विश्वप्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी देवी मंदिर में श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिला। रविवार को मंडी निवासी एनआरआई दीपक शर्मा ने अपनी मन्नत पूरी होने पर मंदिर में 1 किलो चांदी का छत्र अर्पित किया। ज्वालामुखी मंदिर के कुल पुरोहित व मंदिर न्यास सदस्य कपिल शर्मा ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर छत्र अर्पण की प्रक्रिया संपन्न करवाई। दीपक शर्मा ने बताया कि उन्होंने मां ज्वालादेवी से अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए यह मन्नत मांगी थी। मन्नत पूरी होने के बाद उन्होंने देवी को यह चढ़ावा अर्पित किया। यह छत्र देवी के प्रति उनकी अटूट आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। हर साल आते हैं लाखों श्रद्धालु बता दें कि, श्री ज्वालामुखी देवी मंदिर अपनी दिव्य ज्योतियों और चमत्कारिक महिमा के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आकर मां की दिव्य ज्योतियों के दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। मंदिर प्रशासन ने दीपक शर्मा के इस भेंट की सराहना की और इसे देवी के प्रति गहरी आस्था का प्रमाण बताया। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या और इस तरह की चढ़ावे मंदिर की धार्मिक महत्ता को और भी बढ़ाते हैं। प्रशासन ने सभी श्रद्धालुओं से मंदिर की पवित्रता और मर्यादा बनाए रखने की अपील की है। विश्वप्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी देवी मंदिर में श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिला। रविवार को मंडी निवासी एनआरआई दीपक शर्मा ने अपनी मन्नत पूरी होने पर मंदिर में 1 किलो चांदी का छत्र अर्पित किया। ज्वालामुखी मंदिर के कुल पुरोहित व मंदिर न्यास सदस्य कपिल शर्मा ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर छत्र अर्पण की प्रक्रिया संपन्न करवाई। दीपक शर्मा ने बताया कि उन्होंने मां ज्वालादेवी से अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए यह मन्नत मांगी थी। मन्नत पूरी होने के बाद उन्होंने देवी को यह चढ़ावा अर्पित किया। यह छत्र देवी के प्रति उनकी अटूट आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। हर साल आते हैं लाखों श्रद्धालु बता दें कि, श्री ज्वालामुखी देवी मंदिर अपनी दिव्य ज्योतियों और चमत्कारिक महिमा के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आकर मां की दिव्य ज्योतियों के दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। मंदिर प्रशासन ने दीपक शर्मा के इस भेंट की सराहना की और इसे देवी के प्रति गहरी आस्था का प्रमाण बताया। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या और इस तरह की चढ़ावे मंदिर की धार्मिक महत्ता को और भी बढ़ाते हैं। प्रशासन ने सभी श्रद्धालुओं से मंदिर की पवित्रता और मर्यादा बनाए रखने की अपील की है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में पटवारी-कानूनगो ने बंद किए ऑनलाइन काम:सैकड़ों लोगों को झेलनी पड़ी परेशानी; ऑफिशियल वॉट्सऐप ग्रुप से किया एग्जिट, स्टेट कॉडर बनाने पर भड़के हिमाचल प्रदेश के सैंकड़ों लोगों को आज पटवारी और कानूनगो के ऑनलाइन काम नहीं करने की वजह से परेशानी झेलनी पड़ी। प्रदेशभर में हिमाचल संयुक्त ग्रामीण राजस्व अधिकारी एवं कानूनगो महासंघ ने ऑनलाइन सेवाएं ठप कर दी है। इस वजह से लोग परेशान है। सरकार और महासंघ के बीच यह विवाद जल्द नहीं सुलझाया गया तो इससे आने वाले दिनों में प्रदेशवासियों की परेशानी और बढ़ेगी। दरअसल, बीते सप्ताह कैबिनेट मीटिंग में सरकार ने पटवारी-कानूनगो को स्टेट कॉडर बनाने का फैसला लिया था। अभी पटवारी और कानूनगो दोनों ही जिला कॉडर है। कैबिनेट द्वारा इन्हें स्टेट कॉडर बनाए जाने के फैसले के बाद महासघ भड़क गया है। इन्होंने आज सभी ऑफिशियल वॉट्सऐप ग्रुप से भी एग्जिट कर दिया है। इसके विरोध में आज इन्होंने ऑनलाइन काम बंद कर दिए है और अधिकांश जगह पर डिवीजन स्तर पर SDM के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा। अगले कल जिलों में डीसी के माध्यम मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंप कर स्टेट कॉडर बनाए जाने का फैसला वापस लेने की महासंघ मांग करेगा। आज ये काम प्रभावित हुए बोनोफाइड सर्टिफकेट, करेक्टर सर्टिफिकेट, इनकम सर्टिफिकेट, ईडब्ल्यूस सर्टिफिकेट, ओबीसी सर्टिफिकेट, कास्ट सर्टिफिकेट, एग्रीकल्चर सर्टिफिकेट, अन-इम्पलायमेंट सर्टिफिकेट, लैंड होल्डिंग सर्टिफिकेट, PM किसान सम्मान निधि योजना की ऑनलाइन रिपोर्टिंग जैसे काम बंद कर दिए हैं। स्टेट कॉडर से प्रभावित होगी सीनियोरिटी: सतीश हिमाचल संयुक्त ग्रामीण राजस्व अधिकारी एवं कानूनगो महासंघ के अध्यक्ष सतीश चौधरी ने बताया कि पटवारी और कानूनगों की भर्ती जिला कॉडर के हिसाब से हुई है। अब उन्हें अचानक स्टेट कॉडर बना देने से सीनियोरिटी प्रभावित होगी। इससे प्रमोशन में देरी होगी और स्टेट कॉडर में मर्ज होने से सीनियोरिटी में पीछे जा सकती हैं। उन्होंने बताया कि पटवारी कानून को इसलिए जिला कॉडर में रखा गया, क्योंकि अपने जिला में उन्हें लोकल बोल चाल और एरिया के बारे में जानकारी होती है। यदि उन्हें दूसरे जिला में ट्रांसफर जाता है तो इससे उन्हें बोल चाल और एरिया समझने में वक्त लगेगा। इससे काम में एफिशिएंसी नहीं आएगी। उन्होंने बताया कि भर्ती एवं पदोन्नति नियम के हिसाब से उन्हें जिला कॉडर में रखा जाए। 17 जुलाई को अगली रणनीति तैयार करेगा महासंघ सतीश चौधरी ने कहा कि 17 जुलाई को महासंघ ने कुल्लू में मीटिंग बुलाई है। यदि उनकी मांग को पूरा नहीं किया गया तो महासंघ आंदोलन की अगली रणनीति कुल्लू में तय करेगा।
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