मुजफ्फरनगर थप्पड़ कांड में सुप्रीम कोर्ट बोला- ‘पीड़ित छात्र की पढ़ाई का खर्च उठाएगी यूपी सरकार’

मुजफ्फरनगर थप्पड़ कांड में सुप्रीम कोर्ट बोला- ‘पीड़ित छात्र की पढ़ाई का खर्च उठाएगी यूपी सरकार’

<p style=”text-align: justify;”><strong>Muzaffarnagar Student Slapping Case:</strong> मुजफ्फरनगर के बहुचर्चित छात्र थप्पड़ कांड में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ा आदेश दिया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 2023 में हुए इस घटना के पीड़ित नाबालिग बच्चे की स्कूली शिक्षा का पूरा खर्च राज्य सरकार को वहन करना होगा. यह फैसला जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने 14 मई 2025 को सुनाया. कोर्ट ने कहा कि सरकार को ट्यूशन फीस, यूनिफॉर्म, किताबें और परिवहन शुल्क सहित सभी शैक्षिक खर्चों की जिम्मेदारी लेनी होगी, जब तक बच्चा अपनी स्कूली शिक्षा पूरी नहीं कर लेता.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह मामला तब सुर्खियों में आया था, जब मुजफ्फरनगर के एक निजी स्कूल की शिक्षिका तृप्ता त्यागी ने सात साल के मुस्लिम छात्र को अन्य बच्चों से थप्पड़ मरवाए और कथित तौर पर सांप्रदायिक टिप्पणियां कीं. इस घटना का वीडियो अगस्त 2023 में वायरल हुआ, जिसके बाद पूरे देश से इस मामले में तीखी प्रतिक्रियाएं आयीं. सामाजिक कार्यकर्ता तुषार गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर निष्पक्ष जांच और पीड़ित बच्चे के लिए उचित सहायता की मांग की थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कोर्ट ने जताई थी नाराजगी </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी इस मामले में यूपी सरकार और पुलिस की कार्यशैली पर नाराजगी जताई थी. कोर्ट ने कहा था कि सरकार ने घटना के बाद अपेक्षित कार्रवाई नहीं की साथ ही, पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने में देरी और सांप्रदायिक नफरत के आरोपों को शामिल न करने पर भी सवाल उठाए थे. कोर्ट ने जांच के लिए वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की नियुक्ति और बच्चे के लिए काउंसलिंग की व्यवस्था करने का आदेश दिया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आरटीई उल्लंघन पर चिंता </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके अलावा, कोर्ट ने शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम के उल्लंघन पर भी चिंता जताई, जो बच्चों के शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के साथ-साथ धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव को रोकता है. तुषार गांधी की याचिका में स्कूलों में हिंसा और धार्मिक भेदभाव रोकने के लिए दिशा-निर्देश बनाने की मांग भी की गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पिछली फीस नहीं चुकाई गई </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने दलील दी कि बच्चे की पिछले सेमेस्टर की ट्यूशन फीस का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है, यूनिफॉर्म का पैसा बकाया है और परिवहन शुल्क का भुगतान दो दिन पहले ही किया गया है. फरासत ने न्यायालय से अनुरोध किया कि वह निर्देश दे कि भुगतान सीधे स्कूल को किया जाए, न कि बच्चे या उसके पिता के माध्यम से. उन्होंने कहा कि किसान होने के कारण परिवार वित्तीय बोझ नहीं उठा सकता और उन्हें बार-बार शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Muzaffarnagar Student Slapping Case:</strong> मुजफ्फरनगर के बहुचर्चित छात्र थप्पड़ कांड में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ा आदेश दिया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 2023 में हुए इस घटना के पीड़ित नाबालिग बच्चे की स्कूली शिक्षा का पूरा खर्च राज्य सरकार को वहन करना होगा. यह फैसला जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने 14 मई 2025 को सुनाया. कोर्ट ने कहा कि सरकार को ट्यूशन फीस, यूनिफॉर्म, किताबें और परिवहन शुल्क सहित सभी शैक्षिक खर्चों की जिम्मेदारी लेनी होगी, जब तक बच्चा अपनी स्कूली शिक्षा पूरी नहीं कर लेता.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह मामला तब सुर्खियों में आया था, जब मुजफ्फरनगर के एक निजी स्कूल की शिक्षिका तृप्ता त्यागी ने सात साल के मुस्लिम छात्र को अन्य बच्चों से थप्पड़ मरवाए और कथित तौर पर सांप्रदायिक टिप्पणियां कीं. इस घटना का वीडियो अगस्त 2023 में वायरल हुआ, जिसके बाद पूरे देश से इस मामले में तीखी प्रतिक्रियाएं आयीं. सामाजिक कार्यकर्ता तुषार गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर निष्पक्ष जांच और पीड़ित बच्चे के लिए उचित सहायता की मांग की थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कोर्ट ने जताई थी नाराजगी </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी इस मामले में यूपी सरकार और पुलिस की कार्यशैली पर नाराजगी जताई थी. कोर्ट ने कहा था कि सरकार ने घटना के बाद अपेक्षित कार्रवाई नहीं की साथ ही, पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने में देरी और सांप्रदायिक नफरत के आरोपों को शामिल न करने पर भी सवाल उठाए थे. कोर्ट ने जांच के लिए वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की नियुक्ति और बच्चे के लिए काउंसलिंग की व्यवस्था करने का आदेश दिया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आरटीई उल्लंघन पर चिंता </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके अलावा, कोर्ट ने शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम के उल्लंघन पर भी चिंता जताई, जो बच्चों के शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के साथ-साथ धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव को रोकता है. तुषार गांधी की याचिका में स्कूलों में हिंसा और धार्मिक भेदभाव रोकने के लिए दिशा-निर्देश बनाने की मांग भी की गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पिछली फीस नहीं चुकाई गई </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने दलील दी कि बच्चे की पिछले सेमेस्टर की ट्यूशन फीस का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है, यूनिफॉर्म का पैसा बकाया है और परिवहन शुल्क का भुगतान दो दिन पहले ही किया गया है. फरासत ने न्यायालय से अनुरोध किया कि वह निर्देश दे कि भुगतान सीधे स्कूल को किया जाए, न कि बच्चे या उसके पिता के माध्यम से. उन्होंने कहा कि किसान होने के कारण परिवार वित्तीय बोझ नहीं उठा सकता और उन्हें बार-बार शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है.</p>  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ‘मुख्यमंत्री जी तिलक विरोधी हैं’, अखिलेश यादव ने CM योगी पर फिर कसा तंज