मोबाइल टॉवरों से 400 करोड़ की मशीनें चोरी:एयरटेल की चिट्ठी से हरकत में UP पुलिस; दुबई में बैठे मास्टरमाइंड पर 1 लाख का इनाम

मोबाइल टॉवरों से 400 करोड़ की मशीनें चोरी:एयरटेल की चिट्ठी से हरकत में UP पुलिस; दुबई में बैठे मास्टरमाइंड पर 1 लाख का इनाम

चोरों के एक बड़े गैंग ने पूरे देश से साल-2023 में 400 करोड़ रुपए कीमत के रेडियो रिसीवर यूनिट (RRU) चोरी कर लिए। ये मामला पिछले दिनों उस वक्त सामने आया, जब प्रमुख टेलीकॉम कंपनी एयरटेल ने UP के DGP को चिट्ठी भेजी। इसके बाद उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद पुलिस गैंग की धरपकड़ में जुट गई है। पिछले तीन महीने में गाजियाबाद पुलिस ने 24 गैंग मेंबर पकड़े हैं। मास्टरमाइंड जावेद दुबई में छिपा है। उसकी गिरफ्तारी पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित कर दिया गया है। शुरुआती जांच-पड़ताल में पता चला है कि ये गैंग पूरे देशभर के मोबाइल टॉवरों से RRU चुराता है और फिर इसे स्क्रैप बताकर पानी के जहाज या हवाई जहाज के जरिये चीन भेज देता है। सबसे पहले जानिए कि रेडियो रेडियो रिसीवर यूनिट क्या होती है?
टेलीकॉम कंपनी से जुड़े विशाल बताते हैं, रेडियो रिसीवर यूनिट (RRU) मोबाइल टॉवर में सबसे ऊपर लगाई जाती है। इस मशीन का वजन करीब 15 किलो होता है। यही मशीन 2जी, 3जी, 4जी, 5जी के नेटवर्क प्रदान करती है। इसकी कीमत 2 लाख रुपए से शुरू होकर 8 लाख रुपए तक जाती है। एक टॉवर पर अलग-अलग कंपनियों के RRU होते हैं। ऐसे में सामान्यत तौर पर एक टॉवर पर औसत 10 यूनिट लगती हैं। कहा जाए तो यही यूनिट मोबाइल को नेटवर्क प्रदान करती है। अगर RRU न हो तो सिग्नल यूनिट डाउन हो जाती है और नेटवर्क नहीं मिलते। कॉल ड्रॉप की समस्या भी इसी से होती है। गाजियाबाद पुलिस ने 3 महीने में 3 गैंगों के 24 लोग पकड़े
गाजियाबाद पुलिस के क्राइम ब्रांच अधिकारी अब्दुर रहमान सिद्दीकि बताते हैं, पिछले दिनों एयरटेल कंपनी के एक बड़े अधिकारी आकर मिले। उन्होंने बताया कि किस तरह मोबाइल टॉवरों से लगातार रेडियो रिसीवर यूनिटें चोरी हो रही हैं। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने इस केस को अपने हाथ में लिया और गैंग की तलाश शुरू की। हमने सबसे पहले मोबाइल टॉवरों को टेक्निकल सर्विस देने वाली कंपनी के सात इंजीनियरों को पकड़ा। क्योंकि बिना इनकी मिलीभगत के चोरी संभव नहीं थी। चोरों का 150 फुट ऊपर मोबाइल टॉवर पर चढ़ना, केबिल काटना, फिर मशीन को सुरक्षित नीचे लाना…ये सब बिना किसी इंजीनियर की मदद के संभव नहीं था। जब इंजीनियरों से पूछताछ हुई तो कुछ चोरों के नाम सामने आए। इस तरह हमने पिछले तीन महीने में तीन गैंगों से जुड़े 23 लोग पकड़ लिए। इनसे करीब 75 रेडियो रिसीवर यूनिटें बरामद हुईं, जिनकी कीमत कई करोड़ रुपए थी। मेंबरों के पकड़ते ही दुबई भागा मास्टरमाइंड जावेद
अब्दुर रहमान ने आगे बताया, एक के बाद एक करके इस गैंग के मेंबरों की चेन जुड़ती गई और वो पकड़े जाते रहे। 22 मई 2024 को गाजियाबाद पुलिस ने इसी गैंग से जुड़े तीन बदमाश गिरफ्तार किए। इनसे पूछताछ में पहली बार गैंग के मास्टरमाइंड जावेद का नाम सामने आया। पता चला कि ये मूल रूप से उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर जिले के मीरापुर का रहने वाला है। कभी-कभी दिल्ली के मुस्तफाबाद इलाके में रहता है। इन दिनों इसका ठिकाना दुबई है। जावेद करीब डेढ़ महीने पहले दुबई तब गया, जब उसके गैंग मेंबर पकड़ने शुरू हुए। चीन सस्ते में खरीदता है RRU, फिर डेटा फॉर्मेट करके बेचता
भारत के अलग-अलग राज्यों में मौजूद इस गैंग का काम सिर्फ रेडियो रिसीवर यूनिट चोरी करके दिल्ली में स्क्रैप गोदाम तक पहुंचाना होता है। दिल्ली से महीने में एक या दो बार ये सारा स्क्रैप शिप या कार्गो के जरिये चीन भेजा जाता है। चीन की सारी डीलिंग दुबई में बैठा जावेद खुद करता है। दरअसल, भारत में भी ज्यादातर मोबाइल टॉवरों की रेडियो रिसीवर यूनिट (RRU) चीन से ही आती हैं। ऐसे में UP पुलिस के अधिकारी ये मानते हैं कि चीन इन यूनिटों को सस्ते में खरीदता है। फिर डेटा फॉरमेट करके इन्हें नया बनाकर मार्केट में बेचकर और मुनाफा कमाता है। 150 फुट ऊपर लगी होती है ये यूनिट, इंजीनियर की बिना मिलीभगत उतारना संभव नहीं
क्राइम ब्रांच अधिकारी अब्दुर रहमान सिद्दीकि बताते हैं, मोबाइल टॉवर में सबसे ऊपर लगने वाली मोबाइल रेडियो रिसीवर यूनिट को चुराना बिना मिलीभगत के संभव नहीं है। मोबाइल टॉवरों को टेक्निकल सर्विस प्रदान करने के लिए टेलीकॉम कंपनियों ने थर्ड पार्टी कंपनी हायर की हुई हैं। इन थर्ड पार्टी कंपनियों के इंजीनियर 18-20 हजार रुपए की तनख्वाह पर टॉवरों की देखरेख करते हैं। उन्हें सब पता होता है कि किस टॉवर पर यूनिट ज्यादा लगी हैं और किस टॉवर पर सिक्योरिटी कम रहती है। कई इंजीनियर पैसा पाने की लालच में इन चोर गैंगों से साठगांठ रखते हैं और उन्हें लोकेशन बता देते हैं। रेडियो रिसीवर यूनिट में चार वायर लगे होते हैं। इन्हें हाईड्रोलिक कटर की मदद से काटा जाता है और फिर उन्हीं वायर के जरिये ये वजनी यूनिट नीचे लाई जाती है। इस काम में कई घंटे भी लग जाते हैं। मास्टमाइंड जावेद का जारी हो रहा लुक आउट नोटिस
