फतेहाबाद| गांव भिरड़ाना में एक घर से अज्ञात हजारों रुपये की नगदी व सोने के आभूषण चोरी कर ले गया। पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस को दी शिकायत में गांव भिरड़ाना निवासी रविन्द्र ने बताया कि एक महीने के लिए वह अपना इलाज करवाने के लिए अपने बेटे पार्थ के पास गया हुआ था। 6 सितंबर को उसके पड़ोसी का फोन आया कि उसके घर का ताला टूटा हुआ है। सूचना मिलते ही वह अपने बेटे के यहां से वापस अपने घर लौटा तो देखा कि घर की अलमारी से 30 हजार की नकदी, एक सोने की अगूंठी, चैन, एक इनवर्टर बैटरी, एक एलईडी और 40-45 सिक्के चांदी सहित अन्य सामान चोरी था। पुलिस ने अब अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। फतेहाबाद | गांव ढाणी ठोबा के एक व्यक्ति से अज्ञात ने 50 हजार रुपये की ऑनलाइन ठगी कर ली। पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस को दी शिकायत में गांव ढाणी ठोबा के धर्मपाल ने बताया कि बीते दिनों उसके पास एक नंबर से फोन आया। उसने कहा कि उसका क्रेडिट कार्ड का बिल 60 हजार रुपये हो गया और अब स्कीम आई है कि अभी बिल भरते हैं तो 50 हजार रुपये में ही बिल का भुगतान हो जाएगा। उसने बताए गए नंबर पर बिल भर दिया। आरोप है कि जब बिल भरने का मैसेज नहीं आया तो उसे धोखाधड़ी बारे पता लगा। अब पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। फतेहाबाद| गांव भिरड़ाना में एक घर से अज्ञात हजारों रुपये की नगदी व सोने के आभूषण चोरी कर ले गया। पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस को दी शिकायत में गांव भिरड़ाना निवासी रविन्द्र ने बताया कि एक महीने के लिए वह अपना इलाज करवाने के लिए अपने बेटे पार्थ के पास गया हुआ था। 6 सितंबर को उसके पड़ोसी का फोन आया कि उसके घर का ताला टूटा हुआ है। सूचना मिलते ही वह अपने बेटे के यहां से वापस अपने घर लौटा तो देखा कि घर की अलमारी से 30 हजार की नकदी, एक सोने की अगूंठी, चैन, एक इनवर्टर बैटरी, एक एलईडी और 40-45 सिक्के चांदी सहित अन्य सामान चोरी था। पुलिस ने अब अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। फतेहाबाद | गांव ढाणी ठोबा के एक व्यक्ति से अज्ञात ने 50 हजार रुपये की ऑनलाइन ठगी कर ली। पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस को दी शिकायत में गांव ढाणी ठोबा के धर्मपाल ने बताया कि बीते दिनों उसके पास एक नंबर से फोन आया। उसने कहा कि उसका क्रेडिट कार्ड का बिल 60 हजार रुपये हो गया और अब स्कीम आई है कि अभी बिल भरते हैं तो 50 हजार रुपये में ही बिल का भुगतान हो जाएगा। उसने बताए गए नंबर पर बिल भर दिया। आरोप है कि जब बिल भरने का मैसेज नहीं आया तो उसे धोखाधड़ी बारे पता लगा। अब पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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CAS ने कहा-वजन बढ़ने की जिम्मेदार विनेश फोगाट:ऑर्डर में लिखा- खिलाड़ी को इसका ध्यान रखना होगा, जॉइंट मेडल का नियम नहीं
CAS ने कहा-वजन बढ़ने की जिम्मेदार विनेश फोगाट:ऑर्डर में लिखा- खिलाड़ी को इसका ध्यान रखना होगा, जॉइंट मेडल का नियम नहीं पेरिस ओलिंपिक में 100 ग्राम वजन ज्यादा होने पर डिस्क्वालिफाई हुईं विनेश फोगाट के केस में कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) ने 24 पेज की ऑर्डर कॉपी जारी की है। जिसमें CAS ने कहा कि किसी भी खिलाड़ी का वजन कम-ज्यादा होने का कारण और जिम्मेदार खुद खिलाड़ी ही है। नियमों से ऊपर कोई भी कारण नहीं हो सकता है। CAS ने आगे कहा कि खेलों में सभी प्रतिभागियों के लिए नियम समान होते हैं और इन नियमों में कोई भी ढील नहीं दी जा सकती। विनेश फोगाट का मामला यह था कि उनका वजन निर्धारित सीमा से 100 ग्राम अधिक था। उन्होंने इस मामूली बढ़त के लिए सहनशीलता की मांग की थी, क्योंकि यह वृद्धि मासिक धर्म (पीरियड्स) के कारण पानी के रिटेंशन और पानी पीने के कारण हुई थी। लेकिन कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया और स्पष्ट कर दिया कि नियमों में कोई सहनशीलता का प्रावधान नहीं है। CAS के ऑर्डर की खास बातें… पानी की कमी की दलील दी CAS ने कहा कि इस बात में कोई विवाद नहीं है कि विनेश फोगाट फाइनल से पहले वजन मापने के दौरान असफल साबित हुईं। यानी उनका वजन 50 किग्रा वेट कैटेगरी के लिहाज से ज्यादा पाया गया। इसमें विनेश का मानना यह था कि सिर्फ 100 ग्राम वजन ज्यादा है। इसे पीरियड्स, वॉटर रिटेंशन के चलते विलेज तक आने के कारण पानी नहीं मिल पाया। नियम सभी के लिए समान एथलीट्स के लिए समस्या यह है कि वजन को लेकर नियम साफ हैं और सभी के लिए समान भी हैं। इसमें कितना ज्यादा है, यह देखने के लिए कोई सहनशीलता प्रदान नहीं की गई है। यह सिंगलेट (फाइटिंग के दौरान पहलने वाली जर्सी) के वजन की भी अनुमति नहीं देता है। यह भी साफ है कि एथलीट को ही यह देखना होगा कि उसका वजन नियम के अनुसार ही हो। थोड़ी भी छूट देने का अधिकार नहीं यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) के नियमों में साफ दिया गया है कि पहलवान को न सिर्फ टूर्नामेंट के शुरुआत में खेलने के योग्य होना चाहिए, बल्कि पूरे टूर्नामेंट के दौरान ही उसे योग्य होना चाहिए। यानी एंट्री से लेकर फाइनल तक ऐसे में नियमों में जरा भी अधिकार नहीं दिया गया है कि थोड़ी भी छूट दी जाए। इससे समझ सकते हैं कि क्यों ये नियम प्रदान करते हैं कि एक बार जब कोई पहलवान प्रतियोगिता के दौरान अयोग्य हो जाता है, तो अनुच्छेद 11 में दिए गए परिणाम लागू होते हैं। उस दिन के हालात पर छूट का प्रावधान नहीं एथलीट ने यह भी मांग की है कि वजन के नियमों में दी गई लिमिट को उस दिन की उसकी व्यक्तिगत परिस्थितियों के अनुसार बदला जाए और उस लिमिट पर सहनशीलता लागू की जाए। यानी 100 ग्राम वजन को ज्यादा न समझा जाए और 50 किग्रा वेट कैटेगरी में खेलने की अनुमति दी जाए। मगर, नियमों को देखा जाए तो उसमें ऐसी कोई छूट देने का प्रावधान ही नहीं है। नियम साफ हैं कि 50 किग्रा वेट एक लिमिट है. इसमें व्यक्तिगत तौर पर सहूलियत देने या विवेकाधिकार प्रदान करने का कोई प्रावधान नहीं है। विनेश ने पहले मापे गए वजन की दलील दी एथलीट का पहले दिन का वजन नियम के अनुसार था। उन्हें दूसरे दिन यानी फाइनल से पहले भी वजन माप में सफल होना था। नियमों के अनुच्छेद 11 के लागू होने के कारण विनेश टूर्नामेंट से बाहर हो गईं और बिना किसी रैंक के आखिरी स्थान पर आ गईं। इसने उनसे सिल्वर मेडल भी छीन लिया, जो उन्होंने सेमीफाइनल जीतने के साथ ही पक्का कर लिया था। इस पर विनेश की दलील है कि वो सिल्वर मेडल के लिए योग्य और पात्र बनी रहीं और 6 अगस्त (पहले दिन) को उनका जो सफल वजन माप हुआ था, उसे दूसरे दिन भी लागू किया जाए। नियमों में मेडल देने का प्रावधान नहीं नियमों में कोई विवेकाधिकार नहीं दिया गया है। इसे लागू करने के लिए एकमात्र मध्यस्थ पूरी तरह से बाध्य हैं। एकमात्र मध्यस्थ इस दलील में भी दम देखता है कि फाइनल से पहले जो वजन माप किया गया था, वो नियम के खिलाफ था तो विनेश को सिर्फ फाइनल के लिए अयोग्य माना जाना चाहिए। यानी उन्हें सिल्वर दिया जाना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से आवेदक के लिए नियमों में यह भी सुविधा भी प्रदान नहीं की गई है। फैसला कानूनी रूप से लिया गया एथलीट ने यह अनुरोध किया है कि अपील किए गए निर्णय को इस तरह से अलग रखा जाए कि नियमों के अनुच्छेद 11 में दिए गए परिणाम लागू न हों या अनुच्छेद 11 को इस तरह से समझा जाए कि यह सिर्फ टूर्नामेंट के आखिरी दौर पर लागू हो और यह टूर्नामेंट के शुरुआत से ही लागू न हो। यह विवाद का विषय नहीं है कि एथलीट दूसरे वजन-माप में असफल रहा। आवेदक ने नियमों के अनुच्छेद 11 को चुनौती नहीं दी है। इसका मतलब यह है कि फैसला कानूनी रूप से लिया गया था और अनुच्छेद 11 लागू होता है। जॉइंट मेडल का नियम नहीं एथलीट ने यह भी माना है कि नियमों के लिहाज से वो अयोग्य हो गई हैं। इस कारण सेमीफाइनल में उनसे हारने वाली एथलीट फाइनल खेलने के लिए योग्य हो गई हैं। उन्हें ही सिल्वर या गोल्ड मेडल प्रदान किया गया। विनेश यह नहीं चाहती कि कोई अन्य पहलवान अपना मेडल खो दे। वो तो संयुक्त रूप से दूसरा सिल्वर मेडल चाहती हैं। ऐसे में कोई नियम नहीं है, जिसके आधार पर विनेश को संयुक्त रूप से दूसरा सिल्वर मेडल दिए जाने की सहूलियत प्रदान की जाए। कोई गैरकानूनी काम नहीं किया इन सभी नियमों और बातों का मतलब है कि एकमात्र मध्यस्थ विनेश द्वारा मांगी गई राहत को देने से इनकार करता है और उनका यह आवेदन खारिज करता है।एकमात्र मध्यस्थ ने यह पाया है कि विनेश ने खेल के मैदान में एंट्री की और पहले ही दिन 3 राउंड के मुकाबले में फाइटिंग करते हुए जीत हासिल की। इसके दम पर उन्होंने पेरिस ओलिंपिक गेम्स में 50 किग्रा वेट कैटेगरी के रेसलिंग फाइनल में पहुंचीं। मगर, दूसरे दिन वजन माप में वो असफल रहीं और फाइनल के लिए अयोग्य हो गईं। विनेश की ओर से कोई भी गलत काम (गैरकानूनी) करने का कोई संकेत नहीं मिला है।
हरियाणा में खड़े ट्रॉले में घुसी प्राइवेट बस:ड्राइवर की गर्दन कटकर हुई अलग, 27 यात्री घायल; हादसे के वक्त सभी सो रहे थे
हरियाणा में खड़े ट्रॉले में घुसी प्राइवेट बस:ड्राइवर की गर्दन कटकर हुई अलग, 27 यात्री घायल; हादसे के वक्त सभी सो रहे थे हरियाणा के जींद में प्राइवेट बस सड़क पर खड़े ट्रॉले से टकरा गई। इसमें बस ड्राइवर की मौके पर ही मौत हो गई। उसकी गर्दन कटकर ट्रॉले में जा गिरी। हादसे में कई सवारियां भी घायल हुईं। इनमें महिलाएं भी शामिल हैं। कुछ को हालत गंभीर होने के कारण रोहतक PGI रेफर कर दिया गया है। हादसा नेशनल हाईवे 152 डी पर हुआ। ये डबल डेकर बस जयपुर से लुधियाना जा रही थी। इसमें कुल 40 यात्री सवार थे, जो अलग-अलग जगहों पर जा रहे थे। टक्कर इतनी भयंकर थी कि बस के परखच्चे उड़ गए। सूचना पाकर जुलाना पुलिस मौके पर पहुंची और जांच में जुट गई। मृतक ड्राइवर के शव को जींद के सामान्य अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया। हादसे के वक्त सवारियां सो रही थी
सवारियों के मुताबिक बस रात को लगभग 10 बजे जयपुर से चली थी। रात के समय लगभग सभी सवारियां सो रही थी। सुबह करीब साढ़े 3 बजे जब बस किलाजफरगढ़ गांव के पास पहुंची तो सड़क पर खड़े ट्रॉले से टक्कर हो गई। जैसे ही बस ट्रॉले से टकराई तो चीख पुकार मच गई। 27 यात्री थे सवार, 17 को PGI रेफर किया
ड्राइवर की गर्दन कट गई। जिससे उसकी मौत हो गई। वहीं 27 यात्री घायल हो गए। जिनमें 8 महिलाएं हैं। 17 घायल सवारियों को रोहतक पीजीआई रेफर किया गया है। यात्रियों ने ही डायल 112 पर फोन किया। सूचना पाकर जुलाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने जेसीबी को बुलाकर ड्राइवर के शव को बस से बाहर निकलवाया, जबकि घायलों को अस्पताल भिजवाया। टॉयलेट करने के लिए रुका था ट्रॉला ड्राइवर
हादसे में बस के सभी शीशे टूट गए। अगला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। जानकारी के मुताबिक ट्रॉला ड्राइवर टॉयलेट करने के लिए रुका था। टॉयलेट करने के बाद वह ट्रॉला के पास पहुंचने ही वाला था कि तभी बस ट्रॉला से टकरा गई। फिलहाल पुलिस की मामले की जांच कर रही है।
गन्नौर में तिकोने मुकाबले में फंसी BJP- कांग्रेस:कुलदीप- कौशिक को लेकर ब्राह्मण वोटर्स उलझन में; निर्दलीय देवेंद्र ने बनाया चुनाव रोचक
गन्नौर में तिकोने मुकाबले में फंसी BJP- कांग्रेस:कुलदीप- कौशिक को लेकर ब्राह्मण वोटर्स उलझन में; निर्दलीय देवेंद्र ने बनाया चुनाव रोचक हरियाणा के सोनीपत में गन्नौर विधानसभा सीट पर भाजपा-कांग्रेस तिकोने मुकाबले में फंस गई है। इस सीट पर भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ रहे देवेंद्र कादियान ने जाट वोट बैंक और पिछड़े वर्ग में सेंध लगा कर BJP के देवेंद्र कौशिक और कांग्रेस के कुलदीप शर्मा को कड़ी चुनौती दी है। गन्नौर सीट पर हर चुनाव में प्रत्याशियों में कड़ा मुकाबला रहा है। 13 चुनाव में से 6 चुनाव में प्रत्याशी 2 हजार वोटों से कम के अंतर में जीते हैं। कुलदीप व देवेंद्र के लिए एक समस्या यह भी है कि दोनों ही ब्राह्मण समाज से हैं और अपने समाज को अपने पक्ष में करने के लिए दोनों का पूरा जोर लगा है। इन सबके बीच हलके में या तो भीड़ कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा की सभाओं में देखने को मिल रही है या फिर निर्दलीय देवेंद्र कादियान की सभा में। भीड़ को वोट मे कौन बदल पाता है, ये यहां देखने वाली बात होगी। गन्नौर विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा ने निर्वतमान विधायक निर्मल चौधरी की टिकट काट कर नए चेहरे देवेंद्र कौशिक को मैदान में उतारा है। देवेंद्र कौशिक के भाई रमेश कौशिक सांसद एवं विधायक रहे हैं। वहीं कांग्रेस ने यहां से विधायक व स्पीकर रह चुके कुलदीप शर्मा पर ही दांव खेला है। भाजपा सरकार में युवा आयोग के चेयरमैन रहे देवेंद्र कौशिक टिकट कटने के बाद भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा पर टिकट 100 करोड़ में बेचने के सनसनीखेज आरोप तक लगा चुके हैं। गन्नौर विधानसभा में कुल 1 लाख 95 हजार के करीब वोटर हैं। राजनीतिक दलों के नेताओं की मानें तो यहां पर जाट वोटरों की संख्या 60 हजार से ज्यादा है। मुस्लिम समाज भी यहां करीब 17-18 हजार वोटों के साथ निर्णायक की भूमिका में है। वहीं ब्राह्मण समाज के वोटों की संख्या 22 हजार से ज्यादा मानी जा रही है। पट्टी ब्राह्मण, खेड़ी तगा, सनपेड़ा जैसे कई गांव में ब्राह्मण बाहुल्य हैं। अन्य वोट एससी-बीसी समाज के हैं। हुड्डा पर बाजी पलटने का दारोमदार गन्नौर हलके में जाट समाज को कांग्रेस अपना सबसे मजबूत कैडर मान कर चली रही है। इसका सबसे बड़ा कारण भूपेंद्र सिंह हुड्डा को माना जा रहा है। कभी दीपेंद्र हुड्डा के खास रहे देवेंद्र कादियान ही अब कांग्रेस को इस वर्ग में चुनौती दे रहे हैं। करनाल में रहने वाले पूर्व विधायक कुलदीप शर्मा पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस के परम्परागत वोट बैंक के साथ अपने समाज के वोट बैंक को अपने पक्ष में मान रहे हैं। दीपेंद्र हुड्डा यहां लगातार दौरे कर कुलदीप के लिए वोट की अपील कर रहे हैं। भाजपा वरिष्ठ नेता प्रचार से दूर भाजपा गन्नौर में तिकोने मुकाबले में तो खड़ी है, लेकिन फिलहाल इसकी स्थिति चुनाव जीतने जैसी नहीं है। भाजपा के वरिष्ठ नेता फिलहाल गन्नौर में वोट की अपील के लिए नहीं पहुंचे हैं। देवेंद्र कौशिक व इनके भाई पूर्व सांसद रमेश कौशिक लोगों के बीच में है। भाजपा के सीएम चेहरे व कार्यकारी सीएम नायब सैनी यहां भाजपा प्रत्याशी का नामांकन कराने आए थे। पूर्व विधायक निर्मल चौधरी जरूर साथ खड़ी है। पूर्व जिला प्रधान तीरथ राणा भी कभी कभार प्रचार को आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव में मिली 1700 की बढ़त लोकसभा चुनाव की बात करें तो सोनीपत लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी मोहन लाल बड़ौली ने गन्नौर हलके से करीब 1700 वोटों से बढ़त ली थी। बड़ौली ने तत्कालीन विधायक निर्मल चौधरी पर खिलाफत के आरोप लगाए थे। निर्मल के पति के नाम से कई ऑडियो भी वायरल हुए थे। उस समय बागी देवेंद्र कादियान भी भाजपा के साथ थे। वोटों का ये अंतर अब भाजपा को विधानसभा चुनाव में चिंतित किए हुए है। गन्नौर में हर चुनाव में कड़ा मुकाबला, निर्दलीय भी जीते गन्नौर में वर्ष 1967 से अब तक विधानसभा के 13 चुनाव हो चुके हैं। गन्नौर विधानसभा सीट 2005 में अस्तित्व में आई है। इससे पहले इसे कैलाना हलके के नाम से जाना जाता था। इस सीट पर हर बार प्रत्याशियों में मुकाबला कड़ा व आमने सामने का रहा है। 6 चुनाव में तो प्रत्याशी की जीत का अंतर 2000 वोटों से नीचे रहा है। यहां पर 1972 व 1982 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी जीते हैं। 1987 में लोकदल के वेद सिंह ने निर्दलीय राजिंद्र सिंह को 17,614 वोटों से हराया और यह गन्नौर के इतिहास में आज तक की सबसे बड़ी जीत है। वर्ष 2009 व 2019 के चुनाव में जीत की अंतर 10 हजार से थोड़ा उपर रहा। 2000 के चुनाव में कांग्रेस के जितेंद्र मलिक इनेलो से मात्र 740 वोटों से जीते थे। गन्नौर (2005 तक कैलाना) सीट का इतिहास…