पंजाब एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स (AGTF) ने मोहाली के रहने वाले एक विजय नाम के गैंगस्टर को गिरफ्तार किया है। यह गैंगस्टर जेल में बंद दीपक टीनू के कहने पर काम करता था। यह लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ गैंग का सदस्य है। इसे बंबीहा गैंग के सदस्यों को मारने की जिम्मेदारी दी गई थी। यह मोहाली के मेमंदपुर गांव का रहने वाला है। पुलिस ने उसके कब्जे से एक पिस्तौल और पांच जिंदा कारतूस बरामद किए हैं। बठिंडा जेल में बंद है दीपक टीनू दीपक टीनू इन दिनों पंजाब की बठिंडा जेल में बंद है। उसने इसी साल 12 फरवरी को जेल के सहायक अधीक्षक को जान से मारने की धमकी दी थी। इतना ही नहीं उसने साथियों के साथ मिलकर अधिकारी के साथ धक्का मुक्की भी की थी। बठिंडा पुलिस ने इस मामले में उसके खिलाफ एक और मुकदमा दर्ज कर लिया था। दीपक टीनू, पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में भी शामिल रहा है। जेल के अंदर उसने यह वारदात अपने तीन अन्य साथियों के साथ मिलकर की थी। पुलिस कस्टडी से भाग गया था टीनू दीपक टीनू, गायक सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के बाद पुलिस कस्टडी से भाग गया था। वह पंजाब से भागकर राजस्थान और मुंबई होते हुए मॉरीशस पहुंचा था। वह फर्जी पासपोर्ट के जरिए दक्षिण अफ्रीका तक पहुंच गया था। टीनू का लुधियाना में बड़ा नेटवर्क है। वह लुधियाना में अवैध वसूली और ड्रग का कारोबार करता था। टीनू को भगाने वाले आरोपी लुधियाना के ही तीन व्यक्ति थे। जिनको पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। गर्लफ्रेंड को भी दिया धोखा बता दें कि टीनू अपनी गर्लफ्रेंड जतिंदर कौर से मिले बिना भाग गया था। बताया जा रहा था कि राजस्थान तक दोनों साथ थे। वहां से अलग होते समय टीनू ने गर्लफ्रेंड को कहा था कि वह उसे मुंबई में मिलेगा, लेकिन उसने जतिंदर कौर के साथ धोखा किया। टीनू उससे मिलने की बजाय सीधा मॉरीशस के रास्ते साउथ अफ्रीका भाग गया। जिसके बाद जतिंदर कौर को पुलिस ने पकड़ लिया था। सूत्रों के मुताबिक, इसी तरह गोल्डी बराड़ ने भी अपने शार्प शूटरों को धोखा दिया था। गोल्डी बराड़ ने मूसेवाला कत्ल के बाद शार्प शूटरों को पैसे नहीं दिए थे। पंजाब एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स (AGTF) ने मोहाली के रहने वाले एक विजय नाम के गैंगस्टर को गिरफ्तार किया है। यह गैंगस्टर जेल में बंद दीपक टीनू के कहने पर काम करता था। यह लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ गैंग का सदस्य है। इसे बंबीहा गैंग के सदस्यों को मारने की जिम्मेदारी दी गई थी। यह मोहाली के मेमंदपुर गांव का रहने वाला है। पुलिस ने उसके कब्जे से एक पिस्तौल और पांच जिंदा कारतूस बरामद किए हैं। बठिंडा जेल में बंद है दीपक टीनू दीपक टीनू इन दिनों पंजाब की बठिंडा जेल में बंद है। उसने इसी साल 12 फरवरी को जेल के सहायक अधीक्षक को जान से मारने की धमकी दी थी। इतना ही नहीं उसने साथियों के साथ मिलकर अधिकारी के साथ धक्का मुक्की भी की थी। बठिंडा पुलिस ने इस मामले में उसके खिलाफ एक और