मरीजों के लिए राहत की खबर है। मेडिकल कॉलेजों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल वापस ले ली है। कोलकाता की घटना के बाद राजधानी लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों के मेडिकल कॉलेजों के रेजिडेंट डॉक्टर लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। 12 अगस्त से यूपी रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने हड़ताल का ऐलान किया था। इसके अगले ही दिन लखनऊ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के सदस्य भी स्टेट बॉडी के कॉल पर स्ट्राइक पर चले गए थे। इसमें प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा विश्वविद्यालय, KGMU के अलावा SGPGI, RMLIMS (लोहिया संस्थान) और कल्याण सिंह कैंसर संस्थान (KSSSCI) भी शामिल थे। OPD और इलेक्टिव सर्जरी से बनाई थी दूरी हड़ताल के दौरान रेजिडेंट डॉक्टरों ने OPD में इलाज से खुद को अलग कर लिया था। साथ ही इलेक्टिव सर्जरी से भी दूरी बना ली थी। इमरजेंसी सहित ट्रॉमा और भर्ती मरीजों के इलाज में सेवाएं दे रहे थे। हालांकि हड़ताल का रोजाना जबरदस्त असर मरीजों पर पड़ रहा था। अकेले लखनऊ से हजारों की संख्या में मरीज बिना इलाज वापस लौट रहे थे। इस बीच गुरुवार देर शाम हड़ताल वापसी से जुड़ा स्टेटमेंट, यूपी रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन की तरफ से जारी कर दिया गया। साथ ही लखनऊ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने भी इसके बाद लेटर जारी कर 23 अगस्त से OPD में वापसी की बात कही। जारी रहेगा विरोध और प्रदर्शन रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल वापसी का ऐलान कर शुक्रवार से OPD में वापसी की बात कही, पर सांकेतिक विरोध और कैंडल मार्च-प्रोटेस्ट जैसे प्रदर्शन जारी रखने की बात कही। यूपी रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने बताया कि काला रिबन बांधकर कोलकाता की घटना का विरोध जरूर दर्ज कराएंगे। साथ ही पीसफुल प्रोटेस्ट जिनमें कैंडल मार्च, पोस्टर डेमोंस्ट्रेशन जारी रखेंगे। 2 सप्ताह में राज्य और केंद्र सरकार से इन मांगों पर एक्शन लेने की बात कही मरीजों के लिए राहत की खबर है। मेडिकल कॉलेजों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल वापस ले ली है। कोलकाता की घटना के बाद राजधानी लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों के मेडिकल कॉलेजों के रेजिडेंट डॉक्टर लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। 12 अगस्त से यूपी रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने हड़ताल का ऐलान किया था। इसके अगले ही दिन लखनऊ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के सदस्य भी स्टेट बॉडी के कॉल पर स्ट्राइक पर चले गए थे। इसमें प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा विश्वविद्यालय, KGMU के अलावा SGPGI, RMLIMS (लोहिया संस्थान) और कल्याण सिंह कैंसर संस्थान (KSSSCI) भी शामिल थे। OPD और इलेक्टिव सर्जरी से बनाई थी दूरी हड़ताल के दौरान रेजिडेंट डॉक्टरों ने OPD में इलाज से खुद को अलग कर लिया था। साथ ही इलेक्टिव सर्जरी से भी दूरी बना ली थी। इमरजेंसी सहित ट्रॉमा और भर्ती मरीजों के इलाज में सेवाएं दे रहे थे। हालांकि हड़ताल का रोजाना जबरदस्त असर मरीजों पर पड़ रहा था। अकेले लखनऊ से हजारों की संख्या में मरीज बिना इलाज वापस लौट रहे थे। इस बीच गुरुवार देर शाम हड़ताल वापसी से जुड़ा स्टेटमेंट, यूपी रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन की तरफ से जारी कर दिया गया। साथ ही लखनऊ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने भी इसके बाद लेटर जारी कर 23 अगस्त से OPD में वापसी की बात कही। जारी रहेगा विरोध और प्रदर्शन रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल वापसी का ऐलान कर शुक्रवार से OPD में वापसी की बात कही, पर सांकेतिक विरोध और कैंडल मार्च-प्रोटेस्ट जैसे प्रदर्शन जारी रखने की बात कही। यूपी रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने बताया कि काला रिबन बांधकर कोलकाता की घटना का विरोध जरूर दर्ज कराएंगे। साथ ही पीसफुल प्रोटेस्ट जिनमें कैंडल मार्च, पोस्टर डेमोंस्ट्रेशन जारी रखेंगे। 2 सप्ताह में राज्य और केंद्र सरकार से इन मांगों पर एक्शन लेने की बात कही उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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‘आजकल हर कोई बताना चाहता है कि उसका धर्म-ईश्वर सर्वोच्च’, बॉम्बे HC ने क्यों कही ये बात?
‘आजकल हर कोई बताना चाहता है कि उसका धर्म-ईश्वर सर्वोच्च’, बॉम्बे HC ने क्यों कही ये बात? <p style=”text-align: justify;”><strong>Bombay High Court News: </strong>बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक व्हाट्सऐप ग्रुप में कथित रूप से धार्मिक भावना आहत करने को लेकर दो लोगों के खिलाफ दर्ज मामले को खारिज करते हुए बुधवार को कहा कि आजकल लोग धर्म को लेकर संवेदनशील हो गए हैं. हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने कहा कि चूंकि व्हाट्सऐप संदेश कूटबद्ध होते हैं और तीसरा व्यक्ति उसे हासिल नहीं कर सकता है तो ऐसे में यह देखा जाना चाहिए कि क्या वे भारतीय दंड संहिता के तहत धार्मिक भावना को आहत करने का प्रभाव डाल सकते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>‘शांति व्यवस्था को भंग करने की सोची समझी मंशा’</strong><br />पीठ ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश है, जहां सभी को दूसरों के धर्म और जाति का सम्मान करना चाहिए, लेकिन साथ ही लोगों को किसी भी प्रकार की जल्दबाजी में प्रतिक्रिया करने से बचना चाहिए. न्यायमूर्ति विभा कांकणवाड़ी और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी की खंडपीठ ने धार्मिक भावना आहत करने, शांति व्यवस्था को भंग करने की सोची समझी मंशा और धमकी देने को लेकर 2017 में एक सैन्य अधिकारी के साथ ही एक चिकित्सक के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी खारिज कर दी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>‘हर कोई यह बताना चाहता है कि कैसे उसका धर्म-ईश्वर सर्वोच्च है’</strong><br />शिकायतकर्ता शाहबाज सिद्दीकी ने सैन्यकर्मी प्रमोद शेंद्रे और चिकित्सक सुभाष वाघे पर एक व्हाट्सऐप ग्रुप में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ अपमानजनक संदेश पोस्ट करने का आरोप लगाया था. शिकायतकर्ता भी उस ग्रुप का हिस्सा था. सिद्दीकी ने शिकायत की थी कि आरोपियों ने पैगंबर मोहम्मद के बारे में सवाल खड़े किए थे और कहा था कि जो ‘वंदे मातरम’ नहीं बोलते हैं, उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए. हाई कोर्ट ने कहा, ‘‘हम यह देखने के लिए बाध्य हैं कि आजकल लोग अपने धर्मों के प्रति पहले की तुलना में अधिक संवेदनशील हो गए हैं और हर कोई यह बताना चाहता है कि कैसे उसका धर्म/ईश्वर सर्वोच्च है.</p>
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