यमुनानगर में नगर निगम चुनाव में बीजेपी ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की है। पिछली बार हुए चुनाव में भाजपा के मदन चौहान ने जीत दर्ज की थी। इस बार सुमन बहमनी ने रिकार्ड 73319 वोटों से जीत दर्ज की है। बहमनी की लीड रही कायम
भाजपा की मेयर कैंडिडेट सुमन बहमनी ने कांग्रेस की किरण देवी को 73,319 वोट से हराया। कांग्रेस की कैंडिडेट किरण देवी 53,430 वोट और सुमन को 1,26,479 वोट प्राप्त हुए। सुमन बहमनी ने पहले राउंड से लीड बनाई थी, जो आखिरी राउंड 22 तक कायम रही। भाजपा ने पहले ही कर दी थी घोषणा यमुनानगर नगर निगम चुनाव से पहले ही बीजेपी ने अपनी तैयारी शुरू कर दी थी। चुनाव जीतने के लिए पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी। बीजेपी पहले ही अनाउंस कर चुकी थी कि नगर निकाय चुनाव को विधानसभा और लोकसभा की तर्ज पर लड़ा जाएगा। प्रदेश के कई बड़े नेताओं ने प्रचार किया। खुद नायब सैनी पार्टी कैंडिडेट सुमन बहमनी का नामांकन भरवाने के लिए आए थे। उनके और पार्षद कैंडिडेट के पक्ष में रोड शो किया। प्रदेश और दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत दिल्ली में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में BJP बड़ी जीत दर्ज की। इसके अलावा प्रदेश में हुए चुनाव में भी BJP ने जीत दर्ज की। केंद्र और प्रदेश में सरकार होने का फायदा भी भाजपा कैंडिडेट सुमन को मिला। इस जीत से भाजपा वोटरों को लुभावने में कामयाब रही कि वार्ड और शहर के विकास के लिए सरकार के साथ चलना होगा। लोकल मुद्दे भुनाए यमुनानगर में भाजपा पहले ही अनाउंस कर चुकी थी कि इस चुनाव लोकल मुद्दों पर लड़ा जाएगा। BJP वोटरों को विश्वास दिलाने में कामयाब रही। साथ ही वार्ड के पार्षद कैंडिडेट्स को उन मुद्दों को लेकर वोटरों के बीच में भेजा। वोटरों ने उनके समक्ष अपने वार्ड, गली मोहल्ले और कॉलोनी की समस्या रखीं। कांग्रेस की हार के 3 कारण कांग्रेस को नहीं मिला मजबूत नेतृत्व चुनाव में कांग्रेस कैंडिडेट्स को मजबूत नेतृत्व की कमी खली। कांग्रेस का कोई बड़ा लीडर अपने कैंडिडेट्स के पक्ष में प्रचार करने नहीं उतरा। BJP इस बात को लेकर वोटरों के बीच में गई। वोटरों को विश्वास दिलाने में सफलता मिली कि कांग्रेस के पास नेतृत्व नहीं है। प्रचार में रही कमी कांग्रेस के नेता समय रहते अपने कैंडिडेट्स के साथ प्रचार में नहीं उतरे। हालांकि यमुनानगर में अंबाला के सांसद वरुण चौधरी की ड्यूटी लगाई गई थी, मगर उनके अलावा अन्य नेता चुनाव प्रचार से दूर रहे। लोकल मुद्दों को दरकिनार किया कांग्रेस कैंडिडेट्स ने लोकल मुद्दे नहीं उठाए। साथ ही साथी दलों से गठबंधन टूटने का असर भी दिखा। लोकसभा चुनाव में गठबंधन ने BJP को अच्छी चुनौती दी। प्रदेश में हुई विधानसभा चुनाव से कांग्रेस का मनोबल टूटा हुआ था। यमुनानगर में नगर निगम चुनाव में बीजेपी ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की है। पिछली बार हुए चुनाव में भाजपा के मदन चौहान ने जीत दर्ज की थी। इस बार सुमन बहमनी ने रिकार्ड 73319 वोटों से जीत दर्ज की है। बहमनी की लीड रही कायम
भाजपा की मेयर कैंडिडेट सुमन बहमनी ने कांग्रेस की किरण देवी को 73,319 वोट से हराया। कांग्रेस की कैंडिडेट किरण देवी 53,430 वोट और सुमन को 1,26,479 वोट प्राप्त हुए। सुमन बहमनी ने पहले राउंड से लीड बनाई थी, जो आखिरी राउंड 22 तक कायम रही। भाजपा ने पहले ही कर दी थी घोषणा यमुनानगर नगर निगम चुनाव से पहले ही बीजेपी ने अपनी तैयारी शुरू कर दी थी। चुनाव जीतने के लिए पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी। बीजेपी पहले ही अनाउंस कर चुकी थी कि नगर निकाय चुनाव को विधानसभा और लोकसभा की तर्ज पर लड़ा जाएगा। प्रदेश के कई बड़े नेताओं ने प्रचार किया। खुद नायब सैनी पार्टी कैंडिडेट सुमन बहमनी का नामांकन भरवाने के लिए आए थे। उनके और पार्षद कैंडिडेट के पक्ष में रोड शो किया। प्रदेश और दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत दिल्ली में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में BJP बड़ी जीत दर्ज की। इसके अलावा प्रदेश में हुए चुनाव में भी BJP ने जीत दर्ज की। केंद्र और प्रदेश में सरकार होने का फायदा भी भाजपा कैंडिडेट सुमन को मिला। इस जीत से भाजपा वोटरों को लुभावने में कामयाब रही कि वार्ड और शहर के विकास के लिए सरकार के साथ चलना होगा। लोकल मुद्दे भुनाए यमुनानगर में भाजपा पहले ही अनाउंस कर चुकी थी कि इस चुनाव लोकल मुद्दों पर लड़ा जाएगा। BJP वोटरों को विश्वास दिलाने में कामयाब रही। साथ ही वार्ड के पार्षद कैंडिडेट्स को उन मुद्दों को लेकर वोटरों के बीच में भेजा। वोटरों ने उनके समक्ष अपने वार्ड, गली मोहल्ले और कॉलोनी की समस्या रखीं। कांग्रेस की हार के 3 कारण कांग्रेस को नहीं मिला मजबूत नेतृत्व चुनाव में कांग्रेस कैंडिडेट्स को मजबूत नेतृत्व की कमी खली। कांग्रेस का कोई बड़ा लीडर अपने कैंडिडेट्स के पक्ष में प्रचार करने नहीं उतरा। BJP इस बात को लेकर वोटरों के बीच में गई। वोटरों को विश्वास दिलाने में सफलता मिली कि कांग्रेस के पास नेतृत्व नहीं है। प्रचार में रही कमी कांग्रेस के नेता समय रहते अपने कैंडिडेट्स के साथ प्रचार में नहीं उतरे। हालांकि यमुनानगर में अंबाला के सांसद वरुण चौधरी की ड्यूटी लगाई गई थी, मगर उनके अलावा अन्य नेता चुनाव प्रचार से दूर रहे। लोकल मुद्दों को दरकिनार किया कांग्रेस कैंडिडेट्स ने लोकल मुद्दे नहीं उठाए। साथ ही साथी दलों से गठबंधन टूटने का असर भी दिखा। लोकसभा चुनाव में गठबंधन ने BJP को अच्छी चुनौती दी। प्रदेश में हुई विधानसभा चुनाव से कांग्रेस का मनोबल टूटा हुआ था। हरियाणा | दैनिक भास्कर
