यूपी के इस शहर में बूंद-बूंद पानी को मोहताज हैं ग्रामीण, गीत गाकर बयां किया अपना दर्द

यूपी के इस शहर में बूंद-बूंद पानी को मोहताज हैं ग्रामीण, गीत गाकर बयां किया अपना दर्द

<p style=”text-align: justify;”><strong>Mahoba News:</strong> उत्तर प्रदेश का महोबा शहर भीषण जल संकट के जूझ रहा है. शेखूनगर मोहल्ले के रहवासी इन दिनों एक-एक बूंद पानी के लिए तरस &nbsp;है. यहां की करीब चार हजार आबादी की हर सुबह अब सूरज की रोशनी के लिए बल्कि पानी के लिए चिंतित होती है. बीते चार वर्षों से लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं, मगर न सरकार सुन रही है, न जिम्मेदार जाग रहे हैं. गर्मियों में यह संकट नासूर बन चुका है. तपती दोपहरी में महिलाएं सिर पर बाल्टी, डब्बा और ड्रम उठाकर एक-एक किलोमीटर दूर पानी भरने जाती हैं. कई बार खाली बर्तन लिए लौट आती हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बुजुर्गों की आंखों में अब उम्मीद नहीं, थकान झलकती है. बच्चों का बचपन पानी की लाइन में गुजर रहा है, स्कूल का बस्ता अब पानी के डिब्बे से बदल चुका है. शेखूनगर इलाका ऊंचाई पर बसा है, इसलिए यहां सप्लाई का पानी नहीं पहुंच पाता. पतली पाइपलाइन बीते तीन महीने से सूखी पड़ी है, हैंडपंप दम तोड़ चुके हैं. पानी के टैंकर आते हैं, लेकिन दो बाल्टी पाने को झगड़े और मारपीट तक हो जाती है. कई महिलाएं अब अपने दर्द को बुंदेली लोकगीतों में ढालकर गा रही हैं, शायद किसी संवेदना की कानों तक पहुंचे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>शिकायते करके थक चुके मोहल्लेवासी</strong><br />हर घर नल से जल योजना इस मोहल्ले में सिर्फ कागजों में है. मोहल्ले के लोग शिकायतें करके थक चुके हैं, लेकिन समाधान नहीं मिला. सभासद आनंद श्रीवास भी मानते हैं कि यहां पानी के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं है. पानी की समस्या से कई वर्षों से होने के बाद भी लोग इससे आज भी जूझ रहे है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अब शेखूनगर के लोग एक ही मांग कर रहे हैं कि कम से कम जीने भर को पानी तो दो. एक स्थायी टंकी बने, और जब तक वह नहीं बने, रोज पर्याप्त और साफ पानी के टैंकर भेजे जाएं. क्योंकि पानी अब सिर्फ जरूरत नहीं, एक जंग बन चुका है. जो टैंकर नगर पालिका भेजता है वो न केवल अपर्याप्त है बल्कि गंदा पानी भी आ रहा है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आखिर समाप्त होगी ग्रामीणों की समस्या</strong><br />बहरहाल, चार साल से लगातार पानी की समस्या झेल रहे शेखूनगर के लोग अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कोई आएगा, सुनेगा और इस पीड़ा का अंत करेगा. सवाल सिर्फ पानी का नहीं, जीवन और सम्मान से जीने के अधिकार का है. देखना ये है कि जिम्मेदार कब जागेंगे और कब ये सूखा मोहल्ला पानी की एक बूँद को तरसना छोड़ पाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-up-ganna-rate-2025-government-increased-remunerative-price-2935327″><strong>यूपी के गन्ना किसानों के लिए बड़ी खबर, सरकार ने लाभकारी मूल्य बढ़ाया, जानें- अब कितने रुपये क्विंटल?</strong></a></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Mahoba News:</strong> उत्तर प्रदेश का महोबा शहर भीषण जल संकट के जूझ रहा है. शेखूनगर मोहल्ले के रहवासी इन दिनों एक-एक बूंद पानी के लिए तरस &nbsp;है. यहां की करीब चार हजार आबादी की हर सुबह अब सूरज की रोशनी के लिए बल्कि पानी के लिए चिंतित होती है. बीते चार वर्षों से लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं, मगर न सरकार सुन रही है, न जिम्मेदार जाग रहे हैं. गर्मियों में यह संकट नासूर बन चुका है. तपती दोपहरी में महिलाएं सिर पर बाल्टी, डब्बा और ड्रम उठाकर एक-एक किलोमीटर दूर पानी भरने जाती हैं. कई बार खाली बर्तन लिए लौट आती हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बुजुर्गों की आंखों में अब उम्मीद नहीं, थकान झलकती है. बच्चों का बचपन पानी की लाइन में गुजर रहा है, स्कूल का बस्ता अब पानी के डिब्बे से बदल चुका है. शेखूनगर इलाका ऊंचाई पर बसा है, इसलिए यहां सप्लाई का पानी नहीं पहुंच पाता. पतली पाइपलाइन बीते तीन महीने से सूखी पड़ी है, हैंडपंप दम तोड़ चुके हैं. पानी के टैंकर आते हैं, लेकिन दो बाल्टी पाने को झगड़े और मारपीट तक हो जाती है. कई महिलाएं अब अपने दर्द को बुंदेली लोकगीतों में ढालकर गा रही हैं, शायद किसी संवेदना की कानों तक पहुंचे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>शिकायते करके थक चुके मोहल्लेवासी</strong><br />हर घर नल से जल योजना इस मोहल्ले में सिर्फ कागजों में है. मोहल्ले के लोग शिकायतें करके थक चुके हैं, लेकिन समाधान नहीं मिला. सभासद आनंद श्रीवास भी मानते हैं कि यहां पानी के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं है. पानी की समस्या से कई वर्षों से होने के बाद भी लोग इससे आज भी जूझ रहे है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अब शेखूनगर के लोग एक ही मांग कर रहे हैं कि कम से कम जीने भर को पानी तो दो. एक स्थायी टंकी बने, और जब तक वह नहीं बने, रोज पर्याप्त और साफ पानी के टैंकर भेजे जाएं. क्योंकि पानी अब सिर्फ जरूरत नहीं, एक जंग बन चुका है. जो टैंकर नगर पालिका भेजता है वो न केवल अपर्याप्त है बल्कि गंदा पानी भी आ रहा है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आखिर समाप्त होगी ग्रामीणों की समस्या</strong><br />बहरहाल, चार साल से लगातार पानी की समस्या झेल रहे शेखूनगर के लोग अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कोई आएगा, सुनेगा और इस पीड़ा का अंत करेगा. सवाल सिर्फ पानी का नहीं, जीवन और सम्मान से जीने के अधिकार का है. देखना ये है कि जिम्मेदार कब जागेंगे और कब ये सूखा मोहल्ला पानी की एक बूँद को तरसना छोड़ पाएगा.</p>
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