राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत बुधवार को गोरखपुर पहुंचे। वह कार्यकर्ता विकास वर्ग में 350 स्वयंसेवकों को टिप्स और ट्रेनिंग देंगे। चर्चा है कि वह पूर्वांचल की हारी हुई 17 सीटों का फीडबैक भी ले सकते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनसे मुलाकात करने आएंगे। 16 जून तक स्कूल में ही रहेंगे मोहन भागवत
गोरखपुर के चिऊंटहा में SVM पब्लिक स्कूल में 3 जून से कार्यकर्ता विकास वर्ग चल रहा है। इसमें शामिल होने के लिए संघ प्रमुख गोरखपुर पहुंचे हैं। 16 जून तक वह स्कूल में ही प्रवास करेंगे। कार्यकर्ता विकास वर्ग में हिस्सा ले रहे हैं। 3 जून से शुरू पहला शिविर 18 जून को खत्म होगा। दूसरा शिविर 21 जून को खत्म होगा। RSS चीफ मोहन भागवत यहां 4 दिनों तक प्रशिक्षार्थियों से मिलेंगे। समापन सत्र में बतौर मुख्य वक्ता RSS के सह सरकार्यवाह आलोक कुमार मौजूद रहेंगे। 21 जून की सुबह दीक्षा समारोह के बाद सभी स्वयंसेवक घर लौटेंगे। इसमें उन स्वयंसेवक ने भाग लिया, जिन पर 2 वर्ष से संघ का कोई दायित्व है। पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र में कानपुर, गोरक्ष, अवध व काशी प्रांत शामिल है। इस विकास वर्ग में 280 लोग प्रतिभाग कर रहे हैं। वर्ग के दौरान किसी भी व्यक्ति का स्कूल परिसर में प्रवेश वर्जित किया गया है। अपने 5 दिन के प्रवास में मोहन भागवत संघ के पदाधिकारियों को संगठन की आगे की कार्ययोजना के बारे में बताएंगे। CM योगी भी RSS चीफ से कर सकते हैं मुलाकात
वहीं, इस बीच शुक्रवार या शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भी गोरखपुर आने की संभावना है। ऐसे में माना जा रहा है कि अपने गोरखपुर दौरे के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ RSS चीफ मोहन भागवत से मुलाकात कर सकते हैं। हालांकि, अभी तक RSS की ओर से इसकी कोई पुष्टि नहीं की गई है। मोहन भागवत के दौरे के सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं। क्योंकि चुनाव के दौरान भाजपा और आरएससस की दूरियां सामने आ चुकी हैं। 2024 में आरएसएस जमीन पर नहीं दिखा था। वोटर्स को बूथ तक लेकर लाने की कोशिशें भी नहीं हुईं। पहले आरएसएस की नाराजगी की 2 वजह समझिए… 1. यूपी में टिकट बंटवारे पर आरएसएस सहमत नहीं चुनाव में यूपी ने भाजपा को बड़ा झटका दिया। इसको आरएसएस ने टिकट बंटवारे के वक्त ही भांप लिया था। आरएसएस ने 10 से ज्यादा सीटों पर कैंडिडेट पर असहमति जताई थी। इनमें प्रतापगढ़, श्रावस्ती, कौशांबी, रायबरेली और कानपुर जैसी सीटें शामिल थीं। कानपुर के अलावा सभी सीटों पर भाजपा कैंडिडेट की हार हुई। 2. आरएसएस के चुनावी मुद्दों को इग्नोर किया आरएसएस ने भाजपा को मुद्दों की एक लिस्ट सौंपी थी। इसमें कहा गया था कि विपक्ष पर ED-CBI की कार्रवाई करने के बजाए, अपने अचीवमेंट्स गिनाना चाहिए। नेशनल और इंटरनल सिक्योरिटी के मुद्दे पर सरकार के पास कई उपलब्धियां हैं। आरएसएस की सलाह थी कि ग्राउंड में जनता इन मुद्दों को सुनना भी चाहती है। हम इस पर रिपोर्ट कार्ड भी दे सकते थे। आरएसएस का कहना था कि मुफ्त के खेल में विपक्ष हमसे बहुत आगे है। इसलिए हमें मुफ्त में राशन देना बंद करना चाहिए। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का बयान भी पढ़िए… अब 10 जून को नागपुर में हुए संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग के कार्यक्रम को भी पढ़िए… RSS चीफ भागवत बोले- काम करें, अहंकार न पालें
इससे पहले सोमवार 10 जून को नागपुर में संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग के समापन में शामिल हुए थे। यहां भागवत ने चुनाव, राजनीति और राजनीतिक दलों के रवैये पर बात की। भागवत ने कहा- जो मर्यादा का पालन करते हुए कार्य करता है, गर्व करता है, किन्तु लिप्त नहीं होता, अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों मे सेवक कहलाने का अधिकारी है। उन्होंने कहा कि जब चुनाव होता है तो मुकाबला जरूरी होता है। इस दौरान दूसरों को पीछे धकेलना भी होता है, लेकिन इसकी एक सीमा होती है। यह मुकाबला झूठ पर आधारित नहीं होना चाहिए। भागवत ने मणिपुर की स्थिति पर कहा- मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है। बीते 10 साल से राज्य में शांति थी, लेकिन अचानक से वहां गन कल्चर बढ़ गया। जरूरी है कि इस समस्या को प्राथमिकता से सुलझाया जाए। संघ चुनाव नतीजों के एनालिसिस में नहीं उलझता
लोकसभा चुनाव खत्म होते ही पहली बार भागवत ने कहा- लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद बाहर का माहौल अलग है। नई सरकार भी बन गई है। ऐसा क्यों हुआ, संघ को इससे मतलब नहीं है। संघ हर चुनाव में जनमत को परिष्कृत करने का काम करता है, इस बार भी किया, लेकिन नतीजों के विश्लेषण में नहीं उलझता। लोगों ने जनादेश दिया है, सब कुछ उसी के अनुसार होगा। क्यों? कैसे? संघ इसमें नहीं पड़ता। दुनियाभर में समाज में बदलाव आया है, जिससे व्यवस्थागत बदलाव हुए हैं। यही लोकतंत्र का सार है। चुनावी मुकाबला झूठ पर आधारित न हो
उन्होंने नागपुर में कहा-जब चुनाव होता है, तो मुकाबला जरूरी होता है, इस दौरान दूसरों को पीछे धकेलना भी होता है, लेकिन इसकी भी एक सीमा होती है – यह मुकाबला झूठ पर आधारित नहीं होना चाहिए। लोग क्यों चुने जाते हैं – संसद में जाने के लिए, विभिन्न मुद्दों पर आम सहमति बनाने के लिए। हमारी परंपरा आम सहमति बनाने की है। संसद में सहमति बनाएं, विपक्ष को विरोधी नहीं, प्रतिपक्ष कहें
RSS चीफ ने कहा- संसद में दो पक्ष क्यों होते हैं? ताकि, किसी भी मुद्दे के दोनों पक्षों को संबोधित किया जा सके। किसी भी सिक्के के दो पहलू होते हैं, वैसे ही हर मुद्दे के दो पहलू होते हैं। संसद में दो पक्ष जरूरी हैं। देश चलाने के लिए सहमति जरूरी है। संसद में सहमति से निर्णय लेने के लिए बहुमत का प्रयास किया जाता है, लेकिन हर स्थिति में दोनों पक्ष को मर्यादा का ध्यान रखना होता है। संसद में किसी प्रश्न के दोनों पहलू सामने आएं, इसलिए ऐसी व्यवस्था है। विपक्ष को विरोधी पक्ष की जगह प्रतिपक्ष कहना चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत बुधवार को गोरखपुर पहुंचे। वह कार्यकर्ता विकास वर्ग में 350 स्वयंसेवकों को टिप्स और ट्रेनिंग देंगे। चर्चा है कि वह पूर्वांचल की हारी हुई 17 सीटों का फीडबैक भी ले सकते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनसे मुलाकात करने आएंगे। 16 जून तक स्कूल में ही रहेंगे मोहन भागवत
गोरखपुर के चिऊंटहा में SVM पब्लिक स्कूल में 3 जून से कार्यकर्ता विकास वर्ग चल रहा है। इसमें शामिल होने के लिए संघ प्रमुख गोरखपुर पहुंचे हैं। 16 जून तक वह स्कूल में ही प्रवास करेंगे। कार्यकर्ता विकास वर्ग में हिस्सा ले रहे हैं। 3 जून से शुरू पहला शिविर 18 जून को खत्म होगा। दूसरा शिविर 21 जून को खत्म होगा। RSS चीफ मोहन भागवत यहां 4 दिनों तक प्रशिक्षार्थियों से मिलेंगे। समापन सत्र में बतौर मुख्य वक्ता RSS के सह सरकार्यवाह आलोक कुमार मौजूद रहेंगे। 21 जून की सुबह दीक्षा समारोह के बाद सभी स्वयंसेवक घर लौटेंगे। इसमें उन स्वयंसेवक ने भाग लिया, जिन पर 2 वर्ष से संघ का कोई दायित्व है। पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र में कानपुर, गोरक्ष, अवध व काशी प्रांत शामिल है। इस विकास वर्ग में 280 लोग प्रतिभाग कर रहे हैं। वर्ग के दौरान किसी भी व्यक्ति का स्कूल परिसर में प्रवेश वर्जित किया गया है। अपने 5 दिन के प्रवास में मोहन भागवत संघ के पदाधिकारियों को संगठन की आगे की कार्ययोजना के बारे में बताएंगे। CM योगी भी RSS चीफ से कर सकते हैं मुलाकात
वहीं, इस बीच शुक्रवार या शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भी गोरखपुर आने की संभावना है। ऐसे में माना जा रहा है कि अपने गोरखपुर दौरे के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ RSS चीफ मोहन भागवत से मुलाकात कर सकते हैं। हालांकि, अभी तक RSS की ओर से इसकी कोई पुष्टि नहीं की गई है। मोहन भागवत के दौरे के सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं। क्योंकि चुनाव के दौरान भाजपा और आरएससस की दूरियां सामने आ चुकी हैं। 2024 में आरएसएस जमीन पर नहीं दिखा था। वोटर्स को बूथ तक लेकर लाने की कोशिशें भी नहीं हुईं। पहले आरएसएस की नाराजगी की 2 वजह समझिए… 1. यूपी में टिकट बंटवारे पर आरएसएस सहमत नहीं चुनाव में यूपी ने भाजपा को बड़ा झटका दिया। इसको आरएसएस ने टिकट बंटवारे के वक्त ही भांप लिया था। आरएसएस ने 10 से ज्यादा सीटों पर कैंडिडेट पर असहमति जताई थी। इनमें प्रतापगढ़, श्रावस्ती, कौशांबी, रायबरेली और कानपुर जैसी सीटें शामिल थीं। कानपुर के अलावा सभी सीटों पर भाजपा कैंडिडेट की हार हुई। 2. आरएसएस के चुनावी मुद्दों को इग्नोर किया आरएसएस ने भाजपा को मुद्दों की एक लिस्ट सौंपी थी। इसमें कहा गया था कि विपक्ष पर ED-CBI की कार्रवाई करने के बजाए, अपने अचीवमेंट्स गिनाना चाहिए। नेशनल और इंटरनल सिक्योरिटी के मुद्दे पर सरकार के पास कई उपलब्धियां हैं। आरएसएस की सलाह थी कि ग्राउंड में जनता इन मुद्दों को सुनना भी चाहती है। हम इस पर रिपोर्ट कार्ड भी दे सकते थे। आरएसएस का कहना था कि मुफ्त के खेल में विपक्ष हमसे बहुत आगे है। इसलिए हमें मुफ्त में राशन देना बंद करना चाहिए। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का बयान भी पढ़िए… अब 10 जून को नागपुर में हुए संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग के कार्यक्रम को भी पढ़िए… RSS चीफ भागवत बोले- काम करें, अहंकार न पालें
इससे पहले सोमवार 10 जून को नागपुर में संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग के समापन में शामिल हुए थे। यहां भागवत ने चुनाव, राजनीति और राजनीतिक दलों के रवैये पर बात की। भागवत ने कहा- जो मर्यादा का पालन करते हुए कार्य करता है, गर्व करता है, किन्तु लिप्त नहीं होता, अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों मे सेवक कहलाने का अधिकारी है। उन्होंने कहा कि जब चुनाव होता है तो मुकाबला जरूरी होता है। इस दौरान दूसरों को पीछे धकेलना भी होता है, लेकिन इसकी एक सीमा होती है। यह मुकाबला झूठ पर आधारित नहीं होना चाहिए। भागवत ने मणिपुर की स्थिति पर कहा- मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है। बीते 10 साल से राज्य में शांति थी, लेकिन अचानक से वहां गन कल्चर बढ़ गया। जरूरी है कि इस समस्या को प्राथमिकता से सुलझाया जाए। संघ चुनाव नतीजों के एनालिसिस में नहीं उलझता
लोकसभा चुनाव खत्म होते ही पहली बार भागवत ने कहा- लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद बाहर का माहौल अलग है। नई सरकार भी बन गई है। ऐसा क्यों हुआ, संघ को इससे मतलब नहीं है। संघ हर चुनाव में जनमत को परिष्कृत करने का काम करता है, इस बार भी किया, लेकिन नतीजों के विश्लेषण में नहीं उलझता। लोगों ने जनादेश दिया है, सब कुछ उसी के अनुसार होगा। क्यों? कैसे? संघ इसमें नहीं पड़ता। दुनियाभर में समाज में बदलाव आया है, जिससे व्यवस्थागत बदलाव हुए हैं। यही लोकतंत्र का सार है। चुनावी मुकाबला झूठ पर आधारित न हो
उन्होंने नागपुर में कहा-जब चुनाव होता है, तो मुकाबला जरूरी होता है, इस दौरान दूसरों को पीछे धकेलना भी होता है, लेकिन इसकी भी एक सीमा होती है – यह मुकाबला झूठ पर आधारित नहीं होना चाहिए। लोग क्यों चुने जाते हैं – संसद में जाने के लिए, विभिन्न मुद्दों पर आम सहमति बनाने के लिए। हमारी परंपरा आम सहमति बनाने की है। संसद में सहमति बनाएं, विपक्ष को विरोधी नहीं, प्रतिपक्ष कहें
RSS चीफ ने कहा- संसद में दो पक्ष क्यों होते हैं? ताकि, किसी भी मुद्दे के दोनों पक्षों को संबोधित किया जा सके। किसी भी सिक्के के दो पहलू होते हैं, वैसे ही हर मुद्दे के दो पहलू होते हैं। संसद में दो पक्ष जरूरी हैं। देश चलाने के लिए सहमति जरूरी है। संसद में सहमति से निर्णय लेने के लिए बहुमत का प्रयास किया जाता है, लेकिन हर स्थिति में दोनों पक्ष को मर्यादा का ध्यान रखना होता है। संसद में किसी प्रश्न के दोनों पहलू सामने आएं, इसलिए ऐसी व्यवस्था है। विपक्ष को विरोधी पक्ष की जगह प्रतिपक्ष कहना चाहिए। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर