शिमला के रामपुर में अंतरराष्ट्रीय लवी मेले के आयोजन को लेकर राष्ट्रीय राज मार्ग को सभी वाहन मालिकों को 5 नवंबर तक खाली करना होगा। इसके लिए जल्द ही नोटिस भी जारी किए जाएंगे। अंतरराष्ट्रीय लवी मेले के आयोजन में किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो, इसके लिए प्रशासन अभी से ही तैयारियों पर जुटा हुआ है। 11 से 14 नवंबर तक आधिकारिक मेला मनाया जाता है और उसके बाद व्यापारियों और खरीददारों के लिए मेला कई दिनों तक चलता है। इस दौरान लोगों को कई प्रकार की परेशानियों से दो चार होना पड़ता है। जिसे देखते हुए प्रशासन इस वर्ष मेले की तैयारियां कर रहा है। 5 नवंबर तक हटाने होंगे NH से वाहन बता दें कि, चुहाबाग से लेकर एसडीएम रेजिडेंट और पदम स्कूल के खेल मैदान से खोपड़ी मंदिर तक सड़क किनारे वाहन पार्क किए रहते हैं। जिन्हें सभी वाहन मालिकों को 5 नवंबर तक हटाना होगा। खासकर चुहाबाग से चौधरी अड्डे का क्षेत्र से तो पूरी तरह से खाली रखना होगा, क्योंकि मेले के दौरान इस क्षेत्र में दुकानें लगने के कारण सड़क तंग हो जाती है और जाम जैसी स्थिति बनी रहती है। जिससे निजात पाने के लिए प्रशासन द्वारा इन वाहनों को हटवाया जाता है। वहीं, इस वर्ष वालीबॉल प्रतियोगिता आयोजन पदम स्कूल रामपुर के खेल मैदान में और बॉक्सिंग प्रतियोगिता रामपुर महाविद्यालय में आयोजित की जाएगी। इसके अतिरिक्त हाफ मैराथन का आयोजन भी किया जाएगा। सभी प्रतियोगिताएं, खेल खेला नशा छोड़ों की मुहिम की तहत करवाई जाएगी, ताकि अधिक से अधिक से युवाओं को ध्यान खेलों की ओर आकर्षित किया जा सके। वही एसडीएम रामपुर निशांत तोमर ने बताया कि इसके लिए जल्द नोटिस भी जारी किए जाएगें। बावजूद इसके यदि कोई वाहन नहीं हटता है तो उसे क्रेन की मदद से हटाया जाएगा। आज होंगे प्लॉट आवंटन एसडीएम ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय लवी मेला कमेटी 2 नवंबर से प्लॉट आवंटन शुरू किया जाएगा। जो कि बोली द्वारा नीलाम किए जाएंगे, जो व्यापारी सबसे ऊंची बोली बोलेगा उसे प्लॉट दिया जाएगा। शिमला के रामपुर में अंतरराष्ट्रीय लवी मेले के आयोजन को लेकर राष्ट्रीय राज मार्ग को सभी वाहन मालिकों को 5 नवंबर तक खाली करना होगा। इसके लिए जल्द ही नोटिस भी जारी किए जाएंगे। अंतरराष्ट्रीय लवी मेले के आयोजन में किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो, इसके लिए प्रशासन अभी से ही तैयारियों पर जुटा हुआ है। 11 से 14 नवंबर तक आधिकारिक मेला मनाया जाता है और उसके बाद व्यापारियों और खरीददारों के लिए मेला कई दिनों तक चलता है। इस दौरान लोगों को कई प्रकार की परेशानियों से दो चार होना पड़ता है। जिसे देखते हुए प्रशासन इस वर्ष मेले की तैयारियां कर रहा है। 5 नवंबर तक हटाने होंगे NH से वाहन बता दें कि, चुहाबाग से लेकर एसडीएम रेजिडेंट और पदम स्कूल के खेल मैदान से खोपड़ी मंदिर तक सड़क किनारे वाहन पार्क किए रहते हैं। जिन्हें सभी वाहन मालिकों को 5 नवंबर तक हटाना होगा। खासकर चुहाबाग से चौधरी अड्डे का क्षेत्र से तो पूरी तरह से खाली रखना होगा, क्योंकि मेले के दौरान इस क्षेत्र में दुकानें लगने के कारण सड़क तंग हो जाती है और जाम जैसी स्थिति बनी रहती है। जिससे निजात पाने के लिए प्रशासन द्वारा इन वाहनों को हटवाया जाता है। वहीं, इस वर्ष वालीबॉल प्रतियोगिता आयोजन पदम स्कूल रामपुर के खेल मैदान में और बॉक्सिंग प्रतियोगिता रामपुर महाविद्यालय में आयोजित की जाएगी। इसके अतिरिक्त हाफ मैराथन का आयोजन भी किया जाएगा। सभी प्रतियोगिताएं, खेल खेला नशा छोड़ों की मुहिम की तहत करवाई जाएगी, ताकि अधिक से अधिक से युवाओं को ध्यान खेलों की ओर आकर्षित किया जा सके। वही एसडीएम रामपुर निशांत तोमर ने बताया कि इसके लिए जल्द नोटिस भी जारी किए जाएगें। बावजूद इसके यदि कोई वाहन नहीं हटता है तो उसे क्रेन की मदद से हटाया जाएगा। आज होंगे प्लॉट आवंटन एसडीएम ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय लवी मेला कमेटी 2 नवंबर से प्लॉट आवंटन शुरू किया जाएगा। जो कि बोली द्वारा नीलाम किए जाएंगे, जो व्यापारी सबसे ऊंची बोली बोलेगा उसे प्लॉट दिया जाएगा। हिमाचल | दैनिक भास्कर
Related Posts
मणिमहेश में उमड़ा आस्था का सैलाब:24 घंटे में 1 लाख श्रद्धालु पहुंचे, 12KM लंबा ट्रैफिक जाम, सुबह 3:40 बजे से चल रहा शाही स्नान
मणिमहेश में उमड़ा आस्था का सैलाब:24 घंटे में 1 लाख श्रद्धालु पहुंचे, 12KM लंबा ट्रैफिक जाम, सुबह 3:40 बजे से चल रहा शाही स्नान उत्तर भारत की पवित्र एवं पावन मणिमहेश यात्रा के लिए हिमाचल के भरमौर में भारी जन सैलाब उमड़ आया है। पिछले 24 घंटे में एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु भरमौर से मणिमहेश के लिए रवाना हो गए हैं, जहां पर सुबह 3:40 बजे से शाही स्नान चल रहा है। छोटे शाही स्नान का शुभ मुहूर्त आज आधी रात 2:20 बजे तक रहेगा। माना जा रहा है तब तक एक लाख से ज्यादा शिव भक्त डल में डुबकी लगाएंगे। शाही बड़ा स्नान राधा अष्टमी के अवसर पर यानी 11 सितंबर को होगा। देशभर से पहुंच रहे श्रद्धालु हर हर महादेव का जयकारा लगाते हुए आगे बढ़ रहे हैं और भरमौर से मणिमहेश तक इसकी गूंज सुनाई दे रही है। ज्यादातर श्रद्धालु पैदल चल कर मणिमहेश पहुंच रहे हैं। इसी के साथ आज से आधिकारिक तौर पर मणिमहेश यात्रा शुरू हो गई है। हेलिकॉप्टर की उड़ान में खराब मौसम बाधा उत्पन्न कर रहा हालांकि सरकार ने भरमौर से मणिमहेश के लिए हेली टैक्सी सेवा भी शुरू कर रखी है। मगर इसकी उड़ान में खराब मौसम बाधा उत्पन्न कर रहा है। कुछ श्रद्धालु घोड़े व खच्चरों पर भी इस यात्रा को पूरा कर रहे हैं। इससे पहले इतने श्रद्धालु कभी नहीं आए: SDM SDM भरमौर कुलविंदर सिंह ने बताया कि छोटा शाही स्नान करने वाले श्रद्धालुओं का सही आंकड़ा कल तक पता चलेगा। मगर पिछले कल और आज सुबह 10 बजे तक एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु मणिमहेश को रवाना हो चुके है। उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों बता रहे कि इससे पहले कभी भी इतनी संख्या में छोटे शाही स्नान को श्रद्धालु नहीं पहुंचे। श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण पंजीकरण भी नहीं हो पा रहा है। 12KM लंबा ट्रैफिक जाम आलम यह है कि मणिमहेश यात्रियों के कारण पिछले कल भरमौर से पहले हाईवे पर 12 किलोमीटर लंबा ट्रैफिक जाम लगा रहा। सैकड़ों श्रद्धालु आधी रात तक ट्रैफिक जाम में फंसे रहे। आज भी काफी संख्या में वाहन ट्रैफिक जाम में फंसे है। स्थानीय प्रशासन ने मणिमहेश में रेस्क्यू के लिए एनडीआरएफ-एसडीआरएफ के जवानों के अलावा पर्वतारोहण संस्थान के स्वयंसेवकों को तैनात किया गया है। इसी तरह 5 स्थानों पर शिविरों में मेडिकल टीम की तैनात की गई है। यहां बनाए गए कैंप प्रशासन ने मणिमहेश यात्रा के लिए भरमौर, हड़सर, धनछो, सुंदरासी और गौरीकुंड में 5 जगह कैंप स्थापित किए है। यहां प्रत्येक श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य जांच के बाद ही आगे भेजा जाएगा, क्योंकि 13385.83 फीट की ऊंचाई पर स्थित मणिमहेश में कई बार ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इन कैंप में मेडिकल टीमें तैनात की गई है। घोड़े पर यात्रा को देने होंगे 4700 रुपए भरमौर के हड़सर से मणिमहेश तक घोड़ा-खच्चर से आने-जाने का किराया 4700 रुपए प्रति सवारी तय किया गया है। इसी तरह 5 कैंप के बीच का भी अलग अलग किराया निर्धारित किया गया है। तय किराया से ज्यादा दर्रें वसूलने पर कार्रवाई की जाएगी। इसी तरह कुली के लिए भी किराया तय किया गया है। उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा मणिमहेश यात्रा को उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा माना जाता है। 13 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थिति मणिमहेश पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को ऊंचे-ऊंचे पहाड़ चढ़ने पढ़ते हैं। यह यात्रा अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सुंदर दृश्यों के लिए भी जानी जाती है, क्योंकि इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को घने जंगलों, अल्पाइन घास के मैदानों और चट्टानों के बीच बीच से होकर गुजरना पड़ता है। इस दौरान हिमालय का मनमोहक दृश्य भीदेखने को मिलता हैं। यही वजह है कि यह अध्यात्मिक यात्रा रोमांच और प्राकृतिक सुंदरता का भी आभास कराती है। मणिमहेश यात्रा के लिए इन निर्देशों का करें पालन मणिमहेश के कैलाश शिखर में शिव का निवास ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव मणिमहेश के कैलाश शिखर पर निवास करते हैं, जो झील से दिखाई देता है। यह यात्रा हर साल, आमतौर पर अगस्त या सितंबर के महीने में हिंदू त्यौहार जन्माष्टमी के अवसर पर होती है। माना जाता है कि यह यात्रा 9वीं शताब्दी में शुरू हुई थी जब एक स्थानीय राजा, राजा साहिल वर्मन को भगवान शिव के दर्शन हुए थे जिन्होंने मणिमहेश झील पर एक मंदिर स्थापित करने का निर्देश दिया।
ज्वालामुखी दरबार 100 क्वींटल फूलों से सजा:मनाया जा रहा है प्रकटोत्सव, अर्पित किए जांगे 56 भोग, देशभर से पहुंच रहे श्रद्धालु
ज्वालामुखी दरबार 100 क्वींटल फूलों से सजा:मनाया जा रहा है प्रकटोत्सव, अर्पित किए जांगे 56 भोग, देशभर से पहुंच रहे श्रद्धालु विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी मंदिर में आषाढ़ मास शुल्क पक्ष में परंपरानुसार गुप्त नवरात्र के दौरान मां ज्वाला का प्रकटोत्सव मनाया जा रहा है। श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा से मां ज्वाला को भोग प्रसाद भेंट कर रहे हैं। मां ज्वाला के प्रकटोत्सव के पावन दिवस पर मंदिर को 100 क्वींटल फूलों से सजाया गया है। रंग बिरंगी लाईटें भी लगाई गई हैं, ताकि मां ज्वाला का दरबार कि भव्यता और ज्यादा दिव्य रुप में दिखाई दे। इसके अलावा मां ज्वाला के प्रकटोत्सव पर मंदिर में मैया को विभिन्न प्रकार के 56 भोग अर्पित किए जाएंगे। 51 शक्तिपीठों में सर्वोपरि है मां ज्वाला का स्थान हिमाचल के विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी मंदिर सैकड़ों वर्षो से साक्षात रुप में चमत्कारी ज्योतियों के रुप में मां ज्वाला दर्शन देती हैं। यह शक्तिपीठ अपने आप में इसलिए अनूठा है, क्योंकि यहां पर मूर्ति पूजा नहीं होती। मां ज्वाला के मंदिर में यह साक्षात ज्योति अपने ओज से वर्षोंत् से प्रकाशमान हो रही हैं। देश हो या विदेश मां ज्वाला देवी के दर्शनों के लिए वर्षों से करोड़ों श्रद्धालु इस स्थान पर आज के वैज्ञानिक युग में भी मां के चमत्कार को साक्षात देखकर नतमस्तक होते हैं। मां ज्वाला देवी के मुख्य मंदिर के गर्भ गृह में 7 अखंड ज्योतियों विराजमान है, जिन्हे अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। ज्योतियों में सर्वप्रथम मां ज्वाला महाकाली के रुप में प्रकट हैं। चंडी, हिंगलाज, विध्यवासिनी,अन्नपूर्णा, महालक्ष्मी, महासरस्वती के रुप में मंदिर में यह ज्योतियां साक्षात भक्तों को दर्शन देती है। 51 शक्तिपीठों में मां ज्वाला को सर्वोपरि माना गया है। मां ज्वाला का इतिहास कांगड़ा घाटी में स्थित श्री ज्वालामुखी शक्तिपीठ की मान्यता 51 शक्तिपीठों में सर्वोपरि मानी गई है। इन पीठों में यही एक ऐसा शक्तिपीठ है, जहां मां के दर्शन साक्षात ज्योतियों के रुप में होतें हैं। शिव महापुराण में भी इस शक्तिपीठ का वर्णन आता है। जब भगवान शिव, माता सती के पार्थिव को पूरे ब्रहांड़ के घूमने लगे तब सती की जिव्हा इस स्थान पर गिरी थी, जिससे यहां ज्वाला ज्योति रुप में यहां दर्शन देती हैं। एक अन्य दंत कथा के अनुसार जब माता ज्वाला प्रकट हुई तब एक ग्वालो को सबसे पहले पहाडी पर ज्योति के दिव्य दर्शन हुए। राजा भूमिचंद्र ने मंदिर भवन को बनवाया था। यह भी धारणा है कि पांडव ज्वालामुखी में आए थे कांगड़ा का एक प्रचलित भजन भी इस का गवाह बनता है..पंजा पंजा पांडवां मैया तेरा भवन बनाया, अर्जुन चंवर झुलाया मेरी माता..। अकबर भी हुआ था मां ज्वाला का मुरीदबादशाह अकबर भी मां ज्वाला की परीक्षा लेने के लिए मां के दरबार में पहुंचा था। उसने ज्योतियों के बुझाने के लिए अकबर ने नहर का निर्माण करवाया, लेकिन मां के चमत्कार से ज्योतियां नहीं बुझ पाई। राजा अकबर को अंहकार के वशीभूत होकर सवा मन सोने का छत्र मंदिर में चढ़ाया था, लेकिन, मां ज्वाला ने इस छत्र को अस्वीकार कर खंडित कर दिया था। अकबर का यह छत्र आज भी मंदिर में मौजूद है। इस बाबत, नंगे नंगे पैरी माता अकबर आया, सोने दा छत्र चढ़ाया मेरी माता, भेंट प्रचलित है। ज्वालाजी मंदिर मंडप शैली निर्मित है मां ज्वालादेवी का मंदिर मंडप शैली का है। मुख्य मंदिर के बाहरी छत्र पर सोने का पालिश चढ़ाया गया है। इसे महाराजा रणजीत सिंह ने अपने शासनकाल में चढ़वाया था। उनके पौत्र कुंवर नौनिहाल सिंह ने मंदिर के मुख्य दरवाजों पर चांदी के पतरे चढवाऐ थे जो कि आज भी दर्शनीय हैं।साल में दो बार होतें है ‘गुप्त नवरात्रजनवरी- फरवरी माघ शुक्ल प्रतिपदा में मां ज्वाला देवी के मंदिर में गुप्त नवरात्र का आयोजन विश्व कल्याण के लिए परंपरानुसार किया जाता है। जून-जुलाई आषाढ़ शुक्ल में मां ज्वाला का प्रकटोत्सव मनाया जाता है। कहां जाता है मां ज्वाला इसी समय यहां प्रकट हुई थी। दर्शनीय स्थल टेढा मंदिर, अबिंकेश्वर महादेव, अर्जुननागा मंदिर, गोरख डिब्बी, लाल शिवालय, राधाकृष्ण मंदिर, तारा देवी, भैरव मंदिर, प्राचीन गणेश मंदिर, अष्टभुजी मंदिर ज्वालामुखी में दर्शनीय स्थल हैं। कैसे पहुंचें हिमाचल के मां ज्वाला देवी मंदिर में आने के लिए रेलवे से आने के लिए ज्वालामुखी रोड रेलवे स्टेशन से बस या टैक्सी से पहुंचा जा सकता है। ऊना रेलवे लाइन से सड़क मार्ग से आया जा सकता है। चंडीगढ़ से इस स्थल की दूरी 200 किलोमीटर हैं। हवाई मार्ग से कांगड़ा के गगल एयरपोर्ट तक आया जा सकता है। उसके बाद 40 किलोमीटर सड़क मार्ग से यहां पंहुचा जा सकता है।
हिमाचल में आज बारिश और फ्लैश फ्लड का अलर्ट:मानसून सीजन में सामान्य से 42% कम बारिश, संकट में सेब की फसल
हिमाचल में आज बारिश और फ्लैश फ्लड का अलर्ट:मानसून सीजन में सामान्य से 42% कम बारिश, संकट में सेब की फसल हिमाचल प्रदेश में आज भारी बारिश और अचानक बाढ़ (फ्लैश फ्लड) का अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग की ओर से जारी चेतावनी के बीच बीती रात कांगड़ा जिले में भारी बारिश हुई। मंडी और ऊना के कुछ इलाकों में भी बारिश हुई है। कांगड़ा में 151.8 मिमी और धर्मशाला में 136.6 मिमी बारिश हुई है। पालमपुर में 112.4 मिमी, नगरोटा सूरियां में 99.6 मिमी, धौलाकुंआ में 82.5 मिमी, जोगिंद्रनगर में 52.0 मिमी, गुलेड़ में 46.4 मिमी और सुंदरनगर में 44.7 मिमी बारिश हुई है। वहीं चेतावनी के बावजूद कुछ अन्य इलाकों में बारिश नहीं हुई है। इस बार मानसून की गति प्रदेश में प्रवेश के बाद से धीमी पड़ गई है। बार-बार अचानक बाढ़ और भारी बारिश की चेतावनी के बावजूद अच्छी बारिश नहीं हो रही है। प्रदेश में पूरे मानसून सीजन के दौरान सामान्य से 42 फीसदी कम बारिश हुई है। इसका असर सेब के साथ-साथ किसानों की नगदी फसलों पर भी पड़ रहा है। आज इन जिलों में चेतावनी मौसम विभाग ने आज मंडी, कांगड़ा और चंबा में भी अचानक बाढ़ की चेतावनी जारी की है। इस तरह मंडी, शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया था। लेकिन पिछले 24 घंटों के दौरान कुछ जगहों पर ही हल्की बारिश हुई है। मौसम विभाग के अनुसार 28 मई तक राज्य में बारिश की संभावना है। 26 से 28 जुलाई तक भारी बारिश का पूर्वानुमान है। सभी जिलों में नॉर्मल से कम बरसात हिमाचल में एक भी जिला ऐसा नहीं है जहां नॉर्मल से ज्यादा बादल बरसे हों। चंबा, किन्नौर, लाहौल स्पीति, सिरमौर और ऊना जिला में तो 50 प्रतिशत से भी कम बारिश इस मानसून सीजन में हुई है। प्रदेश में एक जून से 23 जुलाई के बीच 275.4 मिलीमीटर नॉर्मल बारिश होती है। मगर इस बार 159.5 मिलीमीटर ही बादल बरसे है। लाहौल स्पीति जिला में तो नॉर्मल से 75 प्रतिशत, सिरमौर जिला में 58 प्रतिशत और चंबा में भी सामान्य से 54 प्रतिशत कम बादल बरसे हैं। 5500 करोड़ के सेब उद्योग पर संकट राज्य में बारिश की कमी के कारण 5500 करोड़ रुपये का सेब उद्योग खतरे में है। सेब के बगीचे विभिन्न बीमारियों की चपेट में आ गए हैं। सूखे के कारण सेब का आकार ठीक नहीं हो पा रहा है। इससे उत्पादन में गिरावट आएगी। मिट्टी में पर्याप्त नमी न होने के कारण सेब के दाने फटने लगे हैं। इसी तरह किसानों की टमाटर, फूलगोभी, पत्तागोभी, शिमला मिर्च जैसी नगदी फसलें सूखे से प्रभावित हो रही हैं।