6 महीने में 2 बार मौत, दोनों बार डेथ सर्टिफिकेट:मौत के बाद बीमा कराने वाले गैंग ने करोड़ों कमाए; यूपी से दिल्ली तक नेटवर्क एक कैंसर मरीज का दिल्ली के दो बड़े अस्पतालों ने अलग-अलग तारीखों पर डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिया। इन तारीखों में भी 6 महीने का अंतर है। ऐसे ही दूसरे मामले में मौत होने के 20 दिन बाद भी 2 बीमा पॉलिसी करा दी गईं। तीसरे केस में एक महिला की मौत 5 महीने बाद दिखाकर पॉलिसी के 5 लाख रुपए हड़प लिए गए। यूपी की संभल पुलिस ने जो फर्जी बीमा पॉलिसी वाला गैंग पकड़ा है, उनसे ऐसे ही खुलासा हुए हैं। इनमें श्मशान घाट, डेथ सर्टिफिकेट जारी करने वाले और हॉस्पिटल वर्कर भी मिले हुए हैं। पुलिस इस केस में अब तक करीब 25 आरोपियों को जेल भेज चुकी है। ये गैंग उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तराखंड, हरियाणा, गुजरात, झारखंड, दिल्ली, बिहार, असम, वेस्ट बंगाल, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में फैला हुआ है। दैनिक भास्कर ने पहली रिपोर्ट में बताया था कि किस तरह मौत से ठीक पहले लोगों की बीमा पॉलिसी होती है? फिर मौत के तुरंत बाद पॉलिसी का पैसा हड़प लिया जाता है? आज की इस खबर में हम बताएंगे कि मरने के बाद कैसे बीमा पॉलिसी होती है? पढ़िए खास रिपोर्ट… केस 1- राजीव गांधी हॉस्पिटल में जून, GB पंत में दिसंबर में मौत हुई
दिल्ली में शक्ति नगर में रहने वाले त्रिलोक कुमार कैंसर पीड़ित थे। 15 जून, 2024 को वह दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट में भर्ती हुए। 19 जून, 2024 को उनकी मौत हो गई। 20 जून को दिल्ली के निगम बोध घाट पर उनका अंतिम संस्कार हो गया। परिवार के पास MCD दिल्ली की श्मशान घाट की रसीद मौजूद है। इस पर मौत का कारण कैंसर लिखा है। इसके अलावा राजीव गांधी हॉस्पिटल के डॉक्यूमेंट्स भी हैं। इसमें उन्हें 15 जून को सरकारी हॉस्पिटल रेफर होना लिखा हुआ है। त्रिलोक की पत्नी सुनीता ने बताया- पति की मौत के बाद कुछ लोग आकर मिले। कहा कि वो सरकार की तरफ से कुछ आर्थिक मदद दिला देंगे, सिर्फ कुछ डॉक्यूमेंट्स की फार्मेलिटी पूरी करनी होगी। इसके बाद त्रिलोक के नाम पर कुल 2 बीमा पॉलिसी बंधन लाइफ पॉलिसी और Edelweiss लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से कराई गईं। इसमें दूसरी वाली पॉलिसी 20.48 लाख रुपए की थी। ये पॉलिसी त्रिलोक की मौत के बाद 25 सितंबर, 2024 को शुरू हुई। जब पॉलिसी बन गई, तो मरीज को जिंदा दिखाकर कैंसर के इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती भी कराना था। इसलिए आरोपियों ने दिल्ली के गोविंद बल्लभ पंत स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान के फर्जी डॉक्यूमेंट्स तैयार कराए। यहां त्रिलोक कुमार को 27 दिसंबर 2024 में भर्ती होना, फिर उसका ECG कराना, उसी रात को हार्टअटैक से मौत हो जाना दिखाया गया। बाकायदा हॉस्पिटल की एक स्लिप भी है। इसमें लिखा है कि त्रिलोक की डेडबॉडी उसके भाई अनिल कुमार के हवाले की गई है। इसी आधार पर MCD दिल्ली ने मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया। इसमें मौत की तारीख 27 दिसंबर, 2024 लिखी हुई है। इन्हीं डॉक्यूमेंट्स के आधार पर जालसाजों ने त्रिलोक कुमार की पॉलिसी क्लेम कर दी थी। दिल्ली में डेरा डाले है संभल पुलिस
दैनिक भास्कर के पास त्रिलोक की 6 महीने में 2 बार मौत से जुड़े सभी दस्तावेज मौजूद हैं। संभल पुलिस की एक टीम पिछले कई दिन से दिल्ली में डेरा डाले है। वो इस बात की तस्दीक कर रही है कि जब त्रिलोक चंद की मौत जून में हुई, तो दिसंबर में वो दूसरे हॉस्पिटल में कैसे भर्ती हो गया? क्या त्रिलोक की जगह दूसरा मरीज उसके नाम से एडमिट किया गया? या फिर पूरे डॉक्यूमेंट्स ही फर्जी बनाए गए? पुलिस को आशंका है कि इसमें हॉस्पिटल के कुछ वर्कर भी इन्वॉल्व हैं। डॉक्टर बोले- हम सिर्फ इलाज पर फोकस रखते हैं
संभल पुलिस की अपर पुलिस अधीक्षक (ASP) अनुकृति शर्मा ने इस संबंध में GB पंत हॉस्पिटल के एक सीनियर डॉक्टर से बातचीत की। डॉक्टर का कहना था कि जब कोई मरीज हॉस्पिटल आता है, तो हमारा फोकस सिर्फ उसके इलाज पर होता है। हम उसके नाम, पता या बाकी औपचारिकताओं पर ज्यादा समय बरबाद नहीं करते। केस 2- डेथ सर्टिफिकेट में तारीख बदली, मौत के 29 दिन बाद बीमा कराया
गाजियाबाद में लोनी थाना क्षेत्र की पूजा कॉलोनी में रहने वाले सौराज की 9 नवंबर, 2022 को मौत हो गई। उसी दिन पूजा कॉलोनी के श्मशान घाट में उसका अंतिम संस्कार हो गया। परिवार के पास इस श्मशान घाट की रसीद भी मौजूद है। इसमें अंतिम संस्कार 9 नवंबर, 2022 को दोपहर साढ़े 3 बजे होना लिखा है। मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए परिवार की तरफ से जो आवेदन किया गया, उसमें इसका कारण आकस्मिक दिखाया गया है। सौराज की मौत के बाद फर्जी बीमा पॉलिसी गैंग एक्टिव हुआ और उसके घर पहुंच गया। इस गैंग ने सौराज के मृत्यु प्रमाण पत्र में तारीख बदलवाई। फिर उसकी 2 जीवन बीमा पॉलिसी करा दीं। मैक्स लाइफ पॉलिसी मौत के 29 दिन बाद 29 नवंबर, 2022 को हुई। यह साढ़े 8 लाख रुपए की थी। दूसरी पॉलिसी PNB मेटलाइफ से 7 दिसंबर, 2022 को हुई। ये 19 लाख 91 हजार 970 रुपए की है। केस 3- 5 महीने बाद दोबारा मौत दिखाई, पॉलिसी कराकर 5 लाख हड़पे
मुरादाबाद में बिलारी थाना क्षेत्र के बनियाठेर में रहने वाले सुगरवती काले को पीलिया था। 5 नवंबर, 2020 को सुबह 4 बजे उनकी मौत बनियाठेर में हुई। जानकारी होते ही फ्रॉड गैंग ने परिवार से संपर्क साधा और सरकारी मदद दिलाने के बहाने दस्तावेज ले लिए। इसके बाद गैंग ने सुगरवती को जिंदा दिखाकर 12 जनवरी, 2021 को ICICI फ्रेंटेन्डल लाइन इंश्योरेंस कंपनी से 5 लाख रुपए की पॉलिसी करवा ली। पॉलिसी की EMI का पैसा भी कुछ महीनों तक जमा किया। फिर इस गैंग ने साठगांठ करके सुगरवती की मौत 31 मार्च, 2021 को दर्शाकर ब्लॉक बिलारी (मुरादाबाद) से 30 नवंबर, 2021 को उसका मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी करा लिया। इसी के सहारे पॉलिसी का पैसा नॉमिनी के खाते में आ गया। ये पैसा गैंग के 3 मेंबरों ने आपस में बांट लिया। इन तीनों केस में सबसे बड़ी बात यह है कि पीड़ित परिवारों को पता ही नहीं होता था कि मृतकों के नाम पर पॉलिसी हो गई है। नए बैंक खाते खुल गए हैं। इन परिवारों को सिर्फ ये आस रहती थी कि बाद में थोड़ा-बहुत पैसा जरूर मिलेगा। लेकिन, ऐसा होता नहीं था। ‘फर्जी मरीज भर्ती हुआ या सारे डॉक्यूमेंट ही फर्जी बने, इस पर जांच’
इस पूरे केस का सुपरविजन कर रहीं संभल जिले की IPS ऑफिसर अनुकृति शर्मा ने हमसे बात की। उन्होंने बताया- हमारी एक टीम दिल्ली के GB पंत हॉस्पिटल वाले डॉक्यूमेंट्स की जांच कर रही है। इसमें जब त्रिलोक को एडमिट दिखाया गया, तो उसका एक क्रमांक नंबर है। इस क्रमांक नंबर से पता किया जा रहा है कि वहां रियल में कौन मरीज भर्ती था। क्योंकि जो त्रिलोक 6 महीने पहले मर चुका है, वो दोबारा एडमिट होना तो संभव नहीं। इसलिए पता कर रहे हैं कि क्या त्रिलोक की जगह किसी दूसरे ऐसे ही मरीज को फर्जी नाम से एडमिट कराया गया। या फिर बिना मरीज भर्ती हुए ही सारे डॉक्यूमेंट्स फर्जी बन गए। वो बताती हैं- हम इस केस की जांच में जितना अंदर जा रहे हैं, उतनी ही नई-नई चीजें सामने आ रही हैं। ऐसा लगता है कि ये नेक्सस पूरे भारत में फैला हुआ है। पॉलिसी से जुड़े हर विभाग में इस गैंग के मेंबर बैठे हुए हैं। जानिए कैसे सामने आया फर्जीवाड़ा 17 जनवरी को स्कॉर्पियो सवारों के पकड़ने से हुई थी शुरुआत
संभल पुलिस ने वाहन चेकिंग के दौरान 17 जनवरी, 2024 को स्कॉर्पियो सवार 2 युवक पकड़े। इसमें मुख्य मास्टरमाइंड ओंकारेश्वर मिश्रा निवासी वाराणसी के मोबाइल से करीब एक लाख अलग–अलग लोगों के फोटो और कई हजार डॉक्यूमेंटस मिले। ये डॉक्यूमेंटस बीमा पॉलिसी से जुड़े हुए थे। आगे तफ्तीश हुई तो पता चला कि देश में एक ऐसा गैंग एक्टिव है जो लोगों के मरने से पहले, मरने के बाद हेल्थ बीमा कराता है। पिछले 8 साल से एक्टिव इस गैंग ने अब तक 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का फ्रॉड इसी तरह किया है। अब तक 25 आरोपी जेल जा चुके हैं और बाकी गिरफ्तारियां जारी हैं। पार्ट-3 में पढ़िए, बीमार लोगों के नाम पर ट्रैक्टर बीमा, फिर निकाल लेते थे रकम। ————————- ये खबर भी पढ़ें… मरने वालों का करते थे बीमा, मौत के बाद खुद उठा लेते थे पैसा, 70% मौत हार्टअटैक से दिखाई संभल जिले में 2 कारें चोरी हुईं। पुलिस चोरों को पकड़ने के लिए चेकिंग कर रही थी। इसी दौरान स्कॉर्पियो में सवार दो युवक पकड़े गए। दोनों ने देश के एक बड़ी गैंग को बेनकाब कर दिया। यह गैंग जिंदगी की आखिरी स्टेज वाले लोगों की बीमा पॉलिसी कर करोड़ों रुपए हड़प चुका है। दैनिक भास्कर ने इस पूरे केस की बारीकी से स्टडी की। यहां पढ़ें पूरी खबर