यूपी-बिहार बॉर्डर पर शराब तस्करी में नौकरी से ज्यादा पैसा:गंगा-घाघरा के किनारे स्टार्टअप बना शराब तस्करी, सरकार की कमाई 8 गुना बढ़ी

यूपी-बिहार बॉर्डर पर शराब तस्करी में नौकरी से ज्यादा पैसा:गंगा-घाघरा के किनारे स्टार्टअप बना शराब तस्करी, सरकार की कमाई 8 गुना बढ़ी

मैं 16 साल की उम्र से शराब तस्करी कर रहा हूं। इस धंधे में हमने कई लोगों को खड़ा किया। कुछ लोग तो जेल में हैं, लेकिन हम कभी जेल नहीं गए। जब से शराबबंदी हुई है, हमने खूब पैसा कमाया। ये कहना है 22 साल के शराब तस्कर सनी साहनी का। उसने आगे कहा- यूपी-बिहार बॉर्डर पर शराब की तस्करी ने हम जैसे बेरोजगारों को कमाई का जरिया दिया। रोजाना 50 पेटी शराब बिहार बॉर्डर तक पहुंचाता हूं। एक पेटी पर 1 हजार तक कमाई है। रोजाना 35 से 50 हजार रुपए इनकम हो जाती है, यानी महीने की 10 से 15 लाख रुपए। सिर्फ सनी साहनी ही नहीं, यूपी-बिहार बॉर्डर से लगे 7 जिलों के युवा तस्करों की यही कहानी है। वह अब नौकरी नहीं करना चाहते, क्योंकि कॉर्पोरेट नौकरी से भी ज्यादा कमाई होने लगी है। बिहार में शराबबंदी के बाद से कैसे बॉर्डर पर बसे यूपी के गांव की इकोनॉमी बदल रही है, इसकी इन्वेस्टिगेशन के लिए हम बलिया और बिहार बॉर्डर पर पहुंचे। 10 हजार से ज्यादा युवाओं ने शराब तस्करी को धंधा बनाया
यूपी से बिहार की लगभग 483 किमी की सीमा लगती है। बॉर्डर पर दोनों तरफ 1200 से ज्यादा गांव हैं। अकेले यूपी के साढ़े पांच सौ गांव हैं। तस्करों और जानकारों से बातचीत में एक बात निकलकर आई कि हर गांव से 5 से लेकर 15 युवा इसमें शामिल हैं। इस तरह सभी गांवों को मिलाकर शराब तस्करी में शामिल युवाओं की संख्या 10 हजार से ज्यादा है। सिर्फ बलिया पुलिस ने ही जनवरी 2024 से लेकर 15 दिसंबर 2024 तक 1266 शराब तस्कर गिरफ्तार किए। इनमें 30 साल से कम उम्र वालों की संख्या ज्यादा है। यूपी के 7 जिलों से एक हजार करोड़ की शराब तस्करी
यूपी में सरकारी दुकान पर एक पव्वा वाली टेट्रा पैक पेटी (48 पीस) 5760 रुपए की आती है। यूपी के तस्कर यह एक पेटी घाट तक 6760 रुपए में पहुंचाते हैं। इस तरह से एक पेटी पर यूपी का तस्कर एक हजार रुपए कमाता है। इस धंधे में लिप्त लोगों का कहना है कि हर साल बलिया समेत बिहार बॉर्डर वाले 7 जिलों से करीब एक हजार करोड़ से ज्यादा की शराब तस्करी होती है। इनमें से अकेले बलिया से यह अवैध कारोबार 300 करोड़ का है। इस धंधे में शामिल दोनों तरफ के तस्कर हर साल 1 हजार करोड़ रुपए कमा रहे हैं, क्योंकि इस शराब की कीमत बिहार पहुंचकर दो गुना से ज्यादा हो जाती है। कमाई का बड़ा हिस्सा बिहार के तस्करों का भी रहता है। तस्कर ने किया कमाई का खुलासा, 22 की उम्र में लाखों कमाई
तस्कर सनी साहनी ने बातचीत में अपनी कमाई का खुलासा किया। उसने बताया इस धंधे में उतरने के बाद कमाई कैसे होती है। सनी की उम्र सिर्फ 22 साल है। अब पढ़िए सनी से बातचीत… रिपोर्टर: कितने साल से शराब तस्करी कर रहे हो?
सनी साहनी: बहुत पहले से कर रहे हैं। 16 साल के थे, तभी स्टार्ट किए थे। शुरुआत में हम लोग माल बिकवाते थे। एक ट्रक माल तक बिकवा देते थे। रिपोर्टर: कभी जेल-वेल भी जाना पड़ा?
सनी साहनी: हम कभी पकड़े नहीं गए। एक बार माल पिकअप से पकड़ा गया, हम नहीं थे। दूसरा मनीष नाम का लड़का था। रिपोर्टर: कितनी कमाई हो सकती है?
सनी साहनी: दो साल धंधा चल जाए तो इतना पैसा हो जाएगा, क्या बताएं आपसे। रिपोर्टर: साल में 10-20 लाख तो कमाए ही होगे?
सनी साहनी: महीने का इतना कमाते हैं। बहुत पैसा बनाए हैं। जब से शराबबंदी हुई, खूब पैसा कमाए, दोस्तों को भी दिए हैं। खूब उड़ाए भी हैं। रिपोर्टर: गांव में तुम अकेले हो या और भी लोग शराब तस्करी से जुड़े हैं?
सनी साहनी: गांव में तीन लोग करते हैं। हम हैं, एक अशोक है… एक और है। रिपोर्टर: यह गलत काम है? क्या परिवार वाले रोकते नहीं हैं?
तस्कर: (हंसते हुए)… परिवार वाले भी सभी करते हैं। रिपोर्टर: क्या रेट माल लोगे?
तस्कर: हम माल बिकवाएंगे। नाव पर माल का 6000 मिल जाएगा। वैसे गोदाम पर माल का 5000- 5200 मिल जाएगा। ज्यादा माल हुआ तो 5000 का मिल जाएगा, पेटी पर एक हजार की बचत हो जाएगी। हमने बलिया की एक बीयर शॉप के सेल्समैन से बिहार के शराब तस्कर बनकर बात की। सेल्समैन से तस्करी को लेकर बातचीत की, फिर उसके पारिवारिक हालात जानें। रिपोर्टर: अभी तुम्हारी ज्यादा उम्र तो होगी नहीं, 20 साल के होगे?
सेल्समैन: नहीं 21वां चल रहा है, घर की जिम्मेदारी बहुत बढ़ गई थी। पिताजी किसान थे। उनकी तबीयत बहुत बिगड़ने लगी, तभी सब डिस्टर्ब हो गया। कुछ काम तो करना पड़ेगा भाई, घर कैसे चलेगा। रिपोर्टर: तुम अकेले हो?
सेल्समैन: नहीं तीन भाई हैं। एक नीचे दुकान में बैठा है। एक कंपनी में काम करता है। रिपोर्टर: कब से शराब तस्करी कर रहे हो?
सेल्समैन: हमको काम करते 4 साल हो गए। 3 साल से बलिया में कर रहे हैं। रिपोर्टर: सेटिंग वाले काम में कब से हो। शुरू में तो बड़ा अजीब भी लगा होगा, डर भी लगा होगा?
सेल्समैन: अजीब क्या, पहले बलिया में थे। पहले खाना बनाने, कपड़ा धोने, बर्तन धोने के रोज के सिर्फ 50 रुपए मिलते थे। आज 6 हजार रुपए सैलरी मिलती है। जीने के वास्ते कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा। हर महीने कमाई का हिसाब-किताब
इस काम में बड़े शराब माफियाओं को बड़ी संख्या में लेबर की जरूरत होती है। ऐसे में जो सीमा से सटे गांव में बेरोजगार युवा हैं, वह इस शराब तस्करी में रोजाना के काम से जुड़ जाते हैं। बड़े पैमाने पर तस्करी की वजह
इसकी दो वजह हैं, पहली- गरीबी और दूसरी- बेरोजगारी। बलिया के सीतलदवनी निवासी सीनियर वकील कैश सिंह के मुताबिक, बलिया का बांसडीह क्षेत्र 3 तरफ से नदियों से घिरा है। यहां पर यूपी और बिहार की सीमा लगती है। यहां की अधिकतर आबादी खेती पर निर्भर है। खेतों के जोत छोटे हैं। 5 बीघे का किसान फसल में कम से कम 10 से 20 हजार की कमाई कर पाता है। वहीं, मजदूरों की एक दिन की दिहाड़ी 400 से 500 रुपए तक है। कैश सिंह बताते हैं, साल 2016 में बिहार में शराब बंदी हुई थी। उस समय यहां मजदूरी आज की अपेक्षा आधी (200 से 300 रुपए प्रति दिन) थी। यहां का युवा वर्ग रोजगार न मिलने पर शहरों का रुख करता था। शराब बंदी होने के बाद बेरोजगारी की मार से जूझ रहा युवा, यूपी-बिहार बॉर्डर पर होने के कारण शराब तस्करी में लिप्त हो गया। इस वजह से उसकी अच्छी इनकम होने लगी। इस बात की तस्दीक बलिया के बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष निर्भय नारायण सिंह भी करते हैं। वह कहते हैं, उनके क्षेत्र में युवाओं का शराब तस्करी के कारोबार से जुड़ने का मुख्य कारण सुरक्षित रोजगार का न मिल पाना है। वहीं, स्टार्टअप के लिए युवाओं को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। युवा वर्ग साल 2016 से पहले रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करता था, आज भी पलायन का दौर जारी है। पुलिस-माननीयों की शह पर हो रही शराब तस्करी
बलिया और बिहार बॉर्डर के सीनियर जर्नलिस्ट मनोरंजन सिंह कहते हैं- बैरिया शराब तस्करी का हब इसलिए बन गया है, क्योंकि यहां दो नदियों का संगम है। इस इलाके में घाघरा और गंगा का संगम है। मांझी में संगम होता है। गंगा के किनारे आरा बक्सर और सरयू के किनारे छपरा सीवान जिला लग जाता है। यहां बड़े पैमाने पर तस्करी होती है। इस पूरे नेक्सस में नेताओं और पुलिस की मिलीभगत रहती है। बिना पुलिस और नेता के तस्कर बड़े पैमाने पर शराब बिहार नहीं भेज सकते। तस्करी के कारण बॉर्डर के जिलों में खपत 8 गुना
बलिया में सरकारी शराब की खपत लगातार बढ़ रही है। 8 साल में 8 गुना शराब की खपत बढ़ी है। बिहार में शराबबंदी (2016–17) के समय 139.60 करोड़ रुपए की शराब बिकी थी। वर्ष 2023-24 में 712.34 करोड़ की शराब बिकी। इस साल टारगेट 857.92 करोड़ रुपए का है। हमने बलिया में बढ़ती शराब की खपत को लेकर आबकारी अधिकारियों से भी बातचीत की। शराब तस्करी को लेकर कोई भी अफसर खुलकर बोलने को तैयार नहीं था। भास्कर इन्वेस्टिगेशन पार्ट- 1 भी पढ़िए… UP में नाव से शराब तस्करी, घाट से शराब लादते और उस पार बिहार में उतार लेते, 1 लाख में थाना सेट शाम का वक्त है, अंधेरा होने को है…। तेजी से एक स्कॉर्पियो आकर रुकती है। एक-एक कर 5 युवक उतरते हैं। वे गाड़ी से शराब की पेटियां निकाल कर घाघरा नदी में तैयार खड़ी नाव पर रख देते हैं। मुश्किल से 5 मिनट हुए होंगे…। जैसे ही आखिरी पेटी रखी, नाव बिहार की ओर चल पड़ी। यह तस्वीर -UP बॉर्डर के बलिया जिले के बैरिया क्षेत्र की है। पढ़ें पूरी खबर… —————————— —————————— यह खबर भी पढ़िए… महाकुंभ भगदड़ में 35 से 40 मौतें:यूपी सरकार बोली- 30 लोग मारे गए, 25 की शिनाख्त; 60 घायल प्रयागराज महाकुंभ में संगम तट मंगलवार और बुधवार की आधी रात को हुई भगदड़ में 35 से 40 लोग मारे गए हैं। हादसे के 17 घंटे बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने 30 लोगों की मौत की पुष्टि की। शाम 6.30 बजे मेला अधिकारी विजय किरण आनंद और DIG वैभव कृष्णा ने 3 मिनट की प्रेस कॉन्फ्रेंस की। DIG वैभव कृष्ण ने कहा- भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मौत हुई। 60 लोग घायल हैं। 25 शवों की पहचान कर ली गई है। पढ़ें पूरी खबर… मैं 16 साल की उम्र से शराब तस्करी कर रहा हूं। इस धंधे में हमने कई लोगों को खड़ा किया। कुछ लोग तो जेल में हैं, लेकिन हम कभी जेल नहीं गए। जब से शराबबंदी हुई है, हमने खूब पैसा कमाया। ये कहना है 22 साल के शराब तस्कर सनी साहनी का। उसने आगे कहा- यूपी-बिहार बॉर्डर पर शराब की तस्करी ने हम जैसे बेरोजगारों को कमाई का जरिया दिया। रोजाना 50 पेटी शराब बिहार बॉर्डर तक पहुंचाता हूं। एक पेटी पर 1 हजार तक कमाई है। रोजाना 35 से 50 हजार रुपए इनकम हो जाती है, यानी महीने की 10 से 15 लाख रुपए। सिर्फ सनी साहनी ही नहीं, यूपी-बिहार बॉर्डर से लगे 7 जिलों के युवा तस्करों की यही कहानी है। वह अब नौकरी नहीं करना चाहते, क्योंकि कॉर्पोरेट नौकरी से भी ज्यादा कमाई होने लगी है। बिहार में शराबबंदी के बाद से कैसे बॉर्डर पर बसे यूपी के गांव की इकोनॉमी बदल रही है, इसकी इन्वेस्टिगेशन के लिए हम बलिया और बिहार बॉर्डर पर पहुंचे। 10 हजार से ज्यादा युवाओं ने शराब तस्करी को धंधा बनाया
यूपी से बिहार की लगभग 483 किमी की सीमा लगती है। बॉर्डर पर दोनों तरफ 1200 से ज्यादा गांव हैं। अकेले यूपी के साढ़े पांच सौ गांव हैं। तस्करों और जानकारों से बातचीत में एक बात निकलकर आई कि हर गांव से 5 से लेकर 15 युवा इसमें शामिल हैं। इस तरह सभी गांवों को मिलाकर शराब तस्करी में शामिल युवाओं की संख्या 10 हजार से ज्यादा है। सिर्फ बलिया पुलिस ने ही जनवरी 2024 से लेकर 15 दिसंबर 2024 तक 1266 शराब तस्कर गिरफ्तार किए। इनमें 30 साल से कम उम्र वालों की संख्या ज्यादा है। यूपी के 7 जिलों से एक हजार करोड़ की शराब तस्करी
यूपी में सरकारी दुकान पर एक पव्वा वाली टेट्रा पैक पेटी (48 पीस) 5760 रुपए की आती है। यूपी के तस्कर यह एक पेटी घाट तक 6760 रुपए में पहुंचाते हैं। इस तरह से एक पेटी पर यूपी का तस्कर एक हजार रुपए कमाता है। इस धंधे में लिप्त लोगों का कहना है कि हर साल बलिया समेत बिहार बॉर्डर वाले 7 जिलों से करीब एक हजार करोड़ से ज्यादा की शराब तस्करी होती है। इनमें से अकेले बलिया से यह अवैध कारोबार 300 करोड़ का है। इस धंधे में शामिल दोनों तरफ के तस्कर हर साल 1 हजार करोड़ रुपए कमा रहे हैं, क्योंकि इस शराब की कीमत बिहार पहुंचकर दो गुना से ज्यादा हो जाती है। कमाई का बड़ा हिस्सा बिहार के तस्करों का भी रहता है। तस्कर ने किया कमाई का खुलासा, 22 की उम्र में लाखों कमाई
तस्कर सनी साहनी ने बातचीत में अपनी कमाई का खुलासा किया। उसने बताया इस धंधे में उतरने के बाद कमाई कैसे होती है। सनी की उम्र सिर्फ 22 साल है। अब पढ़िए सनी से बातचीत… रिपोर्टर: कितने साल से शराब तस्करी कर रहे हो?
सनी साहनी: बहुत पहले से कर रहे हैं। 16 साल के थे, तभी स्टार्ट किए थे। शुरुआत में हम लोग माल बिकवाते थे। एक ट्रक माल तक बिकवा देते थे। रिपोर्टर: कभी जेल-वेल भी जाना पड़ा?
सनी साहनी: हम कभी पकड़े नहीं गए। एक बार माल पिकअप से पकड़ा गया, हम नहीं थे। दूसरा मनीष नाम का लड़का था। रिपोर्टर: कितनी कमाई हो सकती है?
सनी साहनी: दो साल धंधा चल जाए तो इतना पैसा हो जाएगा, क्या बताएं आपसे। रिपोर्टर: साल में 10-20 लाख तो कमाए ही होगे?
सनी साहनी: महीने का इतना कमाते हैं। बहुत पैसा बनाए हैं। जब से शराबबंदी हुई, खूब पैसा कमाए, दोस्तों को भी दिए हैं। खूब उड़ाए भी हैं। रिपोर्टर: गांव में तुम अकेले हो या और भी लोग शराब तस्करी से जुड़े हैं?
सनी साहनी: गांव में तीन लोग करते हैं। हम हैं, एक अशोक है… एक और है। रिपोर्टर: यह गलत काम है? क्या परिवार वाले रोकते नहीं हैं?
तस्कर: (हंसते हुए)… परिवार वाले भी सभी करते हैं। रिपोर्टर: क्या रेट माल लोगे?
तस्कर: हम माल बिकवाएंगे। नाव पर माल का 6000 मिल जाएगा। वैसे गोदाम पर माल का 5000- 5200 मिल जाएगा। ज्यादा माल हुआ तो 5000 का मिल जाएगा, पेटी पर एक हजार की बचत हो जाएगी। हमने बलिया की एक बीयर शॉप के सेल्समैन से बिहार के शराब तस्कर बनकर बात की। सेल्समैन से तस्करी को लेकर बातचीत की, फिर उसके पारिवारिक हालात जानें। रिपोर्टर: अभी तुम्हारी ज्यादा उम्र तो होगी नहीं, 20 साल के होगे?
सेल्समैन: नहीं 21वां चल रहा है, घर की जिम्मेदारी बहुत बढ़ गई थी। पिताजी किसान थे। उनकी तबीयत बहुत बिगड़ने लगी, तभी सब डिस्टर्ब हो गया। कुछ काम तो करना पड़ेगा भाई, घर कैसे चलेगा। रिपोर्टर: तुम अकेले हो?
सेल्समैन: नहीं तीन भाई हैं। एक नीचे दुकान में बैठा है। एक कंपनी में काम करता है। रिपोर्टर: कब से शराब तस्करी कर रहे हो?
सेल्समैन: हमको काम करते 4 साल हो गए। 3 साल से बलिया में कर रहे हैं। रिपोर्टर: सेटिंग वाले काम में कब से हो। शुरू में तो बड़ा अजीब भी लगा होगा, डर भी लगा होगा?
सेल्समैन: अजीब क्या, पहले बलिया में थे। पहले खाना बनाने, कपड़ा धोने, बर्तन धोने के रोज के सिर्फ 50 रुपए मिलते थे। आज 6 हजार रुपए सैलरी मिलती है। जीने के वास्ते कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा। हर महीने कमाई का हिसाब-किताब
इस काम में बड़े शराब माफियाओं को बड़ी संख्या में लेबर की जरूरत होती है। ऐसे में जो सीमा से सटे गांव में बेरोजगार युवा हैं, वह इस शराब तस्करी में रोजाना के काम से जुड़ जाते हैं। बड़े पैमाने पर तस्करी की वजह
इसकी दो वजह हैं, पहली- गरीबी और दूसरी- बेरोजगारी। बलिया के सीतलदवनी निवासी सीनियर वकील कैश सिंह के मुताबिक, बलिया का बांसडीह क्षेत्र 3 तरफ से नदियों से घिरा है। यहां पर यूपी और बिहार की सीमा लगती है। यहां की अधिकतर आबादी खेती पर निर्भर है। खेतों के जोत छोटे हैं। 5 बीघे का किसान फसल में कम से कम 10 से 20 हजार की कमाई कर पाता है। वहीं, मजदूरों की एक दिन की दिहाड़ी 400 से 500 रुपए तक है। कैश सिंह बताते हैं, साल 2016 में बिहार में शराब बंदी हुई थी। उस समय यहां मजदूरी आज की अपेक्षा आधी (200 से 300 रुपए प्रति दिन) थी। यहां का युवा वर्ग रोजगार न मिलने पर शहरों का रुख करता था। शराब बंदी होने के बाद बेरोजगारी की मार से जूझ रहा युवा, यूपी-बिहार बॉर्डर पर होने के कारण शराब तस्करी में लिप्त हो गया। इस वजह से उसकी अच्छी इनकम होने लगी। इस बात की तस्दीक बलिया के बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष निर्भय नारायण सिंह भी करते हैं। वह कहते हैं, उनके क्षेत्र में युवाओं का शराब तस्करी के कारोबार से जुड़ने का मुख्य कारण सुरक्षित रोजगार का न मिल पाना है। वहीं, स्टार्टअप के लिए युवाओं को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। युवा वर्ग साल 2016 से पहले रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करता था, आज भी पलायन का दौर जारी है। पुलिस-माननीयों की शह पर हो रही शराब तस्करी
बलिया और बिहार बॉर्डर के सीनियर जर्नलिस्ट मनोरंजन सिंह कहते हैं- बैरिया शराब तस्करी का हब इसलिए बन गया है, क्योंकि यहां दो नदियों का संगम है। इस इलाके में घाघरा और गंगा का संगम है। मांझी में संगम होता है। गंगा के किनारे आरा बक्सर और सरयू के किनारे छपरा सीवान जिला लग जाता है। यहां बड़े पैमाने पर तस्करी होती है। इस पूरे नेक्सस में नेताओं और पुलिस की मिलीभगत रहती है। बिना पुलिस और नेता के तस्कर बड़े पैमाने पर शराब बिहार नहीं भेज सकते। तस्करी के कारण बॉर्डर के जिलों में खपत 8 गुना
बलिया में सरकारी शराब की खपत लगातार बढ़ रही है। 8 साल में 8 गुना शराब की खपत बढ़ी है। बिहार में शराबबंदी (2016–17) के समय 139.60 करोड़ रुपए की शराब बिकी थी। वर्ष 2023-24 में 712.34 करोड़ की शराब बिकी। इस साल टारगेट 857.92 करोड़ रुपए का है। हमने बलिया में बढ़ती शराब की खपत को लेकर आबकारी अधिकारियों से भी बातचीत की। शराब तस्करी को लेकर कोई भी अफसर खुलकर बोलने को तैयार नहीं था। भास्कर इन्वेस्टिगेशन पार्ट- 1 भी पढ़िए… UP में नाव से शराब तस्करी, घाट से शराब लादते और उस पार बिहार में उतार लेते, 1 लाख में थाना सेट शाम का वक्त है, अंधेरा होने को है…। तेजी से एक स्कॉर्पियो आकर रुकती है। एक-एक कर 5 युवक उतरते हैं। वे गाड़ी से शराब की पेटियां निकाल कर घाघरा नदी में तैयार खड़ी नाव पर रख देते हैं। मुश्किल से 5 मिनट हुए होंगे…। जैसे ही आखिरी पेटी रखी, नाव बिहार की ओर चल पड़ी। यह तस्वीर -UP बॉर्डर के बलिया जिले के बैरिया क्षेत्र की है। पढ़ें पूरी खबर… —————————— —————————— यह खबर भी पढ़िए… महाकुंभ भगदड़ में 35 से 40 मौतें:यूपी सरकार बोली- 30 लोग मारे गए, 25 की शिनाख्त; 60 घायल प्रयागराज महाकुंभ में संगम तट मंगलवार और बुधवार की आधी रात को हुई भगदड़ में 35 से 40 लोग मारे गए हैं। हादसे के 17 घंटे बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने 30 लोगों की मौत की पुष्टि की। शाम 6.30 बजे मेला अधिकारी विजय किरण आनंद और DIG वैभव कृष्णा ने 3 मिनट की प्रेस कॉन्फ्रेंस की। DIG वैभव कृष्ण ने कहा- भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मौत हुई। 60 लोग घायल हैं। 25 शवों की पहचान कर ली गई है। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर