<p style=”text-align: justify;”><strong>UP Electricity Supply:</strong> उत्तर प्रदेश के गांवों में बिजली आपूर्ति की हालत सबसे ज्यादा खराब हैं. आलम ये हैं कि यूपी में पड़ोसी राज्य बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश से भी कम बिजली की की आपूर्ति हो पा रही है. इस लिस्ट में यूपी का नाम नीचे से दूसरे नंबर हैं वहीं नागालैंड में सबसे कम गांवों में बिजली मिल पाती है. यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने यूपी के गांवों में सबसे कम बिजली मिलने का ये मुद्दा उठाया है. जिससे यूपी में बिजली व्यवस्था की पोल खुल गई है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>यूपी बिजली उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने गांवों में कम बिजली दिए जाने का मुद्दा उठाया है उन्होंने दावा किया कि अगर नागालैंड को छोड़ दिया जाए तो यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे कम बिजली की आपूर्ति की जा रही है. जबकि पड़ोसी राज्य बिहार में भी यूपी से ज्यादा गांवों में बिजली दी जाती है. उन्होंने कहा कि यूपी पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन को बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया छोड़कर पहले गांवों में अन्य राज्यों की तरह पूरी मात्रा में बिजली मुहैया कराने की दिशा में काम करना चाहिए. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यूपी में बिजली सप्लाई का सबसे बुरा हाल</strong><br />परिषद ने दावा किया कि भारत सरकार के ऊर्जा क़ानून के तहत सभी राज्यों में कृषि फ़ीडर को छोड़कर शहरी और ग्रामीण सभी उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिए. लेकिन नागालैंड के बाद यूपी अकेला ऐसा राज्य है जो सबसे कम ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली मुहैया करवा पा रहा है. इसके लिए कॉरपोरेशन को देश के कंज्यूमर राइट रूल 2020 के तहत ग्रामीण उपभोक्ताओं से माफी मांगनी चाहिए कि उनके साथ न्याय नहीं किया जा रहा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>अवधेश वर्मा ने तीन फरवरी को राज्यसभा पटल पर रखे गए ग्रामीण क्षेत्र में बिजली आपूर्ति के आंकड़ों को हवाला देते हुए कहा कि देश के दूसरे राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजाना औसतन 21-23 घंटे की बिजली सप्लाई हो रही है जबकि उत्तर प्रदेश में रोजाना सिर्फ 18.1 घंटे ही बिजली की सप्लाई हो पा रही है. ये आंकड़े मार्च 2024 तक के बताए जा रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>आकंड़ों के मुताबिक देश में सबसे कम नागालैंड में ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे और शहरों 20 घंटे प्रतिदिन बिजली की सप्लाई हो पा रही है. जबकि यूपी के गांवों में 18.1 घंटे शहरों में 23.4 घंटे बिजली मिलती है. बिहार के गांवों में 22.2 घंटे और शहरी क्षेत्र में 23.6 घंटे, उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्र में 21.4 और शहरी क्षेत्र में 23.7 घंटे प्रतिदिन बिजली दी जा रही है. इसी तरह अन्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में ग्रामीण क्षेत्रों में 21-23 घंटे तक की बिजली सप्लाई हो रही है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/milkipur-sp-leader-pradeep-yadav-missing-samajwadi-party-gave-24-hours-ultimatum-2878285″>मिल्कीपुर में सपा नेता प्रदीप यादव की गुमशुदगी पर बढ़ा बवाल, सपा ने दिया 24 घंटे का अल्टीमेटम</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>UP Electricity Supply:</strong> उत्तर प्रदेश के गांवों में बिजली आपूर्ति की हालत सबसे ज्यादा खराब हैं. आलम ये हैं कि यूपी में पड़ोसी राज्य बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश से भी कम बिजली की की आपूर्ति हो पा रही है. इस लिस्ट में यूपी का नाम नीचे से दूसरे नंबर हैं वहीं नागालैंड में सबसे कम गांवों में बिजली मिल पाती है. यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने यूपी के गांवों में सबसे कम बिजली मिलने का ये मुद्दा उठाया है. जिससे यूपी में बिजली व्यवस्था की पोल खुल गई है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>यूपी बिजली उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने गांवों में कम बिजली दिए जाने का मुद्दा उठाया है उन्होंने दावा किया कि अगर नागालैंड को छोड़ दिया जाए तो यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे कम बिजली की आपूर्ति की जा रही है. जबकि पड़ोसी राज्य बिहार में भी यूपी से ज्यादा गांवों में बिजली दी जाती है. उन्होंने कहा कि यूपी पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन को बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया छोड़कर पहले गांवों में अन्य राज्यों की तरह पूरी मात्रा में बिजली मुहैया कराने की दिशा में काम करना चाहिए. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यूपी में बिजली सप्लाई का सबसे बुरा हाल</strong><br />परिषद ने दावा किया कि भारत सरकार के ऊर्जा क़ानून के तहत सभी राज्यों में कृषि फ़ीडर को छोड़कर शहरी और ग्रामीण सभी उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिए. लेकिन नागालैंड के बाद यूपी अकेला ऐसा राज्य है जो सबसे कम ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली मुहैया करवा पा रहा है. इसके लिए कॉरपोरेशन को देश के कंज्यूमर राइट रूल 2020 के तहत ग्रामीण उपभोक्ताओं से माफी मांगनी चाहिए कि उनके साथ न्याय नहीं किया जा रहा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>अवधेश वर्मा ने तीन फरवरी को राज्यसभा पटल पर रखे गए ग्रामीण क्षेत्र में बिजली आपूर्ति के आंकड़ों को हवाला देते हुए कहा कि देश के दूसरे राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजाना औसतन 21-23 घंटे की बिजली सप्लाई हो रही है जबकि उत्तर प्रदेश में रोजाना सिर्फ 18.1 घंटे ही बिजली की सप्लाई हो पा रही है. ये आंकड़े मार्च 2024 तक के बताए जा रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>आकंड़ों के मुताबिक देश में सबसे कम नागालैंड में ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे और शहरों 20 घंटे प्रतिदिन बिजली की सप्लाई हो पा रही है. जबकि यूपी के गांवों में 18.1 घंटे शहरों में 23.4 घंटे बिजली मिलती है. बिहार के गांवों में 22.2 घंटे और शहरी क्षेत्र में 23.6 घंटे, उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्र में 21.4 और शहरी क्षेत्र में 23.7 घंटे प्रतिदिन बिजली दी जा रही है. इसी तरह अन्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में ग्रामीण क्षेत्रों में 21-23 घंटे तक की बिजली सप्लाई हो रही है. </p>
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