शिमला जिले में रामपुर आयुर्वेदिक अस्पताल में पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा का समन्वय किया गया है। किन्नौर से स्थानांतरित होकर आए डॉ. कपिल शर्मा ने मर्म परीक्षण और कपिंग चिकित्सा की शुरुआत की है। जानकारी के अनुसार डॉ. शर्मा जल्द ही सुचिविध, अग्निकर्म और जालउका विधि से रक्त मोक्षण जैसी आयुर्वेदिक पद्धतियां भी शुरू करेंगे। मात्र 10 दिनों में 100 से अधिक मरीजों का सफल इलाज किया जा चुका है। यह आंकड़ा इन पद्धतियों की प्रभावशीलता को दर्शाता है। मरीजों को पुराने दर्द में राहत मिली मरीजों का कहना है कि कपिंग और मर्म चिकित्सा से पुराने दर्द में राहत मिली है। यह राहत अन्य चिकित्सा पद्धतियों से नहीं मिल पाई थी। डॉ. शर्मा के अनुसार, यह चिकित्सा विशेषकर तंत्रिका विकारों में लाभदायक है। सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, लंबर स्पॉन्डिलोसिस, पीठ दर्द, घुटनों का दर्द और वातजन्य रोगों में इससे राहत मिलती है। इन चिकित्सा पद्धतियों का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। इससे मरीजों को प्राकृतिक और सुरक्षित उपचार मिल रहा है। यह पहल रामपुर जैसे अर्द्ध-शहरी क्षेत्र में आधुनिक समस्याओं का पारंपरिक समाधान उपलब्ध करा रही है। शिमला जिले में रामपुर आयुर्वेदिक अस्पताल में पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा का समन्वय किया गया है। किन्नौर से स्थानांतरित होकर आए डॉ. कपिल शर्मा ने मर्म परीक्षण और कपिंग चिकित्सा की शुरुआत की है। जानकारी के अनुसार डॉ. शर्मा जल्द ही सुचिविध, अग्निकर्म और जालउका विधि से रक्त मोक्षण जैसी आयुर्वेदिक पद्धतियां भी शुरू करेंगे। मात्र 10 दिनों में 100 से अधिक मरीजों का सफल इलाज किया जा चुका है। यह आंकड़ा इन पद्धतियों की प्रभावशीलता को दर्शाता है। मरीजों को पुराने दर्द में राहत मिली मरीजों का कहना है कि कपिंग और मर्म चिकित्सा से पुराने दर्द में राहत मिली है। यह राहत अन्य चिकित्सा पद्धतियों से नहीं मिल पाई थी। डॉ. शर्मा के अनुसार, यह चिकित्सा विशेषकर तंत्रिका विकारों में लाभदायक है। सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, लंबर स्पॉन्डिलोसिस, पीठ दर्द, घुटनों का दर्द और वातजन्य रोगों में इससे राहत मिलती है। इन चिकित्सा पद्धतियों का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। इससे मरीजों को प्राकृतिक और सुरक्षित उपचार मिल रहा है। यह पहल रामपुर जैसे अर्द्ध-शहरी क्षेत्र में आधुनिक समस्याओं का पारंपरिक समाधान उपलब्ध करा रही है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