मुकदमा दर्ज कर लिया था। दीपक टीनू, पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में भी शामिल रहा है। जेल के अंदर उसने यह वारदात अपने तीन अन्य साथियों के साथ मिलकर की थी। पुलिस कस्टडी से भाग गया था टीनू दीपक टीनू, गायक सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के बाद पुलिस कस्टडी से भाग गया था। वह पंजाब से भागकर राजस्थान और मुंबई होते हुए मॉरीशस पहुंचा था। वह फर्जी पासपोर्ट के जरिए दक्षिण अफ्रीका तक पहुंच गया था। टीनू का लुधियाना में बड़ा नेटवर्क है। वह लुधियाना में अवैध वसूली और ड्रग का कारोबार करता था। टीनू को भगाने वाले आरोपी लुधियाना के ही तीन व्यक्ति थे। जिनको पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। गर्लफ्रेंड को भी दिया धोखा बता दें कि टीनू अपनी गर्लफ्रेंड जतिंदर कौर से मिले बिना भाग गया था। बताया जा रहा था कि राजस्थान तक दोनों साथ थे। वहां से अलग होते समय टीनू ने गर्लफ्रेंड को कहा था कि वह उसे मुंबई में मिलेगा, लेकिन उसने जतिंदर कौर के साथ धोखा किया। टीनू उससे मिलने की बजाय सीधा मॉरीशस के रास्ते साउथ अफ्रीका भाग गया। जिसके बाद जतिंदर कौर को पुलिस ने पकड़ लिया था। सूत्रों के मुताबिक, इसी तरह गोल्डी बराड़ ने भी अपने शार्प शूटरों को धोखा दिया था। गोल्डी बराड़ ने मूसेवाला कत्ल के बाद शार्प शूटरों को पैसे नहीं दिए थे। पंजाब | दैनिक भास्कर
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हरियाणा के किसानों की आंदोलन से दूरी क्यों:BJP सरकार की माइक्रो लेवल वर्किंग; गांव-गांव पुलिस भेजी, कारोबार में नुकसान समेत 4 वजहें
हरियाणा के किसानों की आंदोलन से दूरी क्यों:BJP सरकार की माइक्रो लेवल वर्किंग; गांव-गांव पुलिस भेजी, कारोबार में नुकसान समेत 4 वजहें पंजाब के किसान 298 दिन से हरियाणा से सटे शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बैठे हैं। दिल्ली कूच के चक्कर में 3 बार उनका पुलिस से टकराव हो चुका है। एक युवा किसान की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद इस बार किसानों को हरियाणा के किसानों का वो सपोर्ट नहीं मिला है जो उन्हें 2020-21 में 3 कृषि कानूनों के खिलाफ चलाए गए आंदोलन में मिला था। इसको लेकर हर कोई सोच रहा है कि आखिर इसकी वजह क्या है? दैनिक भास्कर ने इसका पता लगाने के लिए हरियाणा के किसानों-ग्रामीणों से बातचीत की तो ग्राउंड लेवल पर पुलिस और प्रशासन के जरिए BJP सरकार बहुत एक्टिव नजर आई। हरियाणा सरकार जितनी सख्ती शंभू-खनौरी बॉर्डर पर कर रही है, उतनी ही माइक्रो लेवल वर्किंग गांव स्तर पर भी कर रही है। वह किसी भी तरह प्रदेश में इस आंदोलन को जीवित नहीं होने देना चाहती। हरियाणा में आंदोलन न होने देने की 4 बड़ी वजहें… 1. बॉर्डर एरिया में SP-DSP को फील्ड में उतारा
पंजाब के किसानों के आंदोलन का सबसे बड़ा असर शंभू और खनौरी बॉर्डर से सटे हरियाणा के इलाकों में पड़ना था। सरकार को इसकी इंटेलिजेंस इनपुट मिल गई थी। इसके बाद सरकार ने निचले दर्जे के कर्मचारियों की जगह बॉर्डर जिलों के SP और DSP को फील्ड में उतारा। उन्हें गांव-गांव ग्रामीणों और किसानों से मीटिंग करने को कहा, जहां वे उन्हें पंजाब के किसानों के आंदोलन से हरियाणा और खासकर बॉर्डर एरिया होने से उन्हें होने वाले नुकसान को गिना रहे हैं। नतीजा यह हुआ कि गांवों से अब दूध, राशन वगैरह भी आंदोलन तक नहीं पहुंच रहा है। 2. पुलिस ने पहले ही गश्त बढ़ाई, सख्ती की
पंजाब के किसानों का आंदोलन शुरू होते ही पुलिस ने गांवों में गश्त बढ़ा दी। हाईवेज पर नाके लगा दिए। बॉर्डर इलाकों के आसपास शराब की दुकानें बंद कर दीं। खनौरी बॉर्डर पर तो 16 किमी इलाके में दुकानें बंद हो गईं। नतीजा यह हुआ कि लोगों ने बॉर्डर की तरफ जाना ही कम कर दिया। ऐसे में आंदोलनकारी किसानों से उनका तालमेल टूट गया। दिल्ली कूच के दौरान भी प्रशासन और पुलिस ने तुरंत सारा इलाका एक झटके में सील कर दिया। 3. हरियाणा के नेताओं को भरोसे में नहीं लिया
इस मामले में तीसरी बड़ी वजह पंजाब के आंदोलन को चला रहे किसान नेता जगजीत डल्लेवाल और सरवण पंधेर हैं। असल में जब उन्होंने फरवरी महीने में आंदोलन शुरू किया तो हरियाणा के किसान नेताओं को भरोसे में नहीं लिया। यहां तक कि दिल्ली कूच को लेकर जब पिछली बार झड़प हुई तो उसके बाद भी हरियाणा के नेता साथ नहीं आए। भाकियू (चढ़ूनी ग्रुप) के प्रधान गुरनाम चढ़ूनी इसकी पुष्टि करते हुए कहते हैं कि हम बिना बुलाए नहीं जाएंगे। कुछ गड़बड़ी हुई तो फिर आरोप हम पर लगेगा। हालांकि, अभिमन्यु कोहाड़ जैसे किसान नेता आंदोलन के साथ खनौरी बॉर्डर पर डटे हुए हैं। 4. 24 फसलों पर MSP दे रही
पंजाब के किसान संगठन फसलों की MSP पर खरीद के गारंटी कानून को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। मांग मानी गई तो इसका फायदा देश के सभी किसानों को होगा। हालांकि, हरियाणा सरकार लगातार कह रही है कि वह 24 फसलों पर MSP दे रही है। विधानसभा चुनाव के वक्त भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने यह मुद्दा उठाया कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अपने शासित प्रदेशों में फसलों पर MSP क्यों नहीं दे रही? हरियाणा सरकार लगातार प्रभाव बना रही कि जितनी MSP हम दे रहे, कोई नहीं देता। बॉर्डर बंद होने से हरियाणा को 3 बड़े नुकसान… 1. 10 महीने से बॉर्डर बंद, फसल सस्ती बेचनी पड़ी
पंजाब से सटे हरियाणा के बॉर्डर 10 महीने से बंद हैं। जींद में खनौरी और अंबाला में शंभू बॉर्डर बंद पड़े हैं। इसके कारण बॉर्डर के पास बसें गांवों का संपर्क पंजाब से टूट चुका है। जींद में खनौरी बॉर्डर के पास करीब 20 गांव पड़ते हैं। नारायणगढ़, पदारथ खेड़ा, रिवर, पिपल्था, उझाना, हंस दहर, डंडोली जैसे गांवों का अधिकतर व्यापार पंजाब के खनौरी से होता है। इन गांवों की दूरी खनौरी और नरवाना से एक समान है। किसान फसल भी खनौरी में जाकर बेचते हैं। नारायण गढ़ और उझाना के किसानों ने बताया कि कंबाइन से कटी धान की कीमत पंजाब में अधिक मिलती है। खनौरी में काफी संख्या में किसान जाकर वहां के राइस मिलरों को धान बेचते थे। इससे मुनाफा हरियाणा के किसानों को होता था। कंबाइन से कटे धान में नमी अधिक होती है जिसका हरियाणा में दाम कम मिलता है। इसके बावजूद सस्ती फसल बेचनी पड़ी। इससे किसानों को करोड़ों का नुकसान हुआ। 2. लिंक रोड और कच्चे रास्ते पूरी तरह टूट गए
बॉर्डर बंद होने से बड़े वाहन लिंक रास्तों से गुजर रहे हैं। बड़े ट्रक गांवों से निकल रहे हैं। इससे लिंक रोड पूरी तरह टूट गए। वहीं कच्चे रास्तों पर बड़े-बड़े गड्ढे हो रहे हैं। किसानों को ट्रैक्टर ले जाने और साधन निकालने में दिक्कत होती है। हरियाणा सरकार ने ग्रांट देकर अभी कुछ गांवों में दोबारा रास्ते और सड़क बनवाईं, मगर वह दोबारा टूट गईं। अभी कुछ दिन पहले गांव डंडोली में खेतों के रास्ते में तेल से भरा टैंकर पलट गया था जिससे किसान की धान की पूरी फसल नष्ट हो गई। तेल जहां-जहां गया, खेत खराब हो गया। 3. दुकानों का व्यापार ठप
नरवाना से खनौरी जाने वाले रास्ते पर होटल-ढाबे, रेस्टोरेंट और छोटी-छोटी दुकानें हैं। गांवों से होकर गुजर रहे नरवाना-खनौरी हाईवे पर दुकानें अधिकतर ग्रामीणों की हैं। रास्ता बंद होने से इनका व्यापार आधे से भी कम रह गया है। पेट्रोल पंपों की सेल घट गई है। कम रेट की वजह से पंजाब के अधिकतर लोग हरियाणा के पेट्रोल पंपों पर आकर तेल खरीदते थे और यहां के शराब ठेकों से शराब लेते थे। पंपों व ठेकों की सेल आधी रह गई है। खनौरी बॉर्डर पर ही नाके के नजदीक एक शराब ठेके के कर्मचारी ने बताया कि पहले उनकी रोजाना की सेल एक लाख रुपए की होती थी जो अब घटकर 10 हजार रुपए प्रतिदिन रह गई है। अंबाला में व्यापारी और रेहड़ी फड़ी वाले भी प्रदर्शन तक कर चुके
शंभू बॉर्डर बंद होने से अंबाला के व्यापारियों को कारोबार का नुकसान हुआ है। जुलाई महीने में व्यापारियों ने 4 घंटे तक दुकानें भी बंद रखीं। सबसे ज्यादा नुकसान यहां करीब 1500 दुकानों वाले मशहूर कपड़ा मार्केट को हुआ। व्यापारी कहते हैं कि बॉर्डर बंद होने से उन्हें 2 हजार करोड़ का घाटा झेलना पड़ा है। उनके यहां बड़ी संख्या में ग्राहक पंजाब से ही आते थे। जन जागृति संगठन के अध्यक्ष विप्लव सिंगला कहते हैं कि हमने विरोध प्रदर्शन किया। शंभू बॉर्डर खोलने की मांग की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। 10 महीने से बॉर्डर बंद होने से हमारे ग्राहक टूट गए। अब वे दूसरे बाजारों में जाने लगे हैं। होलसेल क्लॉथ मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बत्रा कहते हैं कि बॉर्डर बंद होने से होलसेल के साथ रिटेल व्यापारियों को भी नुकसान हुआ। शादियों का सीजन है और बॉर्डर बंद होने से कारोबार बुरी स्थिति में चल रहा है। कपड़ा व्यापारी कहते हैं कि उनका 75% कारोबार गिर गया है। करीब 25 हजार लोगों की नौकरी पर संकट आ चुका है। अंबाला में जब जुलाई महीने में प्रदर्शन हुआ तो अंबाला की होलसेल कपड़ा मार्केट एसोसिएशन, कपड़ा मार्केट एसोसिएशन, अंबाला इलेक्ट्रिकल्स डीलर्स एसोसिएशन, सर्राफा एसोसिएशन, व्यापार मंडल हरियाणा, न्यू क्लॉथ मार्केट पूजा कांप्लेक्स, मनियारी मार्केट, अंबाला इलेक्ट्रिक एसोसिएशन, न्यू अनाज मंडी, पुरानी अनाज मंडी एसोसिएशन, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन और ट्रेड मुलाजिम यूनियन ने भी बॉर्डर खोलने की मांग के प्रदर्शन में हिस्सा लिया था।
पूर्व एजीआई के भाई के अस्पताल पर विजिलेंस की रेड:सबूत जुटाए- और बढ़ सकती है मुश्किलें, जेल में बंद है आरोपी अफसर
पूर्व एजीआई के भाई के अस्पताल पर विजिलेंस की रेड:सबूत जुटाए- और बढ़ सकती है मुश्किलें, जेल में बंद है आरोपी अफसर पंजाब के होशियारपुर में आय से अधिक संपत्ति, धोखाधड़ी एवं जालसाजी और एक महिला के साथ जबरदस्ती संबंध बनाने के आरोप के मामले का सामने कर रहे पूर्व एआईजी आशीष कपूर के भाई के डा. अमन कपूर के होशियारपुर स्थित अमन अस्पताल में विजिलेंस ब्यूरो की टीम ने दबिश दी। जानकारी के अनुसार, दबिश दौरान विजिलेंस ब्यूरों की टीम ने काफी सबूत एकत्रित किए हैं, जिनकी जांच जारी है। आपको बता दें कि यें वही एआईजी हैं, जिनकी एक वीडियो काफी वायरल हुई थी, जिसमें वह थाना जीरकपुर में एक महिला को थप्पड़ मारते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह वही महिला है जिसने उन पर जबरन शारीरिक संबंध बनाने का मामला दर्ज करवा रखा है। 2018 में दर्ज हुआ था मामला बता दें कि, 2018 में पूर्व एआईजी आशीष कपूर पर धोखाधड़ी एवं जालसाजी का मामला दर्ज हुआ था। अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कपूर ने दो महिलाओं से चेकों पर साइन करवाकर एक करोड़ रुपए निकलवा लिए थे। विजिलेंस ने उनके अलावा डीएसपी पवन कुमार तथा एएसआई हरजिंदर सिंह के खिलाफ भी मामला दर्ज किया था। इस मामले में विजीलेंस ने आशीष कपूर को 2022 में गिरफ्तार कर लिया था। इस समय आशीष कपूर जेल में हैं और विजिलेंस द्वारा मामले की जांच जारी है। बताया जा रहा है कि आशीष कपूर से जुड़ी कई जानकारियां एवं सबूत विजिलेंस ब्यूरो ने जुटा लिए हैं तथा उनकी मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं।
किसान आंदोलन पर कंगना के बयान का विरोध:पंधेर बोले- बयान जारी करने की जगह कार्रवाई करे; खुद माफी मांगने को कहे
किसान आंदोलन पर कंगना के बयान का विरोध:पंधेर बोले- बयान जारी करने की जगह कार्रवाई करे; खुद माफी मांगने को कहे भाजपा सांसद व बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनोट के किसान आंदोलन को दिए विवादित बयान पर पंजाब में विवाद थम नहीं रहा है। हालांकि भाजपा मीडिया सेल ने खुद बयान जारी कर कंगना रनोट के बयान से पल्ला झाड़ा है। लेकिन पंजाब के किसान इस पर भी मानने को तैयार नहीं हैं। शंभू बॉर्डर पर डटे किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के सरवन सिंह पंधेर ने कंगना रनोट को खुद माफी मांगने के लिए कहा है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर का कहना है- मैं शंभू बॉर्डर से बोल रहा हूं। भाजपा पार्टी ने नेशनल लेवल पर कंगना रनोट के बयान पर किनारा कर लिया है। लेकिन, कंगना रनोट भाजपा की एमपी है, उस पर अनुशासनिक कार्रवाई होनी चाहिए। अगर भाजपा ये मानती है कि ये बयान उचित नहीं है, गलत दिया गया बयान है। तो उन्हें कंगना रनोट पर अनुशासनिक कार्रवाई करनी चाहिए। उन्हें बोलना चाहिए कि कंगना रनोट इस बयान पर खुद माफी मांगे और कंगना रनोट को खुद माफी मांगनी चाहिए। एसकेएम कर चुकी प्रदर्शन का ऐलान राष्ट्रीय संयुक्त किसान मोर्चा और भारतीय किसान यूनियन उगराहां पहले ही कंगना के बयान का विरोध कर चुके हैं। उनका कहना है कि अपनी सांसद के किसान विरोधी बयान के लिए प्रधानमंत्री को माफी मांगनी होगी। कंगना रनोट भी जब तक माफी नहीं मांगती, देश भर में उनका विरोध किया जाएगा। वहीं, किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कंगना रनोट की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाए हैं। राहुल गांधी भी कर चुके विरोध कांग्रेस सांसद व लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी कंगना के इस बयान का विरोध कर चुके हैं। उनका कहना था कि भाजपा सरकार का पूरा मंत्र किसानों को बदनाम करने में जुटा है। किसानों को रेपिस्ट और विदेशी ताकतों का नुमाइंदा कहना शर्मानाक है। ये स्वीकार्य नहीं है। भाजपा सरकार किसानों से किए वादे पूरे करने में नाकाम रही है। किसान आंदोलन में रेप व हत्याएं हुई एक्ट्रेस और सांसद कंगना रनोट ने कहा है कि अगर हमारा शीर्ष नेतृत्व मजबूत नहीं रहता तो किसान आंदोलन के दौरान पंजाब को भी बांग्लादेश बना दिया जाता। दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में कंगना ने कहा कि पंजाब में किसान आंदोलन के नाम पर उपद्रवी हिंसा फैला रहे थे। वहां रेप और हत्याएं हो रही थीं। किसान बिल को वापस ले लिया गया वर्ना इन उपद्रवियों की बहुत लंबी प्लानिंग थी। वे देश में कुछ भी कर सकते थे। कंगना की फिल्म इमरजेंसी भी विवादों में कंगना के बयान से पहले उनकी फिल्म इमरजेंसी भी विवादों में चल रही है। इसके लिए कंगना का पंजाब व अन्य राज्यों में पहले से ही विरोध चल रहा है। कंगना की ये फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में लगाई गई इमरजेंसी पर बनाई गई है। फिल्म 6 सितंबर को रिलीज होगी। पंजाब के निर्दलीय सांसद सर्बजीत सिंह खालसा ने ट्रेलर में दिखाए गए दृश्यों पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि इसमें सिखों को गलत तरीके से पेश किया गया है। उन्होंने केंद्र सरकार को लेटर लिखकर फिल्म की रिलीज रोकने की मांग की। इसके अलावा श्री अकाल तख्त साहिब और एसजीपीसी ने भी इस फिल्म का विरोध किया। आरोप है कि कंगना की इस फिल्म में सिखों को अलगाववादी या आतंकवादी के रूप में दिखाया गया है। कंगना को सिर कलम करने की धमकी ईसाई से सिख बने विक्की थॉमस की एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुई। जिसमें फिल्म इमरजेंसी के लिए कंगना को धमकी दी गई है। वायरल वीडियो में विक्की थॉमस धमकाते हुए कह रहा है- ”इतिहास को बदला नहीं जा सकता। अगर आतंकवादी दिखाया गया तो अंजाम के लिए तैयार हो जाना। जिसकी फिल्म कर रही है, उसकी क्या सेवा होगी। सतवंत सिंह और बेअंत सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर गोलियां बरसाने वाले) कौन थे, वे रोल भी करने के लिए तैयार हो जाना। ये मैं दिल से बोल रहा हूं, क्योंकि उंगली जो हमारी तरफ करता है, वे उंगली ही झटका (काट) देते हैं हम। वो संत (जरनैल सिंह भिंडरांवाला) के लिए हम अपना सिर कटवा भी देंगे। अगर सिर कटवा सकते हैं तो काट भी सकते हैं।”