गाजियाबाद पुलिस के ADCP (क्राइम) सच्चिदानंद बताते हैं, क्राइम ब्रांच ने पिछले कुछ महीनों में रेडियो रिसीवर यूनिटें चोरी करने वाले 24 बदमाश पकड़े हैं। इसमें करीब 7 इंजीनियर भी हैं, जो मोबाइल टॉवरों की देखरेख करते थे। गैंग का मास्टरमाइंड जावेद फरार है। वो दुबई में है। पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित कर दिया है। अब उसका लुक आउट नोटिस जारी करने की प्रक्रिया चल रही है। साथ ही साथ उसके घर की कुर्की भी की जाएगी। चोरों के एक बड़े गैंग ने पूरे देश से साल-2023 में 400 करोड़ रुपए कीमत के रेडियो रिसीवर यूनिट (RRU) चोरी कर लिए। ये मामला पिछले दिनों उस वक्त सामने आया, जब प्रमुख टेलीकॉम कंपनी एयरटेल ने UP के DGP को चिट्ठी भेजी। इसके बाद उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद पुलिस गैंग की धरपकड़ में जुट गई है। पिछले तीन महीने में गाजियाबाद पुलिस ने 24 गैंग मेंबर पकड़े हैं। मास्टरमाइंड जावेद दुबई में छिपा है। उसकी गिरफ्तारी पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित कर दिया गया है। शुरुआती जांच-पड़ताल में पता चला है कि ये गैंग पूरे देशभर के मोबाइल टॉवरों से RRU चुराता है और फिर इसे स्क्रैप बताकर पानी के जहाज या हवाई जहाज के जरिये चीन भेज देता है। सबसे पहले जानिए कि रेडियो रेडियो रिसीवर यूनिट क्या होती है?
टेलीकॉम कंपनी से जुड़े विशाल बताते हैं, रेडियो रिसीवर यूनिट (RRU) मोबाइल टॉवर में सबसे ऊपर लगाई जाती है। इस मशीन का वजन करीब 15 किलो होता है। यही मशीन 2जी, 3जी, 4जी, 5जी के नेटवर्क प्रदान करती है। इसकी कीमत 2 लाख रुपए से शुरू होकर 8 लाख रुपए तक जाती है। एक टॉवर पर अलग-अलग कंपनियों के RRU होते हैं। ऐसे में सामान्यत तौर पर एक टॉवर पर औसत 10 यूनिट लगती हैं। कहा जाए तो यही यूनिट मोबाइल को नेटवर्क प्रदान करती है। अगर RRU न हो तो सिग्नल यूनिट डाउन हो जाती है और नेटवर्क नहीं मिलते। कॉल ड्रॉप की समस्या भी इसी से होती है। गाजियाबाद पुलिस ने 3 महीने में 3 गैंगों के 24 लोग पकड़े
गाजियाबाद पुलिस के क्राइम ब्रांच अधिकारी अब्दुर रहमान सिद्दीकि बताते हैं, पिछले दिनों एयरटेल कंपनी के एक बड़े अधिकारी आकर मिले। उन्होंने बताया कि किस तरह मोबाइल टॉवरों से लगातार रेडियो रिसीवर यूनिटें चोरी हो रही हैं। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने इस केस को अपने हाथ में लिया और गैंग की तलाश शुरू की। हमने सबसे पहले मोबाइल टॉवरों को टेक्निकल सर्विस देने वाली कंपनी के सात इंजीनियरों को पकड़ा। क्योंकि बिना इनकी मिलीभगत के चोरी संभव नहीं थी। चोरों का 150 फुट ऊपर मोबाइल टॉवर पर चढ़ना, केबिल काटना, फिर मशीन को सुरक्षित नीचे लाना…ये सब बिना किसी इंजीनियर की मदद के संभव नहीं था। जब इंजीनियरों से पूछताछ हुई तो कुछ चोरों के नाम सामने आए। इस तरह हमने पिछले तीन महीने में तीन गैंगों से जुड़े 23 लोग पकड़ लिए। इनसे करीब 75 रेडियो रिसीवर यूनिटें बरामद हुईं, जिनकी कीमत कई करोड़ रुपए थी। मेंबरों के पकड़ते ही दुबई भागा मास्टरमाइंड जावेद
अब्दुर रहमान ने आगे बताया, एक के बाद एक करके इस गैंग के मेंबरों की चेन जुड़ती गई और वो पकड़े जाते रहे। 22 मई 2024 को गाजियाबाद पुलिस ने इसी गैंग से जुड़े तीन बदमाश गिरफ्तार किए। इनसे पूछताछ में पहली बार गैंग के मास्टरमाइंड जावेद का नाम सामने आया। पता चला कि ये मूल रूप से उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर जिले के मीरापुर का रहने वाला है। कभी-कभी दिल्ली के मुस्तफाबाद इलाके में रहता है। इन दिनों इसका ठिकाना दुबई है। जावेद करीब डेढ़ महीने पहले दुबई तब गया, जब उसके गैंग मेंबर पकड़ने शुरू हुए। चीन सस्ते में खरीदता है RRU, फिर डेटा फॉर्मेट करके बेचता
भारत के अलग-अलग राज्यों में मौजूद इस गैंग का काम सिर्फ रेडियो रिसीवर यूनिट चोरी करके दिल्ली में स्क्रैप गोदाम तक पहुंचाना होता है। दिल्ली से महीने में एक या दो बार ये सारा स्क्रैप शिप या कार्गो के जरिये चीन भेजा जाता है। चीन की सारी डीलिंग दुबई में बैठा जावेद खुद करता है। दरअसल, भारत में भी ज्यादातर मोबाइल टॉवरों की रेडियो रिसीवर यूनिट (RRU) चीन से ही आती हैं। ऐसे में UP पुलिस के अधिकारी ये मानते हैं कि चीन इन यूनिटों को सस्ते में खरीदता है। फिर डेटा फॉरमेट करके इन्हें नया बनाकर मार्केट में बेचकर और मुनाफा कमाता है। 150 फुट ऊपर लगी होती है ये यूनिट, इंजीनियर की बिना मिलीभगत उतारना संभव नहीं
क्राइम ब्रांच अधिकारी अब्दुर रहमान सिद्दीकि बताते हैं, मोबाइल टॉवर में सबसे ऊपर लगने वाली मोबाइल रेडियो रिसीवर यूनिट को चुराना बिना मिलीभगत के संभव नहीं है। मोबाइल टॉवरों को टेक्निकल सर्विस प्रदान करने के लिए टेलीकॉम कंपनियों ने थर्ड पार्टी कंपनी हायर की हुई हैं। इन थर्ड पार्टी कंपनियों के इंजीनियर 18-20 हजार रुपए की तनख्वाह पर टॉवरों की देखरेख करते हैं। उन्हें सब पता होता है कि किस टॉवर पर यूनिट ज्यादा लगी हैं और किस टॉवर पर सिक्योरिटी कम रहती है। कई इंजीनियर पैसा पाने की लालच में इन चोर गैंगों से साठगांठ रखते हैं और उन्हें लोकेशन बता देते हैं। रेडियो रिसीवर यूनिट में चार वायर लगे होते हैं। इन्हें हाईड्रोलिक कटर की मदद से काटा जाता है और फिर उन्हीं वायर के जरिये ये वजनी यूनिट नीचे लाई जाती है। इस काम में कई घंटे भी लग जाते हैं। मास्टमाइंड जावेद का जारी हो रहा लुक आउट नोटिस
गाजियाबाद पुलिस के ADCP (क्राइम) सच्चिदानंद बताते हैं, क्राइम ब्रांच ने पिछले कुछ महीनों में रेडियो रिसीवर यूनिटें चोरी करने वाले 24 बदमाश पकड़े हैं। इसमें करीब 7 इंजीनियर भी हैं, जो मोबाइल टॉवरों की देखरेख करते थे। गैंग का मास्टरमाइंड जावेद फरार है। वो दुबई में है। पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित कर दिया है। अब उसका लुक आउट नोटिस जारी करने की प्रक्रिया चल रही है। साथ ही साथ उसके घर की कुर्की भी की जाएगी।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर