जगदगुरु रामभद्राचार्य ने समान नागरिक संहिता पर कहा- देश में हर हाल में UCC चाहिए। जो भी नियम बनें, वो सबके लिए हों। ऐसा नहीं होना चाहिए कि वो 25-25 बच्चे पैदा करें और हिंदुओं पर प्रतिबंध लगाए जाएं। एक न्यूज चैनल से खास बातचीत में रामभद्राचार्य ने कहा, मुस्लिम भारत में रहें, लेकिन हमारे अस्तित्व का सम्मान करते हुए रहें। मैंने कभी नहीं कहा कि ये देश मुसलमानों का नहीं है। लेकिन हिंदुओं का अस्तित्व मिटाकर उन्हें रहने की अनुमित नहीं दी जा सकती। रामभद्राचार्य ने मोहन भागवत, अंबेडकर और सर्वे पर भी बात रखी, पढ़िए नेहरू ने अंबेडकर से इस्तीफा दिलवाया था
अमित शाह के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर वाले बयान पर रामभद्राचार्य ने कहा, देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने ही अंबेडकर से इस्तीफा दिलवाया था। हम लोग तो उनका सम्मान करते हैं, लेकिन नेहरू ने ही उनका उत्पीड़न किया। उनको हरवाया गया। मैं खुद भीमराव अंबेडकर का बहुत सम्मान करता हूं। लेकिन उन्होंने मनुस्मृति को फाड़कर गलत किया था। मनुस्मृति में कहीं भी ऊंच-नीच की बात नहीं की गई थी। मनुस्मृति भारत का पहला सविंधान है। अगर वो मेरे सामने होते तो मैं उन्हें मनुस्मृति का सही अर्थ बताता। उसमें नारी का सम्मान करना बताया गया है। मैं हिंदू धर्म का आचार्य, मेरा अनुशासन
रामभद्राचार्य ने कहा, मैं हिंदू धर्म का आचार्य हूं। जगदगुरु हूं। हिंदू धर्म पर मेरा अनुशासन होता है, न कि मोहन भागवत का। भागवत एक संगठन के प्रमुख हैं। उन्हें इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए। ओम शांति शांति पुराना नारा
सर्वे को लेकर उन्होंने कहा कि हम सर्वे के आधार पर ही मंदिरों की मांग कर रहे हैं। अधिकार मांगना पाप नहीं है। हमें नेता नहीं बनना है। हम अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जहां-जहां सर्वे से मंदिर के सबूत मिलेंगे, वहां हम संघर्ष करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि हम हिंदुओं को उकसा नहीं रहे हैं। आत्मरक्षा करना सबका अधिकार है। हिंदू कितना सहेगा। हिंदुओं के साथ अत्याचार हुआ है। ओम शांति शांति का नारा पुराना हो गया। अब ओम क्रांति क्रांति होना चाहिए। 2 दिन पहले भी रामभद्राचार्य ने भागवत को लेकर बड़ा बयान दिया था… रामभद्राचार्य बोले- भागवत संघ के संचालक, हमारे नहीं
जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर नाराजगी जताई। स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि संघ प्रमुख का व्यक्तिगत बयान है। ये उन्होंने अच्छा नहीं कहा। संघ भी हिंदुत्व के आधार पर बना है। जहां-जहां मंदिर या मंदिर के अवशेष मिल रहे हैं, उन्हें हम लेंगे। जहां अवशेष नहीं हैं, वहां नहीं लेंगे। वे (मोहन भागवत) संघ प्रमुख हैं, हम धर्माचार्य हैं। हमारा क्षेत्र अलग है, उनका अलग। वे संघ के सरसंघचालक हैं, हमारे नहीं। राम मंदिर पर बयान देना दुर्भाग्यपूर्ण है। रामभद्राचार्य ने कहा- एक यहूदी को कोई मार देता है तो इजराइल ऐसी की तैसी कर देता है। हजारों हिंदू मारे जा रहे हैं, सरकार कुछ कर नहीं रही है। सरकार को चाहिए कठोरता से बांग्लादेश से निपटे। भागवत ने कहा था कि राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वे नई जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। जानिए, कौन हैं रामभद्राचार्य
रामभद्राचार्य चित्रकूट में रहते हैं। उनका वास्तविक नाम गिरधर मिश्रा है। वे प्रवचनकार, दार्शनिक और हिंदू धर्मगुरु हैं। वे रामानंद संप्रदाय के मौजूदा चार जगद्गुरुओं में से एक हैं और इस पद पर 1988 से आसीन हैं। महाराज चित्रकूट में जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति भी हैं। चित्रकूट में तुलसी पीठ की स्थापना का श्रेय भी इन्हें ही जाता है। इन्होंने दो संस्कृत और दो हिंदी में मिलाकर कुल चार महाकाव्यों की रचना की है। इन्हें भारत में तुलसीदास पर सबसे बेहतरीन विशेषज्ञों में गिना जाता है। साल 2015 में भारत सरकार ने इन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया था। —————————– ये भी पढ़ें: अविमुक्तेश्वरानंद बोले- मोहन भागवत आम हिंदू को नहीं समझते:गौ हत्या रोकना ही महाकुंभ में हमारा मुद्दा, मंदिर में कूड़ा पड़े; यह मंजूर नहीं वाराणसी पहुंचे शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि मोहन भागवत आम हिंदू की पीड़ा नहीं समझते हैं। महाकुंभ में हमारा मुद्दा गो हत्या को रोकना है। यह तभी संभव है, जब गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा दिया जाए। दैनिक भास्कर से खास बातचीत में मंदिरों पर अवैध कब्जों को लेकर अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा- यहां वाराणसी में कई मंदिर ऐसे हैं, जिन पर कूड़ा पड़ता है। ऐसे मंदिरों को ठीक करवाकर पूजा-पाठ शुरू करनी चाहिए। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… जगदगुरु रामभद्राचार्य ने समान नागरिक संहिता पर कहा- देश में हर हाल में UCC चाहिए। जो भी नियम बनें, वो सबके लिए हों। ऐसा नहीं होना चाहिए कि वो 25-25 बच्चे पैदा करें और हिंदुओं पर प्रतिबंध लगाए जाएं। एक न्यूज चैनल से खास बातचीत में रामभद्राचार्य ने कहा, मुस्लिम भारत में रहें, लेकिन हमारे अस्तित्व का सम्मान करते हुए रहें। मैंने कभी नहीं कहा कि ये देश मुसलमानों का नहीं है। लेकिन हिंदुओं का अस्तित्व मिटाकर उन्हें रहने की अनुमित नहीं दी जा सकती। रामभद्राचार्य ने मोहन भागवत, अंबेडकर और सर्वे पर भी बात रखी, पढ़िए नेहरू ने अंबेडकर से इस्तीफा दिलवाया था
अमित शाह के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर वाले बयान पर रामभद्राचार्य ने कहा, देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने ही अंबेडकर से इस्तीफा दिलवाया था। हम लोग तो उनका सम्मान करते हैं, लेकिन नेहरू ने ही उनका उत्पीड़न किया। उनको हरवाया गया। मैं खुद भीमराव अंबेडकर का बहुत सम्मान करता हूं। लेकिन उन्होंने मनुस्मृति को फाड़कर गलत किया था। मनुस्मृति में कहीं भी ऊंच-नीच की बात नहीं की गई थी। मनुस्मृति भारत का पहला सविंधान है। अगर वो मेरे सामने होते तो मैं उन्हें मनुस्मृति का सही अर्थ बताता। उसमें नारी का सम्मान करना बताया गया है। मैं हिंदू धर्म का आचार्य, मेरा अनुशासन
रामभद्राचार्य ने कहा, मैं हिंदू धर्म का आचार्य हूं। जगदगुरु हूं। हिंदू धर्म पर मेरा अनुशासन होता है, न कि मोहन भागवत का। भागवत एक संगठन के प्रमुख हैं। उन्हें इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए। ओम शांति शांति पुराना नारा
सर्वे को लेकर उन्होंने कहा कि हम सर्वे के आधार पर ही मंदिरों की मांग कर रहे हैं। अधिकार मांगना पाप नहीं है। हमें नेता नहीं बनना है। हम अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जहां-जहां सर्वे से मंदिर के सबूत मिलेंगे, वहां हम संघर्ष करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि हम हिंदुओं को उकसा नहीं रहे हैं। आत्मरक्षा करना सबका अधिकार है। हिंदू कितना सहेगा। हिंदुओं के साथ अत्याचार हुआ है। ओम शांति शांति का नारा पुराना हो गया। अब ओम क्रांति क्रांति होना चाहिए। 2 दिन पहले भी रामभद्राचार्य ने भागवत को लेकर बड़ा बयान दिया था… रामभद्राचार्य बोले- भागवत संघ के संचालक, हमारे नहीं
जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर नाराजगी जताई। स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि संघ प्रमुख का व्यक्तिगत बयान है। ये उन्होंने अच्छा नहीं कहा। संघ भी हिंदुत्व के आधार पर बना है। जहां-जहां मंदिर या मंदिर के अवशेष मिल रहे हैं, उन्हें हम लेंगे। जहां अवशेष नहीं हैं, वहां नहीं लेंगे। वे (मोहन भागवत) संघ प्रमुख हैं, हम धर्माचार्य हैं। हमारा क्षेत्र अलग है, उनका अलग। वे संघ के सरसंघचालक हैं, हमारे नहीं। राम मंदिर पर बयान देना दुर्भाग्यपूर्ण है। रामभद्राचार्य ने कहा- एक यहूदी को कोई मार देता है तो इजराइल ऐसी की तैसी कर देता है। हजारों हिंदू मारे जा रहे हैं, सरकार कुछ कर नहीं रही है। सरकार को चाहिए कठोरता से बांग्लादेश से निपटे। भागवत ने कहा था कि राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वे नई जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। जानिए, कौन हैं रामभद्राचार्य
रामभद्राचार्य चित्रकूट में रहते हैं। उनका वास्तविक नाम गिरधर मिश्रा है। वे प्रवचनकार, दार्शनिक और हिंदू धर्मगुरु हैं। वे रामानंद संप्रदाय के मौजूदा चार जगद्गुरुओं में से एक हैं और इस पद पर 1988 से आसीन हैं। महाराज चित्रकूट में जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति भी हैं। चित्रकूट में तुलसी पीठ की स्थापना का श्रेय भी इन्हें ही जाता है। इन्होंने दो संस्कृत और दो हिंदी में मिलाकर कुल चार महाकाव्यों की रचना की है। इन्हें भारत में तुलसीदास पर सबसे बेहतरीन विशेषज्ञों में गिना जाता है। साल 2015 में भारत सरकार ने इन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया था। —————————– ये भी पढ़ें: अविमुक्तेश्वरानंद बोले- मोहन भागवत आम हिंदू को नहीं समझते:गौ हत्या रोकना ही महाकुंभ में हमारा मुद्दा, मंदिर में कूड़ा पड़े; यह मंजूर नहीं वाराणसी पहुंचे शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि मोहन भागवत आम हिंदू की पीड़ा नहीं समझते हैं। महाकुंभ में हमारा मुद्दा गो हत्या को रोकना है। यह तभी संभव है, जब गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा दिया जाए। दैनिक भास्कर से खास बातचीत में मंदिरों पर अवैध कब्जों को लेकर अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा- यहां वाराणसी में कई मंदिर ऐसे हैं, जिन पर कूड़ा पड़ता है। ऐसे मंदिरों को ठीक करवाकर पूजा-पाठ शुरू करनी चाहिए। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर