झारखंड के जमशेदपुर में 28 मार्च को मुख्तार अंसारी गिरोह का शूटर अनुज कन्नौजिया को मुठभेड़ में मार गिराया गया। यूपी स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने जमशेदपुर पुलिस के साथ मिलकर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। यूपी के पूर्वांचल के गाजीपुर, मऊ, बलिया, वाराणसी, आजमगढ़, गोरखपुर सहित बिहार और झारखंड में वह अपनी गतिविधियां चलाता था। अनुज कन्नौजिया के एनकाउंटर ने एक बार फिर मुख्तार अंसारी सहित यूपी के आपराधिक गैंग्स को चर्चा में ला दिया है। अनुज मुख्तार अंसारी के गैंग आईएस- 191 का कुख्यात शूटर था। अनुज कन्नौजिया कौन था? मुख्तार अंसारी गैंग और यूपी में आपराधिक गैंग्स के नाम के पीछे की कहानी भास्कर एक्सप्लेनर में जानिए- सवाल- 1: कौन था अनुज कन्नौजिया? जवाब- अनुज कन्नौजिया मुख्तार अंसारी गैंग का शार्प शूटर था। वह मऊ जिले के चिरैयाकोट थाना क्षेत्र के बहलोलपुर गांव का रहने वाला था। उसके पिता हनुमान कन्नौजिया सरकारी स्कूल के टीचर थे। अनुज ने 17 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था। उसका नाम पहली बार तब सामने आया था, जब 2009 में उसने गाजीपुर के दुल्लहपुर में एक मेडिकल स्टोर संचालक की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद वह मुख्तार अंसारी गैंग का सक्रिय सदस्य बन गया। उसकी गिनती शॉर्प शूटरों में की जाने लगी। बताया जाता है कि तब वह गाजीपुर के दुल्लहपुर, मऊ के चिरैयाकोट समेत आजमगढ़ के इलाकों में सक्रिय था। दुल्लहपुर हत्याकांड की जघन्यता को आज भी जिले में याद किया जाता है। उस पर अलग-अलग जिलों और थानों पर 23 मुकदमे दर्ज हैं। इसमें अकेले 7 मुकदमे गाजीपुर के अलग-अलग थानों में दर्ज हैं। इसमें गैंगस्टर एक्ट से लेकर हत्या और फिरौती तक के मामले हैं। सवाल- 2: क्या है दुल्लहपुर हत्याकांड, अनुज जिसके बाद मुख्तार अंसारी की गैंग में शामिल हुआ? जवाब- अनुज कन्नौजिया ने दुल्लहपुर हत्याकांड को प्रेम-प्रसंग के चक्कर में अंजाम दिया था। दुल्लहपुर में स्टेशन रोड पर एक मेडिकल स्टोर था, जहां सिक्के डालकर बात करने वाला पीसीओ बॉक्स लगा था। इसके मालिक संजय वर्मा की पोती रीना राय की खूबसूरती पर अनुज कन्नौजिया का दिल आ गया था। रीना और अनुज के बीच प्रेम-प्रसंग की यहीं से शुरुआत हुई। पीसीओ पर अक्सर अनुज आकर रीना से बात करता। संजय शर्मा को इसका शक होने पर 20 अप्रैल, 2009 को वह मेडिकल स्टोर पहुंचा और अंधाधुंध फायरिंग कर दी। उस वक्त संजय शर्मा के छोटे भाई मनोज वर्मा स्टोर पर थे। गोलीबारी में उनकी मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने छानबीन के बाद अनुज और उसके साथियों के साथ रीना राय के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। इसके बाद उको गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। अनुज और रीना ने परिवार की मर्जी के खिलाफ पुलिस कस्टडी में ही शादी कर ली। अनुज के जेल जाने के बाद रीना बाहर उसका रंगदारी का काम देखने लगी। साल 2023 में पुलिस ने रंगदारी के मामले में झारखंड से रीना को गिरफ्तार भी किया था। हालांकि, वह जमानत पर छूट गई। इस केस में फंसने के बाद ही अनुज कन्नौजिया मुख्तार अंसारी के शरण में पहुंचा था। वह उसकी गैंग आईएस- 191 का शॉर्प शूटर बन गया। सवाल- 3: मुख्तार अंसारी के किन-किन शूटर्स का एनकाउंटर हो चुका है? जवाब- सीएम योगी आदित्यनाथ के 8 साल के कार्यकाल में मुख्तार अंसारी के शूटर्स या तो एनकाउंटर में मारे गए हैं या जेल में बंद हैं। या फिर राजनीति के रंग में रंगकर ‘शरीफ’ बनने की कोशिश में हैं। एक समय में मुख्तार अंसारी की गैंग में मुन्ना बजरंगी, संजीव जीवा माहेश्वरी, अनुज कन्नौजिया, पुष्पराज, हनुमान पांडे, अजीत सिंह, अंगद राय, अमित राय, मेराज समेत कुख्यात शॉर्प शूटर थे। इनमें से आज की तारीख में कई शूटर्स मारे जा चुके हैं। अंगद राय बिहार की जेल में बंद है। सवाल- 4: यूपी के आपराधिक गिरोहों के नाम के पीछे की क्या कहानी है? जवाब- यूपी के आपराधिक गिरोह अपने जघन्य अपराधों के अलावा अपने नामों के लिए भी जाने जाते रहे हैं। पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह बताते हैं कि अपराधियों की श्रेणी तय की जाती है। उसी के अनुसार गैंग चार्ट बनाए जाते हैं। जिले स्तर के अपराधी होते हैं, तो उन्हें डी की श्रेणी में रखा जाता है। रेंज स्तर के अपराधी को आईआर (IR), जोन स्तर के अपराधी के लिए आईजेड (IZ) और राज्य स्तर के अपराधी के लिए आईएस (IS) यानी इंटर स्टेट अपराधी के रूप में चिह्नित किया जाता है। इसकी शुरुआत 1975 के दौर में हुई, जब प्रदेश में डकैती की घटनाएं बढ़ गई थीं। आगरा के विद्याराम गैंग जिलास्तर और छबिरा गैंग रेंज स्तर के थे। मलखान सिंह और फूलन देवी इंटर स्टेट यानी आईएस गैंग के रूप में चिह्नित किए गए थे। इस तरह पुलिस फाइलों में मुख्तार अंसारी की गैंग का नाम आईएस-191, तो अतीक अहमद की गैंग का नाम आईएस-277 है। यानी इन्हें राज्य स्तर का अपराधी माना गया। सोनभद्र जेल में बंद सुंदर भाटी की गैंग का नाम डी-11 है। योगेश भदौड़ा की गैंग का नाम डी-75 है। यहां डी का मतलब डिस्ट्रिक्ट यानी जिला है। यानी इन्हें जिले स्तर का अपराधी माना गया। सवाल- 5: मुख्तार अंसारी के करीबियों और गिरोह पर अब तक क्या कार्रवाई हुई है? जवाब- मुख्तार अंसारी के करीबी और उसके गिरोह पर योगी आदित्यनाथ की सरकार ने तेजी से कार्रवाई की है। खुद मुख्तार अंसारी को पंजाब के रोपड़ जेल से यूपी के बांदा जेल में शिफ्ट करने का काम भी योगी के कार्यकाल में हुआ। उसके करीबियों और गिरोह के लोगों पर भी बीते कुछ सालों में शिकंजा कसा है। इसमें राजधानी लखनऊ से लेकर पूर्वांचल के गाजीपुर, वाराणसी, मऊ, गोरखपुर जैसे जिलों में करोड़ों की संपत्तियां भी कुर्क की गई हैं। साल 2020 में लखनऊ में 15 थानों की फोर्स ने एक साथ 42 जगहों पर छापेमारी कर विदेशी पिस्टल सहित देसी तमंचा समेत 24 हथियार बरामद किए थे। उसके घर को ढहा दिया गया था। उसके 11 गुर्गों को गिरफ्तार किया था। जुलाई, 2022 में मुख्तार अंसारी की पत्नी अफशां अंसारी और उसके बेटे अब्बास अंसारी को पुलिस फरार घोषित कर चुकी है। 2022 में ही गिरोह के सदस्य शाहिद को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पिछले साल मुख्तार की बांदा जेल में हार्ट अटैक के बाद मौत हो गई थी, लेकिन पुलिस गैंग को खत्म करने में लगी रही। इसी साल जनवरी में मुख्तार के गैंग से जुड़े अपराधी अफजल अहमद पर पुलिस ने केस दर्ज कर डेढ़ करोड़ की संपत्ति कुर्क की। इन सब के अलावा यूपी पुलिस पिछले आठ सालों में मुख्तार अंसारी के करीबियों की करोड़ों की संपत्ति जमींदोज करने के अलावा कुर्क कर चुकी है। ———————— यह खबर भी पढ़ें यूपी ने IAS अभिषेक की रिपोर्ट केंद्र को क्यों भेजी, 30 दिन से ज्यादा सस्पेंड नहीं रख सकते; जानिए IAS को हटाने के नियम एक IAS ऑफिसर की निलंबन की क्या प्रक्रिया है, उसके पास क्या अधिकार होते हैं, राज्य और केंद्र सरकार की क्या भूमिका होती है, इन सभी सवालों के जवाब भास्कर एक्सप्लेनर में पढ़िए- झारखंड के जमशेदपुर में 28 मार्च को मुख्तार अंसारी गिरोह का शूटर अनुज कन्नौजिया को मुठभेड़ में मार गिराया गया। यूपी स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने जमशेदपुर पुलिस के साथ मिलकर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। यूपी के पूर्वांचल के गाजीपुर, मऊ, बलिया, वाराणसी, आजमगढ़, गोरखपुर सहित बिहार और झारखंड में वह अपनी गतिविधियां चलाता था। अनुज कन्नौजिया के एनकाउंटर ने एक बार फिर मुख्तार अंसारी सहित यूपी के आपराधिक गैंग्स को चर्चा में ला दिया है। अनुज मुख्तार अंसारी के गैंग आईएस- 191 का कुख्यात शूटर था। अनुज कन्नौजिया कौन था? मुख्तार अंसारी गैंग और यूपी में आपराधिक गैंग्स के नाम के पीछे की कहानी भास्कर एक्सप्लेनर में जानिए- सवाल- 1: कौन था अनुज कन्नौजिया? जवाब- अनुज कन्नौजिया मुख्तार अंसारी गैंग का शार्प शूटर था। वह मऊ जिले के चिरैयाकोट थाना क्षेत्र के बहलोलपुर गांव का रहने वाला था। उसके पिता हनुमान कन्नौजिया सरकारी स्कूल के टीचर थे। अनुज ने 17 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था। उसका नाम पहली बार तब सामने आया था, जब 2009 में उसने गाजीपुर के दुल्लहपुर में एक मेडिकल स्टोर संचालक की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद वह मुख्तार अंसारी गैंग का सक्रिय सदस्य बन गया। उसकी गिनती शॉर्प शूटरों में की जाने लगी। बताया जाता है कि तब वह गाजीपुर के दुल्लहपुर, मऊ के चिरैयाकोट समेत आजमगढ़ के इलाकों में सक्रिय था। दुल्लहपुर हत्याकांड की जघन्यता को आज भी जिले में याद किया जाता है। उस पर अलग-अलग जिलों और थानों पर 23 मुकदमे दर्ज हैं। इसमें अकेले 7 मुकदमे गाजीपुर के अलग-अलग थानों में दर्ज हैं। इसमें गैंगस्टर एक्ट से लेकर हत्या और फिरौती तक के मामले हैं। सवाल- 2: क्या है दुल्लहपुर हत्याकांड, अनुज जिसके बाद मुख्तार अंसारी की गैंग में शामिल हुआ? जवाब- अनुज कन्नौजिया ने दुल्लहपुर हत्याकांड को प्रेम-प्रसंग के चक्कर में अंजाम दिया था। दुल्लहपुर में स्टेशन रोड पर एक मेडिकल स्टोर था, जहां सिक्के डालकर बात करने वाला पीसीओ बॉक्स लगा था। इसके मालिक संजय वर्मा की पोती रीना राय की खूबसूरती पर अनुज कन्नौजिया का दिल आ गया था। रीना और अनुज के बीच प्रेम-प्रसंग की यहीं से शुरुआत हुई। पीसीओ पर अक्सर अनुज आकर रीना से बात करता। संजय शर्मा को इसका शक होने पर 20 अप्रैल, 2009 को वह मेडिकल स्टोर पहुंचा और अंधाधुंध फायरिंग कर दी। उस वक्त संजय शर्मा के छोटे भाई मनोज वर्मा स्टोर पर थे। गोलीबारी में उनकी मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने छानबीन के बाद अनुज और उसके साथियों के साथ रीना राय के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। इसके बाद उको गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। अनुज और रीना ने परिवार की मर्जी के खिलाफ पुलिस कस्टडी में ही शादी कर ली। अनुज के जेल जाने के बाद रीना बाहर उसका रंगदारी का काम देखने लगी। साल 2023 में पुलिस ने रंगदारी के मामले में झारखंड से रीना को गिरफ्तार भी किया था। हालांकि, वह जमानत पर छूट गई। इस केस में फंसने के बाद ही अनुज कन्नौजिया मुख्तार अंसारी के शरण में पहुंचा था। वह उसकी गैंग आईएस- 191 का शॉर्प शूटर बन गया। सवाल- 3: मुख्तार अंसारी के किन-किन शूटर्स का एनकाउंटर हो चुका है? जवाब- सीएम योगी आदित्यनाथ के 8 साल के कार्यकाल में मुख्तार अंसारी के शूटर्स या तो एनकाउंटर में मारे गए हैं या जेल में बंद हैं। या फिर राजनीति के रंग में रंगकर ‘शरीफ’ बनने की कोशिश में हैं। एक समय में मुख्तार अंसारी की गैंग में मुन्ना बजरंगी, संजीव जीवा माहेश्वरी, अनुज कन्नौजिया, पुष्पराज, हनुमान पांडे, अजीत सिंह, अंगद राय, अमित राय, मेराज समेत कुख्यात शॉर्प शूटर थे। इनमें से आज की तारीख में कई शूटर्स मारे जा चुके हैं। अंगद राय बिहार की जेल में बंद है। सवाल- 4: यूपी के आपराधिक गिरोहों के नाम के पीछे की क्या कहानी है? जवाब- यूपी के आपराधिक गिरोह अपने जघन्य अपराधों के अलावा अपने नामों के लिए भी जाने जाते रहे हैं। पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह बताते हैं कि अपराधियों की श्रेणी तय की जाती है। उसी के अनुसार गैंग चार्ट बनाए जाते हैं। जिले स्तर के अपराधी होते हैं, तो उन्हें डी की श्रेणी में रखा जाता है। रेंज स्तर के अपराधी को आईआर (IR), जोन स्तर के अपराधी के लिए आईजेड (IZ) और राज्य स्तर के अपराधी के लिए आईएस (IS) यानी इंटर स्टेट अपराधी के रूप में चिह्नित किया जाता है। इसकी शुरुआत 1975 के दौर में हुई, जब प्रदेश में डकैती की घटनाएं बढ़ गई थीं। आगरा के विद्याराम गैंग जिलास्तर और छबिरा गैंग रेंज स्तर के थे। मलखान सिंह और फूलन देवी इंटर स्टेट यानी आईएस गैंग के रूप में चिह्नित किए गए थे। इस तरह पुलिस फाइलों में मुख्तार अंसारी की गैंग का नाम आईएस-191, तो अतीक अहमद की गैंग का नाम आईएस-277 है। यानी इन्हें राज्य स्तर का अपराधी माना गया। सोनभद्र जेल में बंद सुंदर भाटी की गैंग का नाम डी-11 है। योगेश भदौड़ा की गैंग का नाम डी-75 है। यहां डी का मतलब डिस्ट्रिक्ट यानी जिला है। यानी इन्हें जिले स्तर का अपराधी माना गया। सवाल- 5: मुख्तार अंसारी के करीबियों और गिरोह पर अब तक क्या कार्रवाई हुई है? जवाब- मुख्तार अंसारी के करीबी और उसके गिरोह पर योगी आदित्यनाथ की सरकार ने तेजी से कार्रवाई की है। खुद मुख्तार अंसारी को पंजाब के रोपड़ जेल से यूपी के बांदा जेल में शिफ्ट करने का काम भी योगी के कार्यकाल में हुआ। उसके करीबियों और गिरोह के लोगों पर भी बीते कुछ सालों में शिकंजा कसा है। इसमें राजधानी लखनऊ से लेकर पूर्वांचल के गाजीपुर, वाराणसी, मऊ, गोरखपुर जैसे जिलों में करोड़ों की संपत्तियां भी कुर्क की गई हैं। साल 2020 में लखनऊ में 15 थानों की फोर्स ने एक साथ 42 जगहों पर छापेमारी कर विदेशी पिस्टल सहित देसी तमंचा समेत 24 हथियार बरामद किए थे। उसके घर को ढहा दिया गया था। उसके 11 गुर्गों को गिरफ्तार किया था। जुलाई, 2022 में मुख्तार अंसारी की पत्नी अफशां अंसारी और उसके बेटे अब्बास अंसारी को पुलिस फरार घोषित कर चुकी है। 2022 में ही गिरोह के सदस्य शाहिद को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पिछले साल मुख्तार की बांदा जेल में हार्ट अटैक के बाद मौत हो गई थी, लेकिन पुलिस गैंग को खत्म करने में लगी रही। इसी साल जनवरी में मुख्तार के गैंग से जुड़े अपराधी अफजल अहमद पर पुलिस ने केस दर्ज कर डेढ़ करोड़ की संपत्ति कुर्क की। इन सब के अलावा यूपी पुलिस पिछले आठ सालों में मुख्तार अंसारी के करीबियों की करोड़ों की संपत्ति जमींदोज करने के अलावा कुर्क कर चुकी है। ———————— यह खबर भी पढ़ें यूपी ने IAS अभिषेक की रिपोर्ट केंद्र को क्यों भेजी, 30 दिन से ज्यादा सस्पेंड नहीं रख सकते; जानिए IAS को हटाने के नियम एक IAS ऑफिसर की निलंबन की क्या प्रक्रिया है, उसके पास क्या अधिकार होते हैं, राज्य और केंद्र सरकार की क्या भूमिका होती है, इन सभी सवालों के जवाब भास्कर एक्सप्लेनर में पढ़िए- उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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