक ब्रिटिश शासन के कुख्यात रॉलेट एक्ट (The Rowlatt Act) की याद दिलाता है. ब्रिटिश सरकार ने 1919 में इस कानून के तहत किसी भी भारतीय को बिना मुकदमे के गिरफ्तार करने की शक्ति हासिल कर ली थी. अब विपक्ष का आरोप है कि महाराष्ट्र सरकार भी इसी तरह मौलिक अधिकारों को कमजोर कर रही है.</p>
<blockquote class=”twitter-tweet”>
<p dir=”ltr” lang=”mr”>महाराष्ट्रातील सत्ताधाऱ्यांनी नागरीकांच्या मूलभूत अधिकारांची पायमल्ली करण्यासाठी नवे विधेयक आणायचे ठरविले आहे. या विधेयकाच्या माध्यमातून सर्वसामान्य जनतेचा शासनाच्या विरोधात बोलण्याचा हक्क हिरावून घेतला जाणार आहे. वास्तविक सुदृढ लोकशाहीत विरोधी मतांचा आदर केला जातो. लोकशाहीचे… <a href=”https://t.co/U5mfFHThwB”>pic.twitter.com/U5mfFHThwB</a></p>
— Supriya Sule (@supriya_sule) <a href=”https://twitter.com/supriya_sule/status/1900762706552254968?ref_src=twsrc%5Etfw”>March 15, 2025</a>
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</blockquote>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सरकार ने दिया जवाब</strong><br />वहीं सरकार का कहना है कि यह विधेयक सिर्फ राज्य की सुरक्षा और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए लाया गया है. सरकार का दावा है कि इससे अपराधों पर नियंत्रण होगा और राज्य में शांति बनी रहेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या होगा आगे?</strong><br />इस विधेयक पर अभी बहस जारी है. विपक्ष इसकी संविधान के आधार पर समीक्षा की मांग कर रहा है. देखना होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और क्या इसमें कोई बदलाव किया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/vQJSz54KLJ0?si=JOntH-jwLJpfxe7A” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें- <a title=”Maharashtra: ‘PM मोदी स्वीकार करें कि जो गोवालकर ने…’, संजय राउत का निशाना, दे दी ये सलाह” href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/sanjay-raut-says-pm-narendra-modi-should-accept-that-what-golwalkar-said-about-sambhaji-maharaj-was-incorrect-2904170″ target=”_self”>Maharashtra: ‘PM मोदी स्वीकार करें कि जो गोवालकर ने…’, संजय राउत का निशाना, दे दी ये सलाह</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Supriya Sule On Maharashtra Special Public Safety Act: </strong>देवेंद्र फडणवीस सरकार की ओर से प्रस्तावित ‘महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम विधेयक’ को लेकर विपक्ष भारी विरोध कर रहा है. एनसीपी-एसपी सांसद सुप्रिया सुले ने इस कानून को लेकर सरकार से सीधे सवाल किया है कि ‘क्या राज्य में पुलिस शासन जरूरी है?'</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है यह नया विधेयक?</strong><br />महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम विधेयक के तहत सरकार को यह अधिकार मिल सकता है कि वह ‘अवैध कृत्यों’ के आधार पर किसी भी व्यक्ति, संगठन या संस्था पर कार्रवाई कर सके. विपक्ष का आरोप है कि यह परिभाषा बिलकुल भी साफ नहीं है और इसका इस्तेमाल सरकार विरोधी आवाजों को दबाने के लिए किया जा सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये विधेयक मूल सिद्धांतों के खिलाफ- सुप्रिया सुले</strong><br />सुप्रिया सुले और अन्य विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह विधेयक लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है. उनका आरोप है कि सरकार इसे उन लोगों और संगठनों के खिलाफ हथियार बना सकती है जो शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीकों से सरकार की आलोचना करते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उनका मानना है कि यह विधेयक ब्रिटिश शासन के कुख्यात रॉलेट एक्ट (The Rowlatt Act) की याद दिलाता है. ब्रिटिश सरकार ने 1919 में इस कानून के तहत किसी भी भारतीय को बिना मुकदमे के गिरफ्तार करने की शक्ति हासिल कर ली थी. अब विपक्ष का आरोप है कि महाराष्ट्र सरकार भी इसी तरह मौलिक अधिकारों को कमजोर कर रही है.</p>
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<p dir=”ltr” lang=”mr”>महाराष्ट्रातील सत्ताधाऱ्यांनी नागरीकांच्या मूलभूत अधिकारांची पायमल्ली करण्यासाठी नवे विधेयक आणायचे ठरविले आहे. या विधेयकाच्या माध्यमातून सर्वसामान्य जनतेचा शासनाच्या विरोधात बोलण्याचा हक्क हिरावून घेतला जाणार आहे. वास्तविक सुदृढ लोकशाहीत विरोधी मतांचा आदर केला जातो. लोकशाहीचे… <a href=”https://t.co/U5mfFHThwB”>pic.twitter.com/U5mfFHThwB</a></p>
— Supriya Sule (@supriya_sule) <a href=”https://twitter.com/supriya_sule/status/1900762706552254968?ref_src=twsrc%5Etfw”>March 15, 2025</a>
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<p style=”text-align: justify;”><strong>सरकार ने दिया जवाब</strong><br />वहीं सरकार का कहना है कि यह विधेयक सिर्फ राज्य की सुरक्षा और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए लाया गया है. सरकार का दावा है कि इससे अपराधों पर नियंत्रण होगा और राज्य में शांति बनी रहेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या होगा आगे?</strong><br />इस विधेयक पर अभी बहस जारी है. विपक्ष इसकी संविधान के आधार पर समीक्षा की मांग कर रहा है. देखना होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और क्या इसमें कोई बदलाव किया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/vQJSz54KLJ0?si=JOntH-jwLJpfxe7A” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
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