हिमाचल प्रदेश की महिलाएं मेहनतकश हैं और पढ़ी-लिखी भी। प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वरोजगार से संबंधित योजनाओं से लाभ प्राप्त कर वे आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनने की राह पर अग्रसर हैं। जिला मंडी के उपमंडल पधर की ग्राम पंचायत डलाह के गांव कोठी की महिलाएं वेस्ट से बेस्ट तैयार कर स्वावलंबन की नई इबारत लिख रही हैं।
स्वयं सहायता समूह के रूप में संगठित यह महिलाएं आचार, बांस से बनी टोकरी, किरडु के साथ ही आजकल राखी के त्योहार में घर के वेस्ट मैटेरियल से राखी बनाने का काम कर रही हैं। 13 साल पहले बनाई थीं संगठन समूह की सदस्य अंजली कुमारी, कामेश्वरी और कुसमा कहती हैं कि उन्होंने 2011 में समूह का गठन किया, जिसमें 9 सदस्य हैं। पहले वह केवल बचत ही करती थीं, लेकिन बाद में प्रदेश सरकार की तरफ से उन्हें 15 हजार रूपए का रिवाल्विंग फंड मिला और 2500 रूपए स्टार्टअप फंड भी मिला। इसके बाद ग्रुप की महिलाओं ने आय बढ़ाने के लिए छोटे-छोटे कार्य शुरू किए। हाथ से बनाती हैं टोकरी और किरडु समूह की महिलाओं ने मिलकर बांस से बने उत्पाद जैसे टोकरी, किरडु तथा खाने के लिए बड़ियां व अचार का उत्पादन शुरू किया। आजकल वह राखी के त्यौहार के लिए घर के वेस्ट मैटीरियल से राखी बना रहीं हैं। जिसे पधर में द्रंग ब्लॉक की तरफ से दी गई हिम ईरा शॉप में बिक्री के लिए रखा गया है। पधर के द्रंग ब्लॉक में राखी का स्टाल भी लगाई गईं हैं। छोटी शुरूआत से बढ़ रहीं आत्मनिर्भरता की ओर वह कहती हैं कि इन सभी उत्पादों से उन्हें सालाना लगभग 1 लाख रुपए तक की आमदनी हो जाती है, जिससे वह आत्मनिर्भर हो रही हैं। इसके लिए वह प्रदेश सरकार का धन्यवाद करती हैं, जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए निरंतर सहायता प्रदान कर रही है। खंड विकास अधिकारी विनय चौहान ने कहा कि द्रंग ब्लॉक में 613 स्वयं सहायता समूह कार्य कर रहे हैं जिन्हें सरकार की तरफ से 15 हजार रूपए रिवाल्विंग फंड और 2500 रुपए स्टार्टअप फंड मिला है। सभी महिलाएं स्वयं समूहों के जरिए आत्मनिर्भर हो रही हैं। हिमाचल प्रदेश की महिलाएं मेहनतकश हैं और पढ़ी-लिखी भी। प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वरोजगार से संबंधित योजनाओं से लाभ प्राप्त कर वे आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनने की राह पर अग्रसर हैं। जिला मंडी के उपमंडल पधर की ग्राम पंचायत डलाह के गांव कोठी की महिलाएं वेस्ट से बेस्ट तैयार कर स्वावलंबन की नई इबारत लिख रही हैं।
स्वयं सहायता समूह के रूप में संगठित यह महिलाएं आचार, बांस से बनी टोकरी, किरडु के साथ ही आजकल राखी के त्योहार में घर के वेस्ट मैटेरियल से राखी बनाने का काम कर रही हैं। 13 साल पहले बनाई थीं संगठन समूह की सदस्य अंजली कुमारी, कामेश्वरी और कुसमा कहती हैं कि उन्होंने 2011 में समूह का गठन किया, जिसमें 9 सदस्य हैं। पहले वह केवल बचत ही करती थीं, लेकिन बाद में प्रदेश सरकार की तरफ से उन्हें 15 हजार रूपए का रिवाल्विंग फंड मिला और 2500 रूपए स्टार्टअप फंड भी मिला। इसके बाद ग्रुप की महिलाओं ने आय बढ़ाने के लिए छोटे-छोटे कार्य शुरू किए। हाथ से बनाती हैं टोकरी और किरडु समूह की महिलाओं ने मिलकर बांस से बने उत्पाद जैसे टोकरी, किरडु तथा खाने के लिए बड़ियां व अचार का उत्पादन शुरू किया। आजकल वह राखी के त्यौहार के लिए घर के वेस्ट मैटीरियल से राखी बना रहीं हैं। जिसे पधर में द्रंग ब्लॉक की तरफ से दी गई हिम ईरा शॉप में बिक्री के लिए रखा गया है। पधर के द्रंग ब्लॉक में राखी का स्टाल भी लगाई गईं हैं। छोटी शुरूआत से बढ़ रहीं आत्मनिर्भरता की ओर वह कहती हैं कि इन सभी उत्पादों से उन्हें सालाना लगभग 1 लाख रुपए तक की आमदनी हो जाती है, जिससे वह आत्मनिर्भर हो रही हैं। इसके लिए वह प्रदेश सरकार का धन्यवाद करती हैं, जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए निरंतर सहायता प्रदान कर रही है। खंड विकास अधिकारी विनय चौहान ने कहा कि द्रंग ब्लॉक में 613 स्वयं सहायता समूह कार्य कर रहे हैं जिन्हें सरकार की तरफ से 15 हजार रूपए रिवाल्विंग फंड और 2500 रुपए स्टार्टअप फंड मिला है। सभी महिलाएं स्वयं समूहों के जरिए आत्मनिर्भर हो रही हैं। हिमाचल | दैनिक भास्कर
