सरकार महिलाओं के सम्मान और समानता के लिए कई योजनाएं चला रही है। बराबरी का दर्जा दिया जा रहा। इसके बावजूद घर से लेकर बाहर तक महिलाएं प्रताड़ना झेल रही हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है। महिलाएं घर के भीतर भी असुरक्षित हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग को इस साल अब तक उत्पीड़न से लेकर घरेलू हिंसा तक की 12600 शिकायतें मिली हैं। इनमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश से दर्ज की गई हैं। महिला आयोग को यूपी से मिलने वाली शिकायतों का पिछले कुछ सालों में क्या ट्रेंड रहा है? आखिर क्यों यहीं से शिकायतों की संख्या सबसे ज्यादा है? महिलाओं का उत्पीड़न रोकने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए? जानिए इस रिपोर्ट में- केस 1: तारीख 1 जनवरी, 2014। गाजीपुर जिले का बिरनो थाना क्षेत्र। 14 साल से ससुराल में प्रताड़ना झेल रही महिला को जब कहीं मदद नहीं मिली तो महिला आयोग की शरण में पहुंची। पिता ने आरोप लगाया कि बेटी को बड़े अरमानों के साथ विदा किया था। अब पति से लेकर ससुर और देवर तक दहेज मांगते हैं। बेटी को खाना-पानी नहीं देते। घर से बार-बार भगा देते हैं। यह खबर जब मीडिया में आई तब महिला आयोग ने संज्ञान लिया और पुलिस को केस दर्ज करने का निर्देश दिया। केस 2: तारीख 9 दिसंबर, 2022। बरेली में एक 34 साल के व्यक्ति ने 30 साल की पत्नी की गला दबाकर हत्या कर दी। वजह- पत्नी ने 2 बार शारीरिक संबंध बनाने से मना कर दिया। मामला मीडिया में जोर पकड़ा। महिला आयोग के दखल के बाद DGP ने जांच के आदेश दिए। केस 3: तारीख 24 फरवरी, 2021। शाहजहांपुर में हाईवे के किनारे छात्रा अधजली हालत में मिली। उसी दिन घर से कॉलेज जाने के लिए निकली थी। मामला हाईलाइट होते ही महिला आयोग ने संज्ञान लिया। यूपी DGP को कार्रवाई का आदेश दिया। ये सिर्फ वे केस हैं, जिनमें महिला आयोग ने संज्ञान लिया। यूपी से आयोग को हर साल महिलाओं पर अत्याचार की सबसे ज्यादा शिकायतें मिल रही हैं। देशभर से इस साल 18 जून तक कुल 12600 शिकायतें मिलीं। इसमें 6470 सिर्फ उत्तर प्रदेश से हैं। आयोग की वेबसाइट पर इन शिकायतों को लेकर लाइव ट्रैकर है। रिपोर्ट जारी होने से खबर लिखे जाने तक यह आंकड़ा 12 हजार 732 पहुंच चुका है। महिला आयोग में कुल शिकायतों का 55% अकेले UP से
साल 2022-23 के बीच यूपी से महिला आयोग को 17 हजार 48 शिकायतें मिलीं। इसी बीच देशभर से आयोग को 30 हजार 693 शिकायतें मिली। यानी कुल शिकायतों में आधा से ज्यादा शिकायतें अकेले यूपी से दर्ज हुईं। यह करीब 55 प्रतिशत के बराबर है। इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर दिल्ली है। वहां साल 2022-23 के बीच 2822 शिकायतें आयोग को मिलीं। यह कुल शिकायतों का मात्र 9 प्रतिशत है। यहां एक तर्क दिया जा सकता है कि यूपी में शिकायतों की संख्या अधिक है, क्योंकि यहां की जनसंख्या भी ज्यादा है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, प्रदेश की जनसंख्या 23.89 करोड़ है। यह पूरे देश की जनसंख्या का 17 प्रतिशत है। इस लिहाज से महिला आयोग में प्रदेश की शिकायतों के आंकड़े देखने पर यह कानून व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करता है। लगातार 8 सालों से शिकायतों के मामले में UP अव्वल
8 साल का टाइम पीरियड… कुल 1 लाख 84 हजार 297 केस। ये आंकड़ा है महिला आयोग के पास पूरे देश से महिलाओं पर अत्याचार की शिकायतों का। अब बात उत्तर प्रदेश की। इन कुल शिकायतों में से 1 लाख 1 हजार 676 महिलाओं की गुहार सिर्फ यूपी से है। यानी सीधे 55 प्रतिशत मामले इसी राज्य से हैं। यह पूछने पर कि कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार के प्रयासों के बाद भी यह ट्रेंड क्यों है? सीनियर एडवोकेट हमजा अबीदी कहते हैं- महिलाएं अब पहले से ज्यादा जागरूक हैं। कानून व्यवस्था तो सुधरी, लेकिन अपराध भी बढ़ गए हैं। शिकायत दर्ज कराने के लिए महिलाओं के पास विकल्प मौजूद हैं। वे पुलिस, कमिश्नर से लेकर महिला आयोग के पास किसी भी तरह के अपराध, उत्पीड़न और अत्याचार की शिकायतें दर्ज करा सकती हैं। पुलिस सुनवाई नहीं करती तब महिला आयोग बनता है विकल्प
महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा कहती हैं- यूपी में सबसे ज्यादा शिकायतें आने के पीछे 4 वजह हैं। महिलाओं के साथ अपराध और उत्पीड़न के मामलों को लेकर रेखा शर्मा कहती है- हम पुलिस को जेंडर सेंसिटिव बनाने को लेकर भी काम कर रहे हैं। क्योंकि प्रथम दृष्टया हमें काम पुलिस से ही करवाना है। वो अगर महिलाओं की शिकायतों का निपटारा संवेदनशीलता से करती है तो परिस्थितियां बेहतर होंगी। ‘यूपी में महिलाओं पर अत्याचार का ट्रेंड बढ़ा’
लखनऊ के सीनियर एडवोकेट हमजा अबीदी यूपी में सबसे ज्यादा शिकायतों को लेकर कहते हैं- इसकी मुख्य वजह प्रदेश में महिलाओं पर अत्याचार का बढ़ना है। यह पिछले कुछ सालों में ज्यादा बढ़ा है। दहेज के लिए मानसिक से लेकर शारीरिक उत्पीड़न तक के मामले अब भी आम हैं। घरेलू हिंसा के केस भी बढ़े हैं। इससे प्रति वर्ष महिलाओं के खिलाफ हिंसा का ग्राफ बढ़ रहा है। शादी जैसे रिश्ते में पुरुष के हिंसात्मक व्यवहार का महिलाएं शिकार बनती हैं। अबीदी कहते हैं- आयोग के पास ऐसे मामलों की शिकायत भले ही आती है, लेकिन प्राथमिक कार्रवाई का अधिकार पुलिस के पास ही होता है। महिला आयोग भी शिकायत दर्ज करने के बाद संबंधित थाने से संपर्क कर कार्रवाई आगे बढ़ाता है। गरिमा के साथ जीने और घरेलू हिंसा के सबसे ज्यादा मामले यूपी में महिलाओं पर अत्याचार की शिकायतें सबसे ज्यादा होने के साथ एक सवाल उठता है, इनमें किस-किस तरह के अत्याचार शामिल हैं। जवाब- अपनी गरिमा और मर्यादा के साथ जीने के अधिकार का हनन और घरेलू हिंसा के मामलों की संख्या पहले और दूसरे नंबर पर है। 2024 के आंकड़ों में 8 हजार 540 मामले इज्जत के साथ न जीने देने को लेकर हैं। दूसरे नंबर पर घरेलू हिंसा की शिकायतें हैं, जिनकी संख्या 6 हजार 274 है। साल 2022 और 2023 के बीच शिकायतों को लेकर आई रिपोर्ट में भी प्रदेश का हाल कुछ ऐसा ही है। राइट टू लीव विद डिग्निटी यानी इज्जत और मर्यादा के साथ जीने के अधिकारों के हनन को लेकर 9 हजार 596 शिकायतें हैं। दूसरे नंबर पर पिछले साल भी घरेलू हिंसा की शिकायतें हैं। इनकी संख्या 6 हजार 916 है। विवाहित महिलाओं के साथ अत्याचार और दहेज उत्पीड़न के मामले तीसरे नंबर पर हैं। इसके कुल 4 हजार 534 मामले साल 2022-23 में दर्ज हुए हैं। सबसे ज्यादा मामले गरिमा के साथ जीने के अधिकार के आने को लेकर आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष रेखा शर्मा कहती हैं- इसमें कई तरह के मामले होते हैं। उदाहरण के लिए इसमें शादी के बाद पति नौकरी नहीं करने दे रहा या सास का बर्ताव ठीक नहीं है, ऐसे भी मामले होते हैं। वो बताती हैं कि इसको आगे के लिए हम अलग-अलग कैटेगरी में बांट रहे हैं। सरकार महिलाओं के सम्मान और समानता के लिए कई योजनाएं चला रही है। बराबरी का दर्जा दिया जा रहा। इसके बावजूद घर से लेकर बाहर तक महिलाएं प्रताड़ना झेल रही हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है। महिलाएं घर के भीतर भी असुरक्षित हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग को इस साल अब तक उत्पीड़न से लेकर घरेलू हिंसा तक की 12600 शिकायतें मिली हैं। इनमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश से दर्ज की गई हैं। महिला आयोग को यूपी से मिलने वाली शिकायतों का पिछले कुछ सालों में क्या ट्रेंड रहा है? आखिर क्यों यहीं से शिकायतों की संख्या सबसे ज्यादा है? महिलाओं का उत्पीड़न रोकने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए? जानिए इस रिपोर्ट में- केस 1: तारीख 1 जनवरी, 2014। गाजीपुर जिले का बिरनो थाना क्षेत्र। 14 साल से ससुराल में प्रताड़ना झेल रही महिला को जब कहीं मदद नहीं मिली तो महिला आयोग की शरण में पहुंची। पिता ने आरोप लगाया कि बेटी को बड़े अरमानों के साथ विदा किया था। अब पति से लेकर ससुर और देवर तक दहेज मांगते हैं। बेटी को खाना-पानी नहीं देते। घर से बार-बार भगा देते हैं। यह खबर जब मीडिया में आई तब महिला आयोग ने संज्ञान लिया और पुलिस को केस दर्ज करने का निर्देश दिया। केस 2: तारीख 9 दिसंबर, 2022। बरेली में एक 34 साल के व्यक्ति ने 30 साल की पत्नी की गला दबाकर हत्या कर दी। वजह- पत्नी ने 2 बार शारीरिक संबंध बनाने से मना कर दिया। मामला मीडिया में जोर पकड़ा। महिला आयोग के दखल के बाद DGP ने जांच के आदेश दिए। केस 3: तारीख 24 फरवरी, 2021। शाहजहांपुर में हाईवे के किनारे छात्रा अधजली हालत में मिली। उसी दिन घर से कॉलेज जाने के लिए निकली थी। मामला हाईलाइट होते ही महिला आयोग ने संज्ञान लिया। यूपी DGP को कार्रवाई का आदेश दिया। ये सिर्फ वे केस हैं, जिनमें महिला आयोग ने संज्ञान लिया। यूपी से आयोग को हर साल महिलाओं पर अत्याचार की सबसे ज्यादा शिकायतें मिल रही हैं। देशभर से इस साल 18 जून तक कुल 12600 शिकायतें मिलीं। इसमें 6470 सिर्फ उत्तर प्रदेश से हैं। आयोग की वेबसाइट पर इन शिकायतों को लेकर लाइव ट्रैकर है। रिपोर्ट जारी होने से खबर लिखे जाने तक यह आंकड़ा 12 हजार 732 पहुंच चुका है। महिला आयोग में कुल शिकायतों का 55% अकेले UP से
साल 2022-23 के बीच यूपी से महिला आयोग को 17 हजार 48 शिकायतें मिलीं। इसी बीच देशभर से आयोग को 30 हजार 693 शिकायतें मिली। यानी कुल शिकायतों में आधा से ज्यादा शिकायतें अकेले यूपी से दर्ज हुईं। यह करीब 55 प्रतिशत के बराबर है। इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर दिल्ली है। वहां साल 2022-23 के बीच 2822 शिकायतें आयोग को मिलीं। यह कुल शिकायतों का मात्र 9 प्रतिशत है। यहां एक तर्क दिया जा सकता है कि यूपी में शिकायतों की संख्या अधिक है, क्योंकि यहां की जनसंख्या भी ज्यादा है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, प्रदेश की जनसंख्या 23.89 करोड़ है। यह पूरे देश की जनसंख्या का 17 प्रतिशत है। इस लिहाज से महिला आयोग में प्रदेश की शिकायतों के आंकड़े देखने पर यह कानून व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करता है। लगातार 8 सालों से शिकायतों के मामले में UP अव्वल
8 साल का टाइम पीरियड… कुल 1 लाख 84 हजार 297 केस। ये आंकड़ा है महिला आयोग के पास पूरे देश से महिलाओं पर अत्याचार की शिकायतों का। अब बात उत्तर प्रदेश की। इन कुल शिकायतों में से 1 लाख 1 हजार 676 महिलाओं की गुहार सिर्फ यूपी से है। यानी सीधे 55 प्रतिशत मामले इसी राज्य से हैं। यह पूछने पर कि कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार के प्रयासों के बाद भी यह ट्रेंड क्यों है? सीनियर एडवोकेट हमजा अबीदी कहते हैं- महिलाएं अब पहले से ज्यादा जागरूक हैं। कानून व्यवस्था तो सुधरी, लेकिन अपराध भी बढ़ गए हैं। शिकायत दर्ज कराने के लिए महिलाओं के पास विकल्प मौजूद हैं। वे पुलिस, कमिश्नर से लेकर महिला आयोग के पास किसी भी तरह के अपराध, उत्पीड़न और अत्याचार की शिकायतें दर्ज करा सकती हैं। पुलिस सुनवाई नहीं करती तब महिला आयोग बनता है विकल्प
महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा कहती हैं- यूपी में सबसे ज्यादा शिकायतें आने के पीछे 4 वजह हैं। महिलाओं के साथ अपराध और उत्पीड़न के मामलों को लेकर रेखा शर्मा कहती है- हम पुलिस को जेंडर सेंसिटिव बनाने को लेकर भी काम कर रहे हैं। क्योंकि प्रथम दृष्टया हमें काम पुलिस से ही करवाना है। वो अगर महिलाओं की शिकायतों का निपटारा संवेदनशीलता से करती है तो परिस्थितियां बेहतर होंगी। ‘यूपी में महिलाओं पर अत्याचार का ट्रेंड बढ़ा’
लखनऊ के सीनियर एडवोकेट हमजा अबीदी यूपी में सबसे ज्यादा शिकायतों को लेकर कहते हैं- इसकी मुख्य वजह प्रदेश में महिलाओं पर अत्याचार का बढ़ना है। यह पिछले कुछ सालों में ज्यादा बढ़ा है। दहेज के लिए मानसिक से लेकर शारीरिक उत्पीड़न तक के मामले अब भी आम हैं। घरेलू हिंसा के केस भी बढ़े हैं। इससे प्रति वर्ष महिलाओं के खिलाफ हिंसा का ग्राफ बढ़ रहा है। शादी जैसे रिश्ते में पुरुष के हिंसात्मक व्यवहार का महिलाएं शिकार बनती हैं। अबीदी कहते हैं- आयोग के पास ऐसे मामलों की शिकायत भले ही आती है, लेकिन प्राथमिक कार्रवाई का अधिकार पुलिस के पास ही होता है। महिला आयोग भी शिकायत दर्ज करने के बाद संबंधित थाने से संपर्क कर कार्रवाई आगे बढ़ाता है। गरिमा के साथ जीने और घरेलू हिंसा के सबसे ज्यादा मामले यूपी में महिलाओं पर अत्याचार की शिकायतें सबसे ज्यादा होने के साथ एक सवाल उठता है, इनमें किस-किस तरह के अत्याचार शामिल हैं। जवाब- अपनी गरिमा और मर्यादा के साथ जीने के अधिकार का हनन और घरेलू हिंसा के मामलों की संख्या पहले और दूसरे नंबर पर है। 2024 के आंकड़ों में 8 हजार 540 मामले इज्जत के साथ न जीने देने को लेकर हैं। दूसरे नंबर पर घरेलू हिंसा की शिकायतें हैं, जिनकी संख्या 6 हजार 274 है। साल 2022 और 2023 के बीच शिकायतों को लेकर आई रिपोर्ट में भी प्रदेश का हाल कुछ ऐसा ही है। राइट टू लीव विद डिग्निटी यानी इज्जत और मर्यादा के साथ जीने के अधिकारों के हनन को लेकर 9 हजार 596 शिकायतें हैं। दूसरे नंबर पर पिछले साल भी घरेलू हिंसा की शिकायतें हैं। इनकी संख्या 6 हजार 916 है। विवाहित महिलाओं के साथ अत्याचार और दहेज उत्पीड़न के मामले तीसरे नंबर पर हैं। इसके कुल 4 हजार 534 मामले साल 2022-23 में दर्ज हुए हैं। सबसे ज्यादा मामले गरिमा के साथ जीने के अधिकार के आने को लेकर आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष रेखा शर्मा कहती हैं- इसमें कई तरह के मामले होते हैं। उदाहरण के लिए इसमें शादी के बाद पति नौकरी नहीं करने दे रहा या सास का बर्ताव ठीक नहीं है, ऐसे भी मामले होते हैं। वो बताती हैं कि इसको आगे के लिए हम अलग-अलग कैटेगरी में बांट रहे हैं। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर