पहला केस- जनवरी, 2012 में बसपा से भाजपा में आए बाबू सिंह कुशवाहा को कुछ ही घंटों में पार्टी से निकाल दिया गया। कुशवाहा पर कई तरह के आरोप लगे थे। इसके बाद पार्टी ने तुरंत फैसला लिया। दूसरा केस- 2016 में मायावती पर कमेंट करने पर भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह को पार्टी से निकाला गया। ये दो केस हैं, जब पार्टी ने इमेज खराब होने से बचने के लिए फैसला लेने में देर नहीं की। यही वजह है, किसी समय भाजपा को अनुशासित पार्टी कहा जाता था। पार्टी के अनुशासन के बूते ही इसे पार्टी विद डिफरेंस तक कहा गया। लेकिन, जैसे-जैसे संगठन और सरकार का दायरा बढ़ता गया, पार्टी के अनुशासन में कमी आती गई। अब आलम यह है कि भ्रष्टाचार और अनैतिकता के गंभीर मामले सामने आने के बाद भी वोट बैंक के डर से पार्टी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही। केस- 1: 40 लाख रुपए रिश्वत का आरोप, कार्रवाई नहीं
मार्च, 2025: फतेहपुर में भाजपा के जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल पर पार्टी के ही कार्यकर्ता अजीत कुमार गुप्ता ने पद दिलाने के नाम पर 40 लाख रुपए रिश्वत लेने का आरोप लगाया। पार्टी ने मामले की जांच के लिए प्रदेश महामंत्री अनूप गुप्ता की अध्यक्षता में जांच समिति बनाई। जांच समिति ने जांच में प्रथम दृष्टया आरोप को सही बताया। समिति ने माना कि मुखलाल पाल ने अजीत कुमार से पैसे का लेन-देन किया। जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद भी बीजेपी ने मुखलाल पाल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। अनुशासनहीनता पर भी मौन रही भाजपा
फतेहपुर के बीजेपी जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल ने जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद समिति के सदस्यों के खिलाफ बयान दिया। मुखलाल पाल ने मीडिया से बातचीत में फतेहपुर की पूर्व सांसद और केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति पर भी गंभीर आरोप लगाए। लेकिन, इसके बाद भी भाजपा प्रदेश नेतृत्व ने उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की। केस- 2: अमर किशोर के खिलाफ कार्रवाई नहीं
24 मई, 2025: गोंडा में भाजपा जिलाध्यक्ष अमर किशोर कश्यप का एक वीडियो वायरल हुआ। वीडियो में अमर किशोर बीजेपी कार्यालय के अंदर एक महिला कार्यकर्ता को गले लगते नजर आ रहे हैं। वीडियो वायरल होने के बाद भाजपा के प्रदेश महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ला ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर 7 दिन में सफाई मांगी। सूत्रों के मुताबिक, कश्यप ने 30 मई को ही अपना लिखित स्पष्टीकरण प्रदेश कार्यालय में दे दिया। लेकिन, पार्टी की ओर से इस संबंध में अभी तक कार्रवाई नहीं की गई। पार्टी ने न तो कश्यप को क्लीन चिट दी, न ही उन्हें पदमुक्त किया है। केस- 3: नंदकिशोर गुर्जर की बयानबाजी जारी
गाजियाबाद के लोनी से भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने पिछले दिनों योगी सरकार के खिलाफ बयान दिया था। गुर्जर को पार्टी कार्यालय पर तलब कर जवाब मांगा गया था। गुर्जर ने अपना पक्ष प्रदेश नेतृत्व के सामने रखा। प्रदेश नेतृत्व की ओर से गुर्जर को भविष्य में संगठन या सरकार की छवि खराब करने वाला कोई भी काम नहीं करने की हिदायत दी गई। सूत्रों का कहना है कि गाजियाबाद में गुर्जर की बयानबाजी और प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन की कार्रवाई जारी है। बलिया के नेता बब्बन सिंह पर हुई कार्रवाई
बलिया में सहकारी चीनी मिल संघ के निदेशक और बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य ठाकुर बब्बन सिंह का एक वीडियो मई में वायरल हुआ था। वह एक डांसर के साथ अश्लील हरकत करते नजर आ रहे थे। मामले में पार्टी ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उन्हें निष्कासित कर दिया। बब्बन सिंह ने आरोप लगाया था कि विधायक केतकी सिंह ने उन्हें फंसाया है। नेताओं पर कार्रवाई न होने की वजह क्या? पिछड़े वोट बैंक पर नजर…इसलिए अपनों को बचा रहे
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गोंडा के जिलाध्यक्ष अमर किशोर कश्यप और फतेहपुर के जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल दोनों पिछड़ा वर्ग से हैं। दोनों के खिलाफ कार्रवाई होने से पार्टी को पिछड़े वोट बैंक के नुकसान का डर है। वहीं, पिछड़े वर्ग के कुछ नेता भी दोनों का बचाव कर रहे हैं। लिहाजा, अभी तक कार्रवाई का निर्णय नहीं हो सका है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रामदत्त त्रिपाठी का कहना है कि बीजेपी में अब हर कोई किसी न किसी ग्रुप से जुड़ा हुआ है। ग्रुप के रिंग लीडर अपने गुट के कार्यकर्ताओं को बचाते हैं। अब नेतृत्व वाली बात नहीं रही। बागियों की भी हो जाती है वापसी
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि एक समय ऐसा था जब बीजेपी के नेता बगावत करने से डरते थे। एक बार बगावत करने वालों की पार्टी में वापसी आसान नहीं होती थी। लेकिन, अब तो नगरीय निकाय चुनाव, पंचायत चुनाव, विधानसभा चुनाव और विधान परिषद चुनाव में पार्टी से बगावत करने वालों की भी थोड़े समय बाद वापसी हो जाती है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सिद्धार्थ कलहंस का कहना है- जब तक भाजपा छोटी पार्टी थी, कार्यकर्ताओं की संख्या कम थी, तब तक शुचिता थी। अब पारदर्शिता चली गई। अब बीजेपी में बड़ी संख्या में दूसरे दलों से आए कार्यकर्ता हैं। जिस प्रकार एक छोटे घर को सजाना-संवारना आसान होता है, वहीं बड़ी हवेली को संभालना मुश्किल है। ————————– ये खबर भी पढ़ें… भाजपा नेता के बेटे ने पत्नी के भी वीडियो बनाए, मैनपुरी में बोलीं- सास-ससुर को पता था अफेयर 26 मई, 2025 को मैनपुरी में एक लड़के का अपनी प्रेमिका के साथ अश्लील वीडियो वायरल होता है। वायरल वीडियो की संख्या देखते ही देखते 130 हो गई। ये अलग-अलग दिन और अलग-अलग जगहों पर बनाए गए थे। वीडियो में दिख रहा लड़का कारोबारी है। महिला उसके मोहल्ले की ही रहने वाली तलाकशुदा थी। लड़के की मां बीजेपी से जुड़ी थीं, इसलिए हंगामा शुरू हो गया। लड़के की पत्नी ने मोर्चा खोल दिया और न्याय के लिए पुलिस के पास पहुंच गई। पढ़ें पूरी खबर पहला केस- जनवरी, 2012 में बसपा से भाजपा में आए बाबू सिंह कुशवाहा को कुछ ही घंटों में पार्टी से निकाल दिया गया। कुशवाहा पर कई तरह के आरोप लगे थे। इसके बाद पार्टी ने तुरंत फैसला लिया। दूसरा केस- 2016 में मायावती पर कमेंट करने पर भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह को पार्टी से निकाला गया। ये दो केस हैं, जब पार्टी ने इमेज खराब होने से बचने के लिए फैसला लेने में देर नहीं की। यही वजह है, किसी समय भाजपा को अनुशासित पार्टी कहा जाता था। पार्टी के अनुशासन के बूते ही इसे पार्टी विद डिफरेंस तक कहा गया। लेकिन, जैसे-जैसे संगठन और सरकार का दायरा बढ़ता गया, पार्टी के अनुशासन में कमी आती गई। अब आलम यह है कि भ्रष्टाचार और अनैतिकता के गंभीर मामले सामने आने के बाद भी वोट बैंक के डर से पार्टी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही। केस- 1: 40 लाख रुपए रिश्वत का आरोप, कार्रवाई नहीं
मार्च, 2025: फतेहपुर में भाजपा के जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल पर पार्टी के ही कार्यकर्ता अजीत कुमार गुप्ता ने पद दिलाने के नाम पर 40 लाख रुपए रिश्वत लेने का आरोप लगाया। पार्टी ने मामले की जांच के लिए प्रदेश महामंत्री अनूप गुप्ता की अध्यक्षता में जांच समिति बनाई। जांच समिति ने जांच में प्रथम दृष्टया आरोप को सही बताया। समिति ने माना कि मुखलाल पाल ने अजीत कुमार से पैसे का लेन-देन किया। जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद भी बीजेपी ने मुखलाल पाल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। अनुशासनहीनता पर भी मौन रही भाजपा
फतेहपुर के बीजेपी जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल ने जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद समिति के सदस्यों के खिलाफ बयान दिया। मुखलाल पाल ने मीडिया से बातचीत में फतेहपुर की पूर्व सांसद और केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति पर भी गंभीर आरोप लगाए। लेकिन, इसके बाद भी भाजपा प्रदेश नेतृत्व ने उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की। केस- 2: अमर किशोर के खिलाफ कार्रवाई नहीं
24 मई, 2025: गोंडा में भाजपा जिलाध्यक्ष अमर किशोर कश्यप का एक वीडियो वायरल हुआ। वीडियो में अमर किशोर बीजेपी कार्यालय के अंदर एक महिला कार्यकर्ता को गले लगते नजर आ रहे हैं। वीडियो वायरल होने के बाद भाजपा के प्रदेश महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ला ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर 7 दिन में सफाई मांगी। सूत्रों के मुताबिक, कश्यप ने 30 मई को ही अपना लिखित स्पष्टीकरण प्रदेश कार्यालय में दे दिया। लेकिन, पार्टी की ओर से इस संबंध में अभी तक कार्रवाई नहीं की गई। पार्टी ने न तो कश्यप को क्लीन चिट दी, न ही उन्हें पदमुक्त किया है। केस- 3: नंदकिशोर गुर्जर की बयानबाजी जारी
गाजियाबाद के लोनी से भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने पिछले दिनों योगी सरकार के खिलाफ बयान दिया था। गुर्जर को पार्टी कार्यालय पर तलब कर जवाब मांगा गया था। गुर्जर ने अपना पक्ष प्रदेश नेतृत्व के सामने रखा। प्रदेश नेतृत्व की ओर से गुर्जर को भविष्य में संगठन या सरकार की छवि खराब करने वाला कोई भी काम नहीं करने की हिदायत दी गई। सूत्रों का कहना है कि गाजियाबाद में गुर्जर की बयानबाजी और प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन की कार्रवाई जारी है। बलिया के नेता बब्बन सिंह पर हुई कार्रवाई
बलिया में सहकारी चीनी मिल संघ के निदेशक और बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य ठाकुर बब्बन सिंह का एक वीडियो मई में वायरल हुआ था। वह एक डांसर के साथ अश्लील हरकत करते नजर आ रहे थे। मामले में पार्टी ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उन्हें निष्कासित कर दिया। बब्बन सिंह ने आरोप लगाया था कि विधायक केतकी सिंह ने उन्हें फंसाया है। नेताओं पर कार्रवाई न होने की वजह क्या? पिछड़े वोट बैंक पर नजर…इसलिए अपनों को बचा रहे
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गोंडा के जिलाध्यक्ष अमर किशोर कश्यप और फतेहपुर के जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल दोनों पिछड़ा वर्ग से हैं। दोनों के खिलाफ कार्रवाई होने से पार्टी को पिछड़े वोट बैंक के नुकसान का डर है। वहीं, पिछड़े वर्ग के कुछ नेता भी दोनों का बचाव कर रहे हैं। लिहाजा, अभी तक कार्रवाई का निर्णय नहीं हो सका है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रामदत्त त्रिपाठी का कहना है कि बीजेपी में अब हर कोई किसी न किसी ग्रुप से जुड़ा हुआ है। ग्रुप के रिंग लीडर अपने गुट के कार्यकर्ताओं को बचाते हैं। अब नेतृत्व वाली बात नहीं रही। बागियों की भी हो जाती है वापसी
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि एक समय ऐसा था जब बीजेपी के नेता बगावत करने से डरते थे। एक बार बगावत करने वालों की पार्टी में वापसी आसान नहीं होती थी। लेकिन, अब तो नगरीय निकाय चुनाव, पंचायत चुनाव, विधानसभा चुनाव और विधान परिषद चुनाव में पार्टी से बगावत करने वालों की भी थोड़े समय बाद वापसी हो जाती है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सिद्धार्थ कलहंस का कहना है- जब तक भाजपा छोटी पार्टी थी, कार्यकर्ताओं की संख्या कम थी, तब तक शुचिता थी। अब पारदर्शिता चली गई। अब बीजेपी में बड़ी संख्या में दूसरे दलों से आए कार्यकर्ता हैं। जिस प्रकार एक छोटे घर को सजाना-संवारना आसान होता है, वहीं बड़ी हवेली को संभालना मुश्किल है। ————————– ये खबर भी पढ़ें… भाजपा नेता के बेटे ने पत्नी के भी वीडियो बनाए, मैनपुरी में बोलीं- सास-ससुर को पता था अफेयर 26 मई, 2025 को मैनपुरी में एक लड़के का अपनी प्रेमिका के साथ अश्लील वीडियो वायरल होता है। वायरल वीडियो की संख्या देखते ही देखते 130 हो गई। ये अलग-अलग दिन और अलग-अलग जगहों पर बनाए गए थे। वीडियो में दिख रहा लड़का कारोबारी है। महिला उसके मोहल्ले की ही रहने वाली तलाकशुदा थी। लड़के की मां बीजेपी से जुड़ी थीं, इसलिए हंगामा शुरू हो गया। लड़के की पत्नी ने मोर्चा खोल दिया और न्याय के लिए पुलिस के पास पहुंच गई। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
यूपी भाजपा क्यों अपने नेताओं को नहीं दे रही सजा:अश्लील वीडियो, रिश्वत लेने वालों पर भी कार्रवाई नहीं; क्या दाग अच्छे लग रहे
