यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की वोटिंग पूरी हो गई है। वोटों की गिनती 23 नवंबर को होगी। उससे पहले एग्जिट पोल से 9 सीटों का समीकरण समझिए…। सभी 9 सीटों पर मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा में दिखाई दिया। भास्कर रिपोर्टर्स ने ये एग्जिट पोल किए हैं। एग्जिट पोल के मुताबिक, 9 सीटों में 6 पर भाजपा, एक सीट पर रालोद और 2 सीटों पर सपा लीड करती दिख रही है। सपा के मजबूत गढ़ कुंदरकी में बड़ा उलटफेर दिख रहा है। यहां भाजपा आती दिख रही है। विरासत की सीट करहल में सपा की जीत लगभग तय मानी जा रही है। पहली बार उपचुनाव लड़ रही बसपा को खाली हाथ रहना पड़ेगा। जिन 9 सीटों पर उपचुनाव हुए, उनमें से 4 सीटें- करहल, सीसामऊ, कटेहरी और कुंदरकी सपा के पास थीं। 5 पर NDA ने जीत दर्ज की थी। इनमें अलीगढ़ की खैर, गाजियाबाद और फूलपुर सीट भाजपा जीती थी। मझवां निषाद पार्टी और मीरापुर रालोद ने जीती थी। भास्कर रिपोर्टर्स ने चुनाव वाले दिन सभी सीटों पर लोगों से बात की। एक्सपर्ट की राय जानी। इसके अलावा, पोलिंग पैटर्न को समझा। वोटिंग से पहले सभी 9 सीटों पर हमने तीन बार ग्राउंड रिपोर्ट की, जिसमें करीब तीन हजार लोगों से बात की। कानपुर की सीसामऊ, मुरादाबाद की कुंदरकी और मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट सबसे ज्यादा चर्चा में रही। इन सीटों के लिए खुद अखिलेश यादव को प्रेस कॉन्फ्रेंस तक करनी पड़ी। अधिकारियों पर आरोप लगे। इसके बाद एक्शन भी लिया गया। 5 पुलिस अधिकारी सस्पेंड हुए। 7 को चुनाव ड्यूटी से हटाया गया। अब जानते हैं सीटवार भास्कर का एग्जिट पोल… अब जानते हैं भास्कर समेत अन्य एजेंसियों का एग्जिट पोल.. पिछले तीन विधानसभा चुनावों का रिजल्ट यूपी उपचुनाव 2024 का वोटिंग प्रतिशत एक नजर यूपी उपचुनाव के टॉप-5 चेहरों पर, जो चर्चा में रहे अब बात उपचुनाव की 9 सीटों पर बनते-बिगड़ते समीकरण की… 1. अखिलेश यादव की सीट पर तेज प्रताप की चर्चा रही मैनपुरी की करहल सीट पर शुरू से अंत तक चुनावी समीकरण तेज प्रताप यादव के फेवर में दिखाई दिए। भाजपा ने अनुजेश यादव को उतार यादव VS यादव मुकाबले को दिलचस्प बनाया। 22 साल पहले भाजपा ने यहां यादव कैंडिडेट को उतार जीत दर्ज की थी। यादव बहुल इस सीट पर लोगों में चर्चा थी कि यहां जो भी विकास हुआ है, वह सब सपा की देन है। मुलायम सिंह, अखिलेश यादव समेत सैफई परिवार का लोगों से जुड़ाव है। इसका फायदा तेज प्रताप यादव को मिलता दिखाई दिया। खुद डिंपल यादव, अखिलेश यादव-शिवपाल यादव इस सीट पर लगातार कैंपेनिंग करने पहुंचे। हालांकि, यहां जीत-हार का मार्जिन कम हो सकता है। 2. सीसामऊ में नसीम सोलंकी के आंसुओं ने लोगों को कनेक्ट कानपुर की सीसामऊ में हर दिन चुनावी सीन बदलता दिखाई दिया। यहां भाजपा हिंदू वोटरों के सहारे चुनावी मैदान में उतरी। भाजपा ने बंटोगे तो कटोगे नारे के साथ जबरदस्त कैंपेनिंग की। लेकिन, उसे इसका नुकसान उठाना पड़ा। मुस्लिम वोटर एकजुट हो गए। सपा ने बीजेपी पर नफरत फैलाने का आरोप लगाते हुए सीट पर अपनी हवा बरकरार रखी। प्रचार-प्रसार के दौरान सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी के छलके आंसुओं ने लोगों को कनेक्ट किया। 3. बर्क के गढ़ कुंदरकी में रामवीर के साथ दिखी सिम्पैथी मुरादाबाद की कुंदरकी सीट शफीकुर्रहमान बर्क की कर्मभूमि रही। उनके पोते जियाउर रहमान बर्क यहां 2022 में 1.25 लाख के बड़े मार्जिन से चुनाव जीते। उनके सामने तब मोहम्मद रिजवान ने बसपा के टिकट से चुनाव लड़ा और हार गए। इस बार सपा ने उन्हें उतारा, क्योंकि रिजवान तीन बार यहां से चुनाव जीत चुके थे। 60% मुस्लिम बहुल वोटर वाली इस सीट पर भाजपा ने दो बार चुनाव हार चुके रामवीर पर फिर से भरोसा जताया। रामवीर लोगों के बीच गए। उनसे ढाई साल मांगे। जालीदार टोपी पहन मुस्लिम वोटर में अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश की। मुस्लिम कम्युनिटी में एक बार उन्हें भी मौका देने पर चर्चा हुई। इसके अलावा बसपा, AIMIM, आजाद समाज पार्टी ने तुर्क बिरादरी के कैंडिडेट उतार सपा का समीकरण बिगाड़ा। यहां वोट बिखरता दिखा। इलाके में भाजपा का रामपुर मॉडल भी काम करता दिखा। यहां हार-जीत का मार्जिन दिलचस्प हो सकता है। 4. प्रयागराज की फूलपुर सीट पर दीपक पटेल ने साधे जातीय समीकरण प्रयागराज की फूलपुर सीट पर मेन मुकाबला दीपक पटेल और मुज्तबा सिद्दीकी के बीच दिखाई दिया। पटेल बहुल इस सीट पर पूर्व सांसद केशरी देवी पटेल के बेटे दीपक पटेल ने जातीय समीकरण साधा। वहीं, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ने निर्दलीय नामांकन कर सपा के लिए मुसीबतें खड़ी की। मुज्तबा सिद्दीकी का दलितों को लेकर दिया गया बयान, पार्टी के कार्यकर्ताओं की उनके खिलाफ नारेबाजी ने माहौल बदला। लोकसभा चुनाव में मौर्य बिरादरी के जो वोटर सपा की तरफ शिफ्ट हुए थे, वह इस बार भाजपा की तरफ शिफ्ट होते दिखाई दिए। यही वजह रही कि पहले जहां सपा के पक्ष में हवा बह रही थी, कैंडिडेट के ऐलान के बाद से यह उसके खिलाफ हो गई। 5. मझवां में सुचिस्मिता मौर्य ने साधा 2017 का समीकरण भाजपा के टिकट पर 2017 में चुनाव जीतीं सुचिस्मिता मौर्य यहां फिर से पुराने समीकरण साधती दिखाई दीं। वह पूर्व विधायक रामचंद्र मौर्य की बहू हैं। सपा ने पूर्व विधायक डॉ. रमेश बिंद की बेटी डॉ. ज्योति बिंद को टिकट दिया। यहां बसपा ने दीपक तिवारी को उतार ब्राह्मण-दलित-मुस्लिम समीकरण साधा, जो सपा को नुकसान पहुंचाते दिखा। 6. गाजियाबाद में भाजपा हैट्रिक की ओर उपचुनाव में सबसे कम वोटिंग गाजियाबाद की सदर सीट पर हुई। यहां भाजपा ने नगर महामंत्री संजीव शर्मा को उतारा, जिनकी इलाके में मजबूत पकड़ है। वहीं, सपा ने सिंह राज जाटव को कैंडिडेट बनाया। 1.50 लाख के बड़े मार्जिन से 2017 चुनाव जीतने वाली भाजपा की हवा अंत तक बनी रही। हालांकि, यहां जीत-हार के मार्जिन में बड़ा बदलाव दिख सकता है। 7. अलीगढ़ की खैर सीट पर भाजपा को गठबंधन से फायदा जाट लैंड कही जाने वाली अलीगढ़ की खैर सीट पर भाजपा को रालोद से गठबंधन का फायदा मिलता दिखा। विकास-सुशासन के मुद्दे के साथ हवा भाजपा के फेवर में दिखाई दी। हालांकि चारू कैन ने सभी समीकरण साधने की कोशिश की है। यहां 2022 के मुकाबले 15.6% कम वोटिंग हुई। 8. सपा को परिवारवाद के चलते नुकसान कटेहरी सीट पर 2022 में लालजी वर्मा ने 93 हजार वोटों से जीत दर्ज की। इसके बाद अंबेडकरनगर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद बन गए। उपचुनाव के ऐलान के साथ ही उन्होंने अपनी पत्नी शोभावती वर्मा को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी शुरू कर दी। सपा में टिकट की रेस में दौड़ रहे अन्य नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं में इसी बात की नाराजगी दिखी। वहीं, धर्मराज निषाद ने यहां जातीय समीकरण साधे। भाजपा ने लास्ट मोमेंट पर पार्टी में नाराज चल रहे नेता-कार्यकर्ताओं को मना लिया। बसपा प्रत्याशी कुछ खास प्रभाव नहीं डाल पाए। 9. मीरापुर में मिथलेश ने साधा 2009 का समीकरण 2009 लोकसभा चुनाव में रालोद के टिकट पर कादिर राणा सांसद बने। इससे पहले वह 2007 चुनाव में मीरापुर (तब मोरना) सीट से विधायक चुने गए थे। उपचुनाव में रालोद ने मिथलेश पाल को चुनावी मैदान में उतारा, उन्होंने जीत दर्ज की। इस बार भी मिथलेश पाल ने 15 साल पुराने समीकरण साधे। भाजपा गठबंधन का फायदा उन्हें मिला। सपा से कादिर राणा की बहू सुम्बुल राणा चुनावी मैदान में उतरीं। वहीं, बसपा, आजाद समाज पार्टी और ओवैसी की AIMIM पार्टी ने सपा के लिए मुश्किलें खड़ी की हैं। हालांकि, यहां कम वोटिंग रिजल्ट को दिलचस्प बना सकती है। उपचुनाव की हाईलाइट्स… सोशल मीडिया पर छाया रहा चुनाव विधानसभा उप चुनाव सोशल मीडिया पर छाया रहा। मीरापुर सीट पर पथराव, कुंदरकी में वोटर्स को रोकती पुलिस और सीसामऊ में पुलिस व सपा कार्यकर्ताओं के बीच की झड़प के वीडियो वायरल हुए। दोनों दल पहुंचे आयोग भाजपा और सपा की ओर से बार-बार निर्वाचन आयोग को चुनाव में गड़बड़ी की शिकायत की गई। भाजपा ने मीरापुर, कुंदकरी और सीसामऊ में सपा पर फर्जी मतदान कराने का आरोप लगाया। वहीं, सपा ने भी पुलिस के दम पर फर्जी मतदान कराने और सपा के मतदाताओं को मतदान से रोकने के आरोप लगाए। मतदान के दौरान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सत्तापक्ष पर गंभीर आरोप लगाए। इसके बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सपा पर चुनाव में कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। वहीं, सीसामऊ सीट पर भाजपा प्रत्याशी सुरेश अवस्थी अपने समर्थकों संग जीआईसी मैदान के पोलिंग स्टेशन पर पहुंचे। यहां जमकर नारेबाजी हुई। हंगामा खड़ा किया गया। सपा के दबाव की रणनीति सफल रही उप चुनाव में समाजवादी पार्टी ने दबाव की रणनीति बनाई थी। इसलिए सुबह से ही सपा ने प्रशासन और सरकार पर आरोप लगाने शुरू कर दिए। 5 पुलिस कर्मी निलंबित करने से सपा के आरोप की पुष्टि हुई। सपा अपनी दबाव की रणनीति में सफल रही। उप चुनाव में कम ही रहता है वोटिंग प्रतिशत वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक आनंद राय कहते हैं- उप चुनाव में अक्सर मतदान प्रतिशत कम रहता है। पिछले रिकार्ड भी यही बताते हैं। मतदान प्रतिशत कम होने पर यह आकलन करना मुश्किल होता है कि कौन जीत रहा है। उन्होंने कहा कि उप चुनाव में सत्ताधारी दल को पुलिस और प्रशासनिक मशीनरी का लाभ मिलता है। आनंद राय ने कहा- इस चुनाव से सरकार के अस्तित्व पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। इसलिए वोटर्स ने अपनी सहूलियत से मतदान किया है। लेकिन उप चुनाव में कभी-कभी सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर करने के लिए भी मतदान करते हैं। जैसे यूपी में 2018 में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उप चुनाव में वोटरों ने सत्ताधारी दल भाजपा को हरा दिया था। लोकसभा चुनाव में भाजपा को करारा झटका लगा था। इसलिए उप चुनाव में सरकार और संगठन ने पूरी तैयारी की। आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं- उप चुनाव में जिस तरह मतदाताओं को वोटिंग करने से रोका गया। सरकारी मशीनरी का उपयोग हुआ है। उससे चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल खड़़ा होता है। हालांकि, आयोग ने विपक्ष की शिकायत के बाद पुलिस कर्मी निलंबित भी किए हैं। 2027 चुनाव का टेस्ट: भाजपा रिकवरी मोड में दिखी ”27 में सत्ताधीश” यह पोस्टर राजधानी लखनऊ में लगे। पोस्टर में अखिलेश यादव की तस्वीर थी। दूसरी तरफ प्रदेश भर में ”बंटोगे तो कटोगे” के नारे के साथ सीएम योगी के पोस्टर लगाए गए। मैसेज साफ था- 2027 के लिए अभी से सियासी बिसात बिछाई जा रही है। लोकसभा चुनाव का मोमेंटम बनाए रखने के लिए सपा ने PDA फॉर्मूला, आरक्षण और संविधान की बातें दोहराईं। वहीं, भाजपा ने चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले सभी सीटों पर रोजगार मेला लगाए। खुद सीएम योगी ने जनसभाएं की। योजनाओं का लोकार्पण और शुभारंभ किया। विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। इस उपचुनाव को 2027 विधानसभा चुनाव का टेस्ट इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि इसके बाद प्रदेश में (मिल्कीपुर उपचुनाव को छोड़कर) कोई चुनाव नहीं है। लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद सपा मजबूत पार्टी बनकर उभरी है। वहीं भाजपा रिकवरी मोड में नजर आई। सीएम योगी और अखिलेश ने की 13-13 जनसभाएं उपचुनाव, 2027 विधानसभा चुनाव की राजनीतिक दशा और दिशा तय करेंगे। यही वजह है कि कैंडिडेट के चयन के लिए भाजपा ने सबसे ज्यादा मंथन किया। नामांकन की अंतिम तारीख से ठीक एक दिन पहले प्रत्याशी घोषित किए। इसके बाद सीएम योगी हों या सपा मुखिया अखिलेश यादव, दोनों ने प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी। योगी ने 5 दिन में 13 जनसभाएं और 2 रोड शो किए, तो अखिलेश ने 13 जनसभाएं और एक रोड-शो किया। इसके अलावा पार्टी के स्टार प्रचारक पूरी ताकत से इन 9 सीटों पर प्रचार करने पहुंचे। दोनों डिप्टी सीएम केशव मौर्य और बृजेश पाठक और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे। सपा से डिंपल यादव, शिवपाल यादव, लोकसभा चुनाव में जीते आदित्य यादव और इकरा हसन प्रचार करने पहुंचे। —————————— एग्जिट पोल से जुड़ी यह खबर भी पढ़िए… एग्जिट पोल:महाराष्ट्र के 7 में से 6 एग्जिट पोल में भाजपा गठबंधन की सरकार, झारखंड में 4 पोल ने भाजपा सरकार का अनुमान जताया महाराष्ट्र की 288 और झारखंड में दूसरे फेज की 38 विधानसभा सीटों पर बुधवार को वोटिंग खत्म हो गई। झारखंड में 13 नवंबर को पहले फेज में 42 सीटों पर वोटिंग हुई थी। राज्य में 81 सीटें हैं। दोनों राज्यों के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। पढ़ें पूरी खबर… यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की वोटिंग पूरी हो गई है। वोटों की गिनती 23 नवंबर को होगी। उससे पहले एग्जिट पोल से 9 सीटों का समीकरण समझिए…। सभी 9 सीटों पर मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा में दिखाई दिया। भास्कर रिपोर्टर्स ने ये एग्जिट पोल किए हैं। एग्जिट पोल के मुताबिक, 9 सीटों में 6 पर भाजपा, एक सीट पर रालोद और 2 सीटों पर सपा लीड करती दिख रही है। सपा के मजबूत गढ़ कुंदरकी में बड़ा उलटफेर दिख रहा है। यहां भाजपा आती दिख रही है। विरासत की सीट करहल में सपा की जीत लगभग तय मानी जा रही है। पहली बार उपचुनाव लड़ रही बसपा को खाली हाथ रहना पड़ेगा। जिन 9 सीटों पर उपचुनाव हुए, उनमें से 4 सीटें- करहल, सीसामऊ, कटेहरी और कुंदरकी सपा के पास थीं। 5 पर NDA ने जीत दर्ज की थी। इनमें अलीगढ़ की खैर, गाजियाबाद और फूलपुर सीट भाजपा जीती थी। मझवां निषाद पार्टी और मीरापुर रालोद ने जीती थी। भास्कर रिपोर्टर्स ने चुनाव वाले दिन सभी सीटों पर लोगों से बात की। एक्सपर्ट की राय जानी। इसके अलावा, पोलिंग पैटर्न को समझा। वोटिंग से पहले सभी 9 सीटों पर हमने तीन बार ग्राउंड रिपोर्ट की, जिसमें करीब तीन हजार लोगों से बात की। कानपुर की सीसामऊ, मुरादाबाद की कुंदरकी और मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट सबसे ज्यादा चर्चा में रही। इन सीटों के लिए खुद अखिलेश यादव को प्रेस कॉन्फ्रेंस तक करनी पड़ी। अधिकारियों पर आरोप लगे। इसके बाद एक्शन भी लिया गया। 5 पुलिस अधिकारी सस्पेंड हुए। 7 को चुनाव ड्यूटी से हटाया गया। अब जानते हैं सीटवार भास्कर का एग्जिट पोल… अब जानते हैं भास्कर समेत अन्य एजेंसियों का एग्जिट पोल.. पिछले तीन विधानसभा चुनावों का रिजल्ट यूपी उपचुनाव 2024 का वोटिंग प्रतिशत एक नजर यूपी उपचुनाव के टॉप-5 चेहरों पर, जो चर्चा में रहे अब बात उपचुनाव की 9 सीटों पर बनते-बिगड़ते समीकरण की… 1. अखिलेश यादव की सीट पर तेज प्रताप की चर्चा रही मैनपुरी की करहल सीट पर शुरू से अंत तक चुनावी समीकरण तेज प्रताप यादव के फेवर में दिखाई दिए। भाजपा ने अनुजेश यादव को उतार यादव VS यादव मुकाबले को दिलचस्प बनाया। 22 साल पहले भाजपा ने यहां यादव कैंडिडेट को उतार जीत दर्ज की थी। यादव बहुल इस सीट पर लोगों में चर्चा थी कि यहां जो भी विकास हुआ है, वह सब सपा की देन है। मुलायम सिंह, अखिलेश यादव समेत सैफई परिवार का लोगों से जुड़ाव है। इसका फायदा तेज प्रताप यादव को मिलता दिखाई दिया। खुद डिंपल यादव, अखिलेश यादव-शिवपाल यादव इस सीट पर लगातार कैंपेनिंग करने पहुंचे। हालांकि, यहां जीत-हार का मार्जिन कम हो सकता है। 2. सीसामऊ में नसीम सोलंकी के आंसुओं ने लोगों को कनेक्ट कानपुर की सीसामऊ में हर दिन चुनावी सीन बदलता दिखाई दिया। यहां भाजपा हिंदू वोटरों के सहारे चुनावी मैदान में उतरी। भाजपा ने बंटोगे तो कटोगे नारे के साथ जबरदस्त कैंपेनिंग की। लेकिन, उसे इसका नुकसान उठाना पड़ा। मुस्लिम वोटर एकजुट हो गए। सपा ने बीजेपी पर नफरत फैलाने का आरोप लगाते हुए सीट पर अपनी हवा बरकरार रखी। प्रचार-प्रसार के दौरान सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी के छलके आंसुओं ने लोगों को कनेक्ट किया। 3. बर्क के गढ़ कुंदरकी में रामवीर के साथ दिखी सिम्पैथी मुरादाबाद की कुंदरकी सीट शफीकुर्रहमान बर्क की कर्मभूमि रही। उनके पोते जियाउर रहमान बर्क यहां 2022 में 1.25 लाख के बड़े मार्जिन से चुनाव जीते। उनके सामने तब मोहम्मद रिजवान ने बसपा के टिकट से चुनाव लड़ा और हार गए। इस बार सपा ने उन्हें उतारा, क्योंकि रिजवान तीन बार यहां से चुनाव जीत चुके थे। 60% मुस्लिम बहुल वोटर वाली इस सीट पर भाजपा ने दो बार चुनाव हार चुके रामवीर पर फिर से भरोसा जताया। रामवीर लोगों के बीच गए। उनसे ढाई साल मांगे। जालीदार टोपी पहन मुस्लिम वोटर में अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश की। मुस्लिम कम्युनिटी में एक बार उन्हें भी मौका देने पर चर्चा हुई। इसके अलावा बसपा, AIMIM, आजाद समाज पार्टी ने तुर्क बिरादरी के कैंडिडेट उतार सपा का समीकरण बिगाड़ा। यहां वोट बिखरता दिखा। इलाके में भाजपा का रामपुर मॉडल भी काम करता दिखा। यहां हार-जीत का मार्जिन दिलचस्प हो सकता है। 4. प्रयागराज की फूलपुर सीट पर दीपक पटेल ने साधे जातीय समीकरण प्रयागराज की फूलपुर सीट पर मेन मुकाबला दीपक पटेल और मुज्तबा सिद्दीकी के बीच दिखाई दिया। पटेल बहुल इस सीट पर पूर्व सांसद केशरी देवी पटेल के बेटे दीपक पटेल ने जातीय समीकरण साधा। वहीं, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ने निर्दलीय नामांकन कर सपा के लिए मुसीबतें खड़ी की। मुज्तबा सिद्दीकी का दलितों को लेकर दिया गया बयान, पार्टी के कार्यकर्ताओं की उनके खिलाफ नारेबाजी ने माहौल बदला। लोकसभा चुनाव में मौर्य बिरादरी के जो वोटर सपा की तरफ शिफ्ट हुए थे, वह इस बार भाजपा की तरफ शिफ्ट होते दिखाई दिए। यही वजह रही कि पहले जहां सपा के पक्ष में हवा बह रही थी, कैंडिडेट के ऐलान के बाद से यह उसके खिलाफ हो गई। 5. मझवां में सुचिस्मिता मौर्य ने साधा 2017 का समीकरण भाजपा के टिकट पर 2017 में चुनाव जीतीं सुचिस्मिता मौर्य यहां फिर से पुराने समीकरण साधती दिखाई दीं। वह पूर्व विधायक रामचंद्र मौर्य की बहू हैं। सपा ने पूर्व विधायक डॉ. रमेश बिंद की बेटी डॉ. ज्योति बिंद को टिकट दिया। यहां बसपा ने दीपक तिवारी को उतार ब्राह्मण-दलित-मुस्लिम समीकरण साधा, जो सपा को नुकसान पहुंचाते दिखा। 6. गाजियाबाद में भाजपा हैट्रिक की ओर उपचुनाव में सबसे कम वोटिंग गाजियाबाद की सदर सीट पर हुई। यहां भाजपा ने नगर महामंत्री संजीव शर्मा को उतारा, जिनकी इलाके में मजबूत पकड़ है। वहीं, सपा ने सिंह राज जाटव को कैंडिडेट बनाया। 1.50 लाख के बड़े मार्जिन से 2017 चुनाव जीतने वाली भाजपा की हवा अंत तक बनी रही। हालांकि, यहां जीत-हार के मार्जिन में बड़ा बदलाव दिख सकता है। 7. अलीगढ़ की खैर सीट पर भाजपा को गठबंधन से फायदा जाट लैंड कही जाने वाली अलीगढ़ की खैर सीट पर भाजपा को रालोद से गठबंधन का फायदा मिलता दिखा। विकास-सुशासन के मुद्दे के साथ हवा भाजपा के फेवर में दिखाई दी। हालांकि चारू कैन ने सभी समीकरण साधने की कोशिश की है। यहां 2022 के मुकाबले 15.6% कम वोटिंग हुई। 8. सपा को परिवारवाद के चलते नुकसान कटेहरी सीट पर 2022 में लालजी वर्मा ने 93 हजार वोटों से जीत दर्ज की। इसके बाद अंबेडकरनगर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद बन गए। उपचुनाव के ऐलान के साथ ही उन्होंने अपनी पत्नी शोभावती वर्मा को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी शुरू कर दी। सपा में टिकट की रेस में दौड़ रहे अन्य नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं में इसी बात की नाराजगी दिखी। वहीं, धर्मराज निषाद ने यहां जातीय समीकरण साधे। भाजपा ने लास्ट मोमेंट पर पार्टी में नाराज चल रहे नेता-कार्यकर्ताओं को मना लिया। बसपा प्रत्याशी कुछ खास प्रभाव नहीं डाल पाए। 9. मीरापुर में मिथलेश ने साधा 2009 का समीकरण 2009 लोकसभा चुनाव में रालोद के टिकट पर कादिर राणा सांसद बने। इससे पहले वह 2007 चुनाव में मीरापुर (तब मोरना) सीट से विधायक चुने गए थे। उपचुनाव में रालोद ने मिथलेश पाल को चुनावी मैदान में उतारा, उन्होंने जीत दर्ज की। इस बार भी मिथलेश पाल ने 15 साल पुराने समीकरण साधे। भाजपा गठबंधन का फायदा उन्हें मिला। सपा से कादिर राणा की बहू सुम्बुल राणा चुनावी मैदान में उतरीं। वहीं, बसपा, आजाद समाज पार्टी और ओवैसी की AIMIM पार्टी ने सपा के लिए मुश्किलें खड़ी की हैं। हालांकि, यहां कम वोटिंग रिजल्ट को दिलचस्प बना सकती है। उपचुनाव की हाईलाइट्स… सोशल मीडिया पर छाया रहा चुनाव विधानसभा उप चुनाव सोशल मीडिया पर छाया रहा। मीरापुर सीट पर पथराव, कुंदरकी में वोटर्स को रोकती पुलिस और सीसामऊ में पुलिस व सपा कार्यकर्ताओं के बीच की झड़प के वीडियो वायरल हुए। दोनों दल पहुंचे आयोग भाजपा और सपा की ओर से बार-बार निर्वाचन आयोग को चुनाव में गड़बड़ी की शिकायत की गई। भाजपा ने मीरापुर, कुंदकरी और सीसामऊ में सपा पर फर्जी मतदान कराने का आरोप लगाया। वहीं, सपा ने भी पुलिस के दम पर फर्जी मतदान कराने और सपा के मतदाताओं को मतदान से रोकने के आरोप लगाए। मतदान के दौरान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सत्तापक्ष पर गंभीर आरोप लगाए। इसके बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सपा पर चुनाव में कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। वहीं, सीसामऊ सीट पर भाजपा प्रत्याशी सुरेश अवस्थी अपने समर्थकों संग जीआईसी मैदान के पोलिंग स्टेशन पर पहुंचे। यहां जमकर नारेबाजी हुई। हंगामा खड़ा किया गया। सपा के दबाव की रणनीति सफल रही उप चुनाव में समाजवादी पार्टी ने दबाव की रणनीति बनाई थी। इसलिए सुबह से ही सपा ने प्रशासन और सरकार पर आरोप लगाने शुरू कर दिए। 5 पुलिस कर्मी निलंबित करने से सपा के आरोप की पुष्टि हुई। सपा अपनी दबाव की रणनीति में सफल रही। उप चुनाव में कम ही रहता है वोटिंग प्रतिशत वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक आनंद राय कहते हैं- उप चुनाव में अक्सर मतदान प्रतिशत कम रहता है। पिछले रिकार्ड भी यही बताते हैं। मतदान प्रतिशत कम होने पर यह आकलन करना मुश्किल होता है कि कौन जीत रहा है। उन्होंने कहा कि उप चुनाव में सत्ताधारी दल को पुलिस और प्रशासनिक मशीनरी का लाभ मिलता है। आनंद राय ने कहा- इस चुनाव से सरकार के अस्तित्व पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। इसलिए वोटर्स ने अपनी सहूलियत से मतदान किया है। लेकिन उप चुनाव में कभी-कभी सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर करने के लिए भी मतदान करते हैं। जैसे यूपी में 2018 में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उप चुनाव में वोटरों ने सत्ताधारी दल भाजपा को हरा दिया था। लोकसभा चुनाव में भाजपा को करारा झटका लगा था। इसलिए उप चुनाव में सरकार और संगठन ने पूरी तैयारी की। आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं- उप चुनाव में जिस तरह मतदाताओं को वोटिंग करने से रोका गया। सरकारी मशीनरी का उपयोग हुआ है। उससे चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल खड़़ा होता है। हालांकि, आयोग ने विपक्ष की शिकायत के बाद पुलिस कर्मी निलंबित भी किए हैं। 2027 चुनाव का टेस्ट: भाजपा रिकवरी मोड में दिखी ”27 में सत्ताधीश” यह पोस्टर राजधानी लखनऊ में लगे। पोस्टर में अखिलेश यादव की तस्वीर थी। दूसरी तरफ प्रदेश भर में ”बंटोगे तो कटोगे” के नारे के साथ सीएम योगी के पोस्टर लगाए गए। मैसेज साफ था- 2027 के लिए अभी से सियासी बिसात बिछाई जा रही है। लोकसभा चुनाव का मोमेंटम बनाए रखने के लिए सपा ने PDA फॉर्मूला, आरक्षण और संविधान की बातें दोहराईं। वहीं, भाजपा ने चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले सभी सीटों पर रोजगार मेला लगाए। खुद सीएम योगी ने जनसभाएं की। योजनाओं का लोकार्पण और शुभारंभ किया। विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। इस उपचुनाव को 2027 विधानसभा चुनाव का टेस्ट इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि इसके बाद प्रदेश में (मिल्कीपुर उपचुनाव को छोड़कर) कोई चुनाव नहीं है। लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद सपा मजबूत पार्टी बनकर उभरी है। वहीं भाजपा रिकवरी मोड में नजर आई। सीएम योगी और अखिलेश ने की 13-13 जनसभाएं उपचुनाव, 2027 विधानसभा चुनाव की राजनीतिक दशा और दिशा तय करेंगे। यही वजह है कि कैंडिडेट के चयन के लिए भाजपा ने सबसे ज्यादा मंथन किया। नामांकन की अंतिम तारीख से ठीक एक दिन पहले प्रत्याशी घोषित किए। इसके बाद सीएम योगी हों या सपा मुखिया अखिलेश यादव, दोनों ने प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी। योगी ने 5 दिन में 13 जनसभाएं और 2 रोड शो किए, तो अखिलेश ने 13 जनसभाएं और एक रोड-शो किया। इसके अलावा पार्टी के स्टार प्रचारक पूरी ताकत से इन 9 सीटों पर प्रचार करने पहुंचे। दोनों डिप्टी सीएम केशव मौर्य और बृजेश पाठक और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे। सपा से डिंपल यादव, शिवपाल यादव, लोकसभा चुनाव में जीते आदित्य यादव और इकरा हसन प्रचार करने पहुंचे। —————————— एग्जिट पोल से जुड़ी यह खबर भी पढ़िए… एग्जिट पोल:महाराष्ट्र के 7 में से 6 एग्जिट पोल में भाजपा गठबंधन की सरकार, झारखंड में 4 पोल ने भाजपा सरकार का अनुमान जताया महाराष्ट्र की 288 और झारखंड में दूसरे फेज की 38 विधानसभा सीटों पर बुधवार को वोटिंग खत्म हो गई। झारखंड में 13 नवंबर को पहले फेज में 42 सीटों पर वोटिंग हुई थी। राज्य में 81 सीटें हैं। दोनों राज्यों के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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यूपी की बड़ी खबरें:बांके बिहारी के दर्शन को एडवाइजरी जारी, बुजुर्ग-बच्चों को नहीं लाने की अपील साल 2024 के अंत और नए साल 2025 पर अगर आप परिवार के साथ मथुरा-वृंदावन जाने की सोच रहे हैं तो थोड़ा रूक जाइए। बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन ने शनिवार को एडवाइजरी जारी की है। मंदिर प्रबंधन ने बुजुर्ग और बच्चों को अपने साथ नहीं लाने की अपील की है। मंदिर प्रबंधन का मानना है कि करीब 25 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचेंगे। प्रबंधन ने भीड़ की वजह से 25 दिसंबर से पांच जनवरी तक बीपी और शुगर के मरीजों, बीमार व्यक्तियों, बुर्जगों और दिव्यांगजनों, छोटे बच्चों व गर्भवती महिलाओं से भीड़ अधिक होने पर मंदिर न आने की अपील की है। बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन द्वारा जारी की गई एडवाइजरी में कहा गया है कि श्रद्धालु भीड़ का आकलन कर ही वृंदावन आएं,भीड़ का हिस्सा बनने से बचें। मंदिर में निर्धारित गेट से ही प्रवेश और निकास करें। मंदिर आने जाने के रास्ते अलग हैं इसलिए समस्याओं से बचने के लिए जूता चप्पल पहन कर न आएं। पढ़ें पूरी खबर वाराणसी में पिता-पुत्र को गोली मारकर लाखों के जेवरात लूटे, 20 चौराहों पर नाकाबंदी वाराणसी में रविवार की भोर मुंबई से लौटे सराफा कारोबारी और उनके बेटे को बाइक सवार हमलावरों ने गोली मार दी। बेटा उन्हें स्टेशन लेने गया था। हमलावर व्यापारी से ज्वैलरी भरा बैग लूटकर फरार हो गए। गोलियां चलने की सूचना से दहशत छा गई। स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने घायल पिता-पुत्र को बीएचयू ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया। सूचना के बाद पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल और डीसीपी काशी समेत पुलिस अफसर अस्पताल पहुंचे और घटना की जानकारी ली। वहीं शहर के 12 थानों में नाकाबंदी कर 20 चौराहों समेत कई स्थानों पर चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। पुलिस की एक टीम त्रिनेत्र सेंटर में सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही हे। घटना में लाखों के जेवरात जाने की बात सामने आ रही है। पढ़ें पूरी खबर बेटिंग-गेमिंग ऐप के नाम पर ठगी करने वाले गिरफ्तार, करोड़ों का ट्रांजेक्शन मिलने पर अकाउंट सीज वाराणसी में बेटिंग-गेमिंग ऐप के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के दो गुर्गों को साइबर क्राइम टीम ने दबोच लिया। निवेश के नाम पर ठगी करने वाले दोनों आरोपियों ने अब तक कई लोगों को शिकार बनाया है। उनके खातों में लाखों नहीं बल्कि करोड़ों रुपए में लेनदेन के साक्ष्य मिले हैं। पुलिस ने दोनों के खाते सीज करा दिए हैं और रिमांड पर लेकर उनसे रिकवरी कराएगी। आरोपियों ने पंचक्रोश सारनाथ निवासी श्वेता जायसवाल से पिछले दिनों 7.15 लाख रुपए ठगे थे। इसके बाद और रुपए ठगने की फिराक में थे लेकिन बाद में अचानक नंबर बंद कर दिए, जिसके बाद पीड़िता ने पुलिस को मामले की जानकारी दी और रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने जांच के बाद आरोपियों को दबोच लिया, वहीं उनके नेटवर्क और ठगने के तरीके भी जाने। दोनों को साइबर थाने लाकर रखा गया है, जिन्हें आज कोर्ट में पेश किया जाएगा। पढ़ें पूरी खबर
मेरठ में 50 हजार लीटर मिलावटी डीजल-पेट्रोल मिला:GPS निकालकर असली टैंकर को ले जाते गोदाम; फिर में मिलाते थे आधा नकली तेल; 5 अरेस्ट
मेरठ में 50 हजार लीटर मिलावटी डीजल-पेट्रोल मिला:GPS निकालकर असली टैंकर को ले जाते गोदाम; फिर में मिलाते थे आधा नकली तेल; 5 अरेस्ट मेरठ में बुधवार को पुलिस ने अवैध डीजल-पेट्रोल गोदाम पर छापेमारी की। यहां 50 हजार लीटर मिलावटी पेट्रोल-डीजल बरामद किया। ये लोग चोरी के तेल में सॉल्वेंट मिलाकर, मिलावटी तेल बनाकर पूरे NCR में सप्लाई करते थे। गोदाम मालिक सहित 5 लोगों को गिरफ्तार किया है। SP-SSP ने आरोपियों से पूछताछ की। उन्होंने बताया कि ओरिजिनल तेल का टैंकर लेकर पेट्रोल पंप पर सप्लाई करने के लिए निकलते थे। लेकिन, बीच रास्ते में जीपीएस निकाल देते थे। इसके बाद भीड़ भाड़ और जाम वाले इलाके में घूमते थे। टैंकर को गोदाम में ले जाते थे। इसमें आधा तेल निकालकर उसमें नकली तेल निकाल देते थे। 3 फोटो देखिए पुलिस को गुप्त कॉल से मिली जानकारी
पुलिस ने परतापुर थाना क्षेत्र के गेझा गांव में मनीष गुप्ता के तेल गोदाम पर छापा मारा। यहां शातिर तरीके से तेल चोरी और मिलावटी तेल का खेल हो रहा था। SP सिटी आयुष विक्रम सिंह ने बताया-तेल डिपो से ओरिजिनल तेल का टैंकर पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल सप्लाई के लिए निकलते थे। आरोपी ओरिजिनल तेल के टैंकरों से बीच रास्ते में ही GPS निकाल देते। इसके बाद GPS लेकर बाजार और जाम वाले इलाकों में घूमते रहते। तेल के टैंकर को पेट्रोल पंपों पर ले जाने के बजाय बीच में गोदाम की तरफ डायवर्ट कर देते। ओरिजिनल तेल का टैंकर यहां गोदाम पर आता। गोदाम पर उस टैंकर से एक तय मात्रा में ओरिजिनल तेल चोरी करके गोदाम के कैंटर में स्टोर कर देते थे। टैंकर में हाइड्रो कार्बन कंपाउंड मिलाते थे
ओरिजिनल तेल के टैंकर में हाइड्रो कार्बन कंपाउंड मिला देते थे। जो पेट्रोल, डीजल की डेंस्टिसी वाला होता है। इस कंपाउंड को बचे तेल के टैंकर में मिला देते। इससे टैंकर में मिलावटी तेल बन जाता। फिर यहां से टैंकर में GPS लगाकर पेट्रोल पंपों पर भेज दिया जाता। पुलिस को सूचना मिली थी कि एचपीसीएल से एक तेल का टैंकर पेट्रोल पंप जाने के लिए निकला है। तेल का टैंकर डिपो से निकला, लेकिन बीच में गोदाम पर आया है। तभी पुलिस ने रेड डाली, तो पता चला कि टैंकर को GPS निकालकर डायवर्ट कर दिया गया था। खेत के बीच में था गोदाम
परतापुर पुलिस ने गेजा गांव में छापेमारी की है। 35 हजार लीटर डीजल और 15000 लीटर मिलावटी पेट्रोल मिला। जमीन के अंदर एक कैंटर मिला है। आरोपी कैंटर में पाइप लगाकर मोटर से ड्रम में पेट्रोल डीजल भरते थे। उसे मेरठ सहित गाजियाबाद की कंपनियों में सप्लाई कर मोटी रकम लेते थे। ये गोदाम गेझा गांव में एक खेत में बनाया हुआ था। ताकि आम जनता की नजरों से छिपा रहे। किसी ने पुलिस को सूचना दी। ये गोदाम ब्रहमपुरी के रहने वाले मनीष गुप्ता ने किराए पर लिया था। गोदाम गेझा गांव के रहने वाले अनिल गुप्ता का है।
प्रकाश आंबेडकर, AIMIM और निर्दलीय, महाराष्ट्र में किसका बिगाड़ेंगे खेल? समझें गणित
प्रकाश आंबेडकर, AIMIM और निर्दलीय, महाराष्ट्र में किसका बिगाड़ेंगे खेल? समझें गणित <p style=”text-align: justify;”><strong>Maharashtra Assembly Election 2024:</strong> महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब आने वाले नतीजों को लेकर चर्चा हो रही है. दोनों गठबंधन के प्रमुख दलों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है, लेकिन इस बार चुनावी मैदान में कई छोटे दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों की भी जबरदस्त मौजूदगी देखने को मिली है. इन दलों के चुनावी मुकाबले में उतरने से राज्य की राजनीति में नए समीकरण बनते दिख रहे हैं. सभी के मन में सवाल है कि ये छोटे दलों या निर्दलीय उम्मीदवार किसका खेल बिगड़ेंगे? </p>
<p style=”text-align: justify;”><a title=”लोकसभा चुनाव” href=”https://www.abplive.com/topic/lok-sabha-election-2024″ data-type=”interlinkingkeywords”>लोकसभा चुनाव</a> में महाराष्ट्र की जनता ने बीजेपी नेतृत्व वाली NDA और कांग्रेस INDIA गठबंधन के विकल्प में से एक पार्टी को चुना. हालांकि 5 महीने बाद राज्य की राजनीति के दांव पेंच बदल गए. विधानसभा चुनाव में एक तरफ़ बीजेपी, शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी है और छोटे दल हैं, जिसे महायुति नाम दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>महाराष्ट्र में थर्ड फैक्टर कितना असर डालेगा?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दूसरी तरफ़ कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी (SP) और छोटे दल हैं. ये सभी महाविकास अघाड़ी का हिस्सा हैं. इस चुनाव में राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन आघाडी, ओवेसी की AIMIM, कई छोटे दल, बाग़ी उम्मीदवार और निर्दलीय मैदान में हैं. सवाल है कि थर्ड फैक्टर कितना असर डालेगा? </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राज ठाकरे की MNS किसका वोट काटेगी?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>राज ठाकरे की नेतृत्व वाली MNS सीट जीते या हारे लेकिन कई सीटों पर प्रभाव ज़रूर रखती है. मुंबई और ठाणे क्षेत्र में इसका प्रभाव अधिक है. MNS ने अपने पुराने गढ़ में सत्ता की वापसी की कोशिश करेगी और यह देखा जाएगा कि क्या पार्टी बीजेपी और शिवसेना उद्धव गुट के वोट काटकर महायुति को मदद पहुंचाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>प्रकाश आंबेडकर की VBA किसे देगी चुनौती?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>VBA, जो कि दलित और पिछड़े वर्ग के हितों की बात करती है. ये भी चुनावी मैदान में है. VBA की ताकत विशेष रूप से मुंबई, नासिक और मराठवाड़ा क्षेत्र में देखी जा सकती है. इस पार्टी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर का दावा है कि उनकी पार्टी राज्य के सामाजिक और आर्थिक कमजोर वर्गों की आवाज बनेगी. राजनीतिक एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर VBA ने अपने वोटबैंक को सही तरीके से संकलित किया, तो यह शिवसेना और कांग्रेस को गंभीर चुनौती दे सकती है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>छोटी पार्टियों का कोई प्रभाव नहीं- महेश तपासे</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>शरद पवार की एनसीपी (SP) के प्रवक्ता महेश तपासे का कहना है कि छोटी पार्टियों का कोई प्रभाव नहीं है. उन्होंने कहा, ”MIM जैसी पार्टियां सिर्फ वोट काटने के लिए आई थी लेकिन वो कोई काम नहीं आया. सबको पता है बड़ा नेता कौन है और हमारा गठबंधन पहले से ही है और आप देखिए सबसे ज्यादा बागी महायुति के हैं, हमारे पास नहीं हैं. तो हमारा नुकसान नहीं है और हमारे गठबंधन में ही उतने सीट हमको मिल जाएंगे”.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बहरहाल देखा जाए तो छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों का असर इस बार के <a title=”महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव” href=”https://www.abplive.com/topic/maharashtra-assembly-election-2024″ data-type=”interlinkingkeywords”>महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव</a> में बहुत अहम हो सकता है. इन दलों के चुनावी प्रदर्शन से न केवल बड़े दलों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं, बल्कि राज्य की राजनीति में नए समीकरण भी बन सकते हैं. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ये छोटे दल कितनी सीटें जीत पाते हैं और चुनाव परिणामों पर उनका क्या असर होता है? महाराष्ट्र की सभी 288 सीटों पर 23 नवंबर को चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें:</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”महाराष्ट्र में वोट प्रतिशत बढ़ने का किसे होगा फायदा? महायुति बनाम MVA के बीच जंग दिलचस्प” href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/maharashtra-assembly-election-2024-record-voting-victory-claim-between-mahayuti-and-mva-ann-2827933″ target=”_self”>महाराष्ट्र में वोट प्रतिशत बढ़ने का किसे होगा फायदा? महायुति बनाम MVA के बीच जंग दिलचस्प</a></strong></p>