कोलकाता की घटना को लेकर डॉक्टरों में आक्रोश लगातार बढ़ रहा। शनिवार सुबह 6 बजे सीनियर डॉक्टरों समेत इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) से जुड़े चिकित्सकों के तमाम संगठन भी रेजिडेंट डॉक्टरों के समर्थन में 24 घंटे के लिए हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान सभी तरह की OPD और इलेक्टिव सर्जरी पूरी तरफ ठप रहेगी। सिर्फ इमरजेंसी और ट्रॉमा में भी मरीजों को इलाज मिल पाएगा। बड़ी बात ये हैं डॉक्टरों की स्ट्राइक का सबसे बड़ा असर मरीजों पर पड़ तय हैं। हड़ताल से हजारों की संख्या में मरीजों को बिना इलाज तड़पना पड़ेगा। वहीं, परिजनों को और परेशान होना पड़ेगा। शुक्रवार को डॉक्टरों के हड़ताल पर आया था डिप्टी सीएम का पहला बयान इससे पहले शुक्रवार को रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल पर डिप्टी सीएम स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने पहला बयान सामने आया। दैनिक भास्कर से बातचीत में ब्रजेश पाठक ने कहा था कि सरकार डॉक्टरों के साथ हैं। कोलकाता की घटना को लेकर सभी के मन में जबरदस्त आक्रोश हैं। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। हालांकि उन्होंने मरीजों को इलाज मिलने में कोई समस्या नही आने की बात भी कही थी। कोलकाता की घटना को लेकर डॉक्टरों में आक्रोश लगातार बढ़ रहा। शनिवार सुबह 6 बजे सीनियर डॉक्टरों समेत इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) से जुड़े चिकित्सकों के तमाम संगठन भी रेजिडेंट डॉक्टरों के समर्थन में 24 घंटे के लिए हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान सभी तरह की OPD और इलेक्टिव सर्जरी पूरी तरफ ठप रहेगी। सिर्फ इमरजेंसी और ट्रॉमा में भी मरीजों को इलाज मिल पाएगा। बड़ी बात ये हैं डॉक्टरों की स्ट्राइक का सबसे बड़ा असर मरीजों पर पड़ तय हैं। हड़ताल से हजारों की संख्या में मरीजों को बिना इलाज तड़पना पड़ेगा। वहीं, परिजनों को और परेशान होना पड़ेगा। शुक्रवार को डॉक्टरों के हड़ताल पर आया था डिप्टी सीएम का पहला बयान इससे पहले शुक्रवार को रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल पर डिप्टी सीएम स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने पहला बयान सामने आया। दैनिक भास्कर से बातचीत में ब्रजेश पाठक ने कहा था कि सरकार डॉक्टरों के साथ हैं। कोलकाता की घटना को लेकर सभी के मन में जबरदस्त आक्रोश हैं। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। हालांकि उन्होंने मरीजों को इलाज मिलने में कोई समस्या नही आने की बात भी कही थी। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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चुनावी दौरे छोड़ राहुल पहुंच रहे अपने मतदाताओं के बीच:रायबरेली के साथ अमेठी भी जा सकते हैं, सांसद किशोरी लाल होंगे साथ कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आज, मंगलवार को रायबरेली पहुंच रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद राहुल का अपने संसदीय क्षेत्र में तीसरा और यूपी का 5वां दौरा है। वह रायबरेली में शहीद चौक के उद्घाटन समेत कई अलग-अलग कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। अमेठी सांसद किशोरी लाल शर्मा भी साथ रहेंगे। महाराष्ट्र-झारखंड में विधानसभा चुनाव और वायनाड लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के बीच अचानक राहुल के यूपी दौरे को लेकर कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने दैनिक भास्कर को बताया, ‘राहुल गांधी को रायबरेली में अलग अलग कार्यक्रमों में शामिल होना है। वह जिला सतर्कता एवं निगरानी समिति की बैठक में हिस्सा लेंगे। इसके अलावा नगर पालिका द्वारा शहर के डिग्री कालेज चौराहे पर शहीद चौक का उद्घाटन करेंगे।’ ऐसा शायद पहली बार है जब देश के प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष दोनों यूपी से हैं। ऐसे में दोनों के बीच तुलना होना भी स्वाभाविक है। मोदी वाराणसी से चुनाव जीतने के बाद दो बार अपने संसदीय क्षेत्र आ चुके हैं। तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के नरेंद्र मोदी 18 जून को पहली बार वाराणसी पहुंचे थे। बाबतपुर हवाई अड्डे से काशी विश्वनाथ तक रोड शो किया था। वाराणसी में उन्होंने किसान सम्मेलन में हिस्सा लिया था। दूसरी बार वह 20 अक्तूबर को वाराणसी पहुंचे थे, जहां उन्होंने 6100 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का उद्घाटन किया था। पल-पल की अपडेट्स जानने के लिए नीचे ब्लॉग से गुजर जाइए…
हरियाणा में मायावती ने बढ़ाई BJP-कांग्रेस की टेंशन:35 सीटों पर खेल बिगाड़ सकते हैं दलित वोटर, इनेलो से गठबंधन कर जाटों को लुभाया
हरियाणा में मायावती ने बढ़ाई BJP-कांग्रेस की टेंशन:35 सीटों पर खेल बिगाड़ सकते हैं दलित वोटर, इनेलो से गठबंधन कर जाटों को लुभाया हरियाणा में बसपा सुप्रीमो मायावती बीजेपी और कांग्रेस दोनों की टेंशन बढ़ा सकती हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह बीएसपी का परंपरागत वोट बैंक है, जो चुनाव में खेल बना भी सकता है और बिगाड़ भी सकता है। मायावती हरियाणा पर इसलिए भी फोकस कर रही हैं, क्योंकि यहां 21 फीसदी दलित वोट बैंक है। यही वो वोट बैंक है, जो मायावती को हरियाणा में मजबूत दावेदार बनाता है। प्रदेश में दलित आबादी वंचित अनुसूचित जाति (DSCs) और अन्य अनुसूचित जाति (OSCs) के रूप में वर्गीकृत हैं। हालांकि बीएसपी को छोड़कर सभी राजनीतिक दल इन पर अपना हक जताते हैं, लेकिन पिछले 4 चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो राज्य में बीएसपी का वोट बैंक जरूर बढ़ा या घटा है। इसके अलावा विधानसभा की 17 सीटें आरक्षित हैं और राज्य की 35 सीटों पर दलित वोटरों का प्रभाव है। बीएसपी सुप्रीमो का टारगेट 17 और 35 सीटों पर है, जहां दलित वोटरों का प्रभाव है, ताकि हरियाणा में बीएसपी गेम चेंजर की भूमिका में रहे। हरियाणा में दलित वोट का महत्व
2011 की जनगणना के अनुसार, हरियाणा की आबादी में दलितों की हिस्सेदारी 20.2% है, जिसमें 17 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति (SC) उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में, एससी आबादी शहरी क्षेत्रों में 15.8% की तुलना में 22.5% अधिक है। मायावती कैसे बढ़ाएंगी बीजेपी और कांग्रेस की टेंशन? कांग्रेस के लिए ये खड़ी होंगी मुश्किलें
1. 2019 में इनमें से 21 सीटें भाजपा ने जीती थीं, 15 कांग्रेस ने और 8 जेजेपी ने जीती थीं। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस-आप गठबंधन ने 68% दलित वोट हासिल किए, जिससे उसे स्पष्ट बढ़त मिली। लेकिन अब जेजेपी-भीम आर्मी और BSP-INLD गठबंधन की नज़र उन्हीं मतदाताओं पर है, ऐसे में कांग्रेस के लिए मुश्किल काम होगा। 2. 2024 में दलितों के समर्थन से कांग्रेस सबसे बड़ी लाभार्थी बनकर उभरी, लेकिन मायावती और आजाद दोनों ही पार्टी की संभावनाओं को बिगाड़ने के लिए पर्याप्त वोट खींच सकते हैं, क्योंकि इस मुकाबले में कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है। BJP की टेंशन की ये है बड़ी वजह
1. 2024 के लोकसभा चुनावों में, भाजपा को अपने दलित वोटों में भारी गिरावट देखने को मिली, जो कांग्रेस की ओर चले गए। लगभग 68% दलित मतदाताओं ने I.N.D.I.A (कांग्रेस-आप) का समर्थन किया, जो 40% से अधिक की वृद्धि है। केवल 24 प्रतिशत दलितों ने भगवा पार्टी का समर्थन किया, जो 34% की गिरावट है। इस बदलाव के परिणामस्वरूप, भाजपा ने 10 संसदीय सीटों में से 5 खो दीं। कांग्रेस ने एससी-आरक्षित दोनों लोकसभा सीटें -अंबाला और सिरसा जीतीं। हालांकि, यह प्रभुत्व अब बीएसपी और भीम आर्मी से खतरे में पड़ सकता है, जिन्होंने अपनी किस्मत आज़माई है। 2. हरियाणा में बीजेपी को लगता है कि लोकसभा चुनाव में विपक्ष द्वारा उठाए गए संविधान के मुद्दे से दलित वोटरों में बीजेपी के प्रति एक प्रकार का भय है, जिसे दूर करने के लिए पार्टी जी तोड़ प्रयास कर रही है। हाल ही में हरियाणा दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषण में दलित आरक्षण का जिक्र किया, उन्होंने यहां तक दावा किया कि कांग्रेस यदि सत्ता में आती है तो वह आरक्षण को खत्म कर देगी। BSP का वोट 2 चुनावों में कैसे घटा
हालांकि बीएसपी का वोट शेयर हर चुनाव में घटता जा रहा है, पिछले 2 विधानसभा चुनावों के आंकड़ों को यदि हम देखें तो 2014 में उन्होंने 4.4% वोट शेयर लिया था, इस चुनाव में उन्होंने एक सीट पर जीत भी हासिल की थी। वहीं 2019 में .2% की वोट में गिरावट आई और वोट शेयर 4.2% वोट लेने में सफल रही। भले ही बसपा के वोट शेयर में गिरावट देखी गई हो, लेकिन सूबे के क्षेत्रीय दल जननायक जनता पार्टी (JJP) और इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) से ज्यादा है। ताबड़तोड़ 4 रैलियां करेंगी बसपा सुप्रीमों
बसपा सुप्रीमों मायावती हरियाणा में 4 रैलियां करेंगी। 25 सितंबर को वह जींद में अपनी पहली रैली करेंगी। इसके बाद फरीदाबाद, करनाल और 1 अक्टूबर को यमुनानगर में अपने चुनावी अभियान को विराम देंगी। मायावती को हरियाणा के साथ ही जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने स्टार प्रचारक बनाया है। उनके इस अभियान में उनके उत्तराधिकारी, भतीजे पार्टी के नेशनल कनवीनर आकाश आनंद भी हरियाणा पर फोकस करेंगे। वह प्रदेश में 18 सितंबर से नौ दिन चनाव अभियान चलाएंगे। हरियाणा में INLD के साथ लड़ रही चुनाव
हरियाणा में इस बार हो रहे विधानसभा चुनाव में बसपा, इंडियन नेशनल लोकदल के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है। प्रदेश की 90 सीटों पर 37 सीटों पर बसपा ने अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। इस गठबंधन की घोषणा जून में पार्टी के नेशनल कनवीनर आकाश आनंद ने नई दिल्ली में दोनों दलों की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में की थी।
UP: 7 साल 6 महीने की योगी सरकार में कितने एनकाउंटर? 17 पुलिसकर्मी शहीद, 27,117 आरोपी गिरफ्तार
UP: 7 साल 6 महीने की योगी सरकार में कितने एनकाउंटर? 17 पुलिसकर्मी शहीद, 27,117 आरोपी गिरफ्तार <p style=”text-align: justify;”><strong>Encounters In Uttar Pradesh:</strong> उत्तर प्रदेश में इन दिनों एनकाउंटर की जमकर चर्चा है. सियासत के गलियारे से लेकर जनता की सड़क तक एनकाउंटर्स पर चर्चा है. इस बीच तमाम मीडिया और सरकारी रिपोर्ट्स के आधार एक डेटा सामने आया है जिसमें बीते साढ़े सात साल के एनकाउंटर्स के आंकड़ों की जानकारी दी गई है. बता दें सितंबर महीन में ही यूपी में मंगेश यादव ,अनुज प्रताप सिंह और जाहिद उर्फ सोनू के एनकाउंटर ने सियासत का पारा हाई कर दिया है. विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>20 मार्च, 2017 से 5 सितंबर, 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार यूपी पुलिस ने 12,964 एनकाउंटर्स की जानकारी दर्ज की. इस दौरान 207 संदिग्ध आरोपियों की मौत हुई. वहीं 27,117 गिरफ्तार किए गए. इन मुठभेड़ों के दौरान 1,601 संदिग्ध आरोपी घायल हुए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हर 13वें दिन एक लिस्टेड संदिग्ध आरोपी ढेर</strong><br />आंकड़े के अनुसार योगी सरकार के दौरान औसतन हर 13वें दिन एक लिस्टेड संदिग्ध आरोपी मुठभेड़ में मारा गया. इन एनकाउंटर्स में 1,601 पुलिसकर्मी घायल हुए और 17 वीरगति को प्राप्त हुए. जिन संदिग्ध आरोपियों को मुठभेड़ में मारा गया इनमें से ज्यादातर संदिग्ध अपराधियों पर 75,000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का नकद इनाम था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यूपी पुलिस ने जिन संदिग्ध अपराधियों को मुठभेड़ में ढेर किया उसमें 4, 2.5 लाख रुपये, दो- 2 लाख, 6 आरोपी 1.5 रुपये और 27 1 लाख रुपये के इनामी थे. इसके साथ ही कई ऐसे अन्य संदिग्ध आरोपी भी थे जिन पर 75000 रुपये के इनाम भी थे. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>किस जाति के कितने लोग?</strong><br />संदिग्ध आरोपियों की जाति के बारे में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इन मुठभेड़ो में मुस्लिम- 67 ,ब्राह्मण- 20, ठाकुर- 18 ,यादव- 16 , दलित- 14,एसटी- 3 ,सिख- 2 ,अन्य ओबीसी समूह- 8 और अन्य जातियों और धर्म के कुल 59 लोग थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>योगी सरकार के मार्च 2017 से मार्च 2022 तक के कार्यकाल में कुल 158 संदिग्ध आरोपी मुठभेड़ में मारे गए. 31 मार्च 2017 से 24 मार्च 2022 के बीच योगी सरकार के पहले पांच सालों में हर दो महीने में करीब पांच संदिग्ध अपराधियों को मार गिराया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/bjp-mla-amit-aggarwal-hits-back-at-dimple-yadav-said-only-yadav-makes-mawa-ann-2790234″><strong>Tirupati Prasad: ‘यादव वंश ही बनाता है खोया’, डिंपल यादव के आरोपों पर BJP विधायक अमित अग्रवाल का पलटवार</strong></a></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2022 से अभी तक कितनी मुठभेड़?</strong><br />योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल मार्च 2022 से सितंबर 2024 तक मुठभेड़ में 49 संदिग्ध आरोपी मारे गए. 25 मार्च 2022 से 5 सितंबर 2020 के बीच हर दो महीने में करीब तीन संदिग्ध अपराधी मुठभेड़ में मारे गए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>साल दर साल मुठभेड़ों की बात करें तो साल 2017- 28 ,साल 2018- 41 ,साल 2019- 34 ,साल 2020- 26 ,साल 2021- 26 ,साल 2022- 14 ,साल 2023- 26 ,साल 2024 में 12 एनकाउंटर्स हुए.</p>