<p style=”text-align: justify;”>उत्तर प्रदेश में नवंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच कुल 10 सीटों पर उपचुनाव हुए. इसमें से 7 पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की और 2 पर समाजवादी पार्टी ने. वहीं 10वीं सीट मिल्कीपुर में 8 फरवरी 2025 को मतगणना जारी है. इन चुनावों बहुजन समाज पार्टी और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने भी हिस्सा लिया है. मिल्कीपुर सीट पर तो बसपा ने उम्मीदवार नहीं उतारा. </p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि इन सभी 10 सीटों पर बसपा और चंद्रशेखर की पार्टी की हालत एक जैसी ही है. दावे चाहे जो किए हों लेकिन हकीकत की जमीन इससे बहुत दूर है.सबसे पहले बात करते हैं मिल्कीपुर उपचुनाव की. यहां 8 फरवरी को जारी मतगणना के अनुसार संतोष चौधरी को समाचार लिखे जाने तक सिर्फ 1,337 वोट मिले थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं नवंबर 2024 में हुए चुनाव की बात करें तो मीरापुर सीट पर आसपा (कां) के प्रत्याशी को 61,643 वोट से हार मिली थी. वहीं बसपा प्रत्याशी को सिर्फ 3248 वोट मिले थे. कुंदरकी में आसपा को डेढ़ लाख से ज्यादा वोट से हार मिली थी. वहीं बसपा के लिए आंकड़ा 1 लाख 70 हजार के करीब था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गाजियाबाद सीट पर बसपा 86 हजार मतों से हारी थी और आसपा 90 हजार मतों से. खैर में बसपा 86 हजार और आसपा को लगभग 92000 मतों से हार मिली थी. करहल में बसपा प्रत्याशी लगभग 96000 मतों से हारे थे और आसपा प्रत्याशी के लिए यह आंकड़ा 1 लाख के पार था. सीसामऊ में बसपा प्रत्याशी को 68 हजार वोट से मात मिली थी. इस सीट पर आसपा के प्रत्याशी नहीं थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इन आंकड़ों को देखें तो यह स्पष्ट दिख रहा है कि भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी की लड़ाई में, बसपा और आसपा (कां) को सियासी जमीन नहीं मिल रही है.</p> <p style=”text-align: justify;”>उत्तर प्रदेश में नवंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच कुल 10 सीटों पर उपचुनाव हुए. इसमें से 7 पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की और 2 पर समाजवादी पार्टी ने. वहीं 10वीं सीट मिल्कीपुर में 8 फरवरी 2025 को मतगणना जारी है. इन चुनावों बहुजन समाज पार्टी और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने भी हिस्सा लिया है. मिल्कीपुर सीट पर तो बसपा ने उम्मीदवार नहीं उतारा. </p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि इन सभी 10 सीटों पर बसपा और चंद्रशेखर की पार्टी की हालत एक जैसी ही है. दावे चाहे जो किए हों लेकिन हकीकत की जमीन इससे बहुत दूर है.सबसे पहले बात करते हैं मिल्कीपुर उपचुनाव की. यहां 8 फरवरी को जारी मतगणना के अनुसार संतोष चौधरी को समाचार लिखे जाने तक सिर्फ 1,337 वोट मिले थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं नवंबर 2024 में हुए चुनाव की बात करें तो मीरापुर सीट पर आसपा (कां) के प्रत्याशी को 61,643 वोट से हार मिली थी. वहीं बसपा प्रत्याशी को सिर्फ 3248 वोट मिले थे. कुंदरकी में आसपा को डेढ़ लाख से ज्यादा वोट से हार मिली थी. वहीं बसपा के लिए आंकड़ा 1 लाख 70 हजार के करीब था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गाजियाबाद सीट पर बसपा 86 हजार मतों से हारी थी और आसपा 90 हजार मतों से. खैर में बसपा 86 हजार और आसपा को लगभग 92000 मतों से हार मिली थी. करहल में बसपा प्रत्याशी लगभग 96000 मतों से हारे थे और आसपा प्रत्याशी के लिए यह आंकड़ा 1 लाख के पार था. सीसामऊ में बसपा प्रत्याशी को 68 हजार वोट से मात मिली थी. इस सीट पर आसपा के प्रत्याशी नहीं थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इन आंकड़ों को देखें तो यह स्पष्ट दिख रहा है कि भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी की लड़ाई में, बसपा और आसपा (कां) को सियासी जमीन नहीं मिल रही है.</p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड वाराणसी के गंगा आरती स्थल पर उमड़ा श्रद्धालुओं का हुजूम, 7 फरवरी को पहुंचे एक लाख से अधिक लोग
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