ताजमहल आगरा नहीं, बुरहानपुर में होता… अगर टेस्ट में मिट्टी पास हो जाती। करीब 400 साल पहले मुगल इंजीनियरों को पता था कि सॉइल टेस्ट (मिट्टी की जांच) कितना जरूरी है। लेकिन, यूपी में जल जीवन मिशन के हमारे इंजीनियर नियम-कायदे ताक पर रख बगैर सॉइल टेस्ट के पानी की टंकियां बनाते जा रहे हैं। मथुरा में ऐसी ही एक टंकी गिर गई, जिसमें 3 बेकसूर लोगों की जान चली गई। दूसरी टंकी सीतापुर के चितहला गांव में टेस्टिंग के दौरान ही धराशायी हो गई। दैनिक भास्कर की टीम ने इन्वेस्टिगेशन किया कि ये टंकियां गिर क्यों रही हैं? कहां पर गड़बड़ी हुई? क्या इन्हीं दो टंकियों में गड़बड़ी थी या प्रदेश की दूसरी टंकियों का हाल भी ऐसा ही है। मथुरा और सीतापुर की टंकियों में दो बात कॉमन थीं, पहली- इन्हें जल जीवन मिशन ने बनवाया। दूसरी- किसी भी टंकी की मिट्टी की जांच (सॉइल टेस्ट) नहीं कराई गई। हमारे 7 दिन के इन्वेस्टिगेशन में जो निकल कर आया, उसे सिलसिलेवार पढ़िए… हम लखनऊ से लगभग 100 किमी दूर सीतापुर के चितहला गांव पहुंचे। गांव के प्रधान सुरेंद्र कुमार मिश्रा से पूछा कि क्या पहले गड़बड़ी का पता नहीं था? उन्होंने कहा- यह टंकी एक साल से बन रही थी। कंपनी सीधे काम नहीं कर रही थी। उसने छोटे लोगों (पेटी कांट्रैक्टर) को काम दिया। ऊपर से लेकर नीचे तक कमीशन चलता है। हमने कहा था कि कॉलम टेढ़ा जा रहा है, लेकिन ठेकेदार ने सुनी ही नहीं। विभागीय जेई ने भी टोका, लेकिन कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर ने कहा कि सब सही है। नतीजा टंकी गिर गई। यहां पर तैनात चौकीदार विनय कुमार का भी यही कहना है। वह कहते हैं- टंकी के कॉलम (स्ट्रक्चर) में गड़बड़ी थी। जेई साहब ने ठेकेदार से कहा भी था, लेकिन वह नहीं माना। हमें इन्वेस्टिगेशन के दौरान इंजीनियर्स और अफसरों के 5 लेटर मिले। हादसे से पहले एक लेटर और बाकी 4 हादसे के बाद टंकियां बना रहीं कंपनियों को लिखे गए थे। हादसे से दो दिन पहले सीतापुर के जेई संजीत कुमार यादव का अफसरों को लिखा पत्र मिला। यह पत्र चितहला गांव की टंकी से जुड़ा नहीं था, लेकिन सभी टंकियों की पोल खोलने वाला था। इसमें कहा गया कि हरिपालपुर गांव की टंकी की टाई बीम और कॉलम में अधिक मात्रा में कंक्रीट में छोटे-छोटे छेद और खाली जगह हैं। कॉलम का अलाइनमेंट भी सही नहीं है। कंपनी ने रिबाउंड हैमर टेस्ट भी नहीं कराया। जांच रिपोर्ट के बगैर भुगतान मत कीजिएगा। हादसे के बाद धड़ाधड़ कंपनियों को पत्र लिखे गए चितहला गांव में टंकी गिरने पर अफसर और इंजीनियर डर गए। अफसर लेटर लिखकर कंपनियों को सॉइल टेस्ट और रिबाउंड हैमर टेस्ट रिपोर्ट जमा कराने के लिए कहने लगे, जबकि यह रिपोर्ट पहले जमा होती है। सीतापुर के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर राजीव कुमार ने 5 सितंबर 2024 को टंकियां बना रही एनसीसी लिमिटेड को लेटर लिखकर सभी टंकियों की रिबाउंड हैमर टेस्ट रिपोर्ट मांगी। लेटर के मुताबिक, 29 अगस्त तक सिर्फ एक टंकी की रिबाउंड हैमर टेस्ट रिपोर्ट मांगी गई थी, लेकिन हादसे के बाद सीतापुर में जितनी भी टंकियां बना रही हैं, सभी की रिपोर्ट तलब की गई। पत्र में चेतावनी दी गई कि अगर टेस्ट रिपोर्ट नहीं जमा की गई तो कोई भी भुगतान नहीं किया जाएगा। सीतापुर के अलग-अलग ब्लाकों में एनसीसी लिमिटेड के पास 783 टंकियां बनाने का काम है। जल जीवन मिशन सीतापुर में थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन (TPI) के लिए नामित कंपनी सिंसेस टेक लिमिटेड सीतापुर को निर्देश दिया गया कि संबंधित कंपनी के साथ मिलकर यह जांच कराएं। रिपोर्ट में खुलासा- मिट्टी की जांच सहीं नहीं हुई थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन करने वाली कंपनी सिंसेस टेक लिमिटेड ने अपनी रिपोर्ट में सॉइल टेस्ट की अनदेखी का खुलासा किया। उसने सीतापुर के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को 18 सितंबर 2024 को एक पत्र लिखा। इसमें बताया गया कि कुछ जगहों पर मिट्टी की जांच स्टैंडर्ड यानी मानकों पर नहीं है। एनसीसी लिमिटेड ने पानी की टंकियों की जो डिजाइन और ड्राइंग मिट्टी की जांच के आधार पर जमा की है, वह सही नहीं है। एनसीसी लिमिटेड ने जो मिट्टी की जांच रिपोर्ट सौंपी है, वह सिर्फ 4 ब्लाॅक की है। बाकी ब्लॉक की रिपोर्ट भी मानक के अनुरूप जमा की जाए। एनसीसी ने कमजोर नींव पर खड़ी कर दी पानी की टंकियां 23 सितंबर, 2024 को एग्जीक्यूटिव इंजीनियर राजीव कुमार ने एनसीसी कंपनी को फिर पत्र लिखा। इसमें कहा गया कि आपको मिट्टी की जांच के रिपोर्ट के आधार पर ड्राइंग और डिजाइन उपलब्ध कराने को कहा गया था, लेकिन अभी तक उपलब्ध नहीं कराई। ऐसे में टंकियों का काम तत्काल बंद कर दिया जाए। 555 टंकियों की मिट्टी की जांच रिपोर्ट दो दिन के अंदर उपलब्ध कराएं। कंपनी के भुगतान पर रोक लगा दी। ऐसा ही पत्र असिस्टेंट इंजीनियर धर्मेंद्र यादव ने एलएंडटी कंस्ट्रक्शन को 25 सितंबर 2024 को लिखा। इस लेटर में लिखा गया है कि आपके द्वारा 535 पेयजल योजनाओं का डीपीआर तैयार की गई थी, लेकिन सिर्फ 122 योजनाओं की ही मिट्टी की जांच ड्राइंग और डिजाइन उपलब्ध कराई गई है। सीतापुर में अफसर बोले, पत्र लिखने के बाद जमा हो गई थी रिपोर्ट सॉइल टेस्ट और रिबाउंड हैमर टेस्ट रिपोर्ट पर हमने सीतापुर के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर राजीव कुमार से बात की। हमारा सवाल था कि आपने सीतापुर में काम कर रही कंपनियों को पत्र लिखा था, जिसमें सॉइल टेस्ट और रिबाउंड हैमर टेस्ट रिपोर्ट मांगी थी। क्या बिना टेस्ट कराए ही टंकियों का निर्माण शुरू कर दिया गया? इस पर राजीव कुमार का जवाब था कि अब सॉइल टेस्ट रिपोर्ट जमा कर दी गई है। हम अगला सवाल पूछते, इससे पहले उन्होंने मीटिंग में होने की बात कहकर फोन काट दिया। लेकिन हमारे हाथ लगे हादसे के बाद अफसर, इंजीनियर्स के लेटर और थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन (TPI) कंपनी सिंसेस टेक लिमिटेड की रिपोर्ट बताती है कि सीतापुर में 1320 टंकियां बन रही हैं। इनमें से 1090 टंकियों में से अधिकतर का साॅइल टेस्ट और रिबाउंड हैमर टेस्ट कराया ही नहीं गया। टंकियों की ऊंचाई 30 से 40 फीट है। 500 से लेकर 1200 किलोलीटर तक कैपेसिटी है। रात में बन रही हैं टंकियां हम चितहला गांव से दो किमी दूर बहेरा गांव पहुंचे। यहां टंकी बन रही है। प्रधानपति संतोष कुमार कहते हैं, यहां जो टंकी बन रही है, उसका काम रात में ही होता है। दिन में कोई काम नहीं हो रहा। इसमें भी कुछ घालमेल है। जिस तरह यह टंकी बन रही है, उससे नहीं लगता कि यह ज्यादा दिनों तक चलने वाली है। अब यहां से हमें पता चला कि कुछ महीने पहले सादिकपुर गांव में भी शटरिंग के दौरान टंकी की छत गिर गई थी। बहेरा गांव से लगभग 15 किमी दूर हम सादिकपुर गांव पहुंचे। वहां मलबा हटाने का काम हो रहा था। हमने मजदूरों से हिडन कैमरे पर बात की। पता चला पहले दूसरे लोगों को ठेका मिला था, अब उनसे काम न लेकर दूसरे को दिया गया है। अब हमारे सामने सवाल था कि केवल सीतापुर में ही टंकियाें में गड़बड़ी है या फिर और जिलों में भी? हम सीतापुर से लगभग 70 किमी दूर शाहजहांपुर पहुंचे। हमें पता चला कि जुलाई, 2024 के पहले हफ्ते में शाहजहांपुर के सिंधौली ब्लॉक के मूर्छा गांव में बन रही पानी की टंकी की सीढ़ियां अचानक ढह गई थीं। एक मजदूर भी घायल हो गया। मौके पर पहुंचने पर पता चला कि यहां तब से दोबारा काम ही नहीं शुरू हुआ। हम शाहजहांपुर जल जीवन मिशन के दफ्तर पहुंचे। हमारी मुलाकात इंजीनियर चेतन कुमार से हुई। हमने उनसे पूछा कि क्या टंकी का साॅइल टेस्ट कराया गया है तो वह बोले- हां बिल्कुल सॉइल टेस्ट हुआ है। जब हमने रिपोर्ट दिखाने के लिए कहा तो उन्होंने मना कर दिया। बोले- आपको हमारे उच्चाधिकारियों से बात करनी होगी। हमने एक्सईएन से बात की। एक्सईएन ने कहा कि आपको लेटर हेड पर अपने सवाल लिखकर देने होंगे, उसके बाद ही कोई कागज दिखा सकते हैं। सीतापुर में टंकी बना रही एनसीसी कंपनी और एलएंडटी कंस्ट्रक्शन का पक्ष जानने के लिए हमने उनके वेबसाइट पर दिए गए नंबरों पर फोन किया तो वे नहीं उठे। वहीं, ईमेल करने पर मैसेज आ रहा है कि रिसीवर नाट फाउंड। ये हाल सिर्फ 2 जिलों का है, जबकि यूपी के 73 जिलों में पानी की टंकियां बिना सॉइल टेस्ट की बनाई जा रही हैं। यह आगे चलकर बिन बुलाई मौत न साबित हो जाएं। ——————————–
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यूपी में मर चुके बच्चों का बिक रहा पुष्टाहार: हिडेन कैमरे पर कैद कबूलनामा
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उन्होंने कहा- यह टंकी एक साल से बन रही थी। कंपनी सीधे काम नहीं कर रही थी। उसने छोटे लोगों (पेटी कांट्रैक्टर) को काम दिया। ऊपर से लेकर नीचे तक कमीशन चलता है। हमने कहा था कि कॉलम टेढ़ा जा रहा है, लेकिन ठेकेदार ने सुनी ही नहीं। विभागीय जेई ने भी टोका, लेकिन कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर ने कहा कि सब सही है। नतीजा टंकी गिर गई। यहां पर तैनात चौकीदार विनय कुमार का भी यही कहना है। वह कहते हैं- टंकी के कॉलम (स्ट्रक्चर) में गड़बड़ी थी। जेई साहब ने ठेकेदार से कहा भी था, लेकिन वह नहीं माना। हमें इन्वेस्टिगेशन के दौरान इंजीनियर्स और अफसरों के 5 लेटर मिले। हादसे से पहले एक लेटर और बाकी 4 हादसे के बाद टंकियां बना रहीं कंपनियों को लिखे गए थे। हादसे से दो दिन पहले सीतापुर के जेई संजीत कुमार यादव का अफसरों को लिखा पत्र मिला। यह पत्र चितहला गांव की टंकी से जुड़ा नहीं था, लेकिन सभी टंकियों की पोल खोलने वाला था। इसमें कहा गया कि हरिपालपुर गांव की टंकी की टाई बीम और कॉलम में अधिक मात्रा में कंक्रीट में छोटे-छोटे छेद और खाली जगह हैं। कॉलम का अलाइनमेंट भी सही नहीं है। कंपनी ने रिबाउंड हैमर टेस्ट भी नहीं कराया। जांच रिपोर्ट के बगैर भुगतान मत कीजिएगा। हादसे के बाद धड़ाधड़ कंपनियों को पत्र लिखे गए चितहला गांव में टंकी गिरने पर अफसर और इंजीनियर डर गए। अफसर लेटर लिखकर कंपनियों को सॉइल टेस्ट और रिबाउंड हैमर टेस्ट रिपोर्ट जमा कराने के लिए कहने लगे, जबकि यह रिपोर्ट पहले जमा होती है। सीतापुर के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर राजीव कुमार ने 5 सितंबर 2024 को टंकियां बना रही एनसीसी लिमिटेड को लेटर लिखकर सभी टंकियों की रिबाउंड हैमर टेस्ट रिपोर्ट मांगी। लेटर के मुताबिक, 29 अगस्त तक सिर्फ एक टंकी की रिबाउंड हैमर टेस्ट रिपोर्ट मांगी गई थी, लेकिन हादसे के बाद सीतापुर में जितनी भी टंकियां बना रही हैं, सभी की रिपोर्ट तलब की गई। पत्र में चेतावनी दी गई कि अगर टेस्ट रिपोर्ट नहीं जमा की गई तो कोई भी भुगतान नहीं किया जाएगा। सीतापुर के अलग-अलग ब्लाकों में एनसीसी लिमिटेड के पास 783 टंकियां बनाने का काम है। जल जीवन मिशन सीतापुर में थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन (TPI) के लिए नामित कंपनी सिंसेस टेक लिमिटेड सीतापुर को निर्देश दिया गया कि संबंधित कंपनी के साथ मिलकर यह जांच कराएं। रिपोर्ट में खुलासा- मिट्टी की जांच सहीं नहीं हुई थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन करने वाली कंपनी सिंसेस टेक लिमिटेड ने अपनी रिपोर्ट में सॉइल टेस्ट की अनदेखी का खुलासा किया। उसने सीतापुर के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को 18 सितंबर 2024 को एक पत्र लिखा। इसमें बताया गया कि कुछ जगहों पर मिट्टी की जांच स्टैंडर्ड यानी मानकों पर नहीं है। एनसीसी लिमिटेड ने पानी की टंकियों की जो डिजाइन और ड्राइंग मिट्टी की जांच के आधार पर जमा की है, वह सही नहीं है। एनसीसी लिमिटेड ने जो मिट्टी की जांच रिपोर्ट सौंपी है, वह सिर्फ 4 ब्लाॅक की है। बाकी ब्लॉक की रिपोर्ट भी मानक के अनुरूप जमा की जाए। एनसीसी ने कमजोर नींव पर खड़ी कर दी पानी की टंकियां 23 सितंबर, 2024 को एग्जीक्यूटिव इंजीनियर राजीव कुमार ने एनसीसी कंपनी को फिर पत्र लिखा। इसमें कहा गया कि आपको मिट्टी की जांच के रिपोर्ट के आधार पर ड्राइंग और डिजाइन उपलब्ध कराने को कहा गया था, लेकिन अभी तक उपलब्ध नहीं कराई। ऐसे में टंकियों का काम तत्काल बंद कर दिया जाए। 555 टंकियों की मिट्टी की जांच रिपोर्ट दो दिन के अंदर उपलब्ध कराएं। कंपनी के भुगतान पर रोक लगा दी। ऐसा ही पत्र असिस्टेंट इंजीनियर धर्मेंद्र यादव ने एलएंडटी कंस्ट्रक्शन को 25 सितंबर 2024 को लिखा। इस लेटर में लिखा गया है कि आपके द्वारा 535 पेयजल योजनाओं का डीपीआर तैयार की गई थी, लेकिन सिर्फ 122 योजनाओं की ही मिट्टी की जांच ड्राइंग और डिजाइन उपलब्ध कराई गई है। सीतापुर में अफसर बोले, पत्र लिखने के बाद जमा हो गई थी रिपोर्ट सॉइल टेस्ट और रिबाउंड हैमर टेस्ट रिपोर्ट पर हमने सीतापुर के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर राजीव कुमार से बात की। हमारा सवाल था कि आपने सीतापुर में काम कर रही कंपनियों को पत्र लिखा था, जिसमें सॉइल टेस्ट और रिबाउंड हैमर टेस्ट रिपोर्ट मांगी थी। क्या बिना टेस्ट कराए ही टंकियों का निर्माण शुरू कर दिया गया? इस पर राजीव कुमार का जवाब था कि अब सॉइल टेस्ट रिपोर्ट जमा कर दी गई है। हम अगला सवाल पूछते, इससे पहले उन्होंने मीटिंग में होने की बात कहकर फोन काट दिया। लेकिन हमारे हाथ लगे हादसे के बाद अफसर, इंजीनियर्स के लेटर और थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन (TPI) कंपनी सिंसेस टेक लिमिटेड की रिपोर्ट बताती है कि सीतापुर में 1320 टंकियां बन रही हैं। इनमें से 1090 टंकियों में से अधिकतर का साॅइल टेस्ट और रिबाउंड हैमर टेस्ट कराया ही नहीं गया। टंकियों की ऊंचाई 30 से 40 फीट है। 500 से लेकर 1200 किलोलीटर तक कैपेसिटी है। रात में बन रही हैं टंकियां हम चितहला गांव से दो किमी दूर बहेरा गांव पहुंचे। यहां टंकी बन रही है। प्रधानपति संतोष कुमार कहते हैं, यहां जो टंकी बन रही है, उसका काम रात में ही होता है। दिन में कोई काम नहीं हो रहा। इसमें भी कुछ घालमेल है। जिस तरह यह टंकी बन रही है, उससे नहीं लगता कि यह ज्यादा दिनों तक चलने वाली है। अब यहां से हमें पता चला कि कुछ महीने पहले सादिकपुर गांव में भी शटरिंग के दौरान टंकी की छत गिर गई थी। बहेरा गांव से लगभग 15 किमी दूर हम सादिकपुर गांव पहुंचे। वहां मलबा हटाने का काम हो रहा था। हमने मजदूरों से हिडन कैमरे पर बात की। पता चला पहले दूसरे लोगों को ठेका मिला था, अब उनसे काम न लेकर दूसरे को दिया गया है। अब हमारे सामने सवाल था कि केवल सीतापुर में ही टंकियाें में गड़बड़ी है या फिर और जिलों में भी? हम सीतापुर से लगभग 70 किमी दूर शाहजहांपुर पहुंचे। हमें पता चला कि जुलाई, 2024 के पहले हफ्ते में शाहजहांपुर के सिंधौली ब्लॉक के मूर्छा गांव में बन रही पानी की टंकी की सीढ़ियां अचानक ढह गई थीं। एक मजदूर भी घायल हो गया। मौके पर पहुंचने पर पता चला कि यहां तब से दोबारा काम ही नहीं शुरू हुआ। हम शाहजहांपुर जल जीवन मिशन के दफ्तर पहुंचे। हमारी मुलाकात इंजीनियर चेतन कुमार से हुई। हमने उनसे पूछा कि क्या टंकी का साॅइल टेस्ट कराया गया है तो वह बोले- हां बिल्कुल सॉइल टेस्ट हुआ है। जब हमने रिपोर्ट दिखाने के लिए कहा तो उन्होंने मना कर दिया। बोले- आपको हमारे उच्चाधिकारियों से बात करनी होगी। हमने एक्सईएन से बात की। एक्सईएन ने कहा कि आपको लेटर हेड पर अपने सवाल लिखकर देने होंगे, उसके बाद ही कोई कागज दिखा सकते हैं। सीतापुर में टंकी बना रही एनसीसी कंपनी और एलएंडटी कंस्ट्रक्शन का पक्ष जानने के लिए हमने उनके वेबसाइट पर दिए गए नंबरों पर फोन किया तो वे नहीं उठे। वहीं, ईमेल करने पर मैसेज आ रहा है कि रिसीवर नाट फाउंड। ये हाल सिर्फ 2 जिलों का है, जबकि यूपी के 73 जिलों में पानी की टंकियां बिना सॉइल टेस्ट की बनाई जा रही हैं। यह आगे चलकर बिन बुलाई मौत न साबित हो जाएं। ——————————–
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यूपी में मर चुके बच्चों का बिक रहा पुष्टाहार: हिडेन कैमरे पर कैद कबूलनामा
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से मिलने वाला पोषाहार (रिफाइंड तेल, चना दाल और गेहूं दलिया) बच्चों तक ठीक से नहीं पहुंच रहा। पता चला जिन बच्चों की मौत हो चुकी है या वहां से जा चुके हैं, उनके नाम पर भी राशन निकाला जा रहा है। पढ़िए पूरी इन्वेस्टिगेशन… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर