<p style=”text-align: justify;”><strong>Rajasthan IAS Transfers:</strong> राजस्थान में 18 आईएएस अफसरों के तबादले हुए हैं वहीं 8 अफसरों को अतिरिक्त कार्यभार मिले हैं. चार जिलों के कलक्टर भी बदले गए. </p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Rajasthan IAS Transfers:</strong> राजस्थान में 18 आईएएस अफसरों के तबादले हुए हैं वहीं 8 अफसरों को अतिरिक्त कार्यभार मिले हैं. चार जिलों के कलक्टर भी बदले गए. </p> राजस्थान आगरा में शातिर अपराधी ‘अलीशेर’ की एक करोड़ से अधिक की संपत्ति कुर्क, 22 से ज्यादा केस हैं दर्ज
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पलवल में सीआईए ने आरोपी को किया गिरफ्तार:अपहरण कर काटी थी युवक उंगली, घायल अपराधी की बढ़ाई सुरक्षा
पलवल में सीआईए ने आरोपी को किया गिरफ्तार:अपहरण कर काटी थी युवक उंगली, घायल अपराधी की बढ़ाई सुरक्षा एक युवक का जिला बुलंदशहर (यूपी) के शहदपुरा गांव से अपहरण कर उसके हाथों की उंगली काटकर होडल में फेंकने के मामले में सीआईए हथीन की टीम ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। जबकि सीआईए टीम अन्य की तलाश में टीम जुटी हुई है। सीआईए टीम ने की कार्रवाई हथीन सीआईए प्रभारी दीपक गुलिया ने बताया कि एसपी चंद्र मोहन के निर्देशन में उनकी टीम ने होडल थाने में दर्ज युवक के अपहरण कर उंगली काटने के मामले में फरार चल रहे आरोपी पलवल के गन्नीकी गांव निवासी साहिल को गिरफ्तार किया है। आरोपी को आगामी कार्रवाई के लिए होडल थाना पुलिस के हवाले कर दिया गया है। होडल थाना पुलिस ने आरोपी को शुक्रवार को अदालत में पेश किया। आरोपी का लिया रिमांड अदालत से आरोपी को दो दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गाय है। रिमांड के दौरान पुलिस आरोपी के आपराधिक रिकार्ड को खंगालने के साथ ही उसके अन्य साथियों के बारे में पूछताछ करने में जुटी हुई है। वहीं, घायल रुपेश के खिलाफ पहले ही आपराधिक केस दर्ज होने के चलते उसकी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। क्योंकि पुलिस को रुपेश की भी तलाश थी। फिलहाल रुपेश अस्पताल में उपचाराधीन है। घायल को फेंककर फरार हुए थे आरोपी होडल थाना प्रभारी तेजपाल सिंह ने बताया कि होडल निवासी रुपेश ने दी शिकायत में बताया था कि 6 जुलाई को वह भूपेंद्र, रोहित व मनीष के साथ जिला बुलंदशहर (यूपी) के शहदपुरा गांव में अपने दोस्त नितिन के घर पर बैठे हुए थे। उसी दौरान 12 से अधिक युवक 4-5 गाड़ियों में सवार होकर वहां पहुंचे। सभी आरोपियों के हाथों में अवैध हथियार, लाठी-डंडा, कुल्हाड़ी थे। वहां पहुंचते ही फायरिंग शुरू कर दी। जिसके बाद उसका अपहरण कर उसके हाथ के पंजे व उंगली काटकर उसे जान से मारने की धमकी देकर होडल के हसनपुर चौक पर फेंक कर फरार हो गए। इस संबंध में घायल रूपेश की शिकायत पर आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर तलाश शुरू कर दी थी।
श्रीकृष्ण जिस मिट्टी में खेले…उसका सालाना कारोबार 108 करोड़:3 हजार रुपए किलो तक बिक रही रज, ब्रजवासी बोले- बेचने वालों को शर्म आनी चाहिए
श्रीकृष्ण जिस मिट्टी में खेले…उसका सालाना कारोबार 108 करोड़:3 हजार रुपए किलो तक बिक रही रज, ब्रजवासी बोले- बेचने वालों को शर्म आनी चाहिए ब्रज की रज यानी वो मिट्टी, जिसमें श्रीकृष्ण खेले। जिसे खाकर मां यशोदा को मुंह में ही ब्रह्मांड दिखा दिया। इसी मिट्टी में गोसेवा की, गोपियों संग लीलाएं कीं। लोग इस रज को वैसे ही महत्व देते हैं, जैसे भगवान को। मान्यता है कि यहां की रज जिसके शरीर को छू जाए, उसका उद्धार हो जाता है। पहले लोग ब्रज आते थे, छोटी-छोटी थैलियों में मिट्टी रखकर घर ले जाते थे। समय के साथ कारोबारियों ने इस रज का भी मोल लगा दिया। अब यह डिजाइनर पैकेट्स में दुकानों पर और ऑनलाइन बिकती है। इसका सालाना कारोबार 108 करोड़ तक पहुंच गया है। मगर, ब्रज के लोगों में रज के कारोबार को लेकर गुस्सा है। पहले रज से जुड़ी मान्यता समझिए… कारोबार को समझिए… 84 कोस में फैले ब्रज में हर जगह श्रीकृष्ण की लीलाएं
वैसे तो ब्रज के पूरे 84 कोस में फैली रज का महत्व माना जाता है, मगर कुछ स्पॉट ऐसे हैं, जहां की रज लेने के लिए लोग आतुर दिखते हैं। द्वापर युग में प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। बाल लीलाओं में श्रीकृष्ण ने ब्रज की मिट्टी खाई थी। मां यशोदा के डांटने पर उन्हें ब्रह्मांड के दर्शन कराए थे। युवा अवस्था में ब्रज में श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ लीलाएं कीं। स्वामी हरिदास ने साधना की। इसी मिट्टी से बांके बिहारी प्रकट हुए। यही वजह है कि लोग यहां आकर प्रभु के चरणों से छुई रज को साथ लेकर जाना चाहते हैं। दुकानदार की सफाई- हम बेचते नहीं, काउंटर पर रखते हैं, ताकि आसानी से लोगों को मिल सके
इस नाराजगी को समझने के लिए हम लोई बाजार के कंठी माला दुकान पर पहुंचे। यहां दुकानदार विकास अग्रवाल कहते हैं- हम मिट्टी को बेचने के लिए काउंटर पर नहीं रखते हैं। लोग सैकड़ों किमी दूर से ब्रज में आते हैं। उन्हें आसानी से मिट्टी मिल जाए, इसलिए पैकेट बनाकर रखा जाता है। पैसे भी हम सिर्फ पैकेजिंग के लेते हैं। मिट्टी की कोई कीमत नहीं लगा सकता। आगे एक दुकान पर नारायण दास कहते हैं- जो अनमोल है, उसका कोई क्या मोल लगाएगा। मिट्टी का व्यापार आस्था से खिलवाड़ है। जिसको भक्त अपने माथे पर लगाते हैं, उसे बेचना शर्म की बात है। अगर कोई हमसे मांगता है तो उसको यमुना तट या निधि वन भेज देते हैं। अब विरोध को समझिए… ऐसे लोगों पर सिर्फ कार्रवाई होनी चाहिए
आचार्य मृदुल कांत शास्त्री कहते हैं- ब्रज का मतलब गोशाला। गायों की जो चरण रज है, उसको ब्रज रज कहते हैं। सिर्फ श्रीकृष्ण इस रज में नहीं खेले। यहां किशोरीजी भी चली हैं। गोपियों की चरण रज को उद्धव जैसे ज्ञानी नमन करते हैं, वह भी ब्रज रज है। यहां के कण-कण में श्रीकृष्ण-राधा विराजमान हैं। ऐसी ब्रज रज को आप तिजोरी में रख सकते हैं। सबसे अच्छा है कि ठाकुर जी चरणों में रखे। वो खुश होंगे, तो उनकी कृपा मिलेगी। यह रज अगर आपके घर में हैं तो सभी ऊर्जा संतुलित होती है। यहां बड़े-बड़े ऋषि-मुनि आकर मिट्टी में लेटते हैं। अगर इसको कोई बेचता है तो उसके खिलाफ सिर्फ कार्रवाई ही होनी चाहिए। ऑनलाइन बिक्री बैन होनी चाहिए
वृंदावन के बिहारी लाल कहते हैं- हम चाहते हैं कि लोग खुद ही इस रज को बेचना बंद कर दें। ऑनलाइन बिक्री को बैन कर देना चाहिए। बाहर से आने वाले श्रद्धालु इस रज में लोटपोट होकर इसको माथे से धारण करते हैं। कुछ लोग इसको बेचने का जो काम कर रहे हैं, वो दुखद है। इस रज को खरीदना-बेचना, सब गलत
बांके बिहारी मंदिर के सेवायत आनंद बल्लभ गोस्वामी कहते हैं- मुझे लगता है कि लोग खुद ही नहीं समझ पा रहे हैं कि इस रज को खरीदना और बेचना दोनों गलत हैं। निधि वन से लेकर हर जगह यह रज है, लोग ऐसे ही ले सकते हैं। इसका मतलब ये नहीं कि आप बोरियों में लेकर जाएं, थैली में थोड़ी-सी रज ले जाना पर्याप्त है। ये खबरें भी पढ़ें… मथुरा में है राधा-कृष्ण विवाह से जुड़े सबूत:राधा रानी की मांग भरते कृष्ण की प्रतिमा; स्कंद-शिव पुराण में भी जिक्र…विवाद का पूरा सच राधारानी के जन्म और विवाह को लेकर विवाद के बीच दैनिक भास्कर की टीम वृंदावन पहुंची। राधा रानी से जुड़े दो धार्मिक स्थलों पर गई। टीम ने वृंदावन के 9 विद्वानों और भागवताचार्यों से बात की। व्रज के लोगों का कहना है कि राधारानी का विवाह भगवान कृष्ण के साथ हुआ था। यहां इसका साक्ष्य है। पूरी खबर पढ़ें…
Kerala : First batch of miltefosine arrives for treatment of rare brain-eating amoebic disease
Kerala : First batch of miltefosine arrives for treatment of rare brain-eating amoebic disease Three children died of the disease since May this year. The disease is caused due to Naegleria fowleri, a type of amoeba. Free-living amoebas are generally found in stagnant water bodies. Bacteria from the amoeba family are transmitted through the fine pores in the nose while bathing. It enters the human body, severely infects the brain and causes encephalitis.