यूपी STF ने NHI के टोल प्लाजा पर टैक्स वसूली में हो रहे घोटाले का पर्दाफाश किया है। लखनऊ STF टीम ने मंगलवार रात मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारकर 3 लोगों को पकड़ा है। ये लोग टोल प्लाजा पर लगे NHI के कम्प्यूटर में अपना सॉफ्टवेयर इंस्टाल करके बिना फास्टैग के गुजरने वाले वाहनों की कलेक्शन राशि में से गबन कर रहे थे। पिछले दो साल से अतरैला के शिवगुलाम टोला प्लाजा से रोज 45000 रुपए वसूल रहे थे। इस तरह से यह लोग अकेले इसी टोल-प्लाजा से अब तक 3 करोड़ 28 लाख रुपप गबन कर चुके हैं। यह आरोपी अब तक देश के 12 राज्यों के 42 टोल प्लाजा में NHAI के समानांतर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर चुके हैं। एसटीएफ के इंस्पेक्टर दीपक सिंह ने तहरीर देकर लालगंज थाने में चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। STF ने आरोपियों के कब्जे से दो लैपटॉप एक प्रिंटर 5 मोबाइल फोन, एक कार और ₹19000 रुपए भी बरामद किए हैं। STF पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि 12 राज्यों में करीब 200 टोल प्लाजा पर इस तरह से गड़बड़ी की जा रही है। लगातार मिल रही थी धोखाधड़ी की शिकायतें इंस्पेक्टकेर दीपक सिंह ने बताया कि NHI के विभिन्न टोल प्लाजा पर गड़बड़ी की शिकायतें मिल रही थीं। बिना फास्टैग और फास्टैग अकाउंट में कम पैसे वाले वाहनों से टोल प्लाजा के बूथ कंप्यूटर में NHI के सॉफ्टवेयर सर्वर के अतिरिक्त अलग से सॉफ्टवेयर के माध्यम से धोखाधड़ी की जा रही थी। एसटीएफ वाराणसी के अपर पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार सिंह और लखनऊ के अपर पुलिस अधीक्षक विमल कुमार सिंह की टीम लगातार मामले की मॉनिटरिंग कर रही थी। इसी बीच एसडीओ को सूचना मिली कि NHI के सॉफ्टवेयर में अलग से सॉफ्टवेयर बनाने और इंस्टॉल करने वाला व्यक्ति वाराणसी में है। STF टीम ने बाबतपुर एयरपोर्ट के पास से आलोक कुमार सिंह को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की। इस तरह से सरकारी पैसे का कर रहे थे गबन STF की पूछताछ में आलोक सिंह ने बताया- मैं MCA पास हूं। पहले टोल प्लाजा पर काम करता था। वहीं से टोल प्लाजा का ठेका लेने वाली कंपनियां के संपर्क में आया। इसके बाद टोल प्लाजा मालिकों की मिलीभगत से एक सॉफ्टवेयर बनाया। टोल प्लाजा पर लगे कम्प्यूटर में अपने भी सॉफ्टवेयर को इंस्टाल कर दिया, जिसका एक्सेस अपने लैपटॉप से कर लिया। इसमें टोल प्लाजा के आईटी कर्मियों ने भी साथ दिया। आलोक ने बताया- टोल प्लाजा से बिना फास्टैग के गुजरने वाले वाहनों से दोगुना शुल्क हमारे सॉफ्टवेयर से वसूला जाता था। उसकी भी प्रिंट पर्ची NHAI के सॉफ्टवेयर के समान ही होती थी। इस तरह से मालिकों द्वारा बिना फास्ट टैग वाले वाहनों से वसूली गई धनराशि का गबन कर लिया जाता है। अवैध वसूली के वाहन को वाहन शुल्क से मुक्त श्रेणी दिखाकर जाने दिया जाता था। वहीं बिना फास्टैग वाले वाहनों से वसूले गए टोल टैक्स की औसतन 5% धनराशि NHAI के असली सॉफ्टवेयर से वसूली जाती है, जिससे सामान्य रूप से किसी को शक न हो कि बिना फास्टैग वाले वाहनों का टोल टैक्स खाते में नहीं जा रहा है। जबकि नियमानुसार बिना फास्टैग वाले वाहनों से वसूले जाने वाले टोल टैक्स का 50% NHAI के खाते में जमा करना होता है। आपस में बांट लेते थे रुपए
घोटाले के रुपए टोल प्लाजा मालिकों, टोल प्लाजा के आईटी कर्मियों और अन्य कर्मचारियों के बीच में बांटे जाते थे। आलोक सिंह ने बताया कि सावंत और सुखांतु की देखरेख में देश के 200 से अधिक टोल प्लाजा पर इस तरह के सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किए गए हैं। जिनसे हर रोज करोड़ों रुपए का गबन किया जा रहा है। जबकि आलोक सिंह ने देश के 42 टोल प्लाजा पर अपना सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया है। इससे जो धनराशि प्राप्त होती थी उसको अपने खाते के साथ ही अपने परिजनों और ससुर के बैंक खाते में ट्रांसफर कर लेता था। मिर्जापुर के टोल प्लाजा में हो रहा था प्रतिदिन 45000 का गबन
एसटीएफ की पूछताछ में आलोक ने बताया कि पिछले दो साल से वह इस काम से जुड़ा हुआ है। मिर्जापुर जिले के अतरैला शिव गुलाम टोल प्लाजा पर इस सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल किया गया है। जहां प्रतिदिन 45000 रुपए के टोल टैक्स का गबन हो रहा था। एसटीएफ का कहना है कि अन्य टोल प्लाजा के बारे में भी छानबीन की जा रही है। देश के 12 राज्यों के 42 टोल प्लाजा पर लगा था सॉफ्टवेयर एसटीएफ की पूछताछ में आरोपी ने बताया कि देश के 42 टोल प्लाजा पर यह सॉफ्टवेयर लगाया गया था। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल शामिल है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, आजमगढ़, बरेली, बागपत, मिर्जापुर, शामली, गोरखपुर, जिले के टोल प्लाजा पर यह सॉफ्टवेयर लगाए गए हैं। ………………………………. ये खबर भी पढ़ें महाकुंभ में मंत्री के नाम पर ब्लैक में दुकान:दलाल बोले- पैसे दो, कहीं भी दुकान मिलेगी; एक ने कहा- मंत्री नंदी, उनकी मौसी मेरी करीबी मैंने 14 दुकानें बुक की हैं। सब में 2 से 3 लाख लगे हैं। अब जैसा मुर्गा फंस जाता है, उसी हिसाब से बेच रहा हूं। किसी से 5 लाख, तो किसी से 8 से 10 लाख ले रहा हूंं। यह दावा है प्रयागराज महाकुंभ में दुकानों को ब्लैक में बेचने वाले मधुप्रिया फाउंडेशन (NGO) के डायरेक्टर डॉ. पीके श्रीवास्तव का। वह खुद को यूपी सरकार के मंत्री नंद गोपाल नंदी की मौसी से जुड़ा बताता है। (पूरी खबर पढ़ें) यूपी STF ने NHI के टोल प्लाजा पर टैक्स वसूली में हो रहे घोटाले का पर्दाफाश किया है। लखनऊ STF टीम ने मंगलवार रात मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारकर 3 लोगों को पकड़ा है। ये लोग टोल प्लाजा पर लगे NHI के कम्प्यूटर में अपना सॉफ्टवेयर इंस्टाल करके बिना फास्टैग के गुजरने वाले वाहनों की कलेक्शन राशि में से गबन कर रहे थे। पिछले दो साल से अतरैला के शिवगुलाम टोला प्लाजा से रोज 45000 रुपए वसूल रहे थे। इस तरह से यह लोग अकेले इसी टोल-प्लाजा से अब तक 3 करोड़ 28 लाख रुपप गबन कर चुके हैं। यह आरोपी अब तक देश के 12 राज्यों के 42 टोल प्लाजा में NHAI के समानांतर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर चुके हैं। एसटीएफ के इंस्पेक्टर दीपक सिंह ने तहरीर देकर लालगंज थाने में चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। STF ने आरोपियों के कब्जे से दो लैपटॉप एक प्रिंटर 5 मोबाइल फोन, एक कार और ₹19000 रुपए भी बरामद किए हैं। STF पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि 12 राज्यों में करीब 200 टोल प्लाजा पर इस तरह से गड़बड़ी की जा रही है। लगातार मिल रही थी धोखाधड़ी की शिकायतें इंस्पेक्टकेर दीपक सिंह ने बताया कि NHI के विभिन्न टोल प्लाजा पर गड़बड़ी की शिकायतें मिल रही थीं। बिना फास्टैग और फास्टैग अकाउंट में कम पैसे वाले वाहनों से टोल प्लाजा के बूथ कंप्यूटर में NHI के सॉफ्टवेयर सर्वर के अतिरिक्त अलग से सॉफ्टवेयर के माध्यम से धोखाधड़ी की जा रही थी। एसटीएफ वाराणसी के अपर पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार सिंह और लखनऊ के अपर पुलिस अधीक्षक विमल कुमार सिंह की टीम लगातार मामले की मॉनिटरिंग कर रही थी। इसी बीच एसडीओ को सूचना मिली कि NHI के सॉफ्टवेयर में अलग से सॉफ्टवेयर बनाने और इंस्टॉल करने वाला व्यक्ति वाराणसी में है। STF टीम ने बाबतपुर एयरपोर्ट के पास से आलोक कुमार सिंह को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की। इस तरह से सरकारी पैसे का कर रहे थे गबन STF की पूछताछ में आलोक सिंह ने बताया- मैं MCA पास हूं। पहले टोल प्लाजा पर काम करता था। वहीं से टोल प्लाजा का ठेका लेने वाली कंपनियां के संपर्क में आया। इसके बाद टोल प्लाजा मालिकों की मिलीभगत से एक सॉफ्टवेयर बनाया। टोल प्लाजा पर लगे कम्प्यूटर में अपने भी सॉफ्टवेयर को इंस्टाल कर दिया, जिसका एक्सेस अपने लैपटॉप से कर लिया। इसमें टोल प्लाजा के आईटी कर्मियों ने भी साथ दिया। आलोक ने बताया- टोल प्लाजा से बिना फास्टैग के गुजरने वाले वाहनों से दोगुना शुल्क हमारे सॉफ्टवेयर से वसूला जाता था। उसकी भी प्रिंट पर्ची NHAI के सॉफ्टवेयर के समान ही होती थी। इस तरह से मालिकों द्वारा बिना फास्ट टैग वाले वाहनों से वसूली गई धनराशि का गबन कर लिया जाता है। अवैध वसूली के वाहन को वाहन शुल्क से मुक्त श्रेणी दिखाकर जाने दिया जाता था। वहीं बिना फास्टैग वाले वाहनों से वसूले गए टोल टैक्स की औसतन 5% धनराशि NHAI के असली सॉफ्टवेयर से वसूली जाती है, जिससे सामान्य रूप से किसी को शक न हो कि बिना फास्टैग वाले वाहनों का टोल टैक्स खाते में नहीं जा रहा है। जबकि नियमानुसार बिना फास्टैग वाले वाहनों से वसूले जाने वाले टोल टैक्स का 50% NHAI के खाते में जमा करना होता है। आपस में बांट लेते थे रुपए
घोटाले के रुपए टोल प्लाजा मालिकों, टोल प्लाजा के आईटी कर्मियों और अन्य कर्मचारियों के बीच में बांटे जाते थे। आलोक सिंह ने बताया कि सावंत और सुखांतु की देखरेख में देश के 200 से अधिक टोल प्लाजा पर इस तरह के सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किए गए हैं। जिनसे हर रोज करोड़ों रुपए का गबन किया जा रहा है। जबकि आलोक सिंह ने देश के 42 टोल प्लाजा पर अपना सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया है। इससे जो धनराशि प्राप्त होती थी उसको अपने खाते के साथ ही अपने परिजनों और ससुर के बैंक खाते में ट्रांसफर कर लेता था। मिर्जापुर के टोल प्लाजा में हो रहा था प्रतिदिन 45000 का गबन
एसटीएफ की पूछताछ में आलोक ने बताया कि पिछले दो साल से वह इस काम से जुड़ा हुआ है। मिर्जापुर जिले के अतरैला शिव गुलाम टोल प्लाजा पर इस सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल किया गया है। जहां प्रतिदिन 45000 रुपए के टोल टैक्स का गबन हो रहा था। एसटीएफ का कहना है कि अन्य टोल प्लाजा के बारे में भी छानबीन की जा रही है। देश के 12 राज्यों के 42 टोल प्लाजा पर लगा था सॉफ्टवेयर एसटीएफ की पूछताछ में आरोपी ने बताया कि देश के 42 टोल प्लाजा पर यह सॉफ्टवेयर लगाया गया था। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल शामिल है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, आजमगढ़, बरेली, बागपत, मिर्जापुर, शामली, गोरखपुर, जिले के टोल प्लाजा पर यह सॉफ्टवेयर लगाए गए हैं। ………………………………. ये खबर भी पढ़ें महाकुंभ में मंत्री के नाम पर ब्लैक में दुकान:दलाल बोले- पैसे दो, कहीं भी दुकान मिलेगी; एक ने कहा- मंत्री नंदी, उनकी मौसी मेरी करीबी मैंने 14 दुकानें बुक की हैं। सब में 2 से 3 लाख लगे हैं। अब जैसा मुर्गा फंस जाता है, उसी हिसाब से बेच रहा हूं। किसी से 5 लाख, तो किसी से 8 से 10 लाख ले रहा हूंं। यह दावा है प्रयागराज महाकुंभ में दुकानों को ब्लैक में बेचने वाले मधुप्रिया फाउंडेशन (NGO) के डायरेक्टर डॉ. पीके श्रीवास्तव का। वह खुद को यूपी सरकार के मंत्री नंद गोपाल नंदी की मौसी से जुड़ा बताता है। (पूरी खबर पढ़ें) उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
मिर्जापुर में टोल प्लाजा से करोड़ों का गबन:यूपी STF ने 3 को पकड़ा, 12 राज्यों के 200 टोल प्लाजा पर चल रहा खेल
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