संघ प्रमुख मोहन भागवत और सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में 26 घंटे तक महज 12 किलोमीटर की दूरी पर रहे। मगर, दोनों की मुलाकात नहीं हुई। माना जा रहा था कि शनिवार को गोरखपुर पहुंचे सीएम योगी, RSS चीफ से मुलाकात कर सकते हैं। दोनों के बीच लोकसभा चुनाव के रिजल्ट पर चर्चा हो सकती है, भविष्य का रोडमैप भी बन सकता है। लेकिन, रविवार को सीएम योगी आदित्यनाथ मां से मिलने उत्तराखंड के ऋषिकेश रवाना हो गए। सीएम की मां सावित्री देवी आंखों में परेशानी के चलते 7 जून से ऋषिकेश में भर्ती हैं। उनका जिरियाट्रिक वार्ड में इलाज चल रहा है। उधर, सोमवार सुबह संघ प्रमुख गोरखपुर से नागपुर रवाना हो जाएंगे। वह 5 दिन के लिए गोरखपुर आए थे। ऐसे में सवाल है- एक ही शहर में होकर भी भागवत और योगी की मुलाकात क्यों नहीं हुई? सीएम योगी RSS चीफ मोहन भागवत से मिलने मानीराम चिउटहवा स्थित सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल क्यों नहीं पहुंचे? इस पर RSS और भाजपा से कोई भी जवाब नहीं दे रहा है। सीएम योगी दो दिवसीय दौरे पर शनिवार को गोरखपुर आए थे। वहीं, मोहन भागवत 5 दिनों के प्रवास पर गोरखपुर पहुंचे। मां को देखने ऋृषिकेश गए सीएम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मां सावित्री देवी (85) कई दिनों से बीमार चल रही हैं। उनका अभी ऋषिकेश AIIMS में इलाज चल रहा है। ऐसे में रविवार की सुबह गोरखनाथ मंदिर में जनता दर्शन के बाद मुख्यमंत्री ने यहां एनेक्सी भवन में भाजपा की बैठक की। इसके बाद सीएम योगी अपनी मां की हाल जानने ऋषिकेश चले गए। RSS चीफ ने स्वयंसेवकों से की शताब्दी विस्तारक बनने की अपील
उधर, अपने गोरखपुर प्रवास के चौथे दिन RSS चीफ मोहन भागवत ने संगठन के शताब्दी वर्ष के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए स्वयंसेवकों से शताब्दी विस्तारक बनने की अपील की है। उन्होंने कहा है, शताब्दी वर्ष तक संघ के व्यापक विस्तार के लक्ष्य के साथ स्वयंसेवक एक वर्ष के लिए शताब्दी विस्तारक बनकर क्षेत्र में निकले और गांव-गांव में संघ की उपस्थिति सुनिश्चित करें। संघ प्रमुख ने शनिवार को SVM पब्लिक स्कूल में कार्यकर्ता विकास वर्ग में बौद्धिक को संबोधित किया। गांव-गांव में जाकर लगाएं नियमित शाखा
शताब्दी विस्तारकों के कार्य और कार्यप्रणाली की जानकारी देते हुए मोहन भागवत ने कहा- उन्हें गांव-गांव में जाकर नियमित शाखा लगानी होगी। शाखा से अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने का प्रयास करना होगा। शाखा में स्वयंसेवकों की संख्या बढ़ाने पर जोर देना होगा। शाखा में शामिल लोगों को संघ के राष्ट्र व समाज उत्थान के पवित्र उद्देश्य की जानकारी देनी होगी ताकि लोग संगठन से स्वयं को जोड़कर गौरवान्वित महसूस करें। 2025 तक संघ के विस्तार से देश का कोई स्थान शेष न रहे
शताब्दी विस्तारकों को वर्ष भर इस लक्ष्य के साथ कार्य करना होगा कि शताब्दी वर्ष 2025 तक संघ के विस्तार से देश का कोई स्थान शेष न रह जाए। कार्यकर्ता विकास वर्ग में शामिल काशी, अवध, कानपुर और गोरक्ष प्रांत के स्वयंसेवक प्रशिक्षुओं से अपना वर्ष भर का समय संघ के लिए समर्पित करने की अपील की। अब जानिए संघ BJP से नाराज क्यों? 1. UP में टिकट बंटवारे पर RSS सहमत नहीं
चुनाव में UP ने भाजपा को बड़ा झटका दिया। इसे RSS ने टिकट बंटवारे के वक्त ही भांप लिया था। संघ ने 10 से ज्यादा सीटों पर कैंडिडेट्स पर असहमति जताई थी। इनमें प्रतापगढ़, श्रावस्ती, कौशांबी, रायबरेली और कानपुर जैसी सीटें शामिल थीं। कानपुर के अलावा सभी सीटों पर भाजपा कैंडिडेट्स की हार हुई। 2. चुनावी मुद्दों को इग्नोर किया
RSS ने भाजपा को मुद्दों की एक लिस्ट सौंपी थी। इसमें कहा गया था कि विपक्ष पर ED-CBI की कार्रवाई करने के बजाय, अपने अचीवमेंट गिनाना चाहिए। नेशनल और इंटरनल सिक्योरिटी के मुद्दे पर सरकार के पास कई उपलब्धियां हैं। RSS की सलाह थी कि ग्राउंड में जनता इन मुद्दों को सुनना भी चाहती है। हम इस पर रिपोर्ट कार्ड भी दे सकते थे। संघ का कहना था कि मुफ्त के खेल में विपक्ष हमसे बहुत आगे है। इसलिए हमें मुफ्त में राशन देना बंद करना चाहिए। 3- जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में संघ को नहीं मिला महत्व
लोकसभा चुनाव से पहले BJP ने संगठन में कई बदलाव किए। कई जिलों के अध्यक्ष और क्षेत्रीय अध्यक्षों को जिम्मेदारी दी गई थी। इसमें संघ परिवार के फीडबैक की अनदेखी की गई। खासतौर से काशी के क्षेत्रीय अध्यक्ष और कुछ पदाधिकारियों की नियुक्ति को लेकर संघ ने नाराजगी भी व्यक्त की थी। वाराणसी समेत कई लोकसभा क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत में भारी कमी आने के पीछे पदाधिकारियों की मनमानी नियुक्ति को भी एक बड़ा कारण माना गया। पूर्वांचल की हारी हुई 17 सीटों का फीडबैक लिया
RSS चीफ ने दो दिन में यहां 280 स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण देने के साथ काशी, अवध और गोरक्षा प्रांत के संघ पदाधिकारियों से मुलाकात भी की है। बताया जा रहा है कि इस दौरान उन्होंने पूर्वांचल में चुनाव परिणाम का अनौपचारिक फीडबैक भी लिया। दरअसल, पूर्वांचल की 29 सीटों में से BJP 17 सीटें हार गई है। भागवत ने यहां जिला प्रचारकों-प्रांत प्रचारकों से इस बारे में बातचीत की। भागवत के इस बयान से नाराजगी आई थी सामने
मोहन भागवत सोमवार 10 जून को नागपुर में संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग के समापन में शामिल हुए थे। यहां भागवत ने चुनाव, राजनीति और राजनीतिक दलों के रवैये पर बात की। भागवत ने कहा- जो मर्यादा का पालन करते हुए कार्य करता है, गर्व करता है, किन्तु लिप्त नहीं होता, अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों मे सेवक कहलाने का अधिकारी है। मोहन भागवत के इस बयान के बाद से ही बीजेपी से नाराजगी खुलकर सामने आई थी। ये खबरें भी पढ़ें:-
गोरखपुर चिड़ियाघर में योगी ने भालू को आइसक्रीम खिलाई, बब्बर शेर-शेरनी को छोड़ा सीएम योगी आदित्यनाथ शनिवार सुबह गोरखपुर चिड़ियाघर पहुंचे। यहां उन्होंने भालू को आइसक्रीम खिलाई। गुजरात से लाए गए बब्बर शेर भरत और शेरनी गौरी को चिड़ियाघर में छोड़ा। गैंडों को हरा चारा भी खिलाया। सीएम ने चिड़ियाघर का जायजा लिया। अफसरों को भी गर्मी के दौरान जानवरों का विशेष ध्यान रखने के आदेश दिए। गर्मी की वजह से सीएम टोपी लगाए नजर आए। पढ़ें पूरी खबर… संघ प्रमुख मोहन भागवत और सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में 26 घंटे तक महज 12 किलोमीटर की दूरी पर रहे। मगर, दोनों की मुलाकात नहीं हुई। माना जा रहा था कि शनिवार को गोरखपुर पहुंचे सीएम योगी, RSS चीफ से मुलाकात कर सकते हैं। दोनों के बीच लोकसभा चुनाव के रिजल्ट पर चर्चा हो सकती है, भविष्य का रोडमैप भी बन सकता है। लेकिन, रविवार को सीएम योगी आदित्यनाथ मां से मिलने उत्तराखंड के ऋषिकेश रवाना हो गए। सीएम की मां सावित्री देवी आंखों में परेशानी के चलते 7 जून से ऋषिकेश में भर्ती हैं। उनका जिरियाट्रिक वार्ड में इलाज चल रहा है। उधर, सोमवार सुबह संघ प्रमुख गोरखपुर से नागपुर रवाना हो जाएंगे। वह 5 दिन के लिए गोरखपुर आए थे। ऐसे में सवाल है- एक ही शहर में होकर भी भागवत और योगी की मुलाकात क्यों नहीं हुई? सीएम योगी RSS चीफ मोहन भागवत से मिलने मानीराम चिउटहवा स्थित सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल क्यों नहीं पहुंचे? इस पर RSS और भाजपा से कोई भी जवाब नहीं दे रहा है। सीएम योगी दो दिवसीय दौरे पर शनिवार को गोरखपुर आए थे। वहीं, मोहन भागवत 5 दिनों के प्रवास पर गोरखपुर पहुंचे। मां को देखने ऋृषिकेश गए सीएम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मां सावित्री देवी (85) कई दिनों से बीमार चल रही हैं। उनका अभी ऋषिकेश AIIMS में इलाज चल रहा है। ऐसे में रविवार की सुबह गोरखनाथ मंदिर में जनता दर्शन के बाद मुख्यमंत्री ने यहां एनेक्सी भवन में भाजपा की बैठक की। इसके बाद सीएम योगी अपनी मां की हाल जानने ऋषिकेश चले गए। RSS चीफ ने स्वयंसेवकों से की शताब्दी विस्तारक बनने की अपील
उधर, अपने गोरखपुर प्रवास के चौथे दिन RSS चीफ मोहन भागवत ने संगठन के शताब्दी वर्ष के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए स्वयंसेवकों से शताब्दी विस्तारक बनने की अपील की है। उन्होंने कहा है, शताब्दी वर्ष तक संघ के व्यापक विस्तार के लक्ष्य के साथ स्वयंसेवक एक वर्ष के लिए शताब्दी विस्तारक बनकर क्षेत्र में निकले और गांव-गांव में संघ की उपस्थिति सुनिश्चित करें। संघ प्रमुख ने शनिवार को SVM पब्लिक स्कूल में कार्यकर्ता विकास वर्ग में बौद्धिक को संबोधित किया। गांव-गांव में जाकर लगाएं नियमित शाखा
शताब्दी विस्तारकों के कार्य और कार्यप्रणाली की जानकारी देते हुए मोहन भागवत ने कहा- उन्हें गांव-गांव में जाकर नियमित शाखा लगानी होगी। शाखा से अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने का प्रयास करना होगा। शाखा में स्वयंसेवकों की संख्या बढ़ाने पर जोर देना होगा। शाखा में शामिल लोगों को संघ के राष्ट्र व समाज उत्थान के पवित्र उद्देश्य की जानकारी देनी होगी ताकि लोग संगठन से स्वयं को जोड़कर गौरवान्वित महसूस करें। 2025 तक संघ के विस्तार से देश का कोई स्थान शेष न रहे
शताब्दी विस्तारकों को वर्ष भर इस लक्ष्य के साथ कार्य करना होगा कि शताब्दी वर्ष 2025 तक संघ के विस्तार से देश का कोई स्थान शेष न रह जाए। कार्यकर्ता विकास वर्ग में शामिल काशी, अवध, कानपुर और गोरक्ष प्रांत के स्वयंसेवक प्रशिक्षुओं से अपना वर्ष भर का समय संघ के लिए समर्पित करने की अपील की। अब जानिए संघ BJP से नाराज क्यों? 1. UP में टिकट बंटवारे पर RSS सहमत नहीं
चुनाव में UP ने भाजपा को बड़ा झटका दिया। इसे RSS ने टिकट बंटवारे के वक्त ही भांप लिया था। संघ ने 10 से ज्यादा सीटों पर कैंडिडेट्स पर असहमति जताई थी। इनमें प्रतापगढ़, श्रावस्ती, कौशांबी, रायबरेली और कानपुर जैसी सीटें शामिल थीं। कानपुर के अलावा सभी सीटों पर भाजपा कैंडिडेट्स की हार हुई। 2. चुनावी मुद्दों को इग्नोर किया
RSS ने भाजपा को मुद्दों की एक लिस्ट सौंपी थी। इसमें कहा गया था कि विपक्ष पर ED-CBI की कार्रवाई करने के बजाय, अपने अचीवमेंट गिनाना चाहिए। नेशनल और इंटरनल सिक्योरिटी के मुद्दे पर सरकार के पास कई उपलब्धियां हैं। RSS की सलाह थी कि ग्राउंड में जनता इन मुद्दों को सुनना भी चाहती है। हम इस पर रिपोर्ट कार्ड भी दे सकते थे। संघ का कहना था कि मुफ्त के खेल में विपक्ष हमसे बहुत आगे है। इसलिए हमें मुफ्त में राशन देना बंद करना चाहिए। 3- जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में संघ को नहीं मिला महत्व
लोकसभा चुनाव से पहले BJP ने संगठन में कई बदलाव किए। कई जिलों के अध्यक्ष और क्षेत्रीय अध्यक्षों को जिम्मेदारी दी गई थी। इसमें संघ परिवार के फीडबैक की अनदेखी की गई। खासतौर से काशी के क्षेत्रीय अध्यक्ष और कुछ पदाधिकारियों की नियुक्ति को लेकर संघ ने नाराजगी भी व्यक्त की थी। वाराणसी समेत कई लोकसभा क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत में भारी कमी आने के पीछे पदाधिकारियों की मनमानी नियुक्ति को भी एक बड़ा कारण माना गया। पूर्वांचल की हारी हुई 17 सीटों का फीडबैक लिया
RSS चीफ ने दो दिन में यहां 280 स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण देने के साथ काशी, अवध और गोरक्षा प्रांत के संघ पदाधिकारियों से मुलाकात भी की है। बताया जा रहा है कि इस दौरान उन्होंने पूर्वांचल में चुनाव परिणाम का अनौपचारिक फीडबैक भी लिया। दरअसल, पूर्वांचल की 29 सीटों में से BJP 17 सीटें हार गई है। भागवत ने यहां जिला प्रचारकों-प्रांत प्रचारकों से इस बारे में बातचीत की। भागवत के इस बयान से नाराजगी आई थी सामने
मोहन भागवत सोमवार 10 जून को नागपुर में संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग के समापन में शामिल हुए थे। यहां भागवत ने चुनाव, राजनीति और राजनीतिक दलों के रवैये पर बात की। भागवत ने कहा- जो मर्यादा का पालन करते हुए कार्य करता है, गर्व करता है, किन्तु लिप्त नहीं होता, अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों मे सेवक कहलाने का अधिकारी है। मोहन भागवत के इस बयान के बाद से ही बीजेपी से नाराजगी खुलकर सामने आई थी। ये खबरें भी पढ़ें:-
गोरखपुर चिड़ियाघर में योगी ने भालू को आइसक्रीम खिलाई, बब्बर शेर-शेरनी को छोड़ा सीएम योगी आदित्यनाथ शनिवार सुबह गोरखपुर चिड़ियाघर पहुंचे। यहां उन्होंने भालू को आइसक्रीम खिलाई। गुजरात से लाए गए बब्बर शेर भरत और शेरनी गौरी को चिड़ियाघर में छोड़ा। गैंडों को हरा चारा भी खिलाया। सीएम ने चिड़ियाघर का जायजा लिया। अफसरों को भी गर्मी के दौरान जानवरों का विशेष ध्यान रखने के आदेश दिए। गर्मी की वजह से सीएम टोपी लगाए नजर आए। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर