उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को लोकभवन में राष्ट्रीय पोषण माह की शुरुआत की। इस दौरान में उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार बेबी रानी मौर्य, महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार की राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला भी मौजूद रहे। जहा मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में शामिल लोगों को पोषण का मंत्र देते हुए कहा कि बच्चों की सेहत सुधरेगी तो पीढ़ी संवरेगी। सीएम योगी ने कहा कि कुपोषित बच्चा समाज के सामने एक चुनौती है। स्वास्थ्य समाज और सशक्त राष्ट्र के निर्माण के लिए हमें जाति, मत और मजहब से ऊपर उठकर एक-एक बच्चे पर ध्यान देना पड़ेगा। तभी हम 2047 तक भारत को विकसित बना पाएंगे। इसके लिए हमें अभी से मेहनत करनी पड़ेगा। उन्होंने कहा कि विकसित भारत का सपना साकार होने का मतलब हर चेहरे पर खुशहाली है। कार्यक्रम में सीएम योगी ने कहा कि जिस तरह से द्वापर युग में माता यशोदा ने भगवान श्रीकृष्ण का लालन-पालन किया था। उसी तरह से आज के समय में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं की भूमिका भी है, उन्हें मां यशोदा की तरह बच्चों का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी बहनें उद्धरण के माध्यम से तीन से पांच वर्ष के बच्चों को शिक्षित करें तो बच्चे तेजी से सीखेंगे। सीएम योगी ने कहा कि राष्ट्रीय पोषण माह का यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत की मुहिम को और मजबूती प्रदान करेगा। अगर हमारे प्रदेश के बच्चे सुपोषित होंगे तो भारत समृद्ध होगा। अगर प्रदेश के बच्चे स्वास्थ्य की दृष्टि से विकसित होंगे तो भारत विकसित होगा। सीएम योगी ने बिना नाम लिए विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान कुछ लोग विदेश भाग गए थे तो कुछ लोग छुट्टी मनाने निकल गए थे। उन्होंने कहा कि कोरोना के दौरान प्रदेश की आंगनबाड़ी बहनें, आशा बहुओं और एनएम जब कदम से कदम मिलाकर कार्य किया तो उत्तर प्रदेश कोरोना प्रबंधन का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया। अपनी सरकार की उपलब्धियों के विषय में बताते हुए सीएम योगी ने कहा कि डबल इंजन सरकार ने पिछले साढ़े सात वर्ष में उत्तर प्रदेश में 18000 से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण कराया गया है। बाकी बचे केंद्रों का हम एक साथ निर्माण कराने जा रहे हैं। नियंत्रण में आया इंसेफेलाइटिस सीएम योगी ने कहा कि 2017 के पहले इसी सीजन में 1 से 15 वर्ष की उम्र के हजारों की संख्या में बच्चे इंसेफेलाइटिस की चपेट में आते थे। उनमें से 60 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु हो जाती थी। उनमें से 40 फीसदी बच्चे शारीरिक और मानसिक दिव्यांगता के शिकार हो जाते थे। उन्होंने कहा कि चालीस वर्षों में प्रदेश में इंसेफेलाइटिस से 50 हजार से ज्यादा बच्चों की मौतें हुईं। उन बच्चों की मौत की अपराधी पूर्ववर्ती सरकारें हैं। आज अंतर्विभागीय समन्वय के माध्यम से उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस जैसी गंभीर बीमारी पूरी तरह से समाप्त हो गई है। ये डबल इंजन की सरकार के बेहतरीन प्रबंधन का परिणाम है। शिशु मृत्यु दर में आई गिरावट सुपोषित भारत के सपने को साकार करने के लिए सीएम योगी के नेतृत्व में जारी जनअभियान के तहत उत्तर प्रदेश में कुपोषण की दर में विगत साढ़े सात वर्ष में काफी गिरावट आई है। नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे के अनुसार 2015-2016 की तुलना में वर्ष 2019-2020 में उत्तर प्रदेश में एनीमिया के स्तर में 5.1, स्टंटिंग 6.6, अल्प वजन में 7.4 और सूखापन में 0.6 गिरावट आई है। वहीं आज प्रदेश में शिशु मृत्यु दर प्रति हजार 61 से घटकर 38 और मातृ मृत्यु दर प्रति लाख 201 से घटकर 167 हो गई है। तीन बच्चों का हुआ अन्नप्राशन कार्यक्रम में सीएम योगी ने तीन गर्भवती महिलाओं को पोषित आहार और उपहार भेंट किया। पोषित आहार पाने वाली महिलाओं में कल्पना, मोनिका और खुशनुमा शामिल थीं। इसके अलावा सीएम योगी ने तीन बच्चों नैतिक, वियांश और आयुषी का अन्नप्राशन कराया। इसके तहत सीएम योगी ने बच्चों के मस्तक पर टीका लगाकर लाड एवं दुलार भी किया। इसके अलावा उन्होंने कुपोषित श्रेणी से सुपोषित श्रेणी में आए बच्चों के अभिभावकों, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों एवं आंगनबाड़ी सहायिकाओं को सम्मानित भी किया। 63 प्रतिशत सैम बच्चों के पोषण में हुआ सुधार संभव अभियान के तहत 1.9 लाख आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का प्रशिक्षण किया जा चुका है। 2023 में लगभग ढाई लाख सैम बच्चों की पहचान की गई। इसमें से 63 प्रतिशत बच्चों के पोषण में सुधार हुआ। 2024 में अब तक 1.8 लाख सैम बच्चों की पहचान की गई। इनमें से 56 प्रतिशत बच्चों के स्वास्थ्य की जांच एवं उनका उपचार किया गया। गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच को पोषण ऐप पर अंकित करने की माप दक्षता जून में 6 से 35 प्रतिशत तक पहुंच गई है। 555 आंगनबाड़ी भवनों का किया लोकार्पण कार्यक्रम में सीएम योगी ने 66 करोड़ रुपए से 45 जनपदों के 555 आंगनबाड़ी भवनों का लोकार्पण किया। साथ ही हॉट कुक्ड मील योजना से संबंधित ‘बाल भोग’ पोर्टल https://uphcm.com/hcm/का शुभारंभ किया। इसके अलावा कार्यक्रम में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के बैंक खातों में 8.78 करोड़ रुपए बीमा प्रीमियम का अंतरण किया गया। साथ ही उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों एवं सहायिकाओं की यूनिफॉर्म के लिए 29 करोड़ का अंतरण भी किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को लोकभवन में राष्ट्रीय पोषण माह की शुरुआत की। इस दौरान में उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार बेबी रानी मौर्य, महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार की राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला भी मौजूद रहे। जहा मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में शामिल लोगों को पोषण का मंत्र देते हुए कहा कि बच्चों की सेहत सुधरेगी तो पीढ़ी संवरेगी। सीएम योगी ने कहा कि कुपोषित बच्चा समाज के सामने एक चुनौती है। स्वास्थ्य समाज और सशक्त राष्ट्र के निर्माण के लिए हमें जाति, मत और मजहब से ऊपर उठकर एक-एक बच्चे पर ध्यान देना पड़ेगा। तभी हम 2047 तक भारत को विकसित बना पाएंगे। इसके लिए हमें अभी से मेहनत करनी पड़ेगा। उन्होंने कहा कि विकसित भारत का सपना साकार होने का मतलब हर चेहरे पर खुशहाली है। कार्यक्रम में सीएम योगी ने कहा कि जिस तरह से द्वापर युग में माता यशोदा ने भगवान श्रीकृष्ण का लालन-पालन किया था। उसी तरह से आज के समय में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं की भूमिका भी है, उन्हें मां यशोदा की तरह बच्चों का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी बहनें उद्धरण के माध्यम से तीन से पांच वर्ष के बच्चों को शिक्षित करें तो बच्चे तेजी से सीखेंगे। सीएम योगी ने कहा कि राष्ट्रीय पोषण माह का यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत की मुहिम को और मजबूती प्रदान करेगा। अगर हमारे प्रदेश के बच्चे सुपोषित होंगे तो भारत समृद्ध होगा। अगर प्रदेश के बच्चे स्वास्थ्य की दृष्टि से विकसित होंगे तो भारत विकसित होगा। सीएम योगी ने बिना नाम लिए विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान कुछ लोग विदेश भाग गए थे तो कुछ लोग छुट्टी मनाने निकल गए थे। उन्होंने कहा कि कोरोना के दौरान प्रदेश की आंगनबाड़ी बहनें, आशा बहुओं और एनएम जब कदम से कदम मिलाकर कार्य किया तो उत्तर प्रदेश कोरोना प्रबंधन का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया। अपनी सरकार की उपलब्धियों के विषय में बताते हुए सीएम योगी ने कहा कि डबल इंजन सरकार ने पिछले साढ़े सात वर्ष में उत्तर प्रदेश में 18000 से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण कराया गया है। बाकी बचे केंद्रों का हम एक साथ निर्माण कराने जा रहे हैं। नियंत्रण में आया इंसेफेलाइटिस सीएम योगी ने कहा कि 2017 के पहले इसी सीजन में 1 से 15 वर्ष की उम्र के हजारों की संख्या में बच्चे इंसेफेलाइटिस की चपेट में आते थे। उनमें से 60 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु हो जाती थी। उनमें से 40 फीसदी बच्चे शारीरिक और मानसिक दिव्यांगता के शिकार हो जाते थे। उन्होंने कहा कि चालीस वर्षों में प्रदेश में इंसेफेलाइटिस से 50 हजार से ज्यादा बच्चों की मौतें हुईं। उन बच्चों की मौत की अपराधी पूर्ववर्ती सरकारें हैं। आज अंतर्विभागीय समन्वय के माध्यम से उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस जैसी गंभीर बीमारी पूरी तरह से समाप्त हो गई है। ये डबल इंजन की सरकार के बेहतरीन प्रबंधन का परिणाम है। शिशु मृत्यु दर में आई गिरावट सुपोषित भारत के सपने को साकार करने के लिए सीएम योगी के नेतृत्व में जारी जनअभियान के तहत उत्तर प्रदेश में कुपोषण की दर में विगत साढ़े सात वर्ष में काफी गिरावट आई है। नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे के अनुसार 2015-2016 की तुलना में वर्ष 2019-2020 में उत्तर प्रदेश में एनीमिया के स्तर में 5.1, स्टंटिंग 6.6, अल्प वजन में 7.4 और सूखापन में 0.6 गिरावट आई है। वहीं आज प्रदेश में शिशु मृत्यु दर प्रति हजार 61 से घटकर 38 और मातृ मृत्यु दर प्रति लाख 201 से घटकर 167 हो गई है। तीन बच्चों का हुआ अन्नप्राशन कार्यक्रम में सीएम योगी ने तीन गर्भवती महिलाओं को पोषित आहार और उपहार भेंट किया। पोषित आहार पाने वाली महिलाओं में कल्पना, मोनिका और खुशनुमा शामिल थीं। इसके अलावा सीएम योगी ने तीन बच्चों नैतिक, वियांश और आयुषी का अन्नप्राशन कराया। इसके तहत सीएम योगी ने बच्चों के मस्तक पर टीका लगाकर लाड एवं दुलार भी किया। इसके अलावा उन्होंने कुपोषित श्रेणी से सुपोषित श्रेणी में आए बच्चों के अभिभावकों, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों एवं आंगनबाड़ी सहायिकाओं को सम्मानित भी किया। 63 प्रतिशत सैम बच्चों के पोषण में हुआ सुधार संभव अभियान के तहत 1.9 लाख आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का प्रशिक्षण किया जा चुका है। 2023 में लगभग ढाई लाख सैम बच्चों की पहचान की गई। इसमें से 63 प्रतिशत बच्चों के पोषण में सुधार हुआ। 2024 में अब तक 1.8 लाख सैम बच्चों की पहचान की गई। इनमें से 56 प्रतिशत बच्चों के स्वास्थ्य की जांच एवं उनका उपचार किया गया। गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच को पोषण ऐप पर अंकित करने की माप दक्षता जून में 6 से 35 प्रतिशत तक पहुंच गई है। 555 आंगनबाड़ी भवनों का किया लोकार्पण कार्यक्रम में सीएम योगी ने 66 करोड़ रुपए से 45 जनपदों के 555 आंगनबाड़ी भवनों का लोकार्पण किया। साथ ही हॉट कुक्ड मील योजना से संबंधित ‘बाल भोग’ पोर्टल https://uphcm.com/hcm/का शुभारंभ किया। इसके अलावा कार्यक्रम में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के बैंक खातों में 8.78 करोड़ रुपए बीमा प्रीमियम का अंतरण किया गया। साथ ही उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों एवं सहायिकाओं की यूनिफॉर्म के लिए 29 करोड़ का अंतरण भी किया। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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यूनियन कार्बाइड के कचरे को लेकर नगर पालिका परिषद में बैठक, जानिए क्यों है 6 जनवरी का इंतजार? <p style=”text-align: justify;”><strong>Pithampur News:</strong> यूनियन कार्बाइड जहरीले कचरे के विनष्टीकरण का मुद्दा शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद मध्य प्रदेश के पीथमपुर में लोगों का विरोध प्रदर्शन जारी है. इस बीच यूनियन कार्बाइड के कचरे को लेकर विरोध पर उतरे लोगों को समझने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस विभाग के आला अधिकारियों ने नगर पालिका परिषद पीथमपुर में 100 से ज्यादा लोगों की बैठक बुलाई. बैठक में जनप्रतिनिधि और बुद्धिजीवी वर्ग के लोग शामिल थे. हालांकि, समझाइश के बावजूद ज्यादातर लोग कचरे के विनष्टीकरण के विरोध में नजर आए.</p>
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<p style=”text-align: justify;”><strong>500 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने बताया कि विरोध को देखते हुए 500 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. पीथमपुर और आसपास के क्षेत्र में पुलिस द्वारा सतत नजर रखी जा रही है. इसके अलावा लोगों को जागरूक करने का काम भी किया जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>धार जिला के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने बताया कि 6 जनवरी को जबलपुर हाई कोर्ट में यूनियन कार्बाइड के कचरे के विनष्टीकरण को लेकर तारीख है. इस दिन सरकार अपनी ओर से लोगों की भावना को अदालत के समक्ष रख सकती है. इसके बाद जो भी स्थिति बनेगी, उसके मुताबिक कदम उठाए जाएंगे.</p>
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<p style=”text-align: justify;”><strong>रिटायरमेंट के बाद समाज सेवा से जुड़ें थे किशोर कुणाल</strong><br />आईपीएस अधिकारी के पद से रिटायर होने के बाद आचार्य किशोर कुणाल सामाजिक कार्यों से जुड़ गए थे. फिलहाल वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष व पटना के महावीर मंदिर व्यास के सचिव भी थे. इसके अलावा किशोर कुणाल पटना के ज्ञान निकेतन स्कूल के संस्थापक भी थे. वीपी सिंह की सरकार के समय उन्हें केंद्र सरकार विश्व हिंदू परिषद और बाबरी मस्जिद कमेटी के बीच मध्यस्थता के लिए विशेष अधिकारी के तौर पर भी नियुक्त किया था. </p>
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<p style=”text-align: justify;”>किशोर कुणाल एक आईपीएस अधिकारी के रूप में भी धार्मिल कार्यों में शामिल होते थे. साल 2000 में आईपीएस अधिकारी के पद से रिटायर होने के बाद उन्हें केएसडी संस्कृत विश्वविद्यालय दरंभगा का कुलपति नियुक्ति किया गया. 2004 तक वे कुलपति के पद पर रहे. इसके बाद बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रशासक बने.</p>
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