यूपी में शनिवार को धूमधाम से विजयादशमी मनाई गई। रावण दहन की कुछ खास तस्वीरें और वीडियो भी सामने आए हैं। सहारनपुर में सीता का रोल निभा रही महिला बुलेट पर रावण को बैठाकर ग्राउंड में पहुंची। यह देख सब लोग हंसने लगे और तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा मैदान गूंज उठा। बुलेट पर संदेश लिखा था- महिला सशक्तिकरण, सीता भी कर सकती है रावण का हरण। मेरठ में रामायण के राम व सांसद अरुण गोविल को रावण दहन करना था। उन्होंने तीन बार तीर चलाए, लेकिन तीनों बार निशाना चूक गया और रावण को तीर नहीं लगा। आखिर में सांकेतिक रूप से अरुण गोविल ने तीर छोड़ी और आयोजकों ने रावण के पुतले में आग लगाई। अयोध्या की रामलीला में डिजिटल रावण का दहन हुआ। मेरठ में राम के रोल में सांसद पहुंचे, निशाना नहीं लगा पाएं मेरठ कैंट के भैंसाली मैदान में रावण का दहन होना था। राम के रोल में सांसद और पर्दे के राम अरुण गोविल पहुंचे। पंडाल में पहुंचते ही जय-जय श्रीराम के जयकारे से उनका स्वागत किया गया। इसके बाद अरुण गोविल को रावण के पुतले के सामने थोड़ी दूरी पर बने मंच पर ले जाया गया। यहां अरुण गोविल ने रावण को मारने के लिए तीर चलाया, लेकिन निशाना चूक गया। दूसरी बार भी कोशिश की, लेकिन लक्ष्य नहीं भेद सके। तीसरी बार फिर मुस्कुराते हुए प्रत्यंचा तानी और मानो अबकी लक्ष्य भेद ही देंगे, लेकिन फिर निशाना चूक गया। आखिर में आयोजकों ने कहा- आप सांकेतिक रूप से धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाकर अग्नि बाण चला दें। फिर अरुण गोविल ने ऐसा ही किया। तीर छोड़ी जो कुछ दूर जा गिरी, इतने में दूसरे लोगों ने रावण के पुतले में आग लगा दी। अयोध्या में 72 फीट की स्क्रीन पर डिजिटल रावण दहन अयोध्या में फिल्मी सितारों की रामलीला समिति ने डिजिटल रावण का दहन किया। राम और रावण युद्ध के बाद रावण वध के प्रसंग का मंचन हुआ। राम की भूमिका निभा रहे वेद सागर ने बाण चलाकर रावण का वध किया। 72 फीट की स्क्रीन पर डिजिटल दहन के साथ रामलीला का समापन हुआ। रामलीला समिति के अध्यक्ष सुभाष मलिक ने बताया- रावण दहन डिजिटल तरीके से किया गया, ताकि प्रदूषण न फैले। PM मोदी का भी संदेश है कि प्रदूषण कम से कम हो। इसी वजह से फिल्मी हस्तियों की रामलीला में डिजिटल रावण दहन किए। इस बार फिल्मी सितारों की रामलीला को लगभग 41 करोड़ से ज्यादा राम भक्तों ने देखा है। इस रामलीला में फिल्मी जगत के कई बड़े कलाकारों ने राम की लीला पर मंचन किया। लखनऊ में रावण दहन का ड्रोन सीन, ऐशबाग में 60 फीट ऊंचा पुतला जलाया लखनऊ में दशहरे पर ऐशबाग के रामलीला मैदान में रावण दहन किया गया। 60 फीट ऊंचे रावण का दहन देखकर लोग जय श्रीराम के नारे लगाने लगे। रामलीला मैदान में दहन किए गए इस रावण का भव्य नजारा देख हर कोई उत्साह से भर गया। यहां लगा मेला और रंग-बिरंगी आतिशबाजी ने लोगों को खूब आकर्षित किया। ऐशबाग के रामलीला मैदान में रावण दहन देखने लाखों की संख्या में लोग पहुंचे। शाम होते ही पूरा मैदान फुल हो गया। कई बड़े कलाकारों ने रामलीला का मंचन किया, इसके साथ ही रावण दहन किया गया। सुरक्षा के लिहाज से भी भारी पुलिस फोर्स तैनात थी। भीड़ को देखते हुए सुबह से कई रूट डायवर्ट कर दिए गए थे। यूपी में शनिवार को धूमधाम से विजयादशमी मनाई गई। रावण दहन की कुछ खास तस्वीरें और वीडियो भी सामने आए हैं। सहारनपुर में सीता का रोल निभा रही महिला बुलेट पर रावण को बैठाकर ग्राउंड में पहुंची। यह देख सब लोग हंसने लगे और तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा मैदान गूंज उठा। बुलेट पर संदेश लिखा था- महिला सशक्तिकरण, सीता भी कर सकती है रावण का हरण। मेरठ में रामायण के राम व सांसद अरुण गोविल को रावण दहन करना था। उन्होंने तीन बार तीर चलाए, लेकिन तीनों बार निशाना चूक गया और रावण को तीर नहीं लगा। आखिर में सांकेतिक रूप से अरुण गोविल ने तीर छोड़ी और आयोजकों ने रावण के पुतले में आग लगाई। अयोध्या की रामलीला में डिजिटल रावण का दहन हुआ। मेरठ में राम के रोल में सांसद पहुंचे, निशाना नहीं लगा पाएं मेरठ कैंट के भैंसाली मैदान में रावण का दहन होना था। राम के रोल में सांसद और पर्दे के राम अरुण गोविल पहुंचे। पंडाल में पहुंचते ही जय-जय श्रीराम के जयकारे से उनका स्वागत किया गया। इसके बाद अरुण गोविल को रावण के पुतले के सामने थोड़ी दूरी पर बने मंच पर ले जाया गया। यहां अरुण गोविल ने रावण को मारने के लिए तीर चलाया, लेकिन निशाना चूक गया। दूसरी बार भी कोशिश की, लेकिन लक्ष्य नहीं भेद सके। तीसरी बार फिर मुस्कुराते हुए प्रत्यंचा तानी और मानो अबकी लक्ष्य भेद ही देंगे, लेकिन फिर निशाना चूक गया। आखिर में आयोजकों ने कहा- आप सांकेतिक रूप से धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाकर अग्नि बाण चला दें। फिर अरुण गोविल ने ऐसा ही किया। तीर छोड़ी जो कुछ दूर जा गिरी, इतने में दूसरे लोगों ने रावण के पुतले में आग लगा दी। अयोध्या में 72 फीट की स्क्रीन पर डिजिटल रावण दहन अयोध्या में फिल्मी सितारों की रामलीला समिति ने डिजिटल रावण का दहन किया। राम और रावण युद्ध के बाद रावण वध के प्रसंग का मंचन हुआ। राम की भूमिका निभा रहे वेद सागर ने बाण चलाकर रावण का वध किया। 72 फीट की स्क्रीन पर डिजिटल दहन के साथ रामलीला का समापन हुआ। रामलीला समिति के अध्यक्ष सुभाष मलिक ने बताया- रावण दहन डिजिटल तरीके से किया गया, ताकि प्रदूषण न फैले। PM मोदी का भी संदेश है कि प्रदूषण कम से कम हो। इसी वजह से फिल्मी हस्तियों की रामलीला में डिजिटल रावण दहन किए। इस बार फिल्मी सितारों की रामलीला को लगभग 41 करोड़ से ज्यादा राम भक्तों ने देखा है। इस रामलीला में फिल्मी जगत के कई बड़े कलाकारों ने राम की लीला पर मंचन किया। लखनऊ में रावण दहन का ड्रोन सीन, ऐशबाग में 60 फीट ऊंचा पुतला जलाया लखनऊ में दशहरे पर ऐशबाग के रामलीला मैदान में रावण दहन किया गया। 60 फीट ऊंचे रावण का दहन देखकर लोग जय श्रीराम के नारे लगाने लगे। रामलीला मैदान में दहन किए गए इस रावण का भव्य नजारा देख हर कोई उत्साह से भर गया। यहां लगा मेला और रंग-बिरंगी आतिशबाजी ने लोगों को खूब आकर्षित किया। ऐशबाग के रामलीला मैदान में रावण दहन देखने लाखों की संख्या में लोग पहुंचे। शाम होते ही पूरा मैदान फुल हो गया। कई बड़े कलाकारों ने रामलीला का मंचन किया, इसके साथ ही रावण दहन किया गया। सुरक्षा के लिहाज से भी भारी पुलिस फोर्स तैनात थी। भीड़ को देखते हुए सुबह से कई रूट डायवर्ट कर दिए गए थे। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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उत्तराखंड के बागेश्वर में खनन ने खड़ी की जोशीमठ जैसी समस्या, घरों में दरारें, 1 हजार साल पुराना मंदिर खतरे में
उत्तराखंड के बागेश्वर में खनन ने खड़ी की जोशीमठ जैसी समस्या, घरों में दरारें, 1 हजार साल पुराना मंदिर खतरे में <div dir=”auto”>
<p style=”text-align: justify;”><strong>Bageshwar News:</strong> उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के कांडा क्षेत्र में अनियंत्रित खनन ने जोशीमठ जैसी गंभीर स्थिति पैदा कर दी है. यहां के घरों, मंदिरों, खेतों और सड़कों में गहरी दरारें पड़ चुकी हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि लगातार हो रहे खनन और स्थानीय प्रशासन की उदासीनता ने उनकी ज़िंदगी को खतरे में डाल दिया है. स्थानीय निवासी बाची सिंह नगरकोटी, जिनके पुश्तैनी घर में बड़ी दरारें आ चुकी हैं, बताते हैं कि उनके पिता ने अपनी सारी जमापूंजी लगाकर यह घर बनवाया था. शुरुआत में खनन से रोजगार मिलने की उम्मीद में लोगों ने इसे सकारात्मक रूप में देखा, लेकिन भारी मशीनों और अंधाधुंध खनन ने धीरे-धीरे पूरे क्षेत्र को तबाही की ओर धकेल दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बाची सिंह नगरकोटी का घर एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है, जिसके ठीक नीचे एक टैल्क खदान संचालित हो रही है. जब उन्होंने स्थानीय प्रशासन से खनन के कारण हो रहे नुकसान की शिकायत की, तो उनकी चिंताओं को नकार दिया गया. अधिकारियों ने यह तर्क दिया कि खनन स्थल उनके घर से काफी दूर है. लेकिन हकीकत यह है कि उनके घर के नीचे की पहाड़ी बुरी तरह कमजोर हो चुकी है, जिससे बड़ी दरारें और भूस्खलन जैसी स्थितियां पैदा हो रही हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><br /><img src=”https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2025/01/07/3b824861f655c25de7d8bb7596a0fc091736228246038369_original.jpg” /></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>लगातार हो रहे खनन से पूरा इलाका खतरा में<br /></strong>नगरकोटी ने कहा, “खनन लगातार जारी है और इसके कारण पूरा इलाका खतरे में है. हम लोगों के पास इतनी आर्थिक क्षमता नहीं है कि अपने घर को बचाने के लिए रिटेनिंग वॉल बना सकें. यह खनन करने वालों की जिम्मेदारी है, लेकिन न तो उन्होंने कोई कदम उठाया और न ही स्थानीय प्रशासन ने.” उन्होंने आगे बताया कि इस खतरनाक स्थिति के बावजूद अब तक न तो किसी भूवैज्ञानिक विशेषज्ञ की मदद ली गई है और न ही क्षेत्र का कोई सुरक्षा ऑडिट किया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>खनन का असर केवल घरों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि क्षेत्र के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों पर भी दिखाई दे रहा है. कांडा क्षेत्र का 1,000 साल पुराना कालिका मंदिर भी अब खतरे में है. मंदिर के परिसर में दरारें आ चुकी हैं, और स्थानीय लोग इसके लिए पास में चल रही चाक खदान को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. यह खदान मंदिर से मात्र 50 मीटर की दूरी पर स्थित है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मंदिर समिति अध्यक्ष ने बताई आपबीती<br /></strong>मंदिर समिति के अध्यक्ष और सेना के पूर्व जवान रघुवीर सिंह मजीला ने बताया कि यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था का भी प्रमुख केंद्र है. “यह मंदिर सदियों से इस क्षेत्र का धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र रहा है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं के कारण स्थानीय लोगों की आजीविका चलती है. मंदिर की स्थिति खराब होने से हमारी आजीविका पर सीधा असर पड़ रहा है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>कांडा क्षेत्र के लोगों की मुख्य आय का स्रोत खेती और धार्मिक पर्यटन है. लेकिन अनियंत्रित खनन ने इन दोनों पर संकट खड़ा कर दिया है. सेना के पूर्व जवान और सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश सिंह मजीला ने कहा, “खनन के कारण खेतों की मिट्टी खराब हो चुकी है, और मंदिर पर मंडरा रहे खतरे ने यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट ला दी है. हमने स्थानीय प्रशासन से घरों और मंदिर की सुरक्षा के लिए रिटेनिंग वॉल बनाने का अनुरोध किया है, लेकिन अब तक कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>घरों में पड़ी दरारों को लेकर लोगों पुनर्वास की मांग कर रहे हैं<br /></strong>स्थानीय निवासी अब पुनर्वास की मांग कर रहे हैं. खनन के कारण सबसे अधिक प्रभावित परिवारों में से एक हेमचंद्र कंडपाल का परिवार है. उनके घर में आई गहरी दरारें अब उनके लिए जान का खतरा बन चुकी हैं. कंडपाल ने कहा, “इन दरारों को ठीक करना संभव नहीं है. घर को तोड़कर फिर से बनाना ही एकमात्र विकल्प है. प्रशासन को हमें पुनर्वास के लिए जमीन देनी चाहिए.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>कंडपाल का घर, जो उनकी जीवन भर की कमाई से बना था, अब इस कदर क्षतिग्रस्त हो चुका है कि इसके ग्राउंड फ्लोर के दरवाजे झुकने के कारण हमेशा के लिए बंद हो गए हैं. “हम दरवाजों को खोलने की कोशिश भी नहीं करते, क्योंकि डर है कि घर गिर सकता है,” उन्होंने बताया. उनके दोनों बेटे अन्य शहरों में रहते हैं, जबकि वे खुद घर में रहने को मजबूर हैं. भारी बारिश के दौरान वे घर के अंदर रहने से भी डरते हैं. उनकी खेती की जमीन भी खनन स्थल के ऊपर है, जिससे वह भी असुरक्षित हो चुकी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>स्थानीय एसडीएम ने मिल रही शिकायतों को गंभीर नहीं बताया<br /></strong>खनन के कारण बढ़ते संकट के बावजूद स्थानीय प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. स्थानीय निवासी लगातार अपनी समस्याओं को लेकर शिकायतें दर्ज करा रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. स्थानीय एसडीएम अनुराग आर्य से जब इस बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, “पहले भी दरारों को लेकर शिकायतें आई थीं, लेकिन कोई गंभीर बात नहीं पाई गई. अगर और शिकायतें मिलेंगी, तो हम इस पर विचार करेंगे.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस संकट के बावजूद स्थानीय प्रशासन की ओर से प्रभावित परिवारों को कोई राहत नहीं दी गई है. अधिकांश निवासियों ने अपने घर बनाने में अपनी जिंदगी भर की कमाई लगा दी थी. अब वे खुद को एक ऐसे हालात में पा रहे हैं, जहां उनका सबकुछ खत्म होने के कगार पर है. स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही से यह संकट बढ़ा है. “हमने अपनी शिकायतें कई बार दर्ज कराई हैं, लेकिन कोई हमारी बात सुनने को तैयार नहीं है. प्रशासन की लापरवाही से हमारी जिंदगी दांव पर लग गई है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उच्च न्यायालय का रुख कर सकता है सामाजिक संगठन <br /></strong>एक स्थानीय निवासी ने कहा, कांडा क्षेत्र के निवासी अब प्रशासन से ठोस कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं. वे चाहते हैं कि या तो उनके घरों और मंदिरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, या फिर उन्हें सुरक्षित स्थान पर पुनर्वास दिया जाए. स्थानीय सामाजिक संगठनों ने भी इस मुद्दे पर प्रशासन को घेरने की योजना बनाई है. “हम इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय का रुख करेंगे, अगर प्रशासन ने जल्द कोई कार्रवाई नहीं की.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, कांडा क्षेत्र में खनन ने न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि स्थानीय लोगों के जीवन और आजीविका को भी खतरे में डाल दिया है. इस क्षेत्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरें भी इस संकट से अछूती नहीं हैं. अगर प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो यह संकट और भी गंभीर रूप ले सकता है. स्थानीय निवासियों का संघर्ष यह दिखाता है कि कैसे विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन समाज और पर्यावरण दोनों के लिए घातक हो सकता है. अब यह प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे इन समस्याओं का समाधान करें और प्रभावित लोगों को न्याय दिलाएं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भी पढ़ें- <strong><a href=”https://abplive.com/states/up-uk/azamgarh-massive-fire-broke-out-in-clothes-shop-ann-2857741″>आजमगढ़ में कपड़े की दुकान में लगी भीषण आग, लाखों का सामान जलकर हुआ खाक</a></strong></p>
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रेवाड़ी में जीजा बनकर ठगी:महिला को भेजा 25 हजार का फर्जी मैसेज, फिर कॉल कर फोन-पे से ट्रांसफर कराया
रेवाड़ी में जीजा बनकर ठगी:महिला को भेजा 25 हजार का फर्जी मैसेज, फिर कॉल कर फोन-पे से ट्रांसफर कराया हरियाणा के रेवाड़ी शहर में एक शातिर व्यक्ति ने महिला को उसका जीजा बनकर ठग लिया। शातिर व्यक्ति ने कॉल कर पहले 25 हजार रुपए का फर्जी मैसेज भेजा और फिर अपने दूसरे नंबर पर पैसे ट्रांसफर करवा लिए। साइबर थाना पुलिस ने महिला की शिकायत पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर के झज्जर रोड स्थित भीम बस्ती निवासी ललिता ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि देर शाम उसके मोबाइल पर एक अनजान नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाले ने सीधे तौर पर कहा कि मैं आपका जीजा बोल रहा हूं। आवाज हूबहू होने के कारण ललिता को उस पर शक नहीं हुआ। शातिर व्यक्ति ने बताया कि उसने आपके खाते में 25 हजार रुपए डलवा दिए हैं। फोन-पे के जरिए ट्रांसफर किए पैसे ये पैसे उसके दूसरे नंबर पर फोन-पे के जरिए डाल दीजिए। ललिता ने अपना फोन-पे चेक किया तो उसके फोन पर मैसेज आ रहा था। मैसेज को देखकर ललिता ने उसके द्वारा बताए गए फोन नंबर पर 25000 रुपए ट्रांसफर कर दिए। हालांकि ललिता को तुरंत शक भी हो गया, जिसके चलते उसने अपना अकाऊंट चेक किया तो खाते से उसके पैसे तो कटे हुए दिखाई दिए, लेकिन उसके खाते में कोई रकम नहीं आई थी। पुलिस ने बैंक डिटेल हासिल की यह देखकर ललिता ने तुरंत उसी नंबर पर दोबारा कॉल किया, लेकिन जालसाज के फोन पर कॉल रिसीव नहीं हुई। इसके बाद ललिता ने तुरंत साइबर थाने में शिकायत की। पुलिस ने ललिता की शिकायत पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस उस नंबर की भी जांच कर रही है, जिस पर पैसे ट्रांसफर किए गए। पुलिस ने बैंक से पूरी डिटेल हासिल कर ली है।
सांसद हरसिमरत बादल की उड्डयन मंत्री के सामने मांग:बठिंडा को इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाया जाए; कनाडा के लिए शुरू की जाए उड़ान
सांसद हरसिमरत बादल की उड्डयन मंत्री के सामने मांग:बठिंडा को इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाया जाए; कनाडा के लिए शुरू की जाए उड़ान शिरोमणी अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने आज मंगलवार केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू से बठिंडा को इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने की मांग रख दी है। इसके बाद बठिंडा से कनाडा के लिए इंटरनेशनल उड़ान शुरू करने का भी आग्रह किया है। हरसिमरत बादल का तर्क है कि बठिंडा 3 राज्यों के 8 जिलों को कनेक्ट करता है। जिससे विदेश में पढ़ने वाले छात्रों के साथ उनके परिवारों को भी सुविधा मिल सकेगी। हरसिमरत बादल ने कहा कि बठिंडा पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के 3 राज्यों के 8 जिलों को जोड़ने के लिए एक रणनीतिक केंद्र है। हरियाणा के सिरसा से लेकर राजस्थान के श्री गंगानगर तक फैला हुआ है, जिसमें पंजाब के संगरूर, मानसा, फिरोजपुर और फरीदकोट जिले शामिल हैं। बठिंडा का महत्व भौगोलिक सीमाओं से भी आगे फैला हुआ है, क्योंकि इसमें एशिया की सबसे बड़ी सेना छावनी, एक वायुसेना स्टेशन, एक केंद्रीय यूनिवर्सिटी, एक प्रमुख तेल रिफाइनरी, तीन थर्मल प्लांट और सिखों का प्रतिष्ठित तख्त श्री दमदमा साहिब शामिल है। 300 किमी में कोई एयरपोर्ट नहीं हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि बठिंडा के 300 किलोमीटर के दायरे में कोई हवाई अड्डा नहीं है। इसीलिए शहर का हवाई अड्डा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में अपग्रेड करने के लिए उपयुक्त मामला है। 8 जिलों से बड़ी संख्या में छात्र कनाडा में पढ़ रहे हैं, जिनमें पड़ोसी राज्यों के छात्र भी शामिल हैं। इससे एनआईआई के साथ-साथ उन परिवारों को भी सुविधा होगी जिन्हें वर्तमान में दिल्ली उतरना पड़ता है। कोविड के कारण बंद हो गई दिल्ली-बठिंडा उड़ान हरसिमरत बादल का कहना है कि 2016 में दिल्ली-बठिंडा की उड़ान शुरू की गई थी और इसे 80 फीसदी क्षमता के साथ सप्ताह में 5 बार चलाया जाता था। कोविड महामारी के दौरान इसे निलंबित कर दिया गया था। सितंबर 2023 में ATR विमान का उपयोग करके बठिंडा-हिंडन-बठिंडा उड़ान शुरू की गई थी, लेकिन इसे दिल्ली-बठिंडा एलायंस की उड़ान से बदला जाना चाहिए। हरसिमरत बादल श्री हजूर साहिब नांदेड़ साहिब और श्री पटना साहिब के लिए भी फ्लाइट्स शुरू करने का आग्रह किया। दो तख्तों को जोड़ने से सिख श्रद्धालुओं को सुविधा होगी।