यूपी के 100 टोल पर 750 करोड़ का घोटाला:सॉफ्टेवयर बनाकर एक टोल से रोज 40-50 हजार कमाए; NHAI ने 3 दिन में रिकॉर्ड मांगा

यूपी के 100 टोल पर 750 करोड़ का घोटाला:सॉफ्टेवयर बनाकर एक टोल से रोज 40-50 हजार कमाए; NHAI ने 3 दिन में रिकॉर्ड मांगा

यूपी समेत देशभर के टोल प्लाजा पर काफी बड़ा घोटाला हुआ है। अतरैला टोल प्लाजा पर सिर्फ एक नेक्सस का खुलासा हुआ है। स्पेशल टास्क फोर्स (STF) अफसरों का मानना है कि यूपी के सभी टोल प्लाजा पर इस तरह के सॉफ्टवेयर से घोटाला किया गया। 5 साल में यह रकम करीब 750 करोड़ तक हो सकती है। दरअसल, यूपी में 100 टोल प्लाजा हैं। गैंग ने रोज हर टोल पर 40 से 50 हजार रुपए कमाए हैं। बुधवार सुबह 3.50 बजे मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा पर एसटीएफ की कार्रवाई के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) से लेकर प्रदेश भर के टोल प्लाजा पर हड़कंप मचा है। आरोपियों ने टोल प्लाजा पर लगे NHAI के कंप्यूटर में अपना सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर रखा था। अब NHAI पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि उसके कितने टोल प्लाजा पर ऐसे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हाे रहा है। NHAI के रीजनल ऑफिसर संजीव कुमार शर्मा ने जांच के आदेश दिए हैं। 3 दिन के अंदर रिपोर्ट मांगी है। दैनिक भास्कर ने इस घोटाले का खुलासा करने वाले STF अफसर और NHAI के अफसरों से बात की। STF अफसरों का कहना है फास्टैग (Fastag) नहीं लगाने पर डबल चार्ज शुरू होने के साथ ही यह घोटाला भी शुरू हो गया था। अभी जो गिरोह पकड़ा गया, वह 2 साल से घोटाला कर रहा था। STF अफसरों का मानना है कि यूपी के सभी टोल प्लाजा पर इस तरह की गड़बड़ी की गई। अब समझिए कैसे 750 करोड़ का घोटाला निकल सकता है?
NHAI के एडिशनल एसपी विनोद कुमार सिंह के मुताबिक, एक टोल प्लाजा पर 40 से 50 हजार रुपए का घोटाला किया गया। यूपी पूर्व और पश्चिम में कुल 100 टोल प्लाजा हैं। अफसरों का मानना है कि फास्टैग नहीं होने, रिचार्ज नहीं होने और ब्लैकलिस्ट होने पर डबल चार्ज जबसे लगा है, तभी से यह घोटाला हो रहा है। इसके तहत रकम वेंडर को NHAI को देनी होती है। यह नियम 5 साल पहले आया था। इस तरह देखा जाए तो हर दिन 100 टोल प्लाजा पर 40 से 50 लाख रुपए का घोटाला हुआ। यानी एक महीने में 12 से 15 करोड़ रुपए। एक साल में यह आंकड़ा 150 से 180 करोड़ का होता है। इस तरह 5 साल में यह आंकड़ा साढ़े 7 सौ करोड़ का है। आम लोगों पर असर नहीं, NHAI का नुकसान
इस घोटाले की खास बात यह है कि इसका आम लोगों पर कोई असर नहीं है। क्योंकि टोल प्लाजा क्रॉस करने वाले को पता है कि उसे कितना भुगतान करना है। अगर फास्टैग नहीं है, तो कितना पैसा देना है? यह खेल वह वेंडर कर रहा है, जिसने टेंडर में बिड जीती है। कस्टमर से तो पैसा लिया ही जा रहा, लेकिन NHAI को नहीं पहुंच रहा है। टोल प्लाजा पर ऐसे होती है टैक्स की वसूली देशभर में NHAI के टोल प्लाजा पर टैक्स की वसूली दो तरह से होती है। 1- फास्टैग से: फास्टैग लगे वाहनों को टोल पर लगा सेंसर कैच कर लेता है और अकाउंट से पैसे कट जाते हैं। 2- कैश काउंटर: जिन वाहनों पर फास्टैग नहीं लगा होता है या जो किसी तरह की छूट प्राप्त होते हैं, उनके लिए टोल प्लाजा पर अलग काउंटर होता है। वहां टैक्स का पैसा कैश वसूला जाता है। इसके बदले स्लिप दी जाती है। इस तरह कर रहे थे धांधली
आरोपी कैश काउंटर से वसूली में ही धांधली करते थे। टोल प्लाजा से बिना फास्टैग वाले वाहनों से टैक्स आरोपियों के बनाए सॉफ्टवेयर से वसूला जाता था। उसकी भी प्रिंट पर्ची NHAI के सॉफ्टवेयर के मिलने वाली पर्ची के जैसी ही होती थी। इस तरह की गई अवैध वसूली के वाहन को टैक्स छूट वाली कैटेगरी में दिखाकर जाने दिया जाता था। बिना फास्टैग वाले वाहनों से लिए गए टोल टैक्स की औसतन 5% धनराशि NHAI के असली सॉफ्टवेयर से वसूली जाती है, जिससे किसी को शक न हो। यानी बिना फास्टैग वाले वाहनों से लिया गया टैक्स सरकारी खाते में नहीं जा रहा है। नियमानुसार बिना फास्टैग वाले वाहनों से वसूले जाने वाले टोल टैक्स का 50% NHAI के खाते में जमा करना होता है। इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम है फास्टैग
फास्टैग एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम है। रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) टेक्नोलॉजी पर फास्टैग काम करता है। हर फास्टैग गाड़ी की रजिस्ट्रेशन डिटेल के साथ जुड़ा होता है। फास्टैग के आने से पहले टोल प्लाजा पर रुककर टोल फीस कैश में देनी पड़ती थी। क्या हो सकती है कार्रवाई?
NHAI के एक अफसर ने बताया कि कोई भी टोल प्लाजा वेंडर गलती करता है या शर्तों का उल्लंघन करता है, तो उसका एग्रीमेंट निरस्त कर दिया जाता है। उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया जाता है। सिक्योरिटी भी जब्त कर ली जाती है। अगर कोई टोल प्लाजा निर्धारित रकम से अधिक वसूल रहा है, शिकायत मिलने और सही पाए जाने पर उस पर एक लाख रुपए का जुर्माना होता है। एसटीएफ भी NHAI को देगी रिपोर्ट
एसटीएफ इस खुलासे के बाद इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रही है। रिपोर्ट NHAI के अधिकारियों के साथ साझा की जाएगी। वहीं एसटीएफ के सूत्रों का कहना है कि इसमें टोल कर्मियों के साथ हर टोल प्लाजा पर तैनात NHAI के नोडल अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। ये है मामला…
यूपी STF ने NHAI के टोल प्लाजा पर टैक्स वसूली में घोटाला उजागर किया है। STF टीम ने मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा पर छापेमारी कर 3 लोगों को पकड़ा। इनकी पहचान जौनपुर के आलोक कुमार सिंह, प्रयागराज के राजीव कुमार मिश्र और मध्यप्रदेश के मझौली के रहने वाले मनीष मिश्रा के रूप में हुई। आरोपियों ने टोल प्लाजा पर लगे NHAI के कंप्यूटर में अपना सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर रखा था। इसके जरिए टोल प्लाजा से बिना फास्टैग (Fastag) के गुजरने वाले वाहनों को फ्री दिखाकर उनसे वसूला गया पैसा पर्सनल अकाउंट में ले रहे थे। ————————- यह खबर भी पढ़ें… यूपी-राजस्थान समेत 12 राज्यों के 200 टोल पर घोटाला, बिना फास्टैग की गाड़ियां फ्री कैटेगरी में दिखाईं, सॉफ्टवेयर बदलकर पैसा पर्सनल अकाउंट में लिया यूपी STF ने NHAI के टोल प्लाजा पर टैक्स वसूली में हो रहा घोटाला उजागर किया है। STF की टीम ने बुधवार सुबह 3.50 बजे मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा पर छापेमारी कर 3 लोगों को पकड़ा। आरोपियों ने टोल प्लाजा पर लगे NHAI के कंप्यूटर में अपना सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर रखा था। यहां पढ़ें पूरी खबर यूपी समेत देशभर के टोल प्लाजा पर काफी बड़ा घोटाला हुआ है। अतरैला टोल प्लाजा पर सिर्फ एक नेक्सस का खुलासा हुआ है। स्पेशल टास्क फोर्स (STF) अफसरों का मानना है कि यूपी के सभी टोल प्लाजा पर इस तरह के सॉफ्टवेयर से घोटाला किया गया। 5 साल में यह रकम करीब 750 करोड़ तक हो सकती है। दरअसल, यूपी में 100 टोल प्लाजा हैं। गैंग ने रोज हर टोल पर 40 से 50 हजार रुपए कमाए हैं। बुधवार सुबह 3.50 बजे मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा पर एसटीएफ की कार्रवाई के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) से लेकर प्रदेश भर के टोल प्लाजा पर हड़कंप मचा है। आरोपियों ने टोल प्लाजा पर लगे NHAI के कंप्यूटर में अपना सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर रखा था। अब NHAI पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि उसके कितने टोल प्लाजा पर ऐसे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हाे रहा है। NHAI के रीजनल ऑफिसर संजीव कुमार शर्मा ने जांच के आदेश दिए हैं। 3 दिन के अंदर रिपोर्ट मांगी है। दैनिक भास्कर ने इस घोटाले का खुलासा करने वाले STF अफसर और NHAI के अफसरों से बात की। STF अफसरों का कहना है फास्टैग (Fastag) नहीं लगाने पर डबल चार्ज शुरू होने के साथ ही यह घोटाला भी शुरू हो गया था। अभी जो गिरोह पकड़ा गया, वह 2 साल से घोटाला कर रहा था। STF अफसरों का मानना है कि यूपी के सभी टोल प्लाजा पर इस तरह की गड़बड़ी की गई। अब समझिए कैसे 750 करोड़ का घोटाला निकल सकता है?
NHAI के एडिशनल एसपी विनोद कुमार सिंह के मुताबिक, एक टोल प्लाजा पर 40 से 50 हजार रुपए का घोटाला किया गया। यूपी पूर्व और पश्चिम में कुल 100 टोल प्लाजा हैं। अफसरों का मानना है कि फास्टैग नहीं होने, रिचार्ज नहीं होने और ब्लैकलिस्ट होने पर डबल चार्ज जबसे लगा है, तभी से यह घोटाला हो रहा है। इसके तहत रकम वेंडर को NHAI को देनी होती है। यह नियम 5 साल पहले आया था। इस तरह देखा जाए तो हर दिन 100 टोल प्लाजा पर 40 से 50 लाख रुपए का घोटाला हुआ। यानी एक महीने में 12 से 15 करोड़ रुपए। एक साल में यह आंकड़ा 150 से 180 करोड़ का होता है। इस तरह 5 साल में यह आंकड़ा साढ़े 7 सौ करोड़ का है। आम लोगों पर असर नहीं, NHAI का नुकसान
इस घोटाले की खास बात यह है कि इसका आम लोगों पर कोई असर नहीं है। क्योंकि टोल प्लाजा क्रॉस करने वाले को पता है कि उसे कितना भुगतान करना है। अगर फास्टैग नहीं है, तो कितना पैसा देना है? यह खेल वह वेंडर कर रहा है, जिसने टेंडर में बिड जीती है। कस्टमर से तो पैसा लिया ही जा रहा, लेकिन NHAI को नहीं पहुंच रहा है। टोल प्लाजा पर ऐसे होती है टैक्स की वसूली देशभर में NHAI के टोल प्लाजा पर टैक्स की वसूली दो तरह से होती है। 1- फास्टैग से: फास्टैग लगे वाहनों को टोल पर लगा सेंसर कैच कर लेता है और अकाउंट से पैसे कट जाते हैं। 2- कैश काउंटर: जिन वाहनों पर फास्टैग नहीं लगा होता है या जो किसी तरह की छूट प्राप्त होते हैं, उनके लिए टोल प्लाजा पर अलग काउंटर होता है। वहां टैक्स का पैसा कैश वसूला जाता है। इसके बदले स्लिप दी जाती है। इस तरह कर रहे थे धांधली
आरोपी कैश काउंटर से वसूली में ही धांधली करते थे। टोल प्लाजा से बिना फास्टैग वाले वाहनों से टैक्स आरोपियों के बनाए सॉफ्टवेयर से वसूला जाता था। उसकी भी प्रिंट पर्ची NHAI के सॉफ्टवेयर के मिलने वाली पर्ची के जैसी ही होती थी। इस तरह की गई अवैध वसूली के वाहन को टैक्स छूट वाली कैटेगरी में दिखाकर जाने दिया जाता था। बिना फास्टैग वाले वाहनों से लिए गए टोल टैक्स की औसतन 5% धनराशि NHAI के असली सॉफ्टवेयर से वसूली जाती है, जिससे किसी को शक न हो। यानी बिना फास्टैग वाले वाहनों से लिया गया टैक्स सरकारी खाते में नहीं जा रहा है। नियमानुसार बिना फास्टैग वाले वाहनों से वसूले जाने वाले टोल टैक्स का 50% NHAI के खाते में जमा करना होता है। इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम है फास्टैग
फास्टैग एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम है। रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) टेक्नोलॉजी पर फास्टैग काम करता है। हर फास्टैग गाड़ी की रजिस्ट्रेशन डिटेल के साथ जुड़ा होता है। फास्टैग के आने से पहले टोल प्लाजा पर रुककर टोल फीस कैश में देनी पड़ती थी। क्या हो सकती है कार्रवाई?
NHAI के एक अफसर ने बताया कि कोई भी टोल प्लाजा वेंडर गलती करता है या शर्तों का उल्लंघन करता है, तो उसका एग्रीमेंट निरस्त कर दिया जाता है। उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया जाता है। सिक्योरिटी भी जब्त कर ली जाती है। अगर कोई टोल प्लाजा निर्धारित रकम से अधिक वसूल रहा है, शिकायत मिलने और सही पाए जाने पर उस पर एक लाख रुपए का जुर्माना होता है। एसटीएफ भी NHAI को देगी रिपोर्ट
एसटीएफ इस खुलासे के बाद इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रही है। रिपोर्ट NHAI के अधिकारियों के साथ साझा की जाएगी। वहीं एसटीएफ के सूत्रों का कहना है कि इसमें टोल कर्मियों के साथ हर टोल प्लाजा पर तैनात NHAI के नोडल अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। ये है मामला…
यूपी STF ने NHAI के टोल प्लाजा पर टैक्स वसूली में घोटाला उजागर किया है। STF टीम ने मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा पर छापेमारी कर 3 लोगों को पकड़ा। इनकी पहचान जौनपुर के आलोक कुमार सिंह, प्रयागराज के राजीव कुमार मिश्र और मध्यप्रदेश के मझौली के रहने वाले मनीष मिश्रा के रूप में हुई। आरोपियों ने टोल प्लाजा पर लगे NHAI के कंप्यूटर में अपना सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर रखा था। इसके जरिए टोल प्लाजा से बिना फास्टैग (Fastag) के गुजरने वाले वाहनों को फ्री दिखाकर उनसे वसूला गया पैसा पर्सनल अकाउंट में ले रहे थे। ————————- यह खबर भी पढ़ें… यूपी-राजस्थान समेत 12 राज्यों के 200 टोल पर घोटाला, बिना फास्टैग की गाड़ियां फ्री कैटेगरी में दिखाईं, सॉफ्टवेयर बदलकर पैसा पर्सनल अकाउंट में लिया यूपी STF ने NHAI के टोल प्लाजा पर टैक्स वसूली में हो रहा घोटाला उजागर किया है। STF की टीम ने बुधवार सुबह 3.50 बजे मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा पर छापेमारी कर 3 लोगों को पकड़ा। आरोपियों ने टोल प्लाजा पर लगे NHAI के कंप्यूटर में अपना सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर रखा था। यहां पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर