रायबरेली में 20 हजार से ज्यादा फर्जी प्रमाणपत्र बने। आतंकी संगठन के सदस्यों का भी प्रमाणपत्र बना दिया गया। अब इस मामले की परत-दर-परत खुल रही है। पूरे मामले में एक ग्राम विकास अधिकारी की भूमिका सामने आई। उसने अपने डिजिटल सिग्नेचर की आईडी और पासवर्ड जनसेवा केंद्र के संचालक जीशान खान को दे रखा था। वहीं से सारे फर्जी प्रमाणपत्र जारी हुए। एक-एक प्रमाणपत्र के पांच-पांच हजार रुपए तक वसूल किए गए। दैनिक भास्कर ने जब जीशान के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की, तो चौंकाने वाले खुलासे हुए। मामला हाई-प्रोफाइल होने के कारण कोई कैमरे पर आने को तो तैयार नहीं हुआ। पहचान न उजागर करने के शर्त पर लोगों ने कई चौंकाने वाली जानकारियां दीं। पता चला कि चार साल पहले गांव से निकल कर सलोन बाजार में जनसेवा केंद्र खोलने वाले जीशान ने बेहद कम समय में ही बेशुमार दौलत कमा ली। रायबरेली की सलोन तहसील के गढ़ी इस्लामनगर का रहने वाला जीशान देखते ही देखते करोड़ों का मालिक बन गया। स्थानीय लोगों की मानें, तो उसने फर्जी पहचान पत्र बनाकर करोड़ों रुपए कमाए और कई बेशकीमती प्रॉपर्टी खरीदीं। जीशान के पास करोड़ों की दौलत
सलोन कस्बे के रहने वाले एक शख्स ने बताया- शुरुआत में एक कमरे में दुकान चलाने वाले जीशान के पास इस समय सलोन बाजार में ही 5 मकान हैं। ब्लॉक परिसर के बगल स्थित घर में उसकी दुकान है। सिटीजन पब्लिक स्कूल के पड़ोस में 2 मकान, इलाहाबाद बैंक के पास 1 मकान, लखनऊ में फ्लैट, सलोन-परशदेपुर रोड पर 1 मकान है। रायबरेली में जीशान के पास 2 कॉमर्शियल प्रॉपर्टी हैं, जिनकी कीमत भी करोड़ों में है। गांव में भी कई खेती वाली जमीनें
स्थानीय लोगों की मानें तो जीशान और उसके पिता रियाज ने सलोन बाजार के अलावा अपने पैतृक गांव में भी कई प्रॉपर्टी खरीदी हैं। इसमें खेती वाली जमीनें भी शामिल हैं। इनकी कीमत भी लाखों में बताई जा रही है। 22 जुलाई, 2022 को भी जीशान ने अपनी मां के नाम गांव में एक खेती वाली जमीन खरीदी। VDO के गांव में लोग खामोश, कुछ बोलने को तैयार नहीं
फर्जी पहचान पत्रों के मामले में जेल भेजा गया ग्राम विकास अधिकारी (VDO) विजय यादव साइबर कैफे संचालक जीशान के घर में किराए पर रहता था। उसका घर ऊंचाहार तहसील के कोटरा बहादुरगंज गांव में है। अधिकारियों का कहना है कि VDO के पैतृक गांव से भी उसकी हिस्ट्री खंगाली जा रही है। उसकी प्रॉपर्टी की जांच के लिए पुलिस की टीम पैतृक गांव कोटरा बहादुरगंज भी जाएगी। हालांकि, गांव के लोगों के मुताबिक VDO विजय यादव ने गांव में कुछ खास प्रॉपर्टी नहीं बनाई, लेकिन ऊंचाहार और सलोन में उसकी कुछ प्रॉपर्टी की चर्चा है। सामान्य परिवार से ताल्लुक रखता है विजय बहादुर
विजय बहादुर यादव चार भाइयों में सबसे बड़ा है। पैतृक खेती सिर्फ तीन बीघा है, उसमें भी ये चार भाई हिस्सेदार हैं। विजय बहादुर का एक भाई सफाईकर्मी, एक प्राइवेट टीचर और एक दूसरे राज्य में नौकरी करता है। विजय बहादुर का बेटा इलाहाबाद में कॉम्पिटिशन की तैयारी कर रहा है। मामले से हड़कंप, अधिकारियों ने फोन उठाना किया बंद
इस मामले की जानकारी के लिए दैनिक भास्कर ने रायबरेली के एसपी अभिषेक अग्रवाल से बात करने की कोशिश की, लेकिन कई बार फोन करने के बाद भी उनका फोन नहीं उठा। कुछ ऐसा ही हाल सीओ वंदना सिंह और BDO सलोन का भी रहा। मामले के खुलासे के बाद अधिकारियों ने मीडिया से पूरी तरह से दूरी बना ली है। इंस्पेक्टर बोले- मामला काफी टेक्निकल है, जांच में समय लगेगा
दैनिक भास्कर ने सलोन थाना प्रभारी जीतेंद्र सिंह से बात की। उन्होंने बताया कि मुकदमा लिखा गया है, जांच भी हमारे ही थाने में है। लेकिन ये मामला इतना छोटा और आसान नहीं है। ये काफी टेक्निकल मामला है। जितने भी दस्तावेज जारी हुए हैं, सबकी जांच करवाने के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकेगा। दूसरी बात अगर जांच में आरोप सही साबित हुआ तो संपत्ति की जांच और गैंगस्टर जैसी भी धारा बन सकती है। ऐसे में अभी इस मामले में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। दूसरी बड़ी एजेंसियां भी इस मामले में पड़ताल कर रही हैं। ऐसे में उनकी जांच पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा। अफसर बोले- VDO के साथ हुआ है धोखा
सलोन ब्लॉक में ग्राम्य विकास विभाग में तैनात एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आमतौर पर ग्राम विकास अधिकारी विजय यादव का स्वभाव काफी अच्छा है। वह सीधे-साधे इंसान हैं। उनके सिग्नेचर से इतना बड़ा फ्रॉड, जिसमें देश की आंतरिक सुरक्षा का मामला हो, ये समझ से परे है। निश्चित ही उनके साथ धोखा हुआ है। मेरी समझ में जानबूझ कर उनसे ये गलती नहीं हो सकती। जरूर साइबर कैफे संचालक ने उनके साथ भी फ्रॉड किया होगा। ISI की मिलीभगत की संभावना, गृहमंत्री को लिखा पत्र
सलोन में फर्जी प्रमाणपत्र मामले में तार ISI से जुड़े होने की आशंका है। यह दावा किया है रायबरेली के पूर्व लोकसभा प्रत्याशी और भाजपा नेता अजय अग्रवाल ने। उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने लिखा- इस सिलसिले में विगत 17 जुलाई को आपके समक्ष पत्र भेजा जा चुका है। इस पूरे घटनाक्रम में ISI की मिलीभगत की संभावना अधिक है। जनसुविधा केंद्र संचालक जीशान खान और उसके पिता रियाज खान मास्टरमाइंड हैं। साथ ही साथ ग्राम विकास अधिकारी विजय सिंह यादव की भी मिलीभगत दिख रही है। इन्होंने करोड़ों की संपत्ति इसी फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों को बनाने से अर्जित की है। यह सारा पैसा विदेशों से आया है, इसकी संभावना लग रही है। मिलीभगत या सचमुच फंस गया VDO
एक जानकारी ये भी निकलकर आई कि VDO को जब केरल पुलिस की भनक लगी तो उसने खुद जीशान के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी। आरोप लगाया कि उसकी आईडी से बिना जानकारी के फर्जी प्रमाणपत्र बनाए गए हैं। मॉनिटरिंग कमेटी की भी है लापरवाही
ग्राम्य विकास विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि किसी भी ग्राम विकास अधिकारी की आईडी से एक महीने में अधिकतम 80 जन्म प्रमाणपत्र बन सकते हैं। उससे अधिक बनने पर मामला मॉनिटरिंग कमेटी के पास चला जाता है। इसके अध्यक्ष CMO होते हैं। CMO के नेतृत्व में ये जांच शुरू होती है कि आखिरकार जन्म दर इतनी ज्यादा कैसे बढ़ गई। ग्राम्य विकास या पंचायती राज विभाग भी इस पर निगरानी करता रहता है। लेकिन इस मामले में कहां से इतनी बड़ी चूक हो गई, ये भी बड़ा सवाल है। ये खबर भी पढ़ें… रायबरेली में आतंकियों के बन गए पहचान-पत्र:VDO के आईडी-पासवर्ड से बनाए 20 हजार फर्जी सर्टिफिकेट; BJP विधायक ने किए कई खुलासे रायबरेली में VDO यानी ग्राम विकास अधिकारी की आईडी से 19,184 फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बन गए। मामला सलोन विकास खंड का है। ATS की जांच में पता चला कि आतंकी संगठन से जुड़े सदस्यों के भी प्रमाण पत्र बनाए गए हैं। फर्जीवाड़े की जांच सलोन से भाजपा विधायक अशोक कुमार की दखल के बाद ATS को सौंपी गई है। विधायक अशोक कुमार से दैनिक भास्कर ने एक्सक्लूसिव बात की। इस दौरान उन्होंने कई चौंकाने वाली जानकारी दी है। पूरी खबर पढ़ें… रायबरेली में 20 हजार से ज्यादा फर्जी प्रमाणपत्र बने। आतंकी संगठन के सदस्यों का भी प्रमाणपत्र बना दिया गया। अब इस मामले की परत-दर-परत खुल रही है। पूरे मामले में एक ग्राम विकास अधिकारी की भूमिका सामने आई। उसने अपने डिजिटल सिग्नेचर की आईडी और पासवर्ड जनसेवा केंद्र के संचालक जीशान खान को दे रखा था। वहीं से सारे फर्जी प्रमाणपत्र जारी हुए। एक-एक प्रमाणपत्र के पांच-पांच हजार रुपए तक वसूल किए गए। दैनिक भास्कर ने जब जीशान के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की, तो चौंकाने वाले खुलासे हुए। मामला हाई-प्रोफाइल होने के कारण कोई कैमरे पर आने को तो तैयार नहीं हुआ। पहचान न उजागर करने के शर्त पर लोगों ने कई चौंकाने वाली जानकारियां दीं। पता चला कि चार साल पहले गांव से निकल कर सलोन बाजार में जनसेवा केंद्र खोलने वाले जीशान ने बेहद कम समय में ही बेशुमार दौलत कमा ली। रायबरेली की सलोन तहसील के गढ़ी इस्लामनगर का रहने वाला जीशान देखते ही देखते करोड़ों का मालिक बन गया। स्थानीय लोगों की मानें, तो उसने फर्जी पहचान पत्र बनाकर करोड़ों रुपए कमाए और कई बेशकीमती प्रॉपर्टी खरीदीं। जीशान के पास करोड़ों की दौलत
सलोन कस्बे के रहने वाले एक शख्स ने बताया- शुरुआत में एक कमरे में दुकान चलाने वाले जीशान के पास इस समय सलोन बाजार में ही 5 मकान हैं। ब्लॉक परिसर के बगल स्थित घर में उसकी दुकान है। सिटीजन पब्लिक स्कूल के पड़ोस में 2 मकान, इलाहाबाद बैंक के पास 1 मकान, लखनऊ में फ्लैट, सलोन-परशदेपुर रोड पर 1 मकान है। रायबरेली में जीशान के पास 2 कॉमर्शियल प्रॉपर्टी हैं, जिनकी कीमत भी करोड़ों में है। गांव में भी कई खेती वाली जमीनें
स्थानीय लोगों की मानें तो जीशान और उसके पिता रियाज ने सलोन बाजार के अलावा अपने पैतृक गांव में भी कई प्रॉपर्टी खरीदी हैं। इसमें खेती वाली जमीनें भी शामिल हैं। इनकी कीमत भी लाखों में बताई जा रही है। 22 जुलाई, 2022 को भी जीशान ने अपनी मां के नाम गांव में एक खेती वाली जमीन खरीदी। VDO के गांव में लोग खामोश, कुछ बोलने को तैयार नहीं
फर्जी पहचान पत्रों के मामले में जेल भेजा गया ग्राम विकास अधिकारी (VDO) विजय यादव साइबर कैफे संचालक जीशान के घर में किराए पर रहता था। उसका घर ऊंचाहार तहसील के कोटरा बहादुरगंज गांव में है। अधिकारियों का कहना है कि VDO के पैतृक गांव से भी उसकी हिस्ट्री खंगाली जा रही है। उसकी प्रॉपर्टी की जांच के लिए पुलिस की टीम पैतृक गांव कोटरा बहादुरगंज भी जाएगी। हालांकि, गांव के लोगों के मुताबिक VDO विजय यादव ने गांव में कुछ खास प्रॉपर्टी नहीं बनाई, लेकिन ऊंचाहार और सलोन में उसकी कुछ प्रॉपर्टी की चर्चा है। सामान्य परिवार से ताल्लुक रखता है विजय बहादुर
विजय बहादुर यादव चार भाइयों में सबसे बड़ा है। पैतृक खेती सिर्फ तीन बीघा है, उसमें भी ये चार भाई हिस्सेदार हैं। विजय बहादुर का एक भाई सफाईकर्मी, एक प्राइवेट टीचर और एक दूसरे राज्य में नौकरी करता है। विजय बहादुर का बेटा इलाहाबाद में कॉम्पिटिशन की तैयारी कर रहा है। मामले से हड़कंप, अधिकारियों ने फोन उठाना किया बंद
इस मामले की जानकारी के लिए दैनिक भास्कर ने रायबरेली के एसपी अभिषेक अग्रवाल से बात करने की कोशिश की, लेकिन कई बार फोन करने के बाद भी उनका फोन नहीं उठा। कुछ ऐसा ही हाल सीओ वंदना सिंह और BDO सलोन का भी रहा। मामले के खुलासे के बाद अधिकारियों ने मीडिया से पूरी तरह से दूरी बना ली है। इंस्पेक्टर बोले- मामला काफी टेक्निकल है, जांच में समय लगेगा
दैनिक भास्कर ने सलोन थाना प्रभारी जीतेंद्र सिंह से बात की। उन्होंने बताया कि मुकदमा लिखा गया है, जांच भी हमारे ही थाने में है। लेकिन ये मामला इतना छोटा और आसान नहीं है। ये काफी टेक्निकल मामला है। जितने भी दस्तावेज जारी हुए हैं, सबकी जांच करवाने के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकेगा। दूसरी बात अगर जांच में आरोप सही साबित हुआ तो संपत्ति की जांच और गैंगस्टर जैसी भी धारा बन सकती है। ऐसे में अभी इस मामले में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। दूसरी बड़ी एजेंसियां भी इस मामले में पड़ताल कर रही हैं। ऐसे में उनकी जांच पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा। अफसर बोले- VDO के साथ हुआ है धोखा
सलोन ब्लॉक में ग्राम्य विकास विभाग में तैनात एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आमतौर पर ग्राम विकास अधिकारी विजय यादव का स्वभाव काफी अच्छा है। वह सीधे-साधे इंसान हैं। उनके सिग्नेचर से इतना बड़ा फ्रॉड, जिसमें देश की आंतरिक सुरक्षा का मामला हो, ये समझ से परे है। निश्चित ही उनके साथ धोखा हुआ है। मेरी समझ में जानबूझ कर उनसे ये गलती नहीं हो सकती। जरूर साइबर कैफे संचालक ने उनके साथ भी फ्रॉड किया होगा। ISI की मिलीभगत की संभावना, गृहमंत्री को लिखा पत्र
सलोन में फर्जी प्रमाणपत्र मामले में तार ISI से जुड़े होने की आशंका है। यह दावा किया है रायबरेली के पूर्व लोकसभा प्रत्याशी और भाजपा नेता अजय अग्रवाल ने। उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने लिखा- इस सिलसिले में विगत 17 जुलाई को आपके समक्ष पत्र भेजा जा चुका है। इस पूरे घटनाक्रम में ISI की मिलीभगत की संभावना अधिक है। जनसुविधा केंद्र संचालक जीशान खान और उसके पिता रियाज खान मास्टरमाइंड हैं। साथ ही साथ ग्राम विकास अधिकारी विजय सिंह यादव की भी मिलीभगत दिख रही है। इन्होंने करोड़ों की संपत्ति इसी फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों को बनाने से अर्जित की है। यह सारा पैसा विदेशों से आया है, इसकी संभावना लग रही है। मिलीभगत या सचमुच फंस गया VDO
एक जानकारी ये भी निकलकर आई कि VDO को जब केरल पुलिस की भनक लगी तो उसने खुद जीशान के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी। आरोप लगाया कि उसकी आईडी से बिना जानकारी के फर्जी प्रमाणपत्र बनाए गए हैं। मॉनिटरिंग कमेटी की भी है लापरवाही
ग्राम्य विकास विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि किसी भी ग्राम विकास अधिकारी की आईडी से एक महीने में अधिकतम 80 जन्म प्रमाणपत्र बन सकते हैं। उससे अधिक बनने पर मामला मॉनिटरिंग कमेटी के पास चला जाता है। इसके अध्यक्ष CMO होते हैं। CMO के नेतृत्व में ये जांच शुरू होती है कि आखिरकार जन्म दर इतनी ज्यादा कैसे बढ़ गई। ग्राम्य विकास या पंचायती राज विभाग भी इस पर निगरानी करता रहता है। लेकिन इस मामले में कहां से इतनी बड़ी चूक हो गई, ये भी बड़ा सवाल है। ये खबर भी पढ़ें… रायबरेली में आतंकियों के बन गए पहचान-पत्र:VDO के आईडी-पासवर्ड से बनाए 20 हजार फर्जी सर्टिफिकेट; BJP विधायक ने किए कई खुलासे रायबरेली में VDO यानी ग्राम विकास अधिकारी की आईडी से 19,184 फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बन गए। मामला सलोन विकास खंड का है। ATS की जांच में पता चला कि आतंकी संगठन से जुड़े सदस्यों के भी प्रमाण पत्र बनाए गए हैं। फर्जीवाड़े की जांच सलोन से भाजपा विधायक अशोक कुमार की दखल के बाद ATS को सौंपी गई है। विधायक अशोक कुमार से दैनिक भास्कर ने एक्सक्लूसिव बात की। इस दौरान उन्होंने कई चौंकाने वाली जानकारी दी है। पूरी खबर पढ़ें… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर