उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के संचालक मंडल की 170वीं बैठक की । इस दौरान कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह भी मौजूद रहे । जहां मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि ग्रामीण इलाके का साथ ही नगरीय क्षेत्रों में भी हाट-पैठ निर्माण कराया जाए। इसकी व्यवस्था का दायित्व संबंधित नगरीय निकाय को सौंपा जाए। कृषि फसलों की सुरक्षा के लिए मंडियों में कोल्ड रूम तैयार कराया जाए। ताकि किसान लंबे समय तक फसल सुरक्षित रख सकें। वही विभागीय अधिकारियों ने बताया कि मंडी परिषद ने पिछले वर्ष की अपेक्षा 2023-24 में करीब 400 करोड़ का राजस्व संग्रहीत किया है। अब आपको बताते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ क्या-क्या निर्देश दिए.. •मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि फसलों को रोग मुक्त बनाने के लिए चारों कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में टिशू कल्चर प्रयोगशाला की स्थापना की जाए। इसके लिए धनराशि की व्यवस्था मंडी परिषद द्वारा की जाएगी। •रायबरेली में उद्यान महाविद्यालय की स्थापना के लिए अध्ययन कराने, नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज (अयोध्या)के निर्माणाधीन छात्रावास की क्षमता 100 से बढ़ाकर 150 करने, कृषि विश्वविद्यालय मेरठ, कानपुर, बांदा में एक-एक छात्रावास का निर्माण कराने का भी निर्देश दिया। •मुख्मयंत्री ने शोध गतिविधियां बढ़ाने, मंडी परिषद द्वारा त्रैमासिक न्यूज़ लेटर का प्रकाशन कराने और किसानों तक पहुंचाने का निर्देश दिया। •मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि मंडियों में किसानों के लिए सुविधाएं बढाई जाएं। साफ-सफाई, जल निकासी, शौचालय/पेयजल, विश्राम कक्ष और सस्ते दर वाली कैंटीन की व्यवस्था भी कराई जाए। कहीं भी अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। •मुख्यमंत्री ने कहा कि नव स्थापित प्रसंस्करण इकाई को मंडी शुल्क से छूट देने की व्यवस्था को सरल करने के लिए मंडलायुक्त के बजाय सीधे जिलाधिकारी के पास आवेदन हो और वह सात दिन में रिपोर्ट मंडी समिति को भेज दें। गोरखपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, कानपुर देहात (बरीपाल) और मुरादाबाद की मंडी समिति में खाद्य तेलों पर लगने वाले यूजर चार्ज को समाप्त करने का निर्देश दिया। मंडी परिषद एवं मंडी समितियों में ”मैनुअल के स्थान पर ई-ऑक्शन” व्यवस्था लागू किया जाए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के संचालक मंडल की 170वीं बैठक की । इस दौरान कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह भी मौजूद रहे । जहां मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि ग्रामीण इलाके का साथ ही नगरीय क्षेत्रों में भी हाट-पैठ निर्माण कराया जाए। इसकी व्यवस्था का दायित्व संबंधित नगरीय निकाय को सौंपा जाए। कृषि फसलों की सुरक्षा के लिए मंडियों में कोल्ड रूम तैयार कराया जाए। ताकि किसान लंबे समय तक फसल सुरक्षित रख सकें। वही विभागीय अधिकारियों ने बताया कि मंडी परिषद ने पिछले वर्ष की अपेक्षा 2023-24 में करीब 400 करोड़ का राजस्व संग्रहीत किया है। अब आपको बताते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ क्या-क्या निर्देश दिए.. •मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि फसलों को रोग मुक्त बनाने के लिए चारों कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में टिशू कल्चर प्रयोगशाला की स्थापना की जाए। इसके लिए धनराशि की व्यवस्था मंडी परिषद द्वारा की जाएगी। •रायबरेली में उद्यान महाविद्यालय की स्थापना के लिए अध्ययन कराने, नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज (अयोध्या)के निर्माणाधीन छात्रावास की क्षमता 100 से बढ़ाकर 150 करने, कृषि विश्वविद्यालय मेरठ, कानपुर, बांदा में एक-एक छात्रावास का निर्माण कराने का भी निर्देश दिया। •मुख्मयंत्री ने शोध गतिविधियां बढ़ाने, मंडी परिषद द्वारा त्रैमासिक न्यूज़ लेटर का प्रकाशन कराने और किसानों तक पहुंचाने का निर्देश दिया। •मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि मंडियों में किसानों के लिए सुविधाएं बढाई जाएं। साफ-सफाई, जल निकासी, शौचालय/पेयजल, विश्राम कक्ष और सस्ते दर वाली कैंटीन की व्यवस्था भी कराई जाए। कहीं भी अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। •मुख्यमंत्री ने कहा कि नव स्थापित प्रसंस्करण इकाई को मंडी शुल्क से छूट देने की व्यवस्था को सरल करने के लिए मंडलायुक्त के बजाय सीधे जिलाधिकारी के पास आवेदन हो और वह सात दिन में रिपोर्ट मंडी समिति को भेज दें। गोरखपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, कानपुर देहात (बरीपाल) और मुरादाबाद की मंडी समिति में खाद्य तेलों पर लगने वाले यूजर चार्ज को समाप्त करने का निर्देश दिया। मंडी परिषद एवं मंडी समितियों में ”मैनुअल के स्थान पर ई-ऑक्शन” व्यवस्था लागू किया जाए। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में मणिमहेश को हेली-टैक्सी शुरू:चंबा से भी उड़ान भर सकेंगे श्रद्धालु; 5 कैंप बनाए, 26 अगस्त सुबह 3.40 बजे छोटे शाही-स्नान का मुहूर्त उत्तर भारत की पावन मणिमहेश यात्रा 26 अगस्त से 11 सितंबर तक चलेगी। इस यात्रा को लेकर प्रशासन ने इंतजाम पूरे कर दिए है। भरमौर से मणिमहेश तक जगह-जगह रेस्क्यू के लिए NDRF-SDRF जवानों के अलावा माउंटेनिरिंग संस्थान के वॉलेंटियर्स तैनात किए गए। 5 जगह बनाए कैंप में मेडिकल टीम की तैनाती और वीरवार से ही हेली टैक्सी सेवा भी आरंभ कर दी गई है। धार्मिक यात्रा में छोटे शाही स्नान का शुभ मुहूर्त इस बार 26 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर सुबह 3 बजकर 40 मिनट पर शुरू होगा, जो देर रात 2 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इस दौरान हजारों शिव भक्त डल में डुबकी लगाएंगे। वहीं राधा अष्टमी के अवसर पर यानी 11 सितंबर को शाही स्नान होगा। मणिमहेश यात्रा के लिए बीते 3-4 दिन से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मणिमहेश पहुंचने शुरू हो गए हैं। जम्मू कश्मीर के डोडा से भी शिव भक्तों का एक बड़ा जत्था मणिमहेश के डल में शाही स्नान कर चुका है। भरमौर से मणिमहेश तक शिव के जयकारों से गूंज रहा है। देशभर से मणिमहेश पहुंचते हैं शिव भक्त बता दें कि हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला के दुर्गम क्षेत्र भरमौर में मणिमहेश यात्रा के लिए देशभर में बड़ी संख्या में शिव भक्त पहुंचते हैं। आधिकारिक तौर पर यात्रा 26 अगस्त से शुरू हो रही है। मगर प्रशासन ने वीरवार से ही हेली टैक्सी सेवा आरंभ कर दी है। यहां बनाए गए कैंप, जहां मेडिकल टीम रहेगी तैनात प्रशासन ने मणिमहेश यात्रा के लिए भरमौर, हड़सर, धनछो, सुंदरासी और गौरीकुंड में 5 जगह कैंप स्थापित किए है। यहां प्रत्येक श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य जांच के बाद ही आगे भेजा जाएगा, क्योंकि 13385.83 फीट की ऊंचाई पर स्थित मणिमहेश में कई बार ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इन कैंप में मेडिकल टीमें तैनात की गई है। घोड़े और हेली टैक्सी से भी कर सकते हैं यात्रा मणिमहेश यात्रा ज्यादातर श्रद्धालु पैदल करते हैं। जो चलना नहीं चाहते या चलने में सक्षम नहीं हैं, वह घोड़ों, हेली टैक्सी या कुली के माध्यम से भी यात्रा कर सकते हैं। स्थानीय प्रशासन ने हेली टैक्सी, कुली और घोड़ों का किराया तय कर दिया है। हेली टैक्सी से भरमौर से गौरीकुंड तक श्रद्धालुओं को 3875 रुपए एक साइड का किराया देना होगा। हेली टैक्सी का किराया इस बार पिछले साल की अपेक्षा 20 प्रतिशत कम है। चंबा से गौरीकुंड तक पहली बार हेली टैक्सी सेवा SDM भरमौर-कुलबीर सिंह राणा ने बताया कि पहली बार चंबा से भी गौरीकुंड तक हेली टेक्सी सेवा शुरू की जा रही है। इसके लिए 25 हजार रुपए किराया निर्धारित किया गया है। श्रद्धालु मंदिर ट्रस्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन बुकिंग करवा सकते हैं। घोड़े पर यात्रा को देने होंगे 4700 रुपए भरमौर के हड़सर से मणिमहेश तक घोड़ा-खच्चर से आने-जाने का किराया 4700 रुपए प्रति सवारी तय किया गया है। इसी तरह 5 कैंप के बीच का भी अलग अलग किराया निर्धारित किया गया है। तय किराया से ज्यादा दर्रें वसूलने पर कार्रवाई की जाएगी। इसी तरह कुली के लिए भी किराया तय किया गया है। उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा मणिमहेश यात्रा को उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा माना जाता है। 13 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थिति मणिमहेश पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को ऊंचे-ऊंचे पहाड़ चढ़ने पढ़ते हैं। यह यात्रा अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सुंदर दृश्यों के लिए भी जानी जाती है, क्योंकि इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को घने जंगलों, अल्पाइन घास के मैदानों और चट्टानों के बीच बीच से होकर गुजरना पड़ता है। इस दौरान हिमालय का मनमोहक दृश्य भीदेखने को मिलता हैं। यही वजह है कि यह अध्यात्मिक यात्रा रोमांच और प्राकृतिक सुंदरता का भी आभास कराती है। मणिमहेश के कैलाश शिखर में शिव का निवास ऐसा मान्यता है कि भगवान शिव मणिमहेश के कैलाश शिखर पर निवास करते हैं, जो झील से दिखाई देता है। यह यात्रा हर साल, आमतौर पर अगस्त या सितंबर के महीने में हिंदू त्यौहार जन्माष्टमी के अवसर पर होती है। माना जाता है कि यह यात्रा 9वीं शताब्दी में शुरू हुई थी जब एक स्थानीय राजा, राजा साहिल वर्मन को भगवान शिव के दर्शन हुए थे जिन्होंने मणिमहेश झील पर एक मंदिर स्थापित करने का निर्देश दिया। श्रद्धालुओं के जारी की एडवाइजरी इस यात्रा के दृष्टिगत प्रशासन ने शिव भक्तों को एडवाइजरी जारी की है। इसका पालन सभी श्रद्धालुओं के लिए अनिवार्य होगा है। बिना पंजीकरण यात्रा की इजाजत नहीं होगी। मणिमहेश यात्रा के दौरान कई बार ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। खतरनाक रास्तों के कारण कई बार अनहोनी भी हो जाती है। 3 दिन पहले भी ऊना के एक श्रद्धालु लैंडस्लाइड के कारण मौत हो चुकी है। मणिमहेश यात्रा के लिए इन निर्देशों का करें पालन
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पानीपत में पिता-पुत्री लापता:वैष्णों देवी जाने के लिए निकले थे दोनों; 15 दिन से वापस नहीं लौटे, फोन भी नहीं आया
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