<p style=”text-align: justify;”><strong>Rajasthan News:</strong> राजस्थान यूनिवर्सिटी में नौकरी के लिए एक प्रोफेसर द्वारा झूठी जानकारी देकर बड़ा खेल करने की बात सामने आई है. प्रोफेसर ने अपनी नौकरी के लिए दी गई मार्कशीट में सही जानकारी नहीं दी है. उन्होंने जो बातें विश्वविद्यालय को बताई है, उसपर विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब जांच के बाद ऑब्जेक्शन लगा दिया है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रोफेसर से सात दिन के अंदर जवाब मांगा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>सूत्रों की मानें तो राजस्थान यूनिवर्सिटी में समाज शास्त्र विभाग के प्रोफेसर सोहन लाल शर्मा को बुधवार को विवि प्रशासन ने छह बिंदुओं का आक्षेप पत्र दे दिया है. वहीं प्रोफेसर सोहन लाल शर्मा का कहना है कि पत्र मिला है उचित जवाब दे दिया जाएगा. विवि प्रशासन की तरफ से कुलसचिव अवधेश सिंह ने जो पत्र प्रोफेसर सोहन लाल शर्मा को दिया है, उसमें साफ-साफ उनके द्वारा दी गई जानकारी पर स्पष्टीकरण मांगा गया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस आक्षेप पत्र में प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए दिए गए आवेदन में 12वीं की परीक्षा में सेकंड डिवीजन 48 प्रतिशत दिए गए हैं, जबकि नंबर 45 प्रतिशत ही है. दूसरा आवेदन पत्र में जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ में सह-आचार्य पद रहने की बात विवि को बताई गई, जबकि अंतिम वेतन प्रमाण पत्र 19.04.2010 को माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय के द्वारा जारी किया गया है. यह गैर सरकारी अनुदानित महाविद्यालय है. जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ एक निजी विवि है. राज विवि का ऑब्जेक्शन है कि सह-आचार्य पद नियुक्ति और अनुभव की दी गई जानकारी झूठी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>विवि प्रशासन ने लगाया ये आरोप</strong><br />इतना ही नहीं प्रोफेसर सोहन लाल शर्मा ने विवि में प्रोफेसर पर नियुक्ति के बाद वेतन रक्षण के लिए माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय के प्राचार्य के हस्ताक्षर और पदनाम मोहर शुदा छठवें वेतन आयोग के अंतर्गत पुनरीर्क्षित वेतनमान में अंतिम वेतन प्रमाण पत्र 19 अप्रैल 2010 दिया है. इस पत्र को भी विवि प्रशासन ने झूठा माना है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं विवि में आवास पी-3 के आवंटन के लिए 10 रुपये के स्टाम्प पेपर में प्रोफेसर ने विवि को जानकारी दी कि जयपुर नगरनिगम क्षेत्र में उनके पास कोई मकान नहीं है. अगर वो मकान खरीदेंगे तो विवि को सूचित करेंगे. इसी बीच प्रोफेसर ने जगतपुरा में स्थिति सिटी ऑफ गोल्डन डोम्स में वर्ष 2011 में फ्लैट नंबर जे-106 को खरीद लिया. इतना ही नहीं बिना इसकी जानकारी दिए विवि आवास पी-3 में रह रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं विवि से घर निर्माण के लिए लोन लेने के लिए 21 सितम्बर 2011 को बताया कि किसी बैंक से कोई लोन नहीं लिया है. जबकि एसबीआई से 6 जुलाई 2011 को 20 लाख का लोन लेकर गोल्डन डोम्स में फ़्लैट लिया गया. प्रोफेसर सोहन लाल ने इस लोन में आयकर की छूट पाने के लिए विवि से भी 20 लाख का लोन ले लिया. इसपर भी विवि ने ऑब्जेक्शन किया है. इतना नहीं प्रोफेसर की पत्नी उदयपुर में मोहनलाल सुखाड़िया में व्याख्याता है और वो भी विवि के आवास पी-3 में रहती. इसे छिपाकर प्रोफेसर ने आवास किराया भत्ता 59,199 रुपये ले लिया.</p>
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</div> <p style=”text-align: justify;”><strong>Rajasthan News:</strong> राजस्थान यूनिवर्सिटी में नौकरी के लिए एक प्रोफेसर द्वारा झूठी जानकारी देकर बड़ा खेल करने की बात सामने आई है. प्रोफेसर ने अपनी नौकरी के लिए दी गई मार्कशीट में सही जानकारी नहीं दी है. उन्होंने जो बातें विश्वविद्यालय को बताई है, उसपर विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब जांच के बाद ऑब्जेक्शन लगा दिया है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रोफेसर से सात दिन के अंदर जवाब मांगा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>सूत्रों की मानें तो राजस्थान यूनिवर्सिटी में समाज शास्त्र विभाग के प्रोफेसर सोहन लाल शर्मा को बुधवार को विवि प्रशासन ने छह बिंदुओं का आक्षेप पत्र दे दिया है. वहीं प्रोफेसर सोहन लाल शर्मा का कहना है कि पत्र मिला है उचित जवाब दे दिया जाएगा. विवि प्रशासन की तरफ से कुलसचिव अवधेश सिंह ने जो पत्र प्रोफेसर सोहन लाल शर्मा को दिया है, उसमें साफ-साफ उनके द्वारा दी गई जानकारी पर स्पष्टीकरण मांगा गया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस आक्षेप पत्र में प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए दिए गए आवेदन में 12वीं की परीक्षा में सेकंड डिवीजन 48 प्रतिशत दिए गए हैं, जबकि नंबर 45 प्रतिशत ही है. दूसरा आवेदन पत्र में जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ में सह-आचार्य पद रहने की बात विवि को बताई गई, जबकि अंतिम वेतन प्रमाण पत्र 19.04.2010 को माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय के द्वारा जारी किया गया है. यह गैर सरकारी अनुदानित महाविद्यालय है. जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ एक निजी विवि है. राज विवि का ऑब्जेक्शन है कि सह-आचार्य पद नियुक्ति और अनुभव की दी गई जानकारी झूठी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>विवि प्रशासन ने लगाया ये आरोप</strong><br />इतना ही नहीं प्रोफेसर सोहन लाल शर्मा ने विवि में प्रोफेसर पर नियुक्ति के बाद वेतन रक्षण के लिए माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय के प्राचार्य के हस्ताक्षर और पदनाम मोहर शुदा छठवें वेतन आयोग के अंतर्गत पुनरीर्क्षित वेतनमान में अंतिम वेतन प्रमाण पत्र 19 अप्रैल 2010 दिया है. इस पत्र को भी विवि प्रशासन ने झूठा माना है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं विवि में आवास पी-3 के आवंटन के लिए 10 रुपये के स्टाम्प पेपर में प्रोफेसर ने विवि को जानकारी दी कि जयपुर नगरनिगम क्षेत्र में उनके पास कोई मकान नहीं है. अगर वो मकान खरीदेंगे तो विवि को सूचित करेंगे. इसी बीच प्रोफेसर ने जगतपुरा में स्थिति सिटी ऑफ गोल्डन डोम्स में वर्ष 2011 में फ्लैट नंबर जे-106 को खरीद लिया. इतना ही नहीं बिना इसकी जानकारी दिए विवि आवास पी-3 में रह रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं विवि से घर निर्माण के लिए लोन लेने के लिए 21 सितम्बर 2011 को बताया कि किसी बैंक से कोई लोन नहीं लिया है. जबकि एसबीआई से 6 जुलाई 2011 को 20 लाख का लोन लेकर गोल्डन डोम्स में फ़्लैट लिया गया. प्रोफेसर सोहन लाल ने इस लोन में आयकर की छूट पाने के लिए विवि से भी 20 लाख का लोन ले लिया. इसपर भी विवि ने ऑब्जेक्शन किया है. इतना नहीं प्रोफेसर की पत्नी उदयपुर में मोहनलाल सुखाड़िया में व्याख्याता है और वो भी विवि के आवास पी-3 में रहती. इसे छिपाकर प्रोफेसर ने आवास किराया भत्ता 59,199 रुपये ले लिया.</p>
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