यूपी में लोकसभा चुनाव…धड़ाधड़ कटे टिकट, खटाखट-फटाफट की एंट्री:राजा भैया-धनंजय ने बीच चुनाव लिया यू-टर्न, संघमित्रा रोईं; 10 सबसे चौंकाने वाले मोमेंट्स

यूपी में लोकसभा चुनाव…धड़ाधड़ कटे टिकट, खटाखट-फटाफट की एंट्री:राजा भैया-धनंजय ने बीच चुनाव लिया यू-टर्न, संघमित्रा रोईं; 10 सबसे चौंकाने वाले मोमेंट्स

UP के 75 जिलों की 80 सीटों पर 77 दिन तक लोकसभा चुनाव 2024 का मेला सजा। टिकटों का बंटवारा, ताबड़तोड़ रैलियां, मंच से ‘खटाखट’ बयान और इनका फटाफट काउंटर अटैक। काउंटर अटैक ऐसा कि प्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल मचा। अमित शाह ने राजा भैया से पर्सनल मुलाकात की, लेकिन उन्होंने यू-टर्न ले लिया। करीब ढाई महीने में यूपी इलेक्शन से कई चौंकाने वाले मोमेंट्स सामने आए। जनता का फोकस हुआ, तो इसके मायने भी निकाले गए। सोशल मीडिया पर रिएक्शन दिए गए। संडे बिग स्टोरी में आज ऐसे ही 10 पॉलिटिकल मोमेंट्स के बारे में चर्चा करेंगे। साथ ही जानेंगे कि 4 जून को आने वाले रिजल्ट में इसका कितना इफेक्ट पड़ेगा… 1. खटाखट-फटाफट और गटागट की एंट्री
यूपी में लोकसभा चुनाव में खटाखट-फटाफट और गटागट की एंट्री हुई। राहुल गांधी ने अपने चुनावी वादे में कहा- अगर उनकी सरकार बनती है, तो महिलाओं को साढ़े 8 हजार रुपए हर महीने यानी साल के 1 लाख रुपए देंगे। यह पैसे खटाखट अकाउंट में जाएंगे। उन्होंने बेरोजगारों के लिए भी यही कहा। राहुल का यह बयान भाजपा ने पिक किया, मंच से काउंटर अटैक किया गया। खुद पीएम मोदी ने कहा- 4 जून के बाद बलि के बकरे को खोजा जाएगा…खटाखट-खटाखट। ये लोग विदेश भाग जाएंगे…खटाखट-खटाखट। मोदी का बयान ट्रेंड हुआ, तो राहुल गांधी ने अपनी जनसभा से ही पलटवार किया। कहा- मैं अब मोदीजी के मुंह से कुछ भी बुलवा सकता हूं। मैं जो कहूंगा, वो बोल देंगे। हां मैं पैसे खटाखट, भटाभट डलवाऊंगा। राहुल गांधी के बयान का अखिलेश यादव ने सपोर्ट किया। उन्होंने 17 मई को रायबरेली में कहा- जनता इनसे कह रही है, अब आपको हटा देंगे फटाफट, फटाफट, फटाफट। जो लोग कहते थे कि न खाएंगे न खाने देंगे, वे लोग सब डकार गए, गटागट, गटागट, गटागट। 19 मई को प्रयागराज में राहुल ने अखिलेश का इंटरव्यू लिया। अखिलेश ने कहा- आपके खटाखट के बाद मोदी रटारट-रटारट कर रहे हैं। इलेक्शन पर इफेक्ट
पॉलिटिकल एक्सपर्ट अरविंद जय तिलक कहते हैं- पीएम मोदी ने राहुल गांधी के बयान पर जो तंज कसा, उससे लोगों का ध्यान राहुल गांधी के वादों पर गया। बिहार में चाहे तेजस्वी यादव हों या यूपी में अखिलेश यादव, सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट हुईं। उनकी साढ़े 8 हजार रुपए देने की बात का समर्थन किया। कर्नाटक में लोग सुबह से खाते खुलवाने के लिए लाइन लगवाने लगे। भाजपा ने संविधान वाले मुद्दे पर खुद को डिफेंड भी किया। ऐसे में इलेक्शन के रिजल्ट पर इन बयानों का असर देखने को मिलेगा। 2. अमित शाह से मिले राजा भैया, सपा को समर्थन दिया चुनाव के ऐलान के बाद राजा भैया पॉलिटिक्स में एक्टिव नहीं दिखाई दिए। इससे पहले वह राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में शामिल हुए। रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया सुर्खियों में तब आए, जब दो फेज के चुनाव के बाद अमित शाह से मिलने बेंगलुरु पहुंचे। यहां दोनों ने बंद कमरे में मीटिंग की। तब राजा भैया ने कहा- गृहमंत्री ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया है, मैं भी उनका सम्मान करता हूं। मैं तो पिछले कई सालों से बिना शर्त मित्रता का धर्म निभा रहा हूं। माना गया कि दो फेज के इलेक्शन तक राजा भैया और उनकी पार्टी भाजपा के समर्थन में थी। राष्ट्रपति चुनाव, राज्यसभा चुनाव में राजा भैया भाजपा का समर्थन कर चुके थे। लेकिन, फिर उन्होंने यू-टर्न लिया। 14 मई को राजा भैया ने कहा- हम किसी गठबंधन के साथ नहीं। हमारे समर्थक किसी को भी वोट करने के लिए स्वतंत्र हैं। अनुप्रिया पटेल का बयान, राजा भैया का पलटवार 18 मई को केंद्रीय राज्यमंत्री और अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल प्रतापगढ़ पहुंचीं। राजा भैया के गढ़ कुंडा विधानसभा के मानिकपुर मिलिट्री ग्राउंड में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी विनोद सोनकर के समर्थन में जनसभा की। अनुप्रिया ने कहा- राजा रानी की कोख से पैदा नहीं होते, अब ईवीएम से राजा पैदा होते हैं। अब न कोई राजा रह गया है और न ही कोई रानी, जिसे आप मतदाता चाहें राजा बना दें और चाहे रंक। दो दिन बाद राजा भैया ने इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा- ईवीएम से राजा नहीं नेता पैदा होता है, जिसकी उम्र 5 साल की होती है। 5 साल बाद जनता फिर तय करती है। फिर नेता का पुनर्जन्म होता है। दशकों से राजे-रजवाड़े नहीं रहे। अब देश आजाद हो गया है। किसी को रजवाड़ों से कोई शिकायत नहीं रही। पता नहीं उन्होंने ऐसा बयान क्यों दिया? सपा के समर्थन का ऐलान
अनुप्रिया पटेल VS राजा भैया की इस बयानबाजी के बीच 5 फेज का इलेक्शन निकल चुका था। 25 मई को प्रतापगढ़ में वोटिंग होनी थी। मगर, 21 मई को राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) ने सपा को समर्थन देने का ऐलान कर दिया। प्रतापगढ़ में अखिलेश यादव की सभा में बड़ी संख्या में राजा भैया के समर्थक पहुंच गए। भरे मंच से अखिलेश यादव ने बिना नाम लिए कहा- अब तो जो नाराज थे, वो भी साथ आ गए हैं। झारखंड में भाजपा प्रत्याशी के लिए वोट मांगे
29 मई को राजा भैया ने फिर से यू-टर्न लिया। आखिरी फेज की वोटिंग से पहले झारखंड के गोड्डा पहुंच गए। यहां उन्होंने भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे के समर्थन में वोट मांगे। राजा भैया पत्रकारों से कहा- हमने इस बार लोकसभा चुनाव में अपना कोई प्रत्‍याशी नहीं उतारा। न ही किसी पार्टी को अपना समर्थन दिया। हमारे कार्यकर्ता अपने मन से मतदान कर रहे हैं। हम देश में नहीं घूम रहे, लेकिन मोदी जी सरकार बनाने जा रहे हैं। इलेक्शन पर इफेक्ट
पॉलिटिकल एक्सपर्ट बृजेश सिंह का कहना है- इस राजनीतिक घटनाक्रम का चुनावी रिजल्ट में असर देखने को मिल सकता है। प्रतापगढ़, कौशांबी, मछलीशहर और मिर्जापुर में राजा भैया का अच्छा प्रभाव है। यहां के रिजल्ट पर सबकी नजरें टिकी होंगी। अगर रिजल्ट बदलता है, तो चुनाव में उनका कद बढ़ेगा। साथ ही आगे चुनाव में पार्टियों के लिए उन्हें नजरअंदाज करना आसान नहीं होगा। 3. धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी का बसपा ने टिकट काटा, तो भाजपा को समर्थन दिया जौनपुर में बसपा ने धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी को टिकट दिया। पार्टी ने मौजूदा सांसद श्याम सिंह यादव को कैंडिडेट बना दिया। श्याम सिंह ने 6 मई को आखिरी दिन नामांकन फाइल कर दिया। जेल से रिहा हुए धनंजय सिंह ने कहा- यह गलत हुआ। इस फैसले से मेरी पत्नी आहत हैं। टिकट भी आखिरी दिन काटा, वक्त रहता तो हम लड़ने पर विचार करते। उन्होंने कहा- जिसे हम चाहेंगे वही जौनपुर का सांसद बनकर जाएगा। जो कह रहे कि टिकट को लेकर मेरी मायावती से बात हुई, गलत कह रहे। पिछली बार 2013 में मायावती से मेरी बात हुई थी। अभी तो मैं जेल में था। धनंजय ने कहा- टिकट काटकर मुझे डिफेम किया जा रहा। एक अकेली सीट थी जौनपुर, जिसे लेकर बसपा चर्चा में थी। धनंजय सिंह की वजह से बसपा चर्चा में है, बसपा की वजह से धनंजय नहीं। इसके बाद धनंजय सिंह ने भाजपा को समर्थन दे दिया। श्रीकला रेड्डी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। पीएम मोदी और भाजपा प्रत्याशी के लिए जौनपुर में जमकर प्रचार किया। इलेक्शन पर इफेक्ट
जौनपुर के वरिष्ठ पत्रकार विश्व प्रकाश श्रीवास्तव कहते हैं- पूर्वांचल में सपा और बसपा जातिगत समीकरण साधती हैं। उनका अपना वोट बैंक है। धनंजय सिंह क्षत्रिय वोट बैंक पर प्रभाव डालते हैं। ऐसे में उनका भाजपा को समर्थन करना भविष्य के लिए ताना-बाना बुनने जैसा है। उनके समर्थकों में चुनाव को लेकर खास इफेक्ट नहीं पड़ा। उनका मानना है कि धनंजय सिंह ने भाजपा को समर्थन दिया है, समर्थकों ने नहीं। जौनपुर में मुस्लिम-यादव वोटर्स सपा के साथ दिखाई देते हैं, तो दलित-मुस्लिम बसपा के साथ। धनंजय का सपोर्ट​​​​​ हार-जीत के अंतर में आंशिक रूप से दिखाई दे सकता है। 4. फुल फॉर्म में थे भतीजे आकाश आनंद, मायावती ने हटा दिया 6 अप्रैल को मायावती के भतीजे आकाश आनंद बिजनौर के नगीना पहुंचे। यूपी में उनकी लोकसभा चुनाव में पहली जनसभा थी। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई ताबड़तोड़ रैली कीं। उनके बयान और तेवर ट्रेंडिंग हो गए। तीन चरणों की वोटिंग तक आकाश आनंद सक्रिय रहे। 28 अप्रैल को सीतापुर की रैली में उन्होंने योगी सरकार की ‘तालिबान’ से तुलना करते हुए उसे ‘आतंकवादियों’ की सरकार कहा। आकाश आनंद ने कहा- ऐसी सरकार जो आपको रोजगार न दे सके, वो किसी काम की नहीं। इस बार जूता तैयार रखिए। ऐसे लोग वोट मांगने आएं, तो उसका जवाब जूते से दीजिएगा। उनके बयान ने तूल पकड़ा। सीतापुर में हिंसा भड़काने के प्रयास और आचार संहिता उल्लंघन में आकाश आनंद पर केस दर्ज किया गया। इसके बाद आकाश आनंद ने 1 मई को ओरैया और हमीरपुर की अपनी रैलियां रद्द कर दीं। पहले चरण में आकाश की 21 सभाएं प्लान की गईं, लेकिन 16 सभा ही कर सके। तीसरे फेज में 7 मई को वोटिंग खत्म होने के चंद घंटे बाद ही मायावती ने आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर और अपने उत्तराधिकारी के पद से हटा दिया। मायावती के इस ऐलान ने पार्टी कार्यकर्ताओं, राजनीतिक दलों और विश्लेषकों को हैरान कर दिया। इसके बाद आकाश आनंद चुनावी सीन से पूरी तरह गायब हो गए। इलेक्शन पर इफेक्ट
पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं- मायावती और उनकी पार्टी के लिए ‘करो या मरो’ का चुनाव है। बसपा 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा के साथ लड़ी। तब पार्टी को महज 3.67% वोट मिले। मगर, पार्टी ने गठबंधन के दम पर 10 सीटें जीतीं। 2009 का चुनाव बसपा के लिए पीक पॉइंट था। तब बसपा ने 21 सीटें जीती थीं। 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में मायावती की पार्टी ने महज 1 सीट पर जीत दर्ज की थी। विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद बसपा का भाजपा के प्रति नरम रुख रहा। पार्टी कम आक्रामक रही। कयास लगाए जा रहे थे, बसपा भाजपा से गठबंधन कर सकती है। जिन तीन चरणों में आकाश आनंद ने प्रचार किया, उसमें बसपा को कितना फायदा मिला, यही आकाश का इफेक्ट होगा। 5. प्रमोद कृष्णम के बयान को भाजपा ने बनाया मुद्दा 7 मई को तीसरे चरण का चुनाव था। एक दिन पहले 6 मई को कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा- राहुल गांधी राम मंदिर पर फैसला पलटना चाहते हैं। जब राम मंदिर का फैसला आया, तो राहुल गांधी ने अपने करीबियों के साथ बैठक की थी। उसमें राहुल ने कहा था- कांग्रेस की सरकार बनने के बाद वह एक सुपर पावर कमेटी बनाएंगे। यह कमेटी राम मंदिर के फैसले को वैसे ही पलट देगी, जैसे राजीव गांधी ने शाहबानो के फैसले को पलट दिया था। प्रमोद कृष्णम ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी और उनकी टीम देश को किसी न किसी बहाने से तोड़ना चाहती है। मैं कांग्रेस में 32 साल से ज्यादा समय तक रहा हूं। पहले की और वर्तमान कांग्रेस में काफी फर्क है। राम मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम भाजपा का मुख्य चुनावी एजेंडा था। प्रमोद कृष्णम के इस बयान को भाजपा ने जोर-शोर से हाईलाइट कर दिया। पीएम मोदी से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ तक ने अपनी हर चुनावी सभा में कहा- ये लोग राम मंदिर में ताला लगाना चाहते हैं। कोर्ट का फैसला बदलना चाहते हैं। 500 साल बाद राम मंदिर का निर्माण हुआ, लेकिन दो शहजादों (राहुल गांधी-अखिलेश यादव) ने इसका निमंत्रण ठुकरा दिया। ये लोग राम को मानने वाले नहीं हैं। इलेक्शन पर इफेक्ट
पॉलिटिकल एक्सपर्ट अरविंद जय तिलक कहते हैं- भाजपा ने शुरू से राम मंदिर एजेंडे संग कैंपेनिंग की। ऐसे में प्रमोद कृष्णम के बयान ने भाजपा को लीड दी। हालांकि, चुनाव में आरक्षण, रोजगार और अग्निवीर योजना ने लोगों का ध्यान ज्यादा आकर्षित किया। इसलिए यह कहना गलत होगा कि प्रमोद कृष्णम का बयान बहुत ज्यादा प्रभाव डालेगा। 6. तेज प्रताप का टिकट कटा, कन्नौज से उतरे अखिलेश यादव कन्नौज सीट सपा का गढ़ मानी जाती है। पहले यहां सपा ने तेज प्रताप यादव को कैंडिडेट घोषित किया। लेकिन, ऐलान के तीसरे दिन तेज प्रताप का टिकट कट गया। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने खुद यहां से चुनाव लड़ने का फैसला किया। इससे पहले अखिलेश ने चुनाव की घोषणा के बाद 40 दिन तक मंथन किया। फिर अपने भतीजे तेज प्रताप यादव को कन्नौज से कैंडिडेट घोषित किया था। सवाल उठा, टिकट देने के तीन दिन बाद आखिर ऐसा क्या हुआ कि अखिलेश को अपना फैसला बदलना पड़ा? अखिलेश को खुद चुनावी मैदान में क्यों आना पड़ा? तेज प्रताप का टिकट क्यों काटा गया? जवाब मिला- तेज प्रताप के नाम पर कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी, नोकझोंक तक हुई। 22 अप्रैल को तेज प्रताप यादव का नाम घोषित किया गया। 23 अप्रैल को कन्नौज में उनका एक कार्यक्रम था, लेकिन वो नहीं पहुंचे। पार्टी के वरिष्ठ स्थानीय नेताओं ने अखिलेश यादव की मांग की। उनका कहना था- तेज प्रताप का लोकल कनेक्ट नहीं, पुराने नेता अखिलेश को ही चाहते हैं। इलेक्शन पर इफेक्ट
कन्नौज के पॉलिटिकल ब्रजेश चतुर्वेदी ने कहा- चौथे चरण में कन्नौज सीट पर 60.89 फीसदी मतदान हुआ। 2019 में यहां 60.86 फीसदी वोटिंग हुई थी। तब सुब्रत पाठक और डिंपल यादव में कांटे की टक्कर देखने को मिली थी। अखिलेश नहीं चाहते थे कि इस बार भी परिणाम पिछली बार की तरह हों, तब उनकी पत्नी चुनाव हारी थीं। अखिलेश यादव का चुनाव लड़ना, कन्नौज और आसपास की सीटों पर सपा को हिट करा सकता है। 7. आखिरी समय टूटा राहुल गांधी के टिकट का सस्पेंस अमेठी और रायबरेली में 26 अप्रैल को नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई। 3 मई इसकी लास्ट डेट थी। लेकिन, कांग्रेस की तरफ से प्रत्याशी कौन होगा, इसका सस्पेंस 2 मई तक बना रहा। अमेठी से राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे? रायबरेली से प्रियंका या उनके पति रॉबर्ड वाड्रा चुनाव लड़ेंगे? ऐसे कई सवाल उठते रहे। 2 मई की देर शाम स्थिति क्लियर हुई। कांग्रेस ने ऐलान किया- रायबरेली से राहुल गांधी और अमेठी से केएल शर्मा प्रत्याशी होंगे। इसके बाद भाजपा ने कांग्रेस को टारगेट किया। कहा- राहुल गांधी अमेठी से मैदान छोड़ गए। 3 मई को राहुल गांधी ने रायबरेली से नामांकन दाखिल किया। इस दौरान उनकी मां सोनिया गांधी, बहन प्रियंका गांधी, जीजा रॉबर्ट वाड्रा और कांग्रेस अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे मौजूद रहे। इसके बाद रायबरेली और अमेठी के लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत लगा दी। सोनिया गांधी ने खुद चुनाव की कमान संभाली। अखिलेश यादव भी मंच पर पहुंचे और जनसभा को संबोधित किया। सोनिया गांधी रायबरेली में बोलीं- अपना बेटा सौंप रही हूं सोनिया गांधी बेटे के चुनाव प्रचार के लिए अपने संसदीय क्षेत्र पहुंचीं। मंच पर उन्होंने भावुक होते हुए सोनिया गांधी ने कहा- मैं रायबरेली की जनता के प्रति आभार व्यक्त करती हूं। मैं अपना बेटा आपको सौंप रही हूं। 20 साल तक जिस तरह आपने मुझे प्यार दिया है, उसी तरह राहुल को भी दें। राहुल आपको निराश नहीं करेंगे। सोनिया गांधी ने अपनी और इंदिरा गांधी से जुड़ी रायबेरली की यादें भी साझा कीं। उन्होंने कहा कि यह रिश्ता गंगा की तरह पवित्र है। इलेक्शन पर इफेक्ट
पॉलिटिकल एक्सपर्ट अरविंद जय तिलक कहते हैं- सोनिया गांधी ने रायबरेली सीट के लिए जो लेटर लिखा, उसमें भी अपने इमोशंस रखे। इसी तरह मंच से भी रायबरेली की जनता को संबोधित किया। रायबरेली सीट कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। लेकिन, देर से कैंडिडेट का ऐलान कहीं न कहीं माइनस पॉइंट है, क्योंकि कांग्रेस समर्थकों को भी नहीं मालूम था कि राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे। इसी तरह अमेठी सीट पर केएल शर्मा को लेकर भी रहा। 8. विधायक मनोज पांडेय के घर अमित शाह का पहुंचना हॉट सीट रायबरेली में चुनावी समीकरण हर पल नए मोड़ लेते रहे। 12 मई को भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह के समर्थन में रायबरेली पहुंचे गृहमंत्री अमित शाह ने जनसभा की। इसके बाद सीधे ऊंचाहार विधायक मनोज पांडेय के आवास पहुंचे। वह करीब 30 मिनट मनोज पांडेय के घर पर रहे। उनके एक ओर मनोज बैठे थे, तो दूसरी ओर दिनेश प्रताप। अमित शाह का ऊंचाहार विधायक के घर जाना, परिवार के साथ भोजन करना रायबरेली के सियासी समीकरण का एक अहम हिस्सा रहा। राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले सपा के बागी विधायक मनोज पांडे ने इसके बाद भाजपा जॉइन कर ली। 17 मई की जनसभा में वह मंच पर अमित शाह के साथ दिखाई दिए। इलेक्शन पर इफेक्ट
​​​​​​राजनीतिक जानकारों ने इस सियासी घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया दी। गृहमंत्री की जनसभा के दौरान सपा के बागी विधायक को ज्यादा तवज्जो दी गई। अक्सर सोशल मीडिया पर उसूलों से समझौता न करने वाली पोस्ट लिखने वाली सदर विधायक अदिति सिंह भी मंच पर मौजूद रहीं, लेकिन उनको कोई वेटेज नहीं दिया गया। दिनेश प्रताप सिंह मनोज पांडेय के कट्टर प्रतिद्वंद्वी रहे हैं। रायबरेली में कांग्रेस का अपना जनाधार है। जीत-हार के मार्जिन में आंशिक असर दिख सकता है। 9. 2 अप्रैल 2024: मंच पर CM योगी, रोने लगीं संघमित्रा मौर्य 24 मार्च को भाजपा ने 5वीं लिस्ट जारी की। इसमें बदायूं से सिटिंग सांसद संघमित्रा मौर्य का टिकट काट दिया गया। भाजपा ने दुर्विजय शाक्य को अपना प्रत्याशी बनाया। सवाल उठे कि क्या स्वामी प्रसाद मौर्य की वजह से संघमित्रा का टिकट कटा? जवाब मिला- भाजपा ने लोकल समीकरण साधते हुए दुर्विजय को टिकट दिया। 8 दिन बाद सीएम योगी आदित्यनाथ प्रबुद्ध सम्मेलन करने बदायूं पहुंचे। यहां मंच पर संघमित्रा मौर्य बैठी थीं। वह रोने लगीं। कहा गया- संघमित्रा मौर्य अपना टिकट कटने के चलते भावुक हो गईं। उनके वीडियो शेयर किए जाने लगे। स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान आया- बेटी का टिकट कटना ही था। मैंने उससे कहा था, आरक्षण खत्म करने वाले दल के साथ नहीं रहना है। भाजपा प्रतिभा को आगे बढ़ाने से रोकती है। इलेक्शन पर इफेक्ट
संघमित्रा मौर्य का रोना और पिता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर बदायूं के वरिष्ठ पत्रकार बीपी गौतम कहते हैं- निश्चित ही संघमित्रा मौर्य की बदायूं सीट पर छवि साफ रही है। वो सक्रिय सांसद रहीं, क्षेत्र में विजिट भी करती रहीं। लेकिन, उन्होंने सब कुछ संगठन के सहारे किया। उनके अपने गुट और फॉलोअर्स नहीं हैं। यही वजह है, इस घटना का चुनाव के रिजल्ट पर इफेक्ट नहीं पड़ेगा। 10. अरुण गोविल की पोस्ट : हमने कैसे आंखें बंद कर भरोसा किया जब किसी का दोहरा चरित्र सामने आता है तो उससे अधिक स्वयं पर क्रोध आता है, कि हमने कैसे आंखें बंद करके ऐसे इंसान पर भरोसा किया। जय श्रीराम। यह पोस्ट 28 अप्रैल को सुबह 7 बजे मेरठ से भाजपा प्रत्याशी अरुण गोविल ने अपने X अकाउंट पर लिखा। इस पोस्ट के बाद पार्टी, संगठन, नेताओं और कार्यकर्ताओं में तरह-तरह की बातें होने लगी। लोग अलग-अलग मायने निकालने लगे। थोड़ी ही देर में पोस्ट वायरल हो गई। ट्रोल होने पर करीब 3 घंटे बाद अरुण गोविल ने इस पोस्ट को अपने X अकाउंट से डिलीट कर दिया। अरुण गोविल ने ऐसी पोस्ट क्यों की? इसको लेकर तमाम कयास लगाए गए। कहा गया- अरुण गोविल को चुनाव हराने के लिए पार्टी के ही नेताओं-कार्यकर्ताओं ने भीतरघात किया, जिसका शिकार गोविल हुए। वहीं चुनाव प्रचार में साथ न देने, जनसंपर्क से लेकर अन्य दूसरी बातों को लेकर चर्चा होती रही। चर्चा रही कि क्या अरुण गोविल के साथ मेरठ में प्रचार वाहन से लेकर हर जगह साथ चलने वाले चेहरों ने उन्हें धोखा दिया। आखिर वो कौन है, जिसका नाम लिए बिना गोविल ने यह पोस्ट लिखी। बता दें, मेरठ में 26 अप्रैल को मतदान हुआ था। मतदान के दूसरे दिन यानी 27 अप्रैल को ही अरुण गोविल पत्नी श्रीलेखा के साथ सुबह-सुबह मेरठ छोड़कर मुंबई चले गए। 27 अप्रैल को जब पार्टी के नेता, कार्यकर्ता उनसे मिलने सहरावत हाउस पहुंचे तो वहां अरुण गोविल नहीं थे। कानपुर में कांग्रेस में बड़ी टूट : अजय कपूर ने भाजपा जॉइन की कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और कानपुर की गोविंद नगर-किदवई नगर विधानसभा सीट पर अच्छी पैठ रखने वाले अजय कपूर ने भाजपा जॉइन कर ली। कानपुर से भाजपा प्रत्याशी कौन होगा? इसके लिए लंबे समय तक मंथन के बाद नए चेहरे रमेश अवस्थी को टिकट दिया गया। यहां सिटिंग सांसद सत्यदेव पचौरी का टिकट काट दिया गया। कानपुर जीतने के लिए खुद पीएम मोदी और सीएम योगी ने जनसभा और रोड शो किया। एसटी हसन का टिकट कटा, बोले- सपा से दरकने लगा मुस्लिमों का विश्वास सपा ने मुरादाबाद से अपने सिटिंग एमपी एसटी हसन का टिकट काट दिया। इसके बाद एसटी हसन की नाराजगी देखने को मिली। उन्होंने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा- भाजपा ने सपा मुखिया अखिलेश यादव के इर्दगिर्द अपने एजेंट प्लांट कर दिए हैं। ये हर समय अखिलेश के कान भरते हैं और उनसे सही गलत फैसले कराते रहते हैं। सपा का सबसे बड़ा नुकसान यही है कि उससे मुसलमानों का विश्वास दरकने लगा है। मुस्लिमों की आवाज उठाने वाले लीडर्स या तो जेल में हैं या फिर साइड लाइन कर दिए गए हैं। रुचि वीरा ने मुझसे संपर्क भी नहीं किया और न ही मेरे घर मिलने आईं। UP के 75 जिलों की 80 सीटों पर 77 दिन तक लोकसभा चुनाव 2024 का मेला सजा। टिकटों का बंटवारा, ताबड़तोड़ रैलियां, मंच से ‘खटाखट’ बयान और इनका फटाफट काउंटर अटैक। काउंटर अटैक ऐसा कि प्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल मचा। अमित शाह ने राजा भैया से पर्सनल मुलाकात की, लेकिन उन्होंने यू-टर्न ले लिया। करीब ढाई महीने में यूपी इलेक्शन से कई चौंकाने वाले मोमेंट्स सामने आए। जनता का फोकस हुआ, तो इसके मायने भी निकाले गए। सोशल मीडिया पर रिएक्शन दिए गए। संडे बिग स्टोरी में आज ऐसे ही 10 पॉलिटिकल मोमेंट्स के बारे में चर्चा करेंगे। साथ ही जानेंगे कि 4 जून को आने वाले रिजल्ट में इसका कितना इफेक्ट पड़ेगा… 1. खटाखट-फटाफट और गटागट की एंट्री
यूपी में लोकसभा चुनाव में खटाखट-फटाफट और गटागट की एंट्री हुई। राहुल गांधी ने अपने चुनावी वादे में कहा- अगर उनकी सरकार बनती है, तो महिलाओं को साढ़े 8 हजार रुपए हर महीने यानी साल के 1 लाख रुपए देंगे। यह पैसे खटाखट अकाउंट में जाएंगे। उन्होंने बेरोजगारों के लिए भी यही कहा। राहुल का यह बयान भाजपा ने पिक किया, मंच से काउंटर अटैक किया गया। खुद पीएम मोदी ने कहा- 4 जून के बाद बलि के बकरे को खोजा जाएगा…खटाखट-खटाखट। ये लोग विदेश भाग जाएंगे…खटाखट-खटाखट। मोदी का बयान ट्रेंड हुआ, तो राहुल गांधी ने अपनी जनसभा से ही पलटवार किया। कहा- मैं अब मोदीजी के मुंह से कुछ भी बुलवा सकता हूं। मैं जो कहूंगा, वो बोल देंगे। हां मैं पैसे खटाखट, भटाभट डलवाऊंगा। राहुल गांधी के बयान का अखिलेश यादव ने सपोर्ट किया। उन्होंने 17 मई को रायबरेली में कहा- जनता इनसे कह रही है, अब आपको हटा देंगे फटाफट, फटाफट, फटाफट। जो लोग कहते थे कि न खाएंगे न खाने देंगे, वे लोग सब डकार गए, गटागट, गटागट, गटागट। 19 मई को प्रयागराज में राहुल ने अखिलेश का इंटरव्यू लिया। अखिलेश ने कहा- आपके खटाखट के बाद मोदी रटारट-रटारट कर रहे हैं। इलेक्शन पर इफेक्ट
पॉलिटिकल एक्सपर्ट अरविंद जय तिलक कहते हैं- पीएम मोदी ने राहुल गांधी के बयान पर जो तंज कसा, उससे लोगों का ध्यान राहुल गांधी के वादों पर गया। बिहार में चाहे तेजस्वी यादव हों या यूपी में अखिलेश यादव, सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट हुईं। उनकी साढ़े 8 हजार रुपए देने की बात का समर्थन किया। कर्नाटक में लोग सुबह से खाते खुलवाने के लिए लाइन लगवाने लगे। भाजपा ने संविधान वाले मुद्दे पर खुद को डिफेंड भी किया। ऐसे में इलेक्शन के रिजल्ट पर इन बयानों का असर देखने को मिलेगा। 2. अमित शाह से मिले राजा भैया, सपा को समर्थन दिया चुनाव के ऐलान के बाद राजा भैया पॉलिटिक्स में एक्टिव नहीं दिखाई दिए। इससे पहले वह राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में शामिल हुए। रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया सुर्खियों में तब आए, जब दो फेज के चुनाव के बाद अमित शाह से मिलने बेंगलुरु पहुंचे। यहां दोनों ने बंद कमरे में मीटिंग की। तब राजा भैया ने कहा- गृहमंत्री ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया है, मैं भी उनका सम्मान करता हूं। मैं तो पिछले कई सालों से बिना शर्त मित्रता का धर्म निभा रहा हूं। माना गया कि दो फेज के इलेक्शन तक राजा भैया और उनकी पार्टी भाजपा के समर्थन में थी। राष्ट्रपति चुनाव, राज्यसभा चुनाव में राजा भैया भाजपा का समर्थन कर चुके थे। लेकिन, फिर उन्होंने यू-टर्न लिया। 14 मई को राजा भैया ने कहा- हम किसी गठबंधन के साथ नहीं। हमारे समर्थक किसी को भी वोट करने के लिए स्वतंत्र हैं। अनुप्रिया पटेल का बयान, राजा भैया का पलटवार 18 मई को केंद्रीय राज्यमंत्री और अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल प्रतापगढ़ पहुंचीं। राजा भैया के गढ़ कुंडा विधानसभा के मानिकपुर मिलिट्री ग्राउंड में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी विनोद सोनकर के समर्थन में जनसभा की। अनुप्रिया ने कहा- राजा रानी की कोख से पैदा नहीं होते, अब ईवीएम से राजा पैदा होते हैं। अब न कोई राजा रह गया है और न ही कोई रानी, जिसे आप मतदाता चाहें राजा बना दें और चाहे रंक। दो दिन बाद राजा भैया ने इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा- ईवीएम से राजा नहीं नेता पैदा होता है, जिसकी उम्र 5 साल की होती है। 5 साल बाद जनता फिर तय करती है। फिर नेता का पुनर्जन्म होता है। दशकों से राजे-रजवाड़े नहीं रहे। अब देश आजाद हो गया है। किसी को रजवाड़ों से कोई शिकायत नहीं रही। पता नहीं उन्होंने ऐसा बयान क्यों दिया? सपा के समर्थन का ऐलान
अनुप्रिया पटेल VS राजा भैया की इस बयानबाजी के बीच 5 फेज का इलेक्शन निकल चुका था। 25 मई को प्रतापगढ़ में वोटिंग होनी थी। मगर, 21 मई को राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) ने सपा को समर्थन देने का ऐलान कर दिया। प्रतापगढ़ में अखिलेश यादव की सभा में बड़ी संख्या में राजा भैया के समर्थक पहुंच गए। भरे मंच से अखिलेश यादव ने बिना नाम लिए कहा- अब तो जो नाराज थे, वो भी साथ आ गए हैं। झारखंड में भाजपा प्रत्याशी के लिए वोट मांगे
29 मई को राजा भैया ने फिर से यू-टर्न लिया। आखिरी फेज की वोटिंग से पहले झारखंड के गोड्डा पहुंच गए। यहां उन्होंने भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे के समर्थन में वोट मांगे। राजा भैया पत्रकारों से कहा- हमने इस बार लोकसभा चुनाव में अपना कोई प्रत्‍याशी नहीं उतारा। न ही किसी पार्टी को अपना समर्थन दिया। हमारे कार्यकर्ता अपने मन से मतदान कर रहे हैं। हम देश में नहीं घूम रहे, लेकिन मोदी जी सरकार बनाने जा रहे हैं। इलेक्शन पर इफेक्ट
पॉलिटिकल एक्सपर्ट बृजेश सिंह का कहना है- इस राजनीतिक घटनाक्रम का चुनावी रिजल्ट में असर देखने को मिल सकता है। प्रतापगढ़, कौशांबी, मछलीशहर और मिर्जापुर में राजा भैया का अच्छा प्रभाव है। यहां के रिजल्ट पर सबकी नजरें टिकी होंगी। अगर रिजल्ट बदलता है, तो चुनाव में उनका कद बढ़ेगा। साथ ही आगे चुनाव में पार्टियों के लिए उन्हें नजरअंदाज करना आसान नहीं होगा। 3. धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी का बसपा ने टिकट काटा, तो भाजपा को समर्थन दिया जौनपुर में बसपा ने धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी को टिकट दिया। पार्टी ने मौजूदा सांसद श्याम सिंह यादव को कैंडिडेट बना दिया। श्याम सिंह ने 6 मई को आखिरी दिन नामांकन फाइल कर दिया। जेल से रिहा हुए धनंजय सिंह ने कहा- यह गलत हुआ। इस फैसले से मेरी पत्नी आहत हैं। टिकट भी आखिरी दिन काटा, वक्त रहता तो हम लड़ने पर विचार करते। उन्होंने कहा- जिसे हम चाहेंगे वही जौनपुर का सांसद बनकर जाएगा। जो कह रहे कि टिकट को लेकर मेरी मायावती से बात हुई, गलत कह रहे। पिछली बार 2013 में मायावती से मेरी बात हुई थी। अभी तो मैं जेल में था। धनंजय ने कहा- टिकट काटकर मुझे डिफेम किया जा रहा। एक अकेली सीट थी जौनपुर, जिसे लेकर बसपा चर्चा में थी। धनंजय सिंह की वजह से बसपा चर्चा में है, बसपा की वजह से धनंजय नहीं। इसके बाद धनंजय सिंह ने भाजपा को समर्थन दे दिया। श्रीकला रेड्डी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। पीएम मोदी और भाजपा प्रत्याशी के लिए जौनपुर में जमकर प्रचार किया। इलेक्शन पर इफेक्ट
जौनपुर के वरिष्ठ पत्रकार विश्व प्रकाश श्रीवास्तव कहते हैं- पूर्वांचल में सपा और बसपा जातिगत समीकरण साधती हैं। उनका अपना वोट बैंक है। धनंजय सिंह क्षत्रिय वोट बैंक पर प्रभाव डालते हैं। ऐसे में उनका भाजपा को समर्थन करना भविष्य के लिए ताना-बाना बुनने जैसा है। उनके समर्थकों में चुनाव को लेकर खास इफेक्ट नहीं पड़ा। उनका मानना है कि धनंजय सिंह ने भाजपा को समर्थन दिया है, समर्थकों ने नहीं। जौनपुर में मुस्लिम-यादव वोटर्स सपा के साथ दिखाई देते हैं, तो दलित-मुस्लिम बसपा के साथ। धनंजय का सपोर्ट​​​​​ हार-जीत के अंतर में आंशिक रूप से दिखाई दे सकता है। 4. फुल फॉर्म में थे भतीजे आकाश आनंद, मायावती ने हटा दिया 6 अप्रैल को मायावती के भतीजे आकाश आनंद बिजनौर के नगीना पहुंचे। यूपी में उनकी लोकसभा चुनाव में पहली जनसभा थी। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई ताबड़तोड़ रैली कीं। उनके बयान और तेवर ट्रेंडिंग हो गए। तीन चरणों की वोटिंग तक आकाश आनंद सक्रिय रहे। 28 अप्रैल को सीतापुर की रैली में उन्होंने योगी सरकार की ‘तालिबान’ से तुलना करते हुए उसे ‘आतंकवादियों’ की सरकार कहा। आकाश आनंद ने कहा- ऐसी सरकार जो आपको रोजगार न दे सके, वो किसी काम की नहीं। इस बार जूता तैयार रखिए। ऐसे लोग वोट मांगने आएं, तो उसका जवाब जूते से दीजिएगा। उनके बयान ने तूल पकड़ा। सीतापुर में हिंसा भड़काने के प्रयास और आचार संहिता उल्लंघन में आकाश आनंद पर केस दर्ज किया गया। इसके बाद आकाश आनंद ने 1 मई को ओरैया और हमीरपुर की अपनी रैलियां रद्द कर दीं। पहले चरण में आकाश की 21 सभाएं प्लान की गईं, लेकिन 16 सभा ही कर सके। तीसरे फेज में 7 मई को वोटिंग खत्म होने के चंद घंटे बाद ही मायावती ने आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर और अपने उत्तराधिकारी के पद से हटा दिया। मायावती के इस ऐलान ने पार्टी कार्यकर्ताओं, राजनीतिक दलों और विश्लेषकों को हैरान कर दिया। इसके बाद आकाश आनंद चुनावी सीन से पूरी तरह गायब हो गए। इलेक्शन पर इफेक्ट
पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं- मायावती और उनकी पार्टी के लिए ‘करो या मरो’ का चुनाव है। बसपा 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा के साथ लड़ी। तब पार्टी को महज 3.67% वोट मिले। मगर, पार्टी ने गठबंधन के दम पर 10 सीटें जीतीं। 2009 का चुनाव बसपा के लिए पीक पॉइंट था। तब बसपा ने 21 सीटें जीती थीं। 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में मायावती की पार्टी ने महज 1 सीट पर जीत दर्ज की थी। विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद बसपा का भाजपा के प्रति नरम रुख रहा। पार्टी कम आक्रामक रही। कयास लगाए जा रहे थे, बसपा भाजपा से गठबंधन कर सकती है। जिन तीन चरणों में आकाश आनंद ने प्रचार किया, उसमें बसपा को कितना फायदा मिला, यही आकाश का इफेक्ट होगा। 5. प्रमोद कृष्णम के बयान को भाजपा ने बनाया मुद्दा 7 मई को तीसरे चरण का चुनाव था। एक दिन पहले 6 मई को कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा- राहुल गांधी राम मंदिर पर फैसला पलटना चाहते हैं। जब राम मंदिर का फैसला आया, तो राहुल गांधी ने अपने करीबियों के साथ बैठक की थी। उसमें राहुल ने कहा था- कांग्रेस की सरकार बनने के बाद वह एक सुपर पावर कमेटी बनाएंगे। यह कमेटी राम मंदिर के फैसले को वैसे ही पलट देगी, जैसे राजीव गांधी ने शाहबानो के फैसले को पलट दिया था। प्रमोद कृष्णम ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी और उनकी टीम देश को किसी न किसी बहाने से तोड़ना चाहती है। मैं कांग्रेस में 32 साल से ज्यादा समय तक रहा हूं। पहले की और वर्तमान कांग्रेस में काफी फर्क है। राम मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम भाजपा का मुख्य चुनावी एजेंडा था। प्रमोद कृष्णम के इस बयान को भाजपा ने जोर-शोर से हाईलाइट कर दिया। पीएम मोदी से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ तक ने अपनी हर चुनावी सभा में कहा- ये लोग राम मंदिर में ताला लगाना चाहते हैं। कोर्ट का फैसला बदलना चाहते हैं। 500 साल बाद राम मंदिर का निर्माण हुआ, लेकिन दो शहजादों (राहुल गांधी-अखिलेश यादव) ने इसका निमंत्रण ठुकरा दिया। ये लोग राम को मानने वाले नहीं हैं। इलेक्शन पर इफेक्ट
पॉलिटिकल एक्सपर्ट अरविंद जय तिलक कहते हैं- भाजपा ने शुरू से राम मंदिर एजेंडे संग कैंपेनिंग की। ऐसे में प्रमोद कृष्णम के बयान ने भाजपा को लीड दी। हालांकि, चुनाव में आरक्षण, रोजगार और अग्निवीर योजना ने लोगों का ध्यान ज्यादा आकर्षित किया। इसलिए यह कहना गलत होगा कि प्रमोद कृष्णम का बयान बहुत ज्यादा प्रभाव डालेगा। 6. तेज प्रताप का टिकट कटा, कन्नौज से उतरे अखिलेश यादव कन्नौज सीट सपा का गढ़ मानी जाती है। पहले यहां सपा ने तेज प्रताप यादव को कैंडिडेट घोषित किया। लेकिन, ऐलान के तीसरे दिन तेज प्रताप का टिकट कट गया। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने खुद यहां से चुनाव लड़ने का फैसला किया। इससे पहले अखिलेश ने चुनाव की घोषणा के बाद 40 दिन तक मंथन किया। फिर अपने भतीजे तेज प्रताप यादव को कन्नौज से कैंडिडेट घोषित किया था। सवाल उठा, टिकट देने के तीन दिन बाद आखिर ऐसा क्या हुआ कि अखिलेश को अपना फैसला बदलना पड़ा? अखिलेश को खुद चुनावी मैदान में क्यों आना पड़ा? तेज प्रताप का टिकट क्यों काटा गया? जवाब मिला- तेज प्रताप के नाम पर कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी, नोकझोंक तक हुई। 22 अप्रैल को तेज प्रताप यादव का नाम घोषित किया गया। 23 अप्रैल को कन्नौज में उनका एक कार्यक्रम था, लेकिन वो नहीं पहुंचे। पार्टी के वरिष्ठ स्थानीय नेताओं ने अखिलेश यादव की मांग की। उनका कहना था- तेज प्रताप का लोकल कनेक्ट नहीं, पुराने नेता अखिलेश को ही चाहते हैं। इलेक्शन पर इफेक्ट
कन्नौज के पॉलिटिकल ब्रजेश चतुर्वेदी ने कहा- चौथे चरण में कन्नौज सीट पर 60.89 फीसदी मतदान हुआ। 2019 में यहां 60.86 फीसदी वोटिंग हुई थी। तब सुब्रत पाठक और डिंपल यादव में कांटे की टक्कर देखने को मिली थी। अखिलेश नहीं चाहते थे कि इस बार भी परिणाम पिछली बार की तरह हों, तब उनकी पत्नी चुनाव हारी थीं। अखिलेश यादव का चुनाव लड़ना, कन्नौज और आसपास की सीटों पर सपा को हिट करा सकता है। 7. आखिरी समय टूटा राहुल गांधी के टिकट का सस्पेंस अमेठी और रायबरेली में 26 अप्रैल को नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई। 3 मई इसकी लास्ट डेट थी। लेकिन, कांग्रेस की तरफ से प्रत्याशी कौन होगा, इसका सस्पेंस 2 मई तक बना रहा। अमेठी से राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे? रायबरेली से प्रियंका या उनके पति रॉबर्ड वाड्रा चुनाव लड़ेंगे? ऐसे कई सवाल उठते रहे। 2 मई की देर शाम स्थिति क्लियर हुई। कांग्रेस ने ऐलान किया- रायबरेली से राहुल गांधी और अमेठी से केएल शर्मा प्रत्याशी होंगे। इसके बाद भाजपा ने कांग्रेस को टारगेट किया। कहा- राहुल गांधी अमेठी से मैदान छोड़ गए। 3 मई को राहुल गांधी ने रायबरेली से नामांकन दाखिल किया। इस दौरान उनकी मां सोनिया गांधी, बहन प्रियंका गांधी, जीजा रॉबर्ट वाड्रा और कांग्रेस अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे मौजूद रहे। इसके बाद रायबरेली और अमेठी के लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत लगा दी। सोनिया गांधी ने खुद चुनाव की कमान संभाली। अखिलेश यादव भी मंच पर पहुंचे और जनसभा को संबोधित किया। सोनिया गांधी रायबरेली में बोलीं- अपना बेटा सौंप रही हूं सोनिया गांधी बेटे के चुनाव प्रचार के लिए अपने संसदीय क्षेत्र पहुंचीं। मंच पर उन्होंने भावुक होते हुए सोनिया गांधी ने कहा- मैं रायबरेली की जनता के प्रति आभार व्यक्त करती हूं। मैं अपना बेटा आपको सौंप रही हूं। 20 साल तक जिस तरह आपने मुझे प्यार दिया है, उसी तरह राहुल को भी दें। राहुल आपको निराश नहीं करेंगे। सोनिया गांधी ने अपनी और इंदिरा गांधी से जुड़ी रायबेरली की यादें भी साझा कीं। उन्होंने कहा कि यह रिश्ता गंगा की तरह पवित्र है। इलेक्शन पर इफेक्ट
पॉलिटिकल एक्सपर्ट अरविंद जय तिलक कहते हैं- सोनिया गांधी ने रायबरेली सीट के लिए जो लेटर लिखा, उसमें भी अपने इमोशंस रखे। इसी तरह मंच से भी रायबरेली की जनता को संबोधित किया। रायबरेली सीट कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। लेकिन, देर से कैंडिडेट का ऐलान कहीं न कहीं माइनस पॉइंट है, क्योंकि कांग्रेस समर्थकों को भी नहीं मालूम था कि राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे। इसी तरह अमेठी सीट पर केएल शर्मा को लेकर भी रहा। 8. विधायक मनोज पांडेय के घर अमित शाह का पहुंचना हॉट सीट रायबरेली में चुनावी समीकरण हर पल नए मोड़ लेते रहे। 12 मई को भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह के समर्थन में रायबरेली पहुंचे गृहमंत्री अमित शाह ने जनसभा की। इसके बाद सीधे ऊंचाहार विधायक मनोज पांडेय के आवास पहुंचे। वह करीब 30 मिनट मनोज पांडेय के घर पर रहे। उनके एक ओर मनोज बैठे थे, तो दूसरी ओर दिनेश प्रताप। अमित शाह का ऊंचाहार विधायक के घर जाना, परिवार के साथ भोजन करना रायबरेली के सियासी समीकरण का एक अहम हिस्सा रहा। राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले सपा के बागी विधायक मनोज पांडे ने इसके बाद भाजपा जॉइन कर ली। 17 मई की जनसभा में वह मंच पर अमित शाह के साथ दिखाई दिए। इलेक्शन पर इफेक्ट
​​​​​​राजनीतिक जानकारों ने इस सियासी घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया दी। गृहमंत्री की जनसभा के दौरान सपा के बागी विधायक को ज्यादा तवज्जो दी गई। अक्सर सोशल मीडिया पर उसूलों से समझौता न करने वाली पोस्ट लिखने वाली सदर विधायक अदिति सिंह भी मंच पर मौजूद रहीं, लेकिन उनको कोई वेटेज नहीं दिया गया। दिनेश प्रताप सिंह मनोज पांडेय के कट्टर प्रतिद्वंद्वी रहे हैं। रायबरेली में कांग्रेस का अपना जनाधार है। जीत-हार के मार्जिन में आंशिक असर दिख सकता है। 9. 2 अप्रैल 2024: मंच पर CM योगी, रोने लगीं संघमित्रा मौर्य 24 मार्च को भाजपा ने 5वीं लिस्ट जारी की। इसमें बदायूं से सिटिंग सांसद संघमित्रा मौर्य का टिकट काट दिया गया। भाजपा ने दुर्विजय शाक्य को अपना प्रत्याशी बनाया। सवाल उठे कि क्या स्वामी प्रसाद मौर्य की वजह से संघमित्रा का टिकट कटा? जवाब मिला- भाजपा ने लोकल समीकरण साधते हुए दुर्विजय को टिकट दिया। 8 दिन बाद सीएम योगी आदित्यनाथ प्रबुद्ध सम्मेलन करने बदायूं पहुंचे। यहां मंच पर संघमित्रा मौर्य बैठी थीं। वह रोने लगीं। कहा गया- संघमित्रा मौर्य अपना टिकट कटने के चलते भावुक हो गईं। उनके वीडियो शेयर किए जाने लगे। स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान आया- बेटी का टिकट कटना ही था। मैंने उससे कहा था, आरक्षण खत्म करने वाले दल के साथ नहीं रहना है। भाजपा प्रतिभा को आगे बढ़ाने से रोकती है। इलेक्शन पर इफेक्ट
संघमित्रा मौर्य का रोना और पिता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर बदायूं के वरिष्ठ पत्रकार बीपी गौतम कहते हैं- निश्चित ही संघमित्रा मौर्य की बदायूं सीट पर छवि साफ रही है। वो सक्रिय सांसद रहीं, क्षेत्र में विजिट भी करती रहीं। लेकिन, उन्होंने सब कुछ संगठन के सहारे किया। उनके अपने गुट और फॉलोअर्स नहीं हैं। यही वजह है, इस घटना का चुनाव के रिजल्ट पर इफेक्ट नहीं पड़ेगा। 10. अरुण गोविल की पोस्ट : हमने कैसे आंखें बंद कर भरोसा किया जब किसी का दोहरा चरित्र सामने आता है तो उससे अधिक स्वयं पर क्रोध आता है, कि हमने कैसे आंखें बंद करके ऐसे इंसान पर भरोसा किया। जय श्रीराम। यह पोस्ट 28 अप्रैल को सुबह 7 बजे मेरठ से भाजपा प्रत्याशी अरुण गोविल ने अपने X अकाउंट पर लिखा। इस पोस्ट के बाद पार्टी, संगठन, नेताओं और कार्यकर्ताओं में तरह-तरह की बातें होने लगी। लोग अलग-अलग मायने निकालने लगे। थोड़ी ही देर में पोस्ट वायरल हो गई। ट्रोल होने पर करीब 3 घंटे बाद अरुण गोविल ने इस पोस्ट को अपने X अकाउंट से डिलीट कर दिया। अरुण गोविल ने ऐसी पोस्ट क्यों की? इसको लेकर तमाम कयास लगाए गए। कहा गया- अरुण गोविल को चुनाव हराने के लिए पार्टी के ही नेताओं-कार्यकर्ताओं ने भीतरघात किया, जिसका शिकार गोविल हुए। वहीं चुनाव प्रचार में साथ न देने, जनसंपर्क से लेकर अन्य दूसरी बातों को लेकर चर्चा होती रही। चर्चा रही कि क्या अरुण गोविल के साथ मेरठ में प्रचार वाहन से लेकर हर जगह साथ चलने वाले चेहरों ने उन्हें धोखा दिया। आखिर वो कौन है, जिसका नाम लिए बिना गोविल ने यह पोस्ट लिखी। बता दें, मेरठ में 26 अप्रैल को मतदान हुआ था। मतदान के दूसरे दिन यानी 27 अप्रैल को ही अरुण गोविल पत्नी श्रीलेखा के साथ सुबह-सुबह मेरठ छोड़कर मुंबई चले गए। 27 अप्रैल को जब पार्टी के नेता, कार्यकर्ता उनसे मिलने सहरावत हाउस पहुंचे तो वहां अरुण गोविल नहीं थे। कानपुर में कांग्रेस में बड़ी टूट : अजय कपूर ने भाजपा जॉइन की कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और कानपुर की गोविंद नगर-किदवई नगर विधानसभा सीट पर अच्छी पैठ रखने वाले अजय कपूर ने भाजपा जॉइन कर ली। कानपुर से भाजपा प्रत्याशी कौन होगा? इसके लिए लंबे समय तक मंथन के बाद नए चेहरे रमेश अवस्थी को टिकट दिया गया। यहां सिटिंग सांसद सत्यदेव पचौरी का टिकट काट दिया गया। कानपुर जीतने के लिए खुद पीएम मोदी और सीएम योगी ने जनसभा और रोड शो किया। एसटी हसन का टिकट कटा, बोले- सपा से दरकने लगा मुस्लिमों का विश्वास सपा ने मुरादाबाद से अपने सिटिंग एमपी एसटी हसन का टिकट काट दिया। इसके बाद एसटी हसन की नाराजगी देखने को मिली। उन्होंने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा- भाजपा ने सपा मुखिया अखिलेश यादव के इर्दगिर्द अपने एजेंट प्लांट कर दिए हैं। ये हर समय अखिलेश के कान भरते हैं और उनसे सही गलत फैसले कराते रहते हैं। सपा का सबसे बड़ा नुकसान यही है कि उससे मुसलमानों का विश्वास दरकने लगा है। मुस्लिमों की आवाज उठाने वाले लीडर्स या तो जेल में हैं या फिर साइड लाइन कर दिए गए हैं। रुचि वीरा ने मुझसे संपर्क भी नहीं किया और न ही मेरे घर मिलने आईं।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर