यूपी की भाजपा सरकार से असंतुष्ट एनडीए की सहयोगी सुभासपा और निषाद पार्टी के नेता उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य और ब्रजेश पाठक से मुलाकात कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के विधायक और सांसद भी सरकार की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़ा करते हुए पत्र वायरल कर रहे हैं। चर्चा है कि सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और भाजपा के बीच खींचतान चल रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रदेश में जो राजनीतिक घटनाक्रम चल रहा है, उससे संदेश जा रहा है कि योगी सरकार को अपने ही लोग सड़क से सदन तक घेरने में लगे हैं। वहीं, कुछ जानकार मानते हैं कि ये सब भाजपा और सहयोगी दल के नेता अपना जातीय वोट बैंक बचाने के लिए कर रहे हैं। मुलाकातों के दौर के बीच यह बड़ा सवाल
बड़ा सवाल ये है कि भाजपा या सहयोगी दल के नेताओं को किसी मुद्दे पर कोई चिंता है, तो वे इसके समाधान के लिए सीएम योगी से क्यों नहीं मिलते। क्या इन नेताओं की दोनों डिप्टी सीएम से मुलाकात इत्तफाक है या फिर इनके बीच कोई नई केमिस्ट्री बन रही है। अफसरों से खफा हैं संजय निषाद, पाठक से की मुलाकात
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने 22 जुलाई को उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से उनके आवास पर मुलाकात की। पाठक की ओर से एक्स पर मुलाकात की फोटो भी जारी की गई। इस मुलाकात के बाद संजय निषाद ने मीडिया से बातचीत में व्यवस्था पर सवाल खड़े किए। संजय निषाद ने अफसरों की कार्यशैली पर नाराजगी भी जाहिर की। एक दिन पहले केशव से भी मिले थे संजय निषाद
संजय निषाद ने मंगलवार रात उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से भी मुलाकात की थी। मुलाकात के मुद्दे पर संजय निषाद ने कहा कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान हुआ है। इसलिए प्रयास किया जा रहा है कि आगे ऐसा न हो। विपक्ष अभी भी संविधान बदलने और आरक्षण समाप्त करने का भ्रम फैला रहा है। राजभर भी दोनों डिप्टी सीएम से मिले थे
सुभासपा अध्यक्ष और प्रदेश सरकार के पंचायतीराज मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने भी बुधवार को उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक राजभर भी निगम, आयोग और बोर्ड में अपनी हिस्सेदारी चाहते हैं। राजभर ने 22 जुलाई की रात उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से भी मुलाकात की थी। राजभर की केशव प्रसाद और ब्रजेश पाठक से मुलाकात को भी भविष्य की राजनीति के मद्देनजर गंभीर माना जा रहा है। डिप्टी सीएम से ही संवाद क्यों?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर एनडीए के घटक दलों को यूपी सरकार से कोई समस्या है तो वह सीधे सीएम योगी से मुलाकात कर अपनी बात क्यों नहीं रखते हैं। यह संभव है कि अगर वह सीधे सीएम से बात कर समस्या बताएं तो समाधान निकल सकता है। सवाल यह भी है कि सुभासपा, निषाद पार्टी और अपना दल के नेता डिप्टी सीएम केशव मौर्य और ब्रजेश पाठक से ही मुलाकात क्यों करते हैं? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विवाद और तनाव के बीच सहयोगी दलों की बारी-बारी से दोनों डिप्टी सीएम से मुलाकात किसी केमिस्ट्री का संदेश दे रही है। सांसद जयप्रकाश रावत ने राज्यपाल को पत्र लिखा
मिश्रिख सांसद जयप्रकाश रावत ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को शिकायती पत्र लिखा है। इसमें रावत ने आरोप लगाया कि सीतापुर के डीएफओ ने 20 जुलाई को वृक्षारोपण अभियान की जानकारी उन्हें नहीं दी। इसके चलते वह राज्यपाल की मौजूदगी में हुए कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने राज्यपाल से डीएफओ के खिलाफ कार्रवाई का आग्रह किया है। उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम में राज्यपाल ने भी व्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए नाराजगी जाहिर की थी। विधायक का पत्र भी वायरल
बुलंदशहर सदर से भाजपा विधायक प्रदीप कुमार चौधरी ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शिकायती पत्र लिखा है। चौधरी ने काली नदी पर अवैध कब्जे और सफाई में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। विधायक ने बताया कि मामले में सिंचाई मंत्री स्वतंत्र देव सिंह से शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिलाधिकारी ने भी जिले के प्रभारी मंत्री अरुण सक्सेना के सामने कार्रवाई का आश्वासन दिया था। लेकिन कुछ नहीं हुआ। चौधरी का यह पत्र भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। भाजपा नेतृत्व के लिए चुनौती
लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में उपजी राजनीतिक खींचतान खत्म नहीं हो रही है। सांसद और विधायक मुखर होने लगे हैं। जानकार मानते हैं कि सब कुछ ऐसे ही चलता रहा तो विधानसभा की दस सीटों पर होने वाले उप चुनाव में भाजपा को नुकसान होगा। समय रहते बयानबाजी और खींचतान नहीं रोकी गई तो ये जिलों तक फैल जाएगी। ऐसे में भाजपा के प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने इस समस्या का तुरंत और स्थायी समाधान करने की चुनौती है। दिसंबर 2019 में भी मुखर हुए थे विधायक
भाजपा के कई विधायक 17 दिसंबर, 2019 को भी विधानसभा में योगी सरकार के खिलाफ मुखर हुए थे। सीएम योगी की गैर मौजूदगी में भाजपा विधायकों ने सदन में हंगामा कर धरना दिया था। उस दौरान सदन में मौजूद सरकार के अधिकांश तत्कालीन मंत्री सदन छोड़कर दाएं-बाएं हो गए थे। तत्कालीन उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने विधानसभा पहुंचकर मामला संभाला था। सूत्र बताते हैं कि उस घटनाक्रम से पहले भी भाजपा विधायकों की इसी तरह सरकार से असंतुष्ट मंत्रियों से मुलाकात हुई थी। आगे क्या? विपक्ष सदन में घेरेगा, उठाएगा सवाल
यूपी विधानसभा का मानसून सत्र 29 जुलाई से शुरू होना है। सत्र 2 अगस्त तक चलेगा। एकजुट दिख रहा विपक्ष पेपर लीक, बाढ़ और दुकानदारों के नेमप्लेट लगाने वाले मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। वहीं, सत्तापक्ष में बयानबाजी योगी सरकार के लिए सिरदर्द बन सकती है। विपक्ष उन मुद्दों को भी उठाएगा, जिन पर भाजपा सरकार के अपने नेता या सहयोगी दल सवाल उठा रहे हैं। ये भी पढ़े… राजभर सीएम की मीटिंग में नहीं गए…केशव से मिलने पहुंचे:सरकार में खींचतान के बीच अब मंत्रियों में गुटबाजी के संकेत यूपी में सीएम योगी और केशव मौर्य के बीच खींचतान बढ़ती दिख रही है। मामला अब मंत्रियों के बीच भी गुटबाजी तक पहुंच गया है। सोमवार को सीएम योगी ने आजमगढ़ में अफसरों के साथ समीक्षा बैठक की। इसमें पंचायती राजमंत्री और सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर को भी बुलाया था। मगर वह नहीं पहुंचे। पूरी खबर पढ़ें… यूपी की भाजपा सरकार से असंतुष्ट एनडीए की सहयोगी सुभासपा और निषाद पार्टी के नेता उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य और ब्रजेश पाठक से मुलाकात कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के विधायक और सांसद भी सरकार की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़ा करते हुए पत्र वायरल कर रहे हैं। चर्चा है कि सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और भाजपा के बीच खींचतान चल रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रदेश में जो राजनीतिक घटनाक्रम चल रहा है, उससे संदेश जा रहा है कि योगी सरकार को अपने ही लोग सड़क से सदन तक घेरने में लगे हैं। वहीं, कुछ जानकार मानते हैं कि ये सब भाजपा और सहयोगी दल के नेता अपना जातीय वोट बैंक बचाने के लिए कर रहे हैं। मुलाकातों के दौर के बीच यह बड़ा सवाल
बड़ा सवाल ये है कि भाजपा या सहयोगी दल के नेताओं को किसी मुद्दे पर कोई चिंता है, तो वे इसके समाधान के लिए सीएम योगी से क्यों नहीं मिलते। क्या इन नेताओं की दोनों डिप्टी सीएम से मुलाकात इत्तफाक है या फिर इनके बीच कोई नई केमिस्ट्री बन रही है। अफसरों से खफा हैं संजय निषाद, पाठक से की मुलाकात
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने 22 जुलाई को उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से उनके आवास पर मुलाकात की। पाठक की ओर से एक्स पर मुलाकात की फोटो भी जारी की गई। इस मुलाकात के बाद संजय निषाद ने मीडिया से बातचीत में व्यवस्था पर सवाल खड़े किए। संजय निषाद ने अफसरों की कार्यशैली पर नाराजगी भी जाहिर की। एक दिन पहले केशव से भी मिले थे संजय निषाद
संजय निषाद ने मंगलवार रात उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से भी मुलाकात की थी। मुलाकात के मुद्दे पर संजय निषाद ने कहा कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान हुआ है। इसलिए प्रयास किया जा रहा है कि आगे ऐसा न हो। विपक्ष अभी भी संविधान बदलने और आरक्षण समाप्त करने का भ्रम फैला रहा है। राजभर भी दोनों डिप्टी सीएम से मिले थे
सुभासपा अध्यक्ष और प्रदेश सरकार के पंचायतीराज मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने भी बुधवार को उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक राजभर भी निगम, आयोग और बोर्ड में अपनी हिस्सेदारी चाहते हैं। राजभर ने 22 जुलाई की रात उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से भी मुलाकात की थी। राजभर की केशव प्रसाद और ब्रजेश पाठक से मुलाकात को भी भविष्य की राजनीति के मद्देनजर गंभीर माना जा रहा है। डिप्टी सीएम से ही संवाद क्यों?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर एनडीए के घटक दलों को यूपी सरकार से कोई समस्या है तो वह सीधे सीएम योगी से मुलाकात कर अपनी बात क्यों नहीं रखते हैं। यह संभव है कि अगर वह सीधे सीएम से बात कर समस्या बताएं तो समाधान निकल सकता है। सवाल यह भी है कि सुभासपा, निषाद पार्टी और अपना दल के नेता डिप्टी सीएम केशव मौर्य और ब्रजेश पाठक से ही मुलाकात क्यों करते हैं? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विवाद और तनाव के बीच सहयोगी दलों की बारी-बारी से दोनों डिप्टी सीएम से मुलाकात किसी केमिस्ट्री का संदेश दे रही है। सांसद जयप्रकाश रावत ने राज्यपाल को पत्र लिखा
मिश्रिख सांसद जयप्रकाश रावत ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को शिकायती पत्र लिखा है। इसमें रावत ने आरोप लगाया कि सीतापुर के डीएफओ ने 20 जुलाई को वृक्षारोपण अभियान की जानकारी उन्हें नहीं दी। इसके चलते वह राज्यपाल की मौजूदगी में हुए कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने राज्यपाल से डीएफओ के खिलाफ कार्रवाई का आग्रह किया है। उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम में राज्यपाल ने भी व्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए नाराजगी जाहिर की थी। विधायक का पत्र भी वायरल
बुलंदशहर सदर से भाजपा विधायक प्रदीप कुमार चौधरी ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शिकायती पत्र लिखा है। चौधरी ने काली नदी पर अवैध कब्जे और सफाई में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। विधायक ने बताया कि मामले में सिंचाई मंत्री स्वतंत्र देव सिंह से शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिलाधिकारी ने भी जिले के प्रभारी मंत्री अरुण सक्सेना के सामने कार्रवाई का आश्वासन दिया था। लेकिन कुछ नहीं हुआ। चौधरी का यह पत्र भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। भाजपा नेतृत्व के लिए चुनौती
लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में उपजी राजनीतिक खींचतान खत्म नहीं हो रही है। सांसद और विधायक मुखर होने लगे हैं। जानकार मानते हैं कि सब कुछ ऐसे ही चलता रहा तो विधानसभा की दस सीटों पर होने वाले उप चुनाव में भाजपा को नुकसान होगा। समय रहते बयानबाजी और खींचतान नहीं रोकी गई तो ये जिलों तक फैल जाएगी। ऐसे में भाजपा के प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने इस समस्या का तुरंत और स्थायी समाधान करने की चुनौती है। दिसंबर 2019 में भी मुखर हुए थे विधायक
भाजपा के कई विधायक 17 दिसंबर, 2019 को भी विधानसभा में योगी सरकार के खिलाफ मुखर हुए थे। सीएम योगी की गैर मौजूदगी में भाजपा विधायकों ने सदन में हंगामा कर धरना दिया था। उस दौरान सदन में मौजूद सरकार के अधिकांश तत्कालीन मंत्री सदन छोड़कर दाएं-बाएं हो गए थे। तत्कालीन उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने विधानसभा पहुंचकर मामला संभाला था। सूत्र बताते हैं कि उस घटनाक्रम से पहले भी भाजपा विधायकों की इसी तरह सरकार से असंतुष्ट मंत्रियों से मुलाकात हुई थी। आगे क्या? विपक्ष सदन में घेरेगा, उठाएगा सवाल
यूपी विधानसभा का मानसून सत्र 29 जुलाई से शुरू होना है। सत्र 2 अगस्त तक चलेगा। एकजुट दिख रहा विपक्ष पेपर लीक, बाढ़ और दुकानदारों के नेमप्लेट लगाने वाले मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। वहीं, सत्तापक्ष में बयानबाजी योगी सरकार के लिए सिरदर्द बन सकती है। विपक्ष उन मुद्दों को भी उठाएगा, जिन पर भाजपा सरकार के अपने नेता या सहयोगी दल सवाल उठा रहे हैं। ये भी पढ़े… राजभर सीएम की मीटिंग में नहीं गए…केशव से मिलने पहुंचे:सरकार में खींचतान के बीच अब मंत्रियों में गुटबाजी के संकेत यूपी में सीएम योगी और केशव मौर्य के बीच खींचतान बढ़ती दिख रही है। मामला अब मंत्रियों के बीच भी गुटबाजी तक पहुंच गया है। सोमवार को सीएम योगी ने आजमगढ़ में अफसरों के साथ समीक्षा बैठक की। इसमें पंचायती राजमंत्री और सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर को भी बुलाया था। मगर वह नहीं पहुंचे। पूरी खबर पढ़ें… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर