‘दीदी को तो अभी तक हम लोगों ने यह भी नहीं बताया कि मम्मी की डेथ हो गई है। मम्मी का दाह संस्कार हुआ तो मैं जा नहीं सका। वरना दीदी को शक हो जाता। दीदी अभी ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टर्स के रेफर करने के बाद मंडलीय चिकित्सालय में बेड रेस्ट कर रही हैं। पिता जी अभी तक उनसे मिलने नहीं आ पाए हैं क्योंकि उन्होंने मम्मी के दाह संस्कार के बाद बाल छिलवा लिया है।’ ये कहना है विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित खोवा गली में गिरे चार मंजिला मकान में दबने से घायल हुए आजमगढ़ के जीयनपुर कोतवाली के अजमतगढ़ के रहने वाले आयुष गुप्ता का। आयुष की मां प्रेमलता की इस हादसे में मौत हो चुकी है। विश्वनाथ मंदिर के पास खोवा गली में चार मंजिला मकान गिरने से 9 लोग उसमे दब गए थे। इनमें से एक महिला की मौत हो गई। वहीं, बाकियों की धीरे-धीरे अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। लेकिन सपना गुप्ता आज भी मंडलीय चिकित्सालय के इमरजेंसी वार्ड के बेड नंबर 6 पर एडमिट हैं। उनके साथ उनके छोटे भाई आयुष पहले दिन से अस्पताल में मौजूद हैं। दैनिक भास्कर ने सपना के दर्द और अस्पताल में चल रहे इलाज के बारे में जानकारी ली…. मां की मलबे में दबने से हुई थी मौत पर बेटी को जानकारी नहीं
कबीरचौरा अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बेड नंबर 6 पर लेटी सपना गुप्ता की उम्र महज 32 साल है। वो अपनी मां के साथ मौसी कुसुम लता के घर आयी थी पर उसे ये नहीं पता था कि यह हादसा हो जाएगा। हादसे के बाद प्रेमलता की मलबे में दबने से मौत हो गई और सपना घायल है। सपना को अभी नहीं बताया गया है कि मां की मौत हो चुकी है। सपना यही जानती है कि मां अभी दूसरे अस्पताल में आईसीयू में है। पिता जी नहीं आए मिलने
आयुष ने रुंधे हुए गले से बताया- आज मां की तेरहवीं है। इसके बावजूद आज तक सपना दीदी को यह नहीं बताया गया कि मां आईसीयू में है। वो वीडियो काल के लिए कहती है तो उसे मना किया जाता है कि आईसीयू में फोन ले जाने की मनाही है। वहीं, पिता अशोक गुप्ता भी आज तक न मिलने आये और न वीडियो काल की है क्योंकि मां का अंतिम संस्कार करने के बाद उन्होंने बाल छिलवा लिए हैं। उन्हें डर है कि कहीं बहन को पता न चल जाए। डॉक्टर ने हिलने को किया है मना
आयुष की छोटी बहन ने बताया- दीदी की कमर की हड्डी में क्रेक है। उसे हल्का सा हिलने को भी मना किया गया है। यदि उसे यह पता चल गया कि मम्मी नहीं रहीं तो वो बर्दाश्त नहीं कर पाएगी और ये उसके लिए काफी दिक्कत भरा होगा। ऐसे में हमने उन्हें कुछ भाई नहीं बताया। आयुष ने कहा – 20 अगस्त को दीदी को ट्रामा सेंटर में दिखाना है। दिखाने के बाद जो डॉक्टर कहेंगे उसके बाद फिर दीदी को मम्मी के बारे में बताया जाएगा। मिल रहा बेहतर इलाज, नर्सिंग स्टाफ कर रहा सहयोग
आयुष ने बताया- दीदी का इलाज ट्रॉमा सेंटर से चल रहा है। यहां बेड रेस्ट के लिए। यहां का नर्सिंग स्टाफ बहुत सपोर्टिव है। दीदी की दवाएं भी ट्रामा सेंटर से चल रहीं हैं। यहां बेहतर इलाज मिल रहा है। यहां के आर्थो स्पेशलिस्ट डॉक्टर रोजाना दीदी को आकर चेक कर रहे हैं। अब जानिए क्या हुआ था 6 अगस्त के दिन, कितने लोग हुए थे घायल… विश्वनाथ मंदिर के पास खोवा गली में गिरा था मकान
आयुष ने बताया- मेरी मां प्रेमलता और बहन सपना 28 जुलाई को मौसी कुसुमलता के घर आयीं थीं। उनके घर पर पूजा थी। 7 अगस्त को उनको वापस निकलना था पर 6 अगस्त की भोर में ही चार मंजिला मकान धराशायी हो गया। मम्मी छठवीं मंजिल पर सो रहीं थीं। बहन भी उनके पास ही थी। इस हादसे में मम्मी मलबे में दब गई और बहन भी। मलबे में दबने से मम्मी की हो गई मौत, बहन घायल
इस मकान के मलबे में कुल 9 लोग दबे थे। जिसमें से आयुष की मां प्रेमलता की मलबे में दबने से मौत हो गई थी। वहीं बहन को मलबे से घायल अवस्था में निकालकर एनडीआरएफ ने बीएचयू ट्रामा सेंटर में एडमिट कराया गया था। आयुष ने बताया- ट्रामा सेंटर में इलाज के बाद वहां से हमें दोबारा मंडलीय चिकित्सालय रेफर कर दिया गया। यहां उन्हें इमरजेंसी वार्ड में ही रखा गया है जहां उनका इलाज चल रहा है। ‘दीदी को तो अभी तक हम लोगों ने यह भी नहीं बताया कि मम्मी की डेथ हो गई है। मम्मी का दाह संस्कार हुआ तो मैं जा नहीं सका। वरना दीदी को शक हो जाता। दीदी अभी ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टर्स के रेफर करने के बाद मंडलीय चिकित्सालय में बेड रेस्ट कर रही हैं। पिता जी अभी तक उनसे मिलने नहीं आ पाए हैं क्योंकि उन्होंने मम्मी के दाह संस्कार के बाद बाल छिलवा लिया है।’ ये कहना है विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित खोवा गली में गिरे चार मंजिला मकान में दबने से घायल हुए आजमगढ़ के जीयनपुर कोतवाली के अजमतगढ़ के रहने वाले आयुष गुप्ता का। आयुष की मां प्रेमलता की इस हादसे में मौत हो चुकी है। विश्वनाथ मंदिर के पास खोवा गली में चार मंजिला मकान गिरने से 9 लोग उसमे दब गए थे। इनमें से एक महिला की मौत हो गई। वहीं, बाकियों की धीरे-धीरे अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। लेकिन सपना गुप्ता आज भी मंडलीय चिकित्सालय के इमरजेंसी वार्ड के बेड नंबर 6 पर एडमिट हैं। उनके साथ उनके छोटे भाई आयुष पहले दिन से अस्पताल में मौजूद हैं। दैनिक भास्कर ने सपना के दर्द और अस्पताल में चल रहे इलाज के बारे में जानकारी ली…. मां की मलबे में दबने से हुई थी मौत पर बेटी को जानकारी नहीं
कबीरचौरा अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बेड नंबर 6 पर लेटी सपना गुप्ता की उम्र महज 32 साल है। वो अपनी मां के साथ मौसी कुसुम लता के घर आयी थी पर उसे ये नहीं पता था कि यह हादसा हो जाएगा। हादसे के बाद प्रेमलता की मलबे में दबने से मौत हो गई और सपना घायल है। सपना को अभी नहीं बताया गया है कि मां की मौत हो चुकी है। सपना यही जानती है कि मां अभी दूसरे अस्पताल में आईसीयू में है। पिता जी नहीं आए मिलने
आयुष ने रुंधे हुए गले से बताया- आज मां की तेरहवीं है। इसके बावजूद आज तक सपना दीदी को यह नहीं बताया गया कि मां आईसीयू में है। वो वीडियो काल के लिए कहती है तो उसे मना किया जाता है कि आईसीयू में फोन ले जाने की मनाही है। वहीं, पिता अशोक गुप्ता भी आज तक न मिलने आये और न वीडियो काल की है क्योंकि मां का अंतिम संस्कार करने के बाद उन्होंने बाल छिलवा लिए हैं। उन्हें डर है कि कहीं बहन को पता न चल जाए। डॉक्टर ने हिलने को किया है मना
आयुष की छोटी बहन ने बताया- दीदी की कमर की हड्डी में क्रेक है। उसे हल्का सा हिलने को भी मना किया गया है। यदि उसे यह पता चल गया कि मम्मी नहीं रहीं तो वो बर्दाश्त नहीं कर पाएगी और ये उसके लिए काफी दिक्कत भरा होगा। ऐसे में हमने उन्हें कुछ भाई नहीं बताया। आयुष ने कहा – 20 अगस्त को दीदी को ट्रामा सेंटर में दिखाना है। दिखाने के बाद जो डॉक्टर कहेंगे उसके बाद फिर दीदी को मम्मी के बारे में बताया जाएगा। मिल रहा बेहतर इलाज, नर्सिंग स्टाफ कर रहा सहयोग
आयुष ने बताया- दीदी का इलाज ट्रॉमा सेंटर से चल रहा है। यहां बेड रेस्ट के लिए। यहां का नर्सिंग स्टाफ बहुत सपोर्टिव है। दीदी की दवाएं भी ट्रामा सेंटर से चल रहीं हैं। यहां बेहतर इलाज मिल रहा है। यहां के आर्थो स्पेशलिस्ट डॉक्टर रोजाना दीदी को आकर चेक कर रहे हैं। अब जानिए क्या हुआ था 6 अगस्त के दिन, कितने लोग हुए थे घायल… विश्वनाथ मंदिर के पास खोवा गली में गिरा था मकान
आयुष ने बताया- मेरी मां प्रेमलता और बहन सपना 28 जुलाई को मौसी कुसुमलता के घर आयीं थीं। उनके घर पर पूजा थी। 7 अगस्त को उनको वापस निकलना था पर 6 अगस्त की भोर में ही चार मंजिला मकान धराशायी हो गया। मम्मी छठवीं मंजिल पर सो रहीं थीं। बहन भी उनके पास ही थी। इस हादसे में मम्मी मलबे में दब गई और बहन भी। मलबे में दबने से मम्मी की हो गई मौत, बहन घायल
इस मकान के मलबे में कुल 9 लोग दबे थे। जिसमें से आयुष की मां प्रेमलता की मलबे में दबने से मौत हो गई थी। वहीं बहन को मलबे से घायल अवस्था में निकालकर एनडीआरएफ ने बीएचयू ट्रामा सेंटर में एडमिट कराया गया था। आयुष ने बताया- ट्रामा सेंटर में इलाज के बाद वहां से हमें दोबारा मंडलीय चिकित्सालय रेफर कर दिया गया। यहां उन्हें इमरजेंसी वार्ड में ही रखा गया है जहां उनका इलाज चल रहा है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर