उत्तर प्रदेश में ठंड अब तेजी से बढ़ने लगी है। प्रदेश में रविवार की रात बरेली सबसे ठंडा रहा। यहां का न्यूनतम पारा 12.0 °C रिकॉर्ड किया गया। दूसरे नंबर पर लखनऊ रहा। यहां का न्यूनतम तापमान 12.4 °C रिकॉर्ड किया गया। जबकि गोरखपुर तीसरा सबसे ठंडा शहर रहा, यहां पारा 13.0°C दर्ज किया गया। हालांकि मेरठ में सोमवार को धूप खिलने की वजह से कुछ राहत रही। नोएडा प्रदेश का सबसे प्रदूषित शहर अगर बात करे प्रदूषण की तो वेस्ट यूपी के कई शहरों का AQI सोमवार को फिर से बढ़ गया। नोएडा प्रदेश का सबसे प्रदूषित शहर रहा। यहां का AQI शाम 7 बजे तक 312 दर्ज किया गया। दूसरा सबसे प्रदूषित शहर ग्रेटर नोएडा रहा। यहां का AQI 294 रिकार्ड किया गया। जबकि 277 AQI के साथ गाजियाबाद तीसरे और 275 AQI के साथ मेरठ चौथे नंबर पर रहा। लखनऊ में ठंड के कारण स्कूलों की टाइमिंग बदली, नोएडा में प्रदूषण के कारण ऑनलाइन क्लास जहां लखनऊ के सीएमएस समेत कई स्कूलों में ठंड के चलते टाइमिंग बदल दी गई। वहीं प्रदूषण को देखते हुए नोएडा के स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेज जारी रखने के निर्देश दिए गए हैं। मेरठ के सरदार पटेल कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. यूपी शाही के मुताबिक अगले कुछ दिनों में कोहरा और ठंड बढ़ेगी। सोमवार को अधिकतम तापमान 24.6°C और न्यूनतम तापमान 13.1°C दर्ज किया गया। नोएडा में सोसाइटी के लोग खुद कर रहे कृत्रिम बारिश नोएडा में बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने के लिए अब सोसाइटी के लोग आगे आने लगे हैं। नोएडा की एक RWA और तीन सोसाइटी जिसमें सेक्टर-100 की लोटस बुलेवर्ड सोसाइटी, सेक्टर-34 की RWA और सेक्टर-74 की कैप-टाउन सोसाइटी, सेक्टर-168 गोल्डन पाम सोसाइटी के लोगों ने बड़े-बडे हॉज पाइप से पानी का छिड़काव किया। यूपी के 7 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर सबसे कम तापमान वाले 6 शहर मॉर्निंग वॉकर्स, बुजुर्ग, सांस के रोगियों को हो रही परेशानी लगातार AQI बढ़ने से मॉर्निंग वॉकर्स, बुजुर्ग, सांस, दिल के मरीज और बच्चे प्रदूषित हवा के संपर्क में आ रहे हैं। बचाव के लिए ऐसे में बच्चों को मास्क लगाकर स्कूल भेजें। बुजुर्ग, सांस और दिल के रोग भी मास्क लगाकर बाहर निकलें। सुबह जल्दी और देर शाम बाहर निकलने से बचें। ब्रीदिंग व्यायाम करते रहें। धूल और धुएं वाली जगह पर जाने से बचें। उत्तर प्रदेश में ठंड अब तेजी से बढ़ने लगी है। प्रदेश में रविवार की रात बरेली सबसे ठंडा रहा। यहां का न्यूनतम पारा 12.0 °C रिकॉर्ड किया गया। दूसरे नंबर पर लखनऊ रहा। यहां का न्यूनतम तापमान 12.4 °C रिकॉर्ड किया गया। जबकि गोरखपुर तीसरा सबसे ठंडा शहर रहा, यहां पारा 13.0°C दर्ज किया गया। हालांकि मेरठ में सोमवार को धूप खिलने की वजह से कुछ राहत रही। नोएडा प्रदेश का सबसे प्रदूषित शहर अगर बात करे प्रदूषण की तो वेस्ट यूपी के कई शहरों का AQI सोमवार को फिर से बढ़ गया। नोएडा प्रदेश का सबसे प्रदूषित शहर रहा। यहां का AQI शाम 7 बजे तक 312 दर्ज किया गया। दूसरा सबसे प्रदूषित शहर ग्रेटर नोएडा रहा। यहां का AQI 294 रिकार्ड किया गया। जबकि 277 AQI के साथ गाजियाबाद तीसरे और 275 AQI के साथ मेरठ चौथे नंबर पर रहा। लखनऊ में ठंड के कारण स्कूलों की टाइमिंग बदली, नोएडा में प्रदूषण के कारण ऑनलाइन क्लास जहां लखनऊ के सीएमएस समेत कई स्कूलों में ठंड के चलते टाइमिंग बदल दी गई। वहीं प्रदूषण को देखते हुए नोएडा के स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेज जारी रखने के निर्देश दिए गए हैं। मेरठ के सरदार पटेल कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. यूपी शाही के मुताबिक अगले कुछ दिनों में कोहरा और ठंड बढ़ेगी। सोमवार को अधिकतम तापमान 24.6°C और न्यूनतम तापमान 13.1°C दर्ज किया गया। नोएडा में सोसाइटी के लोग खुद कर रहे कृत्रिम बारिश नोएडा में बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने के लिए अब सोसाइटी के लोग आगे आने लगे हैं। नोएडा की एक RWA और तीन सोसाइटी जिसमें सेक्टर-100 की लोटस बुलेवर्ड सोसाइटी, सेक्टर-34 की RWA और सेक्टर-74 की कैप-टाउन सोसाइटी, सेक्टर-168 गोल्डन पाम सोसाइटी के लोगों ने बड़े-बडे हॉज पाइप से पानी का छिड़काव किया। यूपी के 7 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर सबसे कम तापमान वाले 6 शहर मॉर्निंग वॉकर्स, बुजुर्ग, सांस के रोगियों को हो रही परेशानी लगातार AQI बढ़ने से मॉर्निंग वॉकर्स, बुजुर्ग, सांस, दिल के मरीज और बच्चे प्रदूषित हवा के संपर्क में आ रहे हैं। बचाव के लिए ऐसे में बच्चों को मास्क लगाकर स्कूल भेजें। बुजुर्ग, सांस और दिल के रोग भी मास्क लगाकर बाहर निकलें। सुबह जल्दी और देर शाम बाहर निकलने से बचें। ब्रीदिंग व्यायाम करते रहें। धूल और धुएं वाली जगह पर जाने से बचें। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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‘सनातन कमीशन बने और हिंदुओं के लिए सरकार…’, बॉम्बे हाई कोर्ट ने ये मांग करने वाले याचिकाकर्ता पर लगाया भारी जुर्माना
‘सनातन कमीशन बने और हिंदुओं के लिए सरकार…’, बॉम्बे हाई कोर्ट ने ये मांग करने वाले याचिकाकर्ता पर लगाया भारी जुर्माना <p style=”text-align: justify;”><strong>Bombay High Court Decision:</strong> बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को क्राइमोफोबिया नामक एक स्वघोषित अपराध विज्ञान फर्म द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया. इस याचिका में महाराष्ट्र के गुफा मंदिरों में हिंदू अनुष्ठानों के लिए धन उपलब्ध कराने, अंतरराष्ट्रीय सनातन आयोग के गठन सहित कई अन्य असंबंधित मांगें की गई थीं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने इस याचिका को “कोर्ट की प्रक्रिया का दुरुपयोग” करार दिया और याचिकाकर्ता की आलोचना की, जिसमें उसने न्यायिक हस्तक्षेप के माध्यम से अपने व्यक्तिगत विचार थोपने की कोशिश की थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उच्च कोर्ट तब ही परमादेश रिट जारी करते हैं जब किसी कानूनी अधिकार का उल्लंघन हुआ हो. किसी व्यक्ति या संगठन के विचारों को लागू करने के लिए परमादेश जारी नहीं किया जा सकता जब तक कि वे कानूनी रूप से समर्थित न हों.</p>
<p style=”text-align: justify;”>’बार एंड बेंच’ के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया और उन्हें व्यक्तिगत एजेंडों के लिए जनहित याचिकाओं का दुरुपयोग करने के खिलाफ चेतावनी दी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिका में गुफा मंदिरों में हिंदू अनुष्ठानों के लिए बजट आवंटन, पुजारियों के लिए वेतन और गुरुकुलों की स्थापना जैसे कई मांगें शामिल थीं. साथ ही, याचिकाकर्ता ने “बॉम्बे गुफा मंदिर आयोग” (Bombay Cave Temples Commission) और “अंतर्राष्ट्रीय सनातन आयोग” (International Sanatan Commission) के गठन का अनुरोध किया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके अलावा, महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत एक “संगठित अपराध विरोधी इकाई” की स्थापना और आरे में यूनिसेफ द्वारा सहायता प्राप्त डेयरी शिक्षण संस्थान को बंद करने की मांग भी की गई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने कहा कि याचिका में उठाए गए मुद्दे केवल याचिकाकर्ता की कल्पना पर आधारित हैं और इनमें कोई कानूनी आधार नहीं है. अदालत ने कहा कि ‘संगठित अपराध निरोधक इकाई’ या ‘अंतरराष्ट्रीय सनातन आयोग’ की स्थापना जैसी मांगें याचिकाकर्ता की कल्पनाओं का परिणाम प्रतीत होती हैं, क्योंकि जनहित याचिका में कोई ठोस तथ्यात्मक या कानूनी आधार नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अंत में, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को छह सप्ताह के भीतर महाराष्ट्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को 10,000 रुपये का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया और भविष्य में ऐसी याचिकाएं दायर करने के खिलाफ कड़ी चेतावनी दी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”महाराष्ट्र में सियासी हलचल तेज, अजित पवार से मिलने पहुंचे कांग्रेस के दो विधायक, NCP में होंगे शामिल?” href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/maharashtra-congress-mla-zeeshan-siddique-and-hiraman-khoskar-met-ajit-pawar-will-they-join-ncp-2764756″ target=”_blank” rel=”noopener”>महाराष्ट्र में सियासी हलचल तेज, अजित पवार से मिलने पहुंचे कांग्रेस के दो विधायक, NCP में होंगे शामिल?</a></strong></p>
Bihar News: मानसून सत्र से पहले BJP ने उपनेता, उपमुख्य सचेतक और सचेतक की जारी की लिस्ट, 22 जुलाई से चलेगा सदन
Bihar News: मानसून सत्र से पहले BJP ने उपनेता, उपमुख्य सचेतक और सचेतक की जारी की लिस्ट, 22 जुलाई से चलेगा सदन <p style=”text-align: justify;”><strong>Bihar Assembly Session 2024: </strong>मानसून सत्र से पहले भारतीय जनता पार्टी ने उपनेता, उपमुख्य सचेतक और सचेतक की लिस्ट जारी कर दी है. बिहार विधान परिषद के उप नेता डॉ. राजेंद्र प्रसाद गुप्ता को बनाया गया है, जबकि उपमुख्य सचेतक संजय प्रकाश बने हैं. वही बिहार विधानसभा के उप मुख्य सचेतक जनक सिंह को बनाया गया है. इसके अलावा 6 सचेतक भी बनाए गए हैं. सचेतक की लिस्ट में विजय कुमार मंडल,आलोक रंजन,कृष्ण कुमार ऋषि, हरीभूषण ठाकुर,संजय सरावगी और वीरेंद्र सिंह का नाम शामिल है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>22 जुलाई से शुरू हो जाएगा मानसून सत्र </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं बिहार विधान मंडल का मानसून सत्र आगामी 22 जुलाई से शुरू हो जाएगा. 5 दिनों तक चलने वाला यह सत्र 26 जुलाई को समाप्त होगा इस बार के मानसून सत्र में दोनों ही सदनों में पांच-पांच बैठकें होंगी. पांच दिनों के इस मानसून सत्र में सरकार अनुपूरक बजट के साथ साथ अन्य विधेयक को सदन में पेश करेगी. मानसून सत्र में अनुपूरक बजट पर 25 जुलाई को विधानसभा में मुहर लगेगी. वहीं उच्च सदन में 26 जुलाई को मुहर लगेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जानकारी के अनुसार मानसून सत्र के पहले दिन नए सदस्य की शपथ और शोक प्रस्ताव भी रखा गया है. सत्र के दूसरे दिन मंगलवार 23 जुलाई और तीसरे दिन बुधवार 24 जुलाई को राजकीय विधेयक और अन्य राजकीय कार्य लिए जाएंगे. 25 जुलाई को प्रथम अनुपूरक व्यय विवरण पर वाद-विवाद, मतदान और विनियोग विधेयक पेश किए जाएंगे. वहीं 26 जुलाई को गैर-सरकारी संकल्प लिए जाएंगे. उम्मीद है कि विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चला पाएंगे, क्योंकि इस बार सदन के हंगामेदार होने के पूरे आसार हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सदन के हंगामेदार होने के आसार</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल लॉ एंड ऑर्डर के मुद्दे पर विपक्ष नीतीश सरकार को पूरी तर घेरने के मूड में है. क्राइम को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पहले से ही सरकार पर निशाना साध रहे हैं. विपक्षी के लोग इस बार सरकार से तमाम मुद्दे पर जवाब मांगने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. अब देखना ये है कि पांच दिन के इस छोटे से सत्र में सरकार जनता के मुद्दे पर जवाब दे पाएगी या हर बार की तरह ये सेशन भी हंगामे की भेंट चढ़ जाएगा. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ेंः <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/opposition-protest-against-increasing-crime-in-bihar-rjd-mahagathbandhan-tejashwi-yadav-pratirodh-march-2741412″>Mahagathbandhan Protest: बिहार में बढ़ते अपराध के खिलाफ महागठबंधन का प्रतिरोध मार्च, सरकार को सड़क पर घेरेंगे तेजस्वी यादव</a></strong></p>
सुप्रीम फैसले के बाद मुजफ्फरनगर में दुकानों से हटे नाम:दुकानदार बोले- भेदभाव महसूस हो रहा था, काशी में कहा-हमने बोर्ड बनवा लिए, अब वही लगाएंगे
सुप्रीम फैसले के बाद मुजफ्फरनगर में दुकानों से हटे नाम:दुकानदार बोले- भेदभाव महसूस हो रहा था, काशी में कहा-हमने बोर्ड बनवा लिए, अब वही लगाएंगे कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों को अब अपनी पहचान बताना जरूरी नहीं। यूपी सरकार के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अंतरिम रोक लगा दी। दैनिक भास्कर ने मेरठ, मुजफ्फरनगर से लेकर काशी तक दुकानों के हाल जाने। सामने आया कि ज्यादातर दुकानदारों ने बोर्ड पर लिखे नाम हटा दिए। हालांकि, वाराणसी की तस्वीर अलग है। यहां कई मुस्लिम दुकानदार ऐसे भी मिले, जिन्होंने कहा- कोर्ट का आदेश पता चला, मगर बोर्ड बनवा लिए, तो अब लगे हुए हैं। खबर में आगे बढ़ने से पहले सुप्रीम कोर्ट का आदेश जानिए… कोर्ट ने कहा- नाम लिखने को मजबूर न करें, क्या परोसा ये बता सकते हैं
कोर्ट ने कहा- दुकानदारों को पहचान बताने की जरूरत नहीं है। होटल चलाने वाले ये बता सकते हैं कि वह किस तरह का खाना यानी, शाकाहारी या मांसाहारी परोस रहे हैं। लेकिन, उन्हें अपना नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा- पुलिस ने इस मामले में अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल किया है। उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर शुक्रवार तक जवाब देने को कहा है। तीनों राज्यों में कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकान मालिकों को अपना नाम लिखने का आदेश दिया गया था। इसके खिलाफ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नाम के NGO ने 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। अब समझिए मुजफ्फरनगर के हाल… आदेश आते ही हटने लगे दुकानों से बोर्ड
कोर्ट आदेश के बाद दैनिक भास्कर टीम मुजफ्फरनगर की मेरठ रोड पर पहुंची। यहां से कांवड़िए गुजरते हैं। ज्यादातर फल-सब्जी, मिठाई और चाय की दुकानों से नाम वाले बोर्ड हटाए जाने लगे हैं। यहां हमारी मुलाकात फल का ठेला लगाने वाले निसार से हुई। सवाल किया- क्या आपको कोर्ट के आदेश के बारे में पता चला? निसार ने कहा- आदेश के बाद हमें बड़ी राहत महसूस हो रही है। जब इस फरमान के बारे में पता चला, तो अच्छा नहीं लगा। मगर, पुलिस ने आकर जब नेम प्लेट लगाने को कहा तो लगानी ही पड़ी। उन्होंने हमारे सामने ही अपने ठेले पर लगे निसार फल के बोर्ड को हटा दिया। कुछ दूरी पर पान और चाय की दुकान है। दुकान पर प्रोपराइटर शाह आलम पान लिखा हुआ फ्लैक्स लगा था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का आदेश के आने के बाद फ्लैक्स को लपेटकर रख लिया। आम का ठेला लगाने वाले आरिफ ने अपने ठेले पर कागज और दफ्ती पर आरिफ फल लिखकर नेम प्लेट लगाई थी। उन्होंने भी अपनी नेम प्लेट हटा दी। दुकानदार बोले- जो भेदभाव महसूस हो रहा था, वो दूर हो गया
मीनाक्षी चौक पर शीरमाल की दुकान लगाने वाले हामिद अख्तर ने कहा- पुलिस ने कहा था कि नाम के साथ बोर्ड लगाना है। इसके बाद हमने फ्लैक्स बनवाकर दुकान पर लगा लिया था। अब फैसले के बारे में पता चला है, लेकिन बोर्ड हटा नहीं रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि बोर्ड लगाने के बाद बिक्री में कोई कमी तो नहीं आई। तब उन्होंने कहा- सामान तो पहले जैसा ही बिक रहा था। मगर एक भेदभाव तो महसूस हो ही रहा था। वो अब दूर हो गया। हम लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। अब बात मेरठ की… यहां रोड पर मुस्लिमों के ढाबे बंद मेरठ रोड पहुंचीं भास्कर रिपोर्टर को दुकानें बंद मिलीं। कांवड़ रूट पर कई मुस्लिम दुकानदारों ने दुकानें बंद कर दी थीं। अब कोर्ट आदेश के बाद उम्मीद है कि इनमें कुछ लोग अपनी दुकानों को दोबारा खोल सकते हैं। अब काशी के हाल समझिए… दुकानदार बोले- पीढ़ियों से दुकान लगा रहे, नाम की क्या जरूरत
हम काशी में दुकानदारों के पास पहुंचे। काशी विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र के दुकानदार जाकिर ने बताया- हम चार पीढ़ियों से दुकान लगाते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर के बाहर दुकान लगाने के लिए नेम प्लेट की जरूरत क्या है। इससे भेदभाव पैदा हो रहा था, लोगों में नफरत फैल रही थी। इससे एक खाई पैदा हो रही थी। हमारी दुकान 100 साल पुरानी है, जो रजिया मस्जिद में है। हमारे साथ हिंदू भाई दुकानदार हैं, हमारे बीच कभी भेदभाव नहीं रहा। आज जो माहौल है, ये नफरत का है। दुकानदारों की बात मोनू ने बताया कि सरकार का फैसला था तो उसका पालन किया। अब कोर्ट के आदेश से रोक लग गई, तो बात खत्म है। पूर्वजों ने बताया कि जब अंग्रेज आए थे तो स्टेशन पर दो मटका लगाकर बंटवारा किया था। एक मटके से हिंदू और दूसरे से मुसलमान पानी पीते थे। हम प्रसाद की दुकान चलाते हैं और अभी बोर्ड नहीं लगाया है। दुकानदार रिंकू पांडेय ने बताया- हमारी दुकान मस्जिद के नीचे है। हिंदू-मुस्लिम एक साथ दुकान चला रहे हैं। हम लोगों ने अपनी-अपनी दुकानों के नाम पहले से लिख रखे हैं। इसलिए इस आदेश का कोई बहुत फर्क नहीं पड़ा। शामली में खास असर नहीं… दुकानदार बोले- अब बोर्ड लगाए रहेंगे, हटाकर क्या फायदा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का शामली के दुकानदारों पर कोई खास असर नहीं दिखा। फल और सब्जियां बेचने वाले दुकानदारों ने कहा- नेमप्लेट लगाने के बाद भी पहले की तरह सामान बिक रहा है। अब हटा लेंगे, तब भी बिजनेस पर कोई असर नहीं होना है। फल बेचने वाले शारिक ने कहा- हमने सरकार के आदेश के बाद बोर्ड लगाया था। कोर्ट के कहने के बाद हटाएंगे नहीं। रिजवान और मुस्तकीम की दुकानों पर भी बोर्ड लगे हुए थे। उन्होंने कोर्ट के आदेश के बाद भी अपनी दुकानों से नाम के बोर्ड नहीं हटाए। अब आदेश की पूरी खबर पढ़िए… कांवड़ रूट की दुकानों पर नेम प्लेट जरूरी नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने UP सरकार का फैसला रोका, कहा- भोजन शाकाहारी है या मांसाहारी यह बताएं सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों को अपनी पहचान बताने को लेकर कई राज्य सरकारों के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने सोमवार, 22 जुलाई को कहा कि दुकानदारों को पहचान बताने की जरूरत नहीं है। होटल चलाने वाले यह बता सकते हैं कि वह किस तरह का खाना यानी, शाकाहारी या मांसाहारी परोस रहे हैं। लेकिन उन्हें अपना नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। पढ़िए पूरी खबर… MP में दुकानों पर नेमप्लेट लगाने का कोई आदेश नहीं:सरकार ने कहा- कोई मर्जी से लिखना चाहे तो लिख सकते हैं कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकानदारों को अपनी पहचान बताने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को पहचान बताने की जरूरत नहीं है। होटल चलाने वाले यह बता सकते हैं कि वह किस तरह का खाना यानी, शाकाहारी या मांसाहारी परोस रहे हैं। लेकिन उन्हें अपना नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। पढ़ें पूरी खबर…