गाजीपुर का फाटक। न गाड़ियों का काफिला, न ही भीड़। दूर-दूर तक शोर-शराबा नहीं सुनाई दे रहा। इक्का-दुक्का लाेग आते-जाते दिखे। यह सीन पूर्वांचल के बाहुबली मुख्तार अंसारी के पुश्तैनी घर का है, जिसे फाटक के नाम से जाना जाता है। बाहुबली मुख्तार अंसारी की मौत को आज 1 साल पूरा हो गया। 28 मार्च, 2024 को बांदा की जेल में हार्ट अटैक आने पर उसे अस्पताल ले जाया गया था, जहां मुख्तार की मौत हुई थी। उसकी मौत के 1 साल बाद बहुत सारी चीजें बदल गईं, परिवार में भी और पूर्वांचल में भी। दैनिक भास्कर की टीम मुख्तार अंसारी के क्षेत्र में पहुंची। लोगों और मुख्तार के बड़े भाई सांसद अफजाल से भी बात की। जाना परिवार में बाकी लोग अब कहां हैं? सियासत की बागडोर कैसे चल रही? पढ़िए दैनिक भास्कर की रिपोर्ट… जिस फाटक पर हमेशा लोग रहते थे, अब सन्नाटा पसरा हम सुबह-सुबह गाजीपुर जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर मोहम्मदाबाद के लिए निकले। यहीं यूसुफपुर कस्बे में अंसारी परिवार का पुश्तैनी घर है। हम बाजार से होते हुए सीधे फाटक पर पहुंचे। अंसारी परिवार के घर को फाटक ही कहते हैं। चारों तरफ से ऊंची दीवार से घिरे इस घर में जाने के लिए एक रास्ता है। उसी रास्ते पर करीब 10 फीट ऊंचा गेट लगा है। 90 के दशक में पूर्वांचल की सियासत यहीं से कंट्रोल होती थी। पहले क्षेत्र में कोई विवाद होता तो लोग कहते थे- फाटक चलो, वहीं फैसला होगा। अब यहां पहले जैसी स्थिति नहीं है। लोग कहते हैं, चुनाव छोड़ दिया जाए तो यहां बाकी समय सन्नाटा नजर आता है। हम फाटक के अंदर गए। यहां एक ऑफिस है, उसके आगे बरामदा। बरामदे में 6 कुर्सी, एक सोफा और एक तख्त बिछाया हुआ है। ऊपर मुख्तार अंसारी के पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी की तस्वीर लगी है। दूसरी तरफ मुख्तार के बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी और उनके विधायक बेटे सुहेब अंसारी की तस्वीर है। ऑफिस के अंदर परिवार के ही बाकी लोगों की तस्वीर लगी है। जो लोग अपनी समस्याओं को लेकर आते हैं, ऑफिस के बरामदे में बैठते हैं। फिर उनकी समस्या सुनने के लिए गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी आते हैं। सांसद अफजाल बोले- मऊ की जनता सब्र कर रही हमने बरामदे में ही कुछ देर इंतजार किया। थोड़ी देर बाद मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सांसद अफजाल अंसारी आए। हमारी बातचीत शुरू हुई। उन्होंने कैमरे के सामने नहीं बोलने की बात कही। ऑफ कैमरा ही बातचीत शुरू हुई। हमने पूछा- मुख्तार की मौत के एक साल हो रहे, क्या कुछ बदला और क्या प्लान है? अफजाल थोड़ा सीरियस हो गए। कहने लगे- 30 मार्च को उनकी पहली पुण्यतिथि मनाएंगे। अगर उस दिन ईद पड़ती है, तो हम आगे मनाएंगे। मुख्तार अंसारी के बड़े बेटे अब्बास अंसारी मऊ जिले की सदर सीट से विधायक हैं। नवंबर, 2022 से वह जेल में बंद थे। इसी 21 मार्च को जमानत पर जेल से बाहर आए हैं। कोर्ट का आदेश है कि वह लखनऊ में अपने सरकारी आवास में रहें। अगर अपने विधानसभा क्षेत्र में जाना चाहते हैं तो प्रशासन की अनुमति के बाद जाएं। हमने अफजाल अंसारी से पूछा कि अब्बास पिछले ढाई साल से जेल में हैं, उनके क्षेत्र का काम कैसे हो रहा? अफजाल कहते हैं- वहां की जनता सब्र करती है। वह सब कुछ देख रही है। बाकी कोर्ट ने उन्हें लखनऊ के सरकारी आवास पर रहने को कहा है। प्रशासन की अनुमति मिलने के बाद मऊ क्षेत्र में आ सकते हैं, अब वह आना चाहेंगे तो आएंगे। आसपास के लोगों में मुख्तार को लेकर मिली-जुली राय किसी ने कहा- मसीहा, तो कोई बोला- जो अत्याचारी थे चले गए या साइड में पड़े हैं अफजाल अंसारी से काफी देर बातचीत करने के बाद हम फाटक के बाहर आए और लोगों से बात की। गाजीपुर में मुख्तार को लेकर अलग-अलग राय है। कोई मसीहा कहता है, तो कोई अत्याचारी। आसपास के लोग मुख्तार को मसीहा कहते हैं। बाजार में ही हमें किसान गोपाल राय मिले। वह कहते हैं- यह बात तो सब जानते हैं कि मुख्तार अंसारी की साजिश के तहत हत्या की गई। मुख्तार गरीबों के बहुत मददगार थे। जो लोग सामंती विचारधारा के थे, वह उनसे जलते थे। कहते थे कि छोटी जाति वालों को बढ़ा रहा। गोपाल राय अब की स्थिति को लेकर कहते हैं- गाजीपुर की जनता जानती है कि उसके आंसू पोछने वाला कौन है? ऊंची जाति में भी जो सामाजिक विचारों को मानते हैं, वे अफजाल अंसारी को ही मानते हैं। गहमर गांव के साहेब सिंह कहते हैं- जो अत्याचारी थे, वह करीब-करीब चले गए हैं। जो बचे हैं, वह साइड में पड़े हैं। हर आदमी का अपना एक समय होता है। इस वक्त भाजपा का समय है। एक समय ये लोग दबंग थे। जो कहते थे, वह होता था। एक कहावत है- ‘जबरा मारे रोअय न देय, आपन बटुआ टोवय न देय।’ वह दो भाइयों के झगड़े में कह देते कि तुम इसे इतना हिस्सा दे दो, वह डर के कारण दे देता था। हमने साहेब सिंह से मुख्तार अंसारी के बेटों की राजनीति को लेकर पूछा। साहेब सिंह कहते हैं- मुख्तार के जो दो लड़के हैं, जहां रह रहे वहीं रह जाएंगे। अब किसी को दबंगई पसंद नहीं। पहले भी पसंद नहीं थी, लेकिन लोग मजबूर थे। गहमर के ही रिटायर्ड फौजी आदित्य सिंह कहते हैं- पूर्वांचल की राजनीति बदल गई है। अत्याचारी लोग चले गए, अब योगीराज आ गया। हमारे गांव, ब्लॉक, तहसील में सब लोग खुश हैं। पहले यहां बहुत जातिवाद था, अब सब बदल गया है। हमने कहा- क्या भाजपा यहां कमजोर है, जो वह जीतते रहे हैं? आदित्य कहते हैं- भाजपा कमजोर नहीं, उसके खिलाफ कई लोग मिलकर लड़ते हैं। लेकिन आज बीजेपी हावी है, आगे फिर से भाजपा ही जीतेगी। गाजीपुर के ही व्यवसायी मयंक कुमार राय कहते हैं- अब गुंडाराज खत्म हो गया है। लोग सम्मान के साथ जी रहे हैं। सीएम योगी बढ़िया काम कर रहे हैं। यहां हर तरफ सड़क बन रही, एक्सप्रेस-वे और हाईवे ऐसे हैं कि कहीं से भी आप आ और जा सकते हैं। यहां तो मुद्दा ही खत्म हो गया है। अब जानिए किस हाल में है मुख्तार और दोनों भाई का परिवार मुख्तार अंसारी के जाने के 1 साल बाद खुद के परिवार और दोनों भाइयों के परिवार की क्या स्थिति है? कौन क्या कर रहा है? यह हमने जानने की कोशिश की। पहले मुख्तार के परिवार के बारे में जानिए… मुख्तार अंसारी 2005 में जेल गया। इसके बाद परिवार और परिवार के धंधे को मुख्तार की पत्नी अफशां अंसारी ने संभाला। अफशां ने मऊ जिले के दक्षिण टोला के रैनी गांव के पास एक जमीन ली। विकास कंस्ट्रक्शन के नाम से फर्म बनाकर उस पर एक गोदाम बनाया। इस फर्म में अफशां के अलावा उसके दोनों भाई अनवर सहजाद और आतिफ रजा थे। इसके अलावा रविंद्र नारायण सिंह और जाकिर हुसैन भी इसमें शामिल रहे। इस गोदाम को फर्म के जरिए एफसीआई को किराए पर दे दिया गया। 2020 में इसी जमीन को लेकर मुख्तार की पत्नी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। जांच में पता चला कि जो जमीन अनुसूचित जाति के लोगों को पट्टे पर दी जानी थी, उस पर गलत तरीके से फर्म बना ली गई। जून, 2021 में इस फर्म के पिछले हिस्से की बाउंड्री बुलडोजर से गिराकर जमीन को कब्जा मुक्त करवाया गया। बाकी लोग तो कोर्ट में पेश हुए, लेकिन अफशां इस मामले में एक बार भी पेशी पर नहीं आई। 31 जनवरी, 2022 को अफशां पर गैंगस्टर एक्ट लगा दिया गया। इसके बाद से वह फरार है। 28 मार्च, 2024 को मुख्तार की मौत हुई, तो चर्चा थी कि शायद अफशां अपने पति को मिट्टी देने आए। लेकिन वह नहीं आई। 40वां हुआ तब भी अनुमान लगाया गया, लेकिन वहां भी नहीं पहुंची। उस पर अब तक कुल 11 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। मऊ पुलिस ने 25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया है। वहीं, गाजीपुर में गजल होटल लैंड डील और नंदगंज में सरकारी जमीन पर कब्जे को लेकर 25-25 हजार रुपए का इनाम है। गाजीपुर पुलिस की तरफ से 50 हजार और मऊ पुलिस की तरफ से 25 हजार का इनाम है। यानी अफशां पर कुल 75 हजार रुपए का इनाम है। मऊ-गाजीपुर की पुलिस ने अब तक अफशां की करीब 10 करोड़ रुपए की संपत्ति को कुर्क किया है। इसमें मऊ की बल्लभ ड्योढ़ी दास के नाम से पहचानी जाने वाली जमीन भी शामिल है। इसको एमपी-एमएलए कोर्ट में चैलेंज किया गया तो कोर्ट की तरफ से कहा गया कि यह संपत्ति 2010 में मुख्तार अंसारी के विधायक रहते हुए अवैध धन से खरीदी गई। इसलिए कुर्क की गई है। मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी 2022 में ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा के टिकट पर मऊ की सदर सीट से विधायक बने। सुभासपा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन में थी। चुनाव के बाद सुभासपा, भाजपा के साथ चली गई। लेकिन, अब्बास अंसारी भाजपा के साथ नहीं गए। अब्बास अंसारी पर 2022 में चुनाव मंच से सरकारी अधिकारियों को धमकाने पर मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद गैंगस्टर एक्ट लगा दिया गया। अब्बास पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा। फिर नवंबर 2022 में ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया और चित्रकूट जेल भेज दिया। 32 महीने बाद अब वह जेल से बाहर आए हैं। अब्बास पर कुल 8 केस दर्ज हैं। चित्रकूट जेल में बंद अब्बास अंसारी से उनकी पत्नी निखत अंसारी अक्सर मिलने जाती थी। 10 फरवरी, 2023 को जिले की एसपी वृंदा शुक्ला ने जेल में छापा मारा तो दोनों एक साथ मिले। निखत चित्रकूट में ही एक जगह रहती और रोज मिलने जाती थी। पुलिस ने निखत को भी जेल भेज दिया। उस वक्त निखत का एक 6 महीने का बेटा भी था। निखत 6 महीने जेल में रही। इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की गई, लेकिन कोर्ट ने याचिका रद्द कर दी। निखत ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया। 11 अगस्त, 2023 को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता महिला है और उसका एक साल का बच्चा है। लेकिन, याचिकाकर्ता को जमानत की शर्तों का उल्लंघन नहीं करना है। शर्त यह थी कि ट्रायल कोर्ट के आदेश के बाद ही पति से मिलने जाएंगी। निखत फिलहाल अब जेल से बाहर हैं। लेकिन कहां हैं, इसकी जानकारी सिर्फ परिवार के लोगों को है। मुख्तार का दूसरा बेटा उमर अंसारी 24 साल का है। इस पर भी हेट स्पीच का मामला दर्ज है। जेल भी जा चुका है। भाई अब्बास अंसारी के चुनाव प्रचार में सक्रिय रहा। पिता मुख्तार की मौत हुई तो मीडिया के सामने उमर ने जांच की मांग की थी। कहा था कि पिता को जेल के अंदर जहर दिया गया। हालांकि इस जांच में जहर जैसी कोई चीज नहीं आई। उस बयान के बाद उमर का कोई राजनीतिक बयान नहीं आया। क्षेत्र में भी अब उमर नजर नहीं आता। उसने पिता मुख्तार की मौत के बाद उनकी मूंछों पर आखिरी बार ताव दिया था। उमर पर जालसाजी और अवैध कब्जे का आरोप है। एक भाई गाजीपुर से सांसद, भतीजा विधायक 1- सिबगतुल्लाह अंसारी, मुख्तार के सबसे बड़े भाई: राजनीति छोड़ी, बेटा संभाल रहा विरासत मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी 60 साल की उम्र तक अंसारी इंटर कॉलेज में कार्यरत रहे। रिटायरमेंट के बाद 2007 में सपा के टिकट पर मोहम्मदाबाद सीट से पहली बार विधायक बने। 2012 में अपनी पार्टी कौमी एकता दल बनाया और विधायक बने। 2017 में तीसरी बार सपा के टिकट पर इसी सीट से विधायक बने। 2022 में उम्र के चलते राजनीति से अलग हो गए। सिबगतुल्लाह पर 3 केस दर्ज हैं। उनके बेटे सुहैब अंसारी अब इसी सीट से सपा के विधायक हैं। अब तक विवादों से उनका नाता नहीं रहा है। सिबगतुल्लाह अंसारी के दो और बेटे हैं- सलमान अंसारी और सहर अंसारी। 2- अफजाल अंसारी, मुख्तार के भाई: गाजीपुर से सपा से सांसद, बेटी भी राजनीति में सक्रिय अफजल अंसारी को 29 अप्रैल, 2023 को 4 साल की सजा सुनाई गई थी। अफजाल अंसारी को जेल जाना पड़ा था और उनकी संसद सदस्यता निरस्त हो गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी और अफजाल की सदस्यता बहाल हो गई थी। अफजाल पर 6 केस हैं। फिलहाल अफजाल गाजीपुर लोकसभा सीट से सपा सांसद हैं। उनकी 3 बेटियां- मरिया अंसारी, नुसरत अंसारी और नुरिया अंसारी हैं। नुसरत 2024 के लोकसभा चुनाव में सक्रिय रही थीं। —————— यह खबर भी पढ़ें… UP में क्या सपा-कांग्रेस का गठबंधन टूटेगा, राहुल गांधी 200 सीट से कम पर राजी नहीं; सांसद इमरान मसूद ने दिए संकेत राहुल-प्रियंका के करीबी और पश्चिमी यूपी के कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने साफ कर दिया कि 80 में 17 का फॉर्मूला अब स्वीकार नहीं। मसूद ने साफ कहा कि हम लोग इस बार किसी को जिताने या हराने के लिए नहीं लड़ेंगे। हमारा संघर्ष कांग्रेस के आधार को वापस लाने के लिए होगा। इमरान मसूद का बयान ऐसे वक्त आया है, जब कांग्रेस ने प्रदेश में जिलाध्यक्षों और महानगर अध्यक्षों की सूची में पिछड़ों के बाद सबसे ज्यादा जगह मुस्लिमों को दी है। पढ़ें पूरी खबर… गाजीपुर का फाटक। न गाड़ियों का काफिला, न ही भीड़। दूर-दूर तक शोर-शराबा नहीं सुनाई दे रहा। इक्का-दुक्का लाेग आते-जाते दिखे। यह सीन पूर्वांचल के बाहुबली मुख्तार अंसारी के पुश्तैनी घर का है, जिसे फाटक के नाम से जाना जाता है। बाहुबली मुख्तार अंसारी की मौत को आज 1 साल पूरा हो गया। 28 मार्च, 2024 को बांदा की जेल में हार्ट अटैक आने पर उसे अस्पताल ले जाया गया था, जहां मुख्तार की मौत हुई थी। उसकी मौत के 1 साल बाद बहुत सारी चीजें बदल गईं, परिवार में भी और पूर्वांचल में भी। दैनिक भास्कर की टीम मुख्तार अंसारी के क्षेत्र में पहुंची। लोगों और मुख्तार के बड़े भाई सांसद अफजाल से भी बात की। जाना परिवार में बाकी लोग अब कहां हैं? सियासत की बागडोर कैसे चल रही? पढ़िए दैनिक भास्कर की रिपोर्ट… जिस फाटक पर हमेशा लोग रहते थे, अब सन्नाटा पसरा हम सुबह-सुबह गाजीपुर जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर मोहम्मदाबाद के लिए निकले। यहीं यूसुफपुर कस्बे में अंसारी परिवार का पुश्तैनी घर है। हम बाजार से होते हुए सीधे फाटक पर पहुंचे। अंसारी परिवार के घर को फाटक ही कहते हैं। चारों तरफ से ऊंची दीवार से घिरे इस घर में जाने के लिए एक रास्ता है। उसी रास्ते पर करीब 10 फीट ऊंचा गेट लगा है। 90 के दशक में पूर्वांचल की सियासत यहीं से कंट्रोल होती थी। पहले क्षेत्र में कोई विवाद होता तो लोग कहते थे- फाटक चलो, वहीं फैसला होगा। अब यहां पहले जैसी स्थिति नहीं है। लोग कहते हैं, चुनाव छोड़ दिया जाए तो यहां बाकी समय सन्नाटा नजर आता है। हम फाटक के अंदर गए। यहां एक ऑफिस है, उसके आगे बरामदा। बरामदे में 6 कुर्सी, एक सोफा और एक तख्त बिछाया हुआ है। ऊपर मुख्तार अंसारी के पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी की तस्वीर लगी है। दूसरी तरफ मुख्तार के बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी और उनके विधायक बेटे सुहेब अंसारी की तस्वीर है। ऑफिस के अंदर परिवार के ही बाकी लोगों की तस्वीर लगी है। जो लोग अपनी समस्याओं को लेकर आते हैं, ऑफिस के बरामदे में बैठते हैं। फिर उनकी समस्या सुनने के लिए गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी आते हैं। सांसद अफजाल बोले- मऊ की जनता सब्र कर रही हमने बरामदे में ही कुछ देर इंतजार किया। थोड़ी देर बाद मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सांसद अफजाल अंसारी आए। हमारी बातचीत शुरू हुई। उन्होंने कैमरे के सामने नहीं बोलने की बात कही। ऑफ कैमरा ही बातचीत शुरू हुई। हमने पूछा- मुख्तार की मौत के एक साल हो रहे, क्या कुछ बदला और क्या प्लान है? अफजाल थोड़ा सीरियस हो गए। कहने लगे- 30 मार्च को उनकी पहली पुण्यतिथि मनाएंगे। अगर उस दिन ईद पड़ती है, तो हम आगे मनाएंगे। मुख्तार अंसारी के बड़े बेटे अब्बास अंसारी मऊ जिले की सदर सीट से विधायक हैं। नवंबर, 2022 से वह जेल में बंद थे। इसी 21 मार्च को जमानत पर जेल से बाहर आए हैं। कोर्ट का आदेश है कि वह लखनऊ में अपने सरकारी आवास में रहें। अगर अपने विधानसभा क्षेत्र में जाना चाहते हैं तो प्रशासन की अनुमति के बाद जाएं। हमने अफजाल अंसारी से पूछा कि अब्बास पिछले ढाई साल से जेल में हैं, उनके क्षेत्र का काम कैसे हो रहा? अफजाल कहते हैं- वहां की जनता सब्र करती है। वह सब कुछ देख रही है। बाकी कोर्ट ने उन्हें लखनऊ के सरकारी आवास पर रहने को कहा है। प्रशासन की अनुमति मिलने के बाद मऊ क्षेत्र में आ सकते हैं, अब वह आना चाहेंगे तो आएंगे। आसपास के लोगों में मुख्तार को लेकर मिली-जुली राय किसी ने कहा- मसीहा, तो कोई बोला- जो अत्याचारी थे चले गए या साइड में पड़े हैं अफजाल अंसारी से काफी देर बातचीत करने के बाद हम फाटक के बाहर आए और लोगों से बात की। गाजीपुर में मुख्तार को लेकर अलग-अलग राय है। कोई मसीहा कहता है, तो कोई अत्याचारी। आसपास के लोग मुख्तार को मसीहा कहते हैं। बाजार में ही हमें किसान गोपाल राय मिले। वह कहते हैं- यह बात तो सब जानते हैं कि मुख्तार अंसारी की साजिश के तहत हत्या की गई। मुख्तार गरीबों के बहुत मददगार थे। जो लोग सामंती विचारधारा के थे, वह उनसे जलते थे। कहते थे कि छोटी जाति वालों को बढ़ा रहा। गोपाल राय अब की स्थिति को लेकर कहते हैं- गाजीपुर की जनता जानती है कि उसके आंसू पोछने वाला कौन है? ऊंची जाति में भी जो सामाजिक विचारों को मानते हैं, वे अफजाल अंसारी को ही मानते हैं। गहमर गांव के साहेब सिंह कहते हैं- जो अत्याचारी थे, वह करीब-करीब चले गए हैं। जो बचे हैं, वह साइड में पड़े हैं। हर आदमी का अपना एक समय होता है। इस वक्त भाजपा का समय है। एक समय ये लोग दबंग थे। जो कहते थे, वह होता था। एक कहावत है- ‘जबरा मारे रोअय न देय, आपन बटुआ टोवय न देय।’ वह दो भाइयों के झगड़े में कह देते कि तुम इसे इतना हिस्सा दे दो, वह डर के कारण दे देता था। हमने साहेब सिंह से मुख्तार अंसारी के बेटों की राजनीति को लेकर पूछा। साहेब सिंह कहते हैं- मुख्तार के जो दो लड़के हैं, जहां रह रहे वहीं रह जाएंगे। अब किसी को दबंगई पसंद नहीं। पहले भी पसंद नहीं थी, लेकिन लोग मजबूर थे। गहमर के ही रिटायर्ड फौजी आदित्य सिंह कहते हैं- पूर्वांचल की राजनीति बदल गई है। अत्याचारी लोग चले गए, अब योगीराज आ गया। हमारे गांव, ब्लॉक, तहसील में सब लोग खुश हैं। पहले यहां बहुत जातिवाद था, अब सब बदल गया है। हमने कहा- क्या भाजपा यहां कमजोर है, जो वह जीतते रहे हैं? आदित्य कहते हैं- भाजपा कमजोर नहीं, उसके खिलाफ कई लोग मिलकर लड़ते हैं। लेकिन आज बीजेपी हावी है, आगे फिर से भाजपा ही जीतेगी। गाजीपुर के ही व्यवसायी मयंक कुमार राय कहते हैं- अब गुंडाराज खत्म हो गया है। लोग सम्मान के साथ जी रहे हैं। सीएम योगी बढ़िया काम कर रहे हैं। यहां हर तरफ सड़क बन रही, एक्सप्रेस-वे और हाईवे ऐसे हैं कि कहीं से भी आप आ और जा सकते हैं। यहां तो मुद्दा ही खत्म हो गया है। अब जानिए किस हाल में है मुख्तार और दोनों भाई का परिवार मुख्तार अंसारी के जाने के 1 साल बाद खुद के परिवार और दोनों भाइयों के परिवार की क्या स्थिति है? कौन क्या कर रहा है? यह हमने जानने की कोशिश की। पहले मुख्तार के परिवार के बारे में जानिए… मुख्तार अंसारी 2005 में जेल गया। इसके बाद परिवार और परिवार के धंधे को मुख्तार की पत्नी अफशां अंसारी ने संभाला। अफशां ने मऊ जिले के दक्षिण टोला के रैनी गांव के पास एक जमीन ली। विकास कंस्ट्रक्शन के नाम से फर्म बनाकर उस पर एक गोदाम बनाया। इस फर्म में अफशां के अलावा उसके दोनों भाई अनवर सहजाद और आतिफ रजा थे। इसके अलावा रविंद्र नारायण सिंह और जाकिर हुसैन भी इसमें शामिल रहे। इस गोदाम को फर्म के जरिए एफसीआई को किराए पर दे दिया गया। 2020 में इसी जमीन को लेकर मुख्तार की पत्नी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। जांच में पता चला कि जो जमीन अनुसूचित जाति के लोगों को पट्टे पर दी जानी थी, उस पर गलत तरीके से फर्म बना ली गई। जून, 2021 में इस फर्म के पिछले हिस्से की बाउंड्री बुलडोजर से गिराकर जमीन को कब्जा मुक्त करवाया गया। बाकी लोग तो कोर्ट में पेश हुए, लेकिन अफशां इस मामले में एक बार भी पेशी पर नहीं आई। 31 जनवरी, 2022 को अफशां पर गैंगस्टर एक्ट लगा दिया गया। इसके बाद से वह फरार है। 28 मार्च, 2024 को मुख्तार की मौत हुई, तो चर्चा थी कि शायद अफशां अपने पति को मिट्टी देने आए। लेकिन वह नहीं आई। 40वां हुआ तब भी अनुमान लगाया गया, लेकिन वहां भी नहीं पहुंची। उस पर अब तक कुल 11 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। मऊ पुलिस ने 25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया है। वहीं, गाजीपुर में गजल होटल लैंड डील और नंदगंज में सरकारी जमीन पर कब्जे को लेकर 25-25 हजार रुपए का इनाम है। गाजीपुर पुलिस की तरफ से 50 हजार और मऊ पुलिस की तरफ से 25 हजार का इनाम है। यानी अफशां पर कुल 75 हजार रुपए का इनाम है। मऊ-गाजीपुर की पुलिस ने अब तक अफशां की करीब 10 करोड़ रुपए की संपत्ति को कुर्क किया है। इसमें मऊ की बल्लभ ड्योढ़ी दास के नाम से पहचानी जाने वाली जमीन भी शामिल है। इसको एमपी-एमएलए कोर्ट में चैलेंज किया गया तो कोर्ट की तरफ से कहा गया कि यह संपत्ति 2010 में मुख्तार अंसारी के विधायक रहते हुए अवैध धन से खरीदी गई। इसलिए कुर्क की गई है। मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी 2022 में ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा के टिकट पर मऊ की सदर सीट से विधायक बने। सुभासपा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन में थी। चुनाव के बाद सुभासपा, भाजपा के साथ चली गई। लेकिन, अब्बास अंसारी भाजपा के साथ नहीं गए। अब्बास अंसारी पर 2022 में चुनाव मंच से सरकारी अधिकारियों को धमकाने पर मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद गैंगस्टर एक्ट लगा दिया गया। अब्बास पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा। फिर नवंबर 2022 में ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया और चित्रकूट जेल भेज दिया। 32 महीने बाद अब वह जेल से बाहर आए हैं। अब्बास पर कुल 8 केस दर्ज हैं। चित्रकूट जेल में बंद अब्बास अंसारी से उनकी पत्नी निखत अंसारी अक्सर मिलने जाती थी। 10 फरवरी, 2023 को जिले की एसपी वृंदा शुक्ला ने जेल में छापा मारा तो दोनों एक साथ मिले। निखत चित्रकूट में ही एक जगह रहती और रोज मिलने जाती थी। पुलिस ने निखत को भी जेल भेज दिया। उस वक्त निखत का एक 6 महीने का बेटा भी था। निखत 6 महीने जेल में रही। इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की गई, लेकिन कोर्ट ने याचिका रद्द कर दी। निखत ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया। 11 अगस्त, 2023 को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता महिला है और उसका एक साल का बच्चा है। लेकिन, याचिकाकर्ता को जमानत की शर्तों का उल्लंघन नहीं करना है। शर्त यह थी कि ट्रायल कोर्ट के आदेश के बाद ही पति से मिलने जाएंगी। निखत फिलहाल अब जेल से बाहर हैं। लेकिन कहां हैं, इसकी जानकारी सिर्फ परिवार के लोगों को है। मुख्तार का दूसरा बेटा उमर अंसारी 24 साल का है। इस पर भी हेट स्पीच का मामला दर्ज है। जेल भी जा चुका है। भाई अब्बास अंसारी के चुनाव प्रचार में सक्रिय रहा। पिता मुख्तार की मौत हुई तो मीडिया के सामने उमर ने जांच की मांग की थी। कहा था कि पिता को जेल के अंदर जहर दिया गया। हालांकि इस जांच में जहर जैसी कोई चीज नहीं आई। उस बयान के बाद उमर का कोई राजनीतिक बयान नहीं आया। क्षेत्र में भी अब उमर नजर नहीं आता। उसने पिता मुख्तार की मौत के बाद उनकी मूंछों पर आखिरी बार ताव दिया था। उमर पर जालसाजी और अवैध कब्जे का आरोप है। एक भाई गाजीपुर से सांसद, भतीजा विधायक 1- सिबगतुल्लाह अंसारी, मुख्तार के सबसे बड़े भाई: राजनीति छोड़ी, बेटा संभाल रहा विरासत मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी 60 साल की उम्र तक अंसारी इंटर कॉलेज में कार्यरत रहे। रिटायरमेंट के बाद 2007 में सपा के टिकट पर मोहम्मदाबाद सीट से पहली बार विधायक बने। 2012 में अपनी पार्टी कौमी एकता दल बनाया और विधायक बने। 2017 में तीसरी बार सपा के टिकट पर इसी सीट से विधायक बने। 2022 में उम्र के चलते राजनीति से अलग हो गए। सिबगतुल्लाह पर 3 केस दर्ज हैं। उनके बेटे सुहैब अंसारी अब इसी सीट से सपा के विधायक हैं। अब तक विवादों से उनका नाता नहीं रहा है। सिबगतुल्लाह अंसारी के दो और बेटे हैं- सलमान अंसारी और सहर अंसारी। 2- अफजाल अंसारी, मुख्तार के भाई: गाजीपुर से सपा से सांसद, बेटी भी राजनीति में सक्रिय अफजल अंसारी को 29 अप्रैल, 2023 को 4 साल की सजा सुनाई गई थी। अफजाल अंसारी को जेल जाना पड़ा था और उनकी संसद सदस्यता निरस्त हो गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी और अफजाल की सदस्यता बहाल हो गई थी। अफजाल पर 6 केस हैं। फिलहाल अफजाल गाजीपुर लोकसभा सीट से सपा सांसद हैं। उनकी 3 बेटियां- मरिया अंसारी, नुसरत अंसारी और नुरिया अंसारी हैं। नुसरत 2024 के लोकसभा चुनाव में सक्रिय रही थीं। —————— यह खबर भी पढ़ें… UP में क्या सपा-कांग्रेस का गठबंधन टूटेगा, राहुल गांधी 200 सीट से कम पर राजी नहीं; सांसद इमरान मसूद ने दिए संकेत राहुल-प्रियंका के करीबी और पश्चिमी यूपी के कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने साफ कर दिया कि 80 में 17 का फॉर्मूला अब स्वीकार नहीं। मसूद ने साफ कहा कि हम लोग इस बार किसी को जिताने या हराने के लिए नहीं लड़ेंगे। हमारा संघर्ष कांग्रेस के आधार को वापस लाने के लिए होगा। इमरान मसूद का बयान ऐसे वक्त आया है, जब कांग्रेस ने प्रदेश में जिलाध्यक्षों और महानगर अध्यक्षों की सूची में पिछड़ों के बाद सबसे ज्यादा जगह मुस्लिमों को दी है। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
मुख्तार की मौत के एक साल…फाटक अब सूना:विधायक बेटे को जमानत मिली पर गाजीपुर आ नहीं सकते; पत्नी का अता-पता नहीं